Ep. 3085 दस हजार की मूर्ति एक लाख में, धर्म में मायाचारी क्यों?
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- Опубликовано: 7 фев 2025
- आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी ने दिए खरे खरे जवाब जो उठते हैं मन में सवाल:
धर्म के नाम हो रहा व्यापार, छल ही छल मंदिरों में क्यों?
किसी की हत्या जैसा पाप होता है, किसी का इतिहास मिटाने पर भी।
दिगंबर जैन से श्वेतांबर कैसे बने?
अस्पताल बनाओ, जिनालय नहीं, भूलकर मत कहना।
साधु हो, तो कभी मांगना मत.
भव पार होने के लिए हल्के होते जाना.
दो पर ही विश्वास रखो, भाग्य और भगवान.
साधु हो तो ठहरना मत, भोगों से शांति नहीं मिलती।
कलावा पहन कर शांतिधारा हो या नहीं?
#vishuddhsagar
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सभी परम पावन आत्माओं को सादर अभिवादन जय जिनेन्द्र नरेंद्र कुमार जैन जयपुर 🙏🙏🙏
Jai jai gurudev
Jaijinendra jaiho jain dharm ki jaiho
Namostu gurudavji 🙏🙏🙏
Nmostu maharaj ji🙏🙏🙏🙏🙏
नमोस्तु आचार्य गुरुदेव
आपके सानिध्य मे पंचकलयाणक इंदौर मे हुए, सो करोण रूपए खर्च हुए आपने कोई अंकुश नही लगाया, सही वात है मूर्ती दस हजार मे आऐगी मंदिर वनाने मे सेवा करने मे रखरखाव मे मी खर्च होता है समाज की परंपरा है
दुसरे की थाली मे घी ज्यादा लगता है दुसरे की बीबी ज्यादा सुन्दर लगती है 😂😂😂😂
Jai ho gurudev
गुरुदेव विशुद्ध सागर जी महाराज की जय ❤
आप पूज्य आचार्य गुरुवर है , फिर भी पूर्वाग्रह से ग्रसित है, आपके श्री शिष्य भी इस व्यापार में शामिल हैं, जो रत्नों और स्फाटिक की प्रतिमाओं के नाम पर समाजों में जबरदस्ती पंचकल्याणक करा करा कर आपने कुछ विशेष भक्तों की जेबों को भर रहे है , अधिक क्या कहे जिनके स्वयं के शिष्य इन सब व्यापारों में लिप्त है , वह दूसरे साधुओं के बारे में ऐसा कहते है , बड़े आश्चर्य की बात है।
यह बात इनको कोन समझाए इनके शिष्य का उद्देश्य तो एक हजार स्फटिक की मुर्ति विराजमान करना चाहते हैं यह बात इनको समझाए कोन
@@जैनमंदिरगुना आप प्रमाण दीजिए।।
Kundalpur Sahastrakoot ki baat karein
सिर्फ़ पैसे वाले का ही धर्म रह गया है लाखों करोड़ों इकट्ठा कर रहे है धर्म के नाम पर
Cry more😂😂@@virajjain281
ये मायाचारि नही है। प्रतिमा को बेचा नही जा रहा कि लागत मूल्य पर स्थापित हो। मूर्ति 10000 की है बनने वाले भगवान् तो अनमोल है उनके लिए 10 अरब भी कम है
Aaj ka apisod supar dupar
जय केसरिया जी री बोलना चाहिए जय जिनेन्द्र को कम करके
Kyon taki kaal jains ka kesariya teerth bhi badal diya jaaye
स्फटिक की मूर्ति तो आकाश से देव भेजते हैं..? ,
जगह जगह चांदी की वेदी जमीन से निकल रही हैं 😂
Simandhar swami Ahmedabad
ये तो ऐसा ही हो गया जैसे ये सब मोह माया है , ये बताने के कथावाचक 10 लाख लेते हैं 😂😂😂 नकली / कॉपी करके साहित्य छपवाने में भी पैसा लगता हैं ज्ञानी
@Jainaagam-1008 tum koi nahi ho bhai muniraajo ki vyavastha karne ke liye , unki vyavastha unke punya se hoti hai , tab to fir aisa bhi kaho ki bhagwan ke ahaar , vihaar , aur shamosharan dev logo ki kripa se hoti hai , wo bhagwan ki vyavastha karte hai. Acharya vidyasagar ki vyavastha unke punya se hoti thi , Humari aur tumhari aukaat nahi ki kisi muni ki vyavastha kar sake .
😂 10 हजार की मूर्ति को 2 लाख में बेच कर जो पैसा बचता है उन्ही पैसों से आपके लिए आहार , विहार , रूम , मंच , मॉइक , बैंड की व्यवस्था की जाती है और उन्ही मंच , मॉइक में बैठ कर आप 10 हजार से 2 लाख के घोटाले की कथा सुनाते हैं 😂
@@Jainaagam-1008 tum koi nahi ho bhai muniraajo ki vyavastha karne ke liye , unki vyavastha unke punya se hoti hai , tab to fir aisa bhi kaho ki bhagwan ke ahaar , vihaar , aur shamosharan dev logo ki kripa se hoti hai , wo bhagwan ki vyavastha karte hai. Acharya vidyasagar ki vyavastha ubke punya se hoti thi , Humari aur tumhari aukaat nahi ki kisi muni ki vyavastha kar sake .
शिष्य खाए काकड़ी ओर गुर देवे आकडी😂
महावीर 599 इसापुर्व में हुए। बुद्ध 625 इसापुर्व में हुए।
Aur addinath rigved ke bhi pehle huye, kyonki rigveda me bhi bhagwan rishabhdev ka varnan hai.
Bhai bhagwan mahavir antim teerthankhar he......unke pehle 23 aur he.......
@vidhata786 budhha ka janma mahaveer k baad hua hai