Truely "The" best actor in the industry... (not One of d best) His performances are very impactful... Evn being villiann he overshadows the main lead....
Prashant Rawat He criticized Nawaz in public (I think via a tweet) saying "who is this Nawazudin Siddiqi...is he an actor/star.." (something...look it up)
Milega To Milega Yahi Se. Isae Bhagao. Aur Tha Ye Waala. Hatt. Yahi Raho. Yaha. Yaha Bhi. Bus End This. Hatao Ab. Arre Sudhar Jayengae. Saste Me Nipatt Jayengae. Aise.
मैं हिंदूवादी या मुस्लिम परस्त गुटों का हितैषी नहीं हूँ ना ही किसी और धर्म या संप्रदाय का पक्षधर मगर ये ज़रूर कहूँगा कि इससे घटिया फिल्म हो ही नहीं सकती जो आपसे ही कमाकर बनी हो और आपके ही चरित्र का हनन करे. यहाँ तक कि आपके ही दुश्मन की तारीफ में कसीदे पढ़ते हुए आपकी विकृत तस्वीर बनाकर उसके घर में टांग आये. लगभग हर व्यक्ति मेरी इस राय के खिलाफ खड़ा नज़र आता है, मगर यकीन मानिये ये देश वाकई इतना मूरख है कि आपको सरे आम गाली दी जा रही है और आप गाली को कविता मानकर उसे सराहे जा रहे हैं. मेरी नाराज़गी की वजह बजरंगी को भाईजान कहा जाना बिलकुल नहीं है. I saluted Kabir Khan when I was watching climax of his patriotic movie 'Phantom', but I hate this biased movie Bajrangi Bhaijaan. अगर कोई समझता है कि मेरा ये विरोध सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए है, तो वो महज़ धूल में लठ्ठ मार रहा है। क्योंकि मैं उनमें से हूँ जिसे लोकप्रियता फूटी आँख नहीं सुहाती। Reason of my protest against Bajrangi-Bhaijaan: फिल्म का नाम पहली बार सुनते ही मुझे ये नाम "बजरंगी-भाईजान" बहुत पसंद आ गया था, जो दो शब्दों में ही पूरी कहानी की मूल भावना बयान कर देता है। इसलिए इस फिल्म को देखने की बहुत चाह थी, लेकिन टिकिट 46 दिनों बाद हाथ लग सकी क्योंकि भीड़ टिकिट काउंटर छोड़ने को राज़ी ही नहीं थी। थेटर में दाखिल हुआ तो सोचा था, रुपहले परदे पर दो-पैदाइशी दुश्मन देशों की फ्रेन्शिप होती देखने मिलेगी, लेकिन भद्दी-भद्दी गालियां खाकर बाहर आया। ये कैसा तुलनात्मक अध्यन है कबीर खान का कि पाकिस्तान में एक विलेन(सीनियर आईएसआई ऑफिसर) बाकी सारे हीरो, जबकि भारत में एक हीरो (बजरंगी भाई) बाकी सारे घिनोने विलेन। माना की दुश्मन से दोस्ती करनी हो तो उसके दिए पुराने घावों को कुरेदना मुनासिब नहीं, पर दोस्ती का ये कौन सा तरीका हुआ कि एक तरफ दुश्मन के सारे कुकर्म छुपाकर उसके सिर्फ गुणों को गिनाया जाए और दूसरी तरफ अपने गुण छुपाकर खुदके सिर्फ अवगुणों की चर्चा करें। ये तो वही बात हुई की जंगली कुत्ते से दोस्ती करनी हो तो आदमी को भोंकना सीखना पडेगा। इस फिम में कितनी सारी पारस्परिक विषमताओं को सिरे से उलटकर दिखाने का प्रयास किया गया है, मसलन: पाकिस्तान में जितनों ने बजरंगी पर हाथ उठाया, बंदूकें तानी या उलटा लटकाकर लाठियां भांजी वो सब के सब अपनी ड्यूटी निभा रहे थे, जैसे पाकिस्तान फ़ौज का अफसर, पुलिस थाने का दरोगा. अगर पाकिस्तान में कोई बुरा था तो वो सीनियर पोलिस अधिकारी जो सलमान को किसी भी हाल में जासूस साबित करके गिरफ्तार करना चाहता था. बाकि बस-ड्राइवर, सवारियां, मौलाना साहब, रिपोर्टर नवाजुद्दीन सिद्धकी समेत सारे पाकिस्तानी बाशिंदे भले मानुष ही थे. जबकि इसके उलट जैसे ये दिखाने की कोशिश की गई है कि भारतीयों में इंसानियत नाम की चीज़ ही नहीं होती. उदाहरण के तौर पर मुन्नी इंडिया में खो गई तो केवल एक आदमी (सलमान खान) उसकी मदत को आगे आता है, हालाँकि कई बार उससे पिंड छुड़ाने की कोशिश भी करता है. दूसरी नेकदिल शख्सियत बताई गई करीना कपूर, लेकिन बाकी सारे लोग निहायत ही खुदगर्ज़ किस्म के दिखाए गए. उदाहरण के तौर पर करीना के पिता उस बच्ची की मदत को वक्त की बर्बादी बताते हैं, गैर मज़हबी और पाकिस्तानी होने की वजह से उसे अपने घर में जगह देने से इनकार कर देते हैं. पाकिस्तान में दाखिल होने के दौरान बॉर्डर के नीचे जितनी भी सुरंगें बताई गईं उन सबका इस्तेमाल सिर्फ इंडिया से पाकिस्तान में दाखिल होने के लिए होता दिखाया गया, जिनका पता चलते ही पाकिस्तानी फ़ौज भोंचक रह जाती है. उलटा चोर जो कोतवाल पर उंगलियाँ उठता फिरता है इस फिल्म ने तो उसीके दावे की पुष्टि कर दी कि पाकिस्तान में आतंकवाद इंडिया द्वारा एक्सपोर्ट होता. कबीर खान ने कपटी पाकिस्तान को नेक बताकर शराफत के प्रतीक इंडिया का दामन गंदे-घिनौने किरदारों से दागदार कर दिया. उदाहरणस्वरुप अच्छी खासी आमदनी कमाने वाला ट्रेवल एजेंट ना केवल पैसे लेकर ग्राहकों को धोका देता है बल्कि एक्स्ट्रा पैसों के लालच में एक छह साल की मासूम बच्ची को रेड लाइट एरिया में बेचने पहुँच जाता है. ऊपर से खरीदार महिला के माथे पर ट्रेफिक सिग्नल जितनी बड़ी लाल बिंदी जैसे चीख-चीख कर उसके धर्म का परिचय दे रही है. सलमान को बजरंगबली के भक्त के रूप में चित्रित करके उसे मज्ज़िदों और मज़ारों से परहेज़ बरतता दिखाकर हिन्दू समुदाय को धार्मिक असहिष्णु(भेदभाव पसंद) बताने की कोशिश की गई है जबकि असलियत इससे उलट है, लगभग हर हिन्दू, मज्जिद या मजारों के सामने से गुज़रते हुए सम्मानपूर्वक सर झुका लेता है. और जो पाकिस्तानी आवाम किसी हिन्दू मठ-मंदिर में कदम रखना तो दूर उनकी मौजूदगी को ही इस्लाम की तौहीन समझते हैं, आपने उन्हें सर्व धर्म सदभाव का समर्थक बता दिया. आप इतने पर ही नहीं रुके, भारत को पाकितान के सामने नीचा दिखाने की होड़ में इस कदर अन्धे हुए कि, आपने राजधानी दिल्ली में पाकिस्तान एम्बेसी के दफ्तर के बाहर केसरिया झंडे लहराते उग्र हिन्दू कट्टरपंथियों की भीड़ को पोलिस बैरिकेट्स तोड़ते हुए दिखाया जो एम्बेसी के अंदर दाखिल होने की कोशिश कर रहे थे. अब ये भी तो समझाइये कि पाकिस्तान से उनकी जेल में बंद किसी अपने को छुड़ाने के लिए कौन सी भीड़ पाकिस्तान एम्बेसी के सामने ऐसा उग्र प्रदर्शन करेगी और चलो एक पल के लिए मान भी लेते हैं की कर लिया, तो ज़रूरी है क्या कि वे सेफ्रून पार्टी के कार्यकर्ता ही होंगे. साफ़ दिखाई देता है कि कबीर साहब जैसी शख्सियत जो हरे चोले में लिपटे आतंकियों के मानवीय पहलु भी खंगालकर बाहर ले आते हैं उनके मन की गहराई में मैत्रीपरक और सर्वधर्म सदभाव के प्रतीक नारंगी रंग के लिए क्या जगह है, इस फिल्म से आपने सेप्रेटिस्ट और धोकेबाज पाकिस्तान को संत बताया और भारत की छवि मटियामेट करने की कोशिश की लेकिन हैरत की बात है कि भारत में इसके खिलाफ किसी दर्शक ने एक शब्द नहीं कहा, भारतीयों की सहनशीलता की इससे बड़ी मिसाल क्या हो सकती है, जिसे आप बेवजह बदनाम करने निकले हैं.
so humble. he deserves much more.
On his way to become a legend!
He is already a legend bro!!!!
best actor down to earth self made man ........
he can make u smile or cry with his acting ...... amazing actor ....
Truely "The" best actor in the industry... (not One of d best)
His performances are very impactful... Evn being villiann he overshadows the main lead....
Only guy who can play the Joker in Bollywood
Rawkerboi! The
Exactly agreed
He played the with so purity in badlapur.
BEST ACTOR AND BEST INTERVIEW
simple and unbelievable
Nawaz sir you're a legend actor there Is no doubt about it I have seen all of ur movie I'm looking forward for ur upcoming movies
completely different actor!! he is great and superb!!
Solute you from the bottom of my heart.you are our 1 Hero...
Kon dekh raha in 2019??
Jo banda chote -2 role ke liye strugle karne wale ne bollywood ka history change kar diya wah bhai. Wah
thats really a great advice to carry your uniqueness rather than following someone
Alpaccino of bollywood
great human being
bahut badiya jawab actor he computer to he nahi
Natural Actor, my favorite.....
It,s a good interview👍👍
my favourite actor nawazuddin siddiqui
Best Show Anchor Mr Komal Nahta
Great Actor
Komal ji u r so handsome and ur command on talking is touch the heart
Mehnat life me kbhi jaya nhi jati
U r awesome nawaj
But keep exploring urself coz u r very much talented
Great person. Really amazing person.
Want him more in negative roles
He is a research material in emotional intelligence
Legend actor.
So honest boss!!!!
legend
Kadi mehnat krne vale klakar
Hope Rishi Kapoor sees this interview.
Why ?
That was rapid fire 😎
the best among rest
1 Dislike frm rishi kapoor Lol z:)
Rajat kumar Rishi kapoor ne kya keh diya ?
Prashant Rawat He criticized Nawaz in public (I think via a tweet) saying "who is this Nawazudin Siddiqi...is he an actor/star.." (something...look it up)
honest......
Nwaz Sir You are our hero from gangs of wasepur
Bs is des se hindu musalman ka dwesh mita do
👍💞💞💞
He is acting in film better than SRK Khan..........
best actot
Nawaz bhai aap zameer se Jude actor hai
Aatae Samapt Hoe.
Sundar And Perfect Response Of Facility Takers.
They Are.
No
Yahi Se Lijiye.
Baat Bhi Khatumm.
Kis Se.
good
i want to see he play a joker in bollywood or hollywood
Bus.
Yahi Tha.
Hae.
Yaha Se Der Hai.
Samajhdaari Bhi.
Bus.
Arre.
Bus
Komal nahata tu Kyu nhi nahata???😂
Milega To Milega Yahi Se.
Isae Bhagao.
Aur Tha Ye Waala.
Hatt.
Yahi Raho.
Yaha.
Yaha Bhi.
Bus End This.
Hatao Ab.
Arre Sudhar Jayengae.
Saste Me Nipatt Jayengae.
Aise.
Bus.
Sidha Prasarr Dunga.
Bus.
Sahanubhooti.
Rakkhengae.
Bus.
Silent Talk With Understanding.
Nahi Milega Saaf Sudhar Gapp.
मैं हिंदूवादी या मुस्लिम परस्त गुटों का हितैषी नहीं हूँ ना ही किसी और धर्म या संप्रदाय का पक्षधर मगर ये ज़रूर कहूँगा कि इससे घटिया फिल्म हो ही नहीं सकती जो आपसे ही कमाकर बनी हो और आपके ही चरित्र का हनन करे. यहाँ तक कि आपके ही दुश्मन की तारीफ में कसीदे पढ़ते हुए आपकी विकृत तस्वीर बनाकर उसके घर में टांग आये. लगभग हर व्यक्ति मेरी इस राय के खिलाफ खड़ा नज़र आता है, मगर यकीन मानिये ये देश वाकई इतना मूरख है कि आपको सरे आम गाली दी जा रही है और आप गाली को कविता मानकर उसे सराहे जा रहे हैं. मेरी नाराज़गी की वजह बजरंगी को भाईजान कहा जाना बिलकुल नहीं है. I saluted Kabir Khan when I was watching climax of his patriotic movie 'Phantom', but I hate this biased movie Bajrangi Bhaijaan. अगर कोई समझता है कि मेरा ये विरोध सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए है, तो वो महज़ धूल में लठ्ठ मार रहा है। क्योंकि मैं उनमें से हूँ जिसे लोकप्रियता फूटी आँख नहीं सुहाती।
Reason of my protest against Bajrangi-Bhaijaan: फिल्म का नाम पहली बार सुनते ही मुझे ये नाम "बजरंगी-भाईजान" बहुत पसंद आ गया था, जो दो शब्दों में ही पूरी कहानी की मूल भावना बयान कर देता है। इसलिए इस फिल्म को देखने की बहुत चाह थी, लेकिन टिकिट 46 दिनों बाद हाथ लग सकी क्योंकि भीड़ टिकिट काउंटर छोड़ने को राज़ी ही नहीं थी। थेटर में दाखिल हुआ तो सोचा था, रुपहले परदे पर दो-पैदाइशी दुश्मन देशों की फ्रेन्शिप होती देखने मिलेगी, लेकिन भद्दी-भद्दी गालियां खाकर बाहर आया।
ये कैसा तुलनात्मक अध्यन है कबीर खान का कि पाकिस्तान में एक विलेन(सीनियर आईएसआई ऑफिसर) बाकी सारे हीरो, जबकि भारत में एक हीरो (बजरंगी भाई) बाकी सारे घिनोने विलेन। माना की दुश्मन से दोस्ती करनी हो तो उसके दिए पुराने घावों को कुरेदना मुनासिब नहीं, पर दोस्ती का ये कौन सा तरीका हुआ कि एक तरफ दुश्मन के सारे कुकर्म छुपाकर उसके सिर्फ गुणों को गिनाया जाए और दूसरी तरफ अपने गुण छुपाकर खुदके सिर्फ अवगुणों की चर्चा करें। ये तो वही बात हुई की जंगली कुत्ते से दोस्ती करनी हो तो आदमी को भोंकना सीखना पडेगा।
इस फिम में कितनी सारी पारस्परिक विषमताओं को सिरे से उलटकर दिखाने का प्रयास किया गया है, मसलन: पाकिस्तान में जितनों ने बजरंगी पर हाथ उठाया, बंदूकें तानी या उलटा लटकाकर लाठियां भांजी वो सब के सब अपनी ड्यूटी निभा रहे थे, जैसे पाकिस्तान फ़ौज का अफसर, पुलिस थाने का दरोगा. अगर पाकिस्तान में कोई बुरा था तो वो सीनियर पोलिस अधिकारी जो सलमान को किसी भी हाल में जासूस साबित करके गिरफ्तार करना चाहता था. बाकि बस-ड्राइवर, सवारियां, मौलाना साहब, रिपोर्टर नवाजुद्दीन सिद्धकी समेत सारे पाकिस्तानी बाशिंदे भले मानुष ही थे. जबकि इसके उलट जैसे ये दिखाने की कोशिश की गई है कि भारतीयों में इंसानियत नाम की चीज़ ही नहीं होती. उदाहरण के तौर पर मुन्नी इंडिया में खो गई तो केवल एक आदमी (सलमान खान) उसकी मदत को आगे आता है, हालाँकि कई बार उससे पिंड छुड़ाने की कोशिश भी करता है. दूसरी नेकदिल शख्सियत बताई गई करीना कपूर, लेकिन बाकी सारे लोग निहायत ही खुदगर्ज़ किस्म के दिखाए गए. उदाहरण के तौर पर करीना के पिता उस बच्ची की मदत को वक्त की बर्बादी बताते हैं, गैर मज़हबी और पाकिस्तानी होने की वजह से उसे अपने घर में जगह देने से इनकार कर देते हैं. पाकिस्तान में दाखिल होने के दौरान बॉर्डर के नीचे जितनी भी सुरंगें बताई गईं उन सबका इस्तेमाल सिर्फ इंडिया से पाकिस्तान में दाखिल होने के लिए होता दिखाया गया, जिनका पता चलते ही पाकिस्तानी फ़ौज भोंचक रह जाती है. उलटा चोर जो कोतवाल पर उंगलियाँ उठता फिरता है इस फिल्म ने तो उसीके दावे की पुष्टि कर दी कि पाकिस्तान में आतंकवाद इंडिया द्वारा एक्सपोर्ट होता. कबीर खान ने कपटी पाकिस्तान को नेक बताकर शराफत के प्रतीक इंडिया का दामन गंदे-घिनौने किरदारों से दागदार कर दिया. उदाहरणस्वरुप अच्छी खासी आमदनी कमाने वाला ट्रेवल एजेंट ना केवल पैसे लेकर ग्राहकों को धोका देता है बल्कि एक्स्ट्रा पैसों के लालच में एक छह साल की मासूम बच्ची को रेड लाइट एरिया में बेचने पहुँच जाता है. ऊपर से खरीदार महिला के माथे पर ट्रेफिक सिग्नल जितनी बड़ी लाल बिंदी जैसे चीख-चीख कर उसके धर्म का परिचय दे रही है. सलमान को बजरंगबली के भक्त के रूप में चित्रित करके उसे मज्ज़िदों और मज़ारों से परहेज़ बरतता दिखाकर हिन्दू समुदाय को धार्मिक असहिष्णु(भेदभाव पसंद) बताने की कोशिश की गई है जबकि असलियत इससे उलट है, लगभग हर हिन्दू, मज्जिद या मजारों के सामने से गुज़रते हुए सम्मानपूर्वक सर झुका लेता है. और जो पाकिस्तानी आवाम किसी हिन्दू मठ-मंदिर में कदम रखना तो दूर उनकी मौजूदगी को ही इस्लाम की तौहीन समझते हैं, आपने उन्हें सर्व धर्म सदभाव का समर्थक बता दिया. आप इतने पर ही नहीं रुके, भारत को पाकितान के सामने नीचा दिखाने की होड़ में इस कदर अन्धे हुए कि, आपने राजधानी दिल्ली में पाकिस्तान एम्बेसी के दफ्तर के बाहर केसरिया झंडे लहराते उग्र हिन्दू कट्टरपंथियों की भीड़ को पोलिस बैरिकेट्स तोड़ते हुए दिखाया जो एम्बेसी के अंदर दाखिल होने की कोशिश कर रहे थे. अब ये भी तो समझाइये कि पाकिस्तान से उनकी जेल में बंद किसी अपने को छुड़ाने के लिए कौन सी भीड़ पाकिस्तान एम्बेसी के सामने ऐसा उग्र प्रदर्शन करेगी और चलो एक पल के लिए मान भी लेते हैं की कर लिया, तो ज़रूरी है क्या कि वे सेफ्रून पार्टी के कार्यकर्ता ही होंगे. साफ़ दिखाई देता है कि कबीर साहब जैसी शख्सियत जो हरे चोले में लिपटे आतंकियों के मानवीय पहलु भी खंगालकर बाहर ले आते हैं उनके मन की गहराई में मैत्रीपरक और सर्वधर्म सदभाव के प्रतीक नारंगी रंग के लिए क्या जगह है, इस फिल्म से आपने सेप्रेटिस्ट और धोकेबाज पाकिस्तान को संत बताया और भारत की छवि मटियामेट करने की कोशिश की लेकिन हैरत की बात है कि भारत में इसके खिलाफ किसी दर्शक ने एक शब्द नहीं कहा, भारतीयों की सहनशीलता की इससे बड़ी मिसाल क्या हो सकती है, जिसे आप बेवजह बदनाम करने निकले हैं.