Gulab nath ji // कई खेला कई खेल सी // दिल को छु जानें वाला भजन // subscribe like comment shere करना

Поделиться
HTML-код
  • Опубликовано: 17 июн 2018
  • श्री गुलाब नाथ जी के ऐसे ही मिठे मिठे भजनो का आनंद लेने के लिया हमारे चैनल को subscribe जरूर करे
    जय श्री नाथजी की
    इण आंगणियै मे ए। कई खेल्या कई खेलसी। कई खेल सिधारया ए ॥टेर॥
    आवो पाँच सहेलियो म्हारा सीम दो न चोला ए। मै हूँ अबला सूंदरी, मेरा सहिब भोला ए॥1॥
    एक छिनौला, दूजी कूबड़ी, तीजी नाजुक छोटी ए। नैण हमारा यूँ झरे ज्यों गागर फूटी ए॥2॥
    जाय उतारै हरिये बड़ तलै, संगी कुरलाया ए। थे घर जाओ भैणा आपणै, म्हे भया पराया ए॥3॥
    काजी तो महमद यूँ कया अब यहाँ नहीं रहणा ए। आया परवाना श्याम का, सखी यहाँ से चलणा ए॥4

Комментарии • 552