जोगीदास खुमाण(रामवाला) एक काठी राजपूत थे जिनके बारोट थे गीगाबापु। जिनका मंदिर भी गुजरात के अमरेली जिल्ले के राजुला तहसील के डोलिया गांव में स्थित है। गीगाबापु की इस कृति को "घोडेका छपाकरु" कहते है।वैसा ही एक और प्रचलित "बारिशका छपाकरु" भी है। गीगा बारोट की रचना "शिक्षापत्री" को पढ़कर रवीन्द्रनाथ टागोर बहुत ही प्रभावित हुए थे।
जोगीदास खुमाण(रामवाला) एक काठी राजपूत थे जिनके बारोट थे गीगाबापु। जिनका मंदिर भी गुजरात के अमरेली जिल्ले के राजुला तहसील के डोलिया गांव में स्थित है। गीगाबापु की इस कृति को "घोडेका छपाकरु" कहते है।वैसा ही एक और प्रचलित "बारिशका छपाकरु" भी है। गीगा बारोट की रचना "शिक्षापत्री" को पढ़कर रवीन्द्रनाथ टागोर बहुत ही प्रभावित हुए थे।
Bahrath Charan ka kul hai
राव समाज को गुजरात प्रांत में बारोट बोला जाता है