हमारा वीडियो देखने के लिए धन्यवाद! कृपया हमारे चैनल को सब्सक्राइब करें और वीडियो शेयर करें। ॐ भैरवाय नमः। जय राधे कृष्ण । ॐ ललिता त्रिपुरा सुंदरीये नमः 🚩🔱🌺🙏
इतनी अदभुत जानकारी के लिए आपका बहुत धन्यवाद 🙏🙏🙏 कृपया ओम के बारे में विस्तार से बताइए जब केवल शून्य औरअंधकार था तब ओम की ध्वनि या ओम स्वयं कैसे प्रकट हो गए क्या वेदों में ऋषि मुनि ओम से भी पीछे जा चुके हैं अथवा नहीं यदि ओम प्रकाश है मूल ध्वनि है अनंत ब्रह्मांड की तब फिर यह अनंत शून्य और अनंत गहन अंधकार क्या है और क्योंकि ओम उस अनंत शून्य और गहन अंधकार में ही प्रकटहुए हैं कृपया वीडियो के माध्यम से और ज्यादा जानकारी दें कि ओम उस गहन अंधकार में कहां से प्रकट हुए 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
चूंकि आप "ॐ" के बारे में गहराई से जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, इसलिए आपको नीचे दिए गए दोनों वीडियो ज़रूर देखने चाहिए: अदृश्य ब्रह्मांड की यात्रा: Cosmic Mystery of Dark Matter and Energy ruclips.net/video/1TN3SAoUdq4/видео.html Journey from Vedas to the Big Bang Theory ruclips.net/video/4SY0Emn-KXo/видео.html
आपके सभी सवालों का उत्तर हमारे वीडियो 'शिव लोक भाग 1' और 'शिव लोक भाग 2' में दिया गया है। अधिक जानने के लिए आपको इन्हें देखना चाहिए। यहाँ लिंक दिए गए हैं: भाग 1: ruclips.net/video/vtAZh1myu-g/видео.html भाग 2: ruclips.net/video/T6Yt_KTZ7QY/видео.html यह समय ले सकता है, लेकिन ये दोनों वीडियो शिव पुराण से लिए गए हैं। अगर आपको आपके सवालों का हल नहीं मिला तो कृपया नया कमेंट करें। और हमारे साथ जुड़े रहें।
यह एक गहरी दार्शनिक प्रश्न है, जिसमें ब्रह्मांड, ओम, ब्रह्म, जीव, मनुष्य, सृष्टि, मन, और माया के संबंध को लेकर जिज्ञासा व्यक्त की गई है। इस टिप्पणी का जवाब देने के लिए हम आध्यात्मिक और दार्शनिक दृष्टिकोण का सहारा ले सकते हैं। ओम का अस्तित्व: ओम को शास्त्रों में "आदिशब्द" माना गया है, जिसका अर्थ है कि वह सब कुछ का मूल है। जब भी सृष्टि उत्पन्न हुई, उससे पहले भी ओम की ध्वनि ब्रह्मांड में विद्यमान मानी जाती है। ओम को परमात्मा या ब्रह्म का प्रतीक माना गया है, जो सृष्टि से परे है और जिसका कोई आरंभ या अंत नहीं है। इस दृष्टिकोण से, ओम हमेशा से अस्तित्व में था, चाहे अक्षर हों या ना हों। ब्रह्म का अस्तित्व: ब्रह्म या परमात्मा को अद्वितीय और सर्वव्यापी माना गया है। वह किसी समय, स्थान, रूप, या सीमा में बंधा नहीं है। भले ही सृष्टि का निर्माण न हुआ हो, ब्रह्म सदा था, है और रहेगा। इसे अद्वैत वेदांत में "सत्य" कहा गया है, जो सृष्टि के जन्म और विनाश के परे है। जीव और मनुष्य का अस्तित्व: यह विचार करने योग्य है कि जीव का अस्तित्व, सृष्टि के साथ ही प्रारंभ हुआ। मनुष्य भी उसी सृष्टि का अंग है, जो माया के बंधनों में बंधा है। जब तक जीवात्मा माया के बंधन में है, तब तक वह जन्म-मृत्यु के चक्र में फंसा रहता है। सृष्टि, मन और माया का संबंध: सृष्टि माया के अधीन है। माया को शास्त्रों में एक शक्ति के रूप में माना गया है, जो हमें भौतिक संसार के मोह में बांधती है। मन माया का ही एक उपकरण है, जो मनुष्य को मोह और भ्रम में डालता है। इस दृष्टिकोण से, सृष्टि, मन और माया का संबंध है, जबकि ब्रह्म इन सबसे परे है और ओम उसका प्रतीक है। इस तरह, इस टिप्पणी का उत्तर यह है कि ओम और ब्रह्म हमेशा से अस्तित्व में थे, चाहे भौतिक संसार और जीवों का अस्तित्व हो या न हो। माया और मन सृष्टि के जन्म के बाद प्रकट होते हैं और जीवों को भौतिक संसार से जोड़ते हैं।
52अक्षर । अरे भाई दोनों कान पर एक जोर से थप्पड़ मारो स्वयं के देखो ऊं का स्वर अपने आप ही सुनाई देखा ऐ बीज है जैसे मका के बीज में ना पते दिखते हैं ना ही दाने दीखते और ना ही जड़ दिखती है फिर उस बीज में वो है इसी प्रकार इस ऊं वह ध्वनी है बीज है जिसमें ऐ ब्रम्हांड रूपी पेड़ है 🎉 .......
Thank you for suggesting this topic! We're currently working on a larger project about the Shiva Purana, aiming to include everything about Shiva. If you have some time, we’d love for you to watch three of our videos already uploaded on Shiva in the Vedas: Bhasma: ruclips.net/video/dUe1G-HY5Eo/видео.html Shiva Tandava: ruclips.net/video/0oZC00ySdK0/видео.html Shiva’s Cosmic Symphony: ruclips.net/video/8HDsYcRx160/видео.html Please do watch them and share your feedback with us!
@@BrijeshBartaula That's good to know, we are working on a large project on Shiva Purana all chapters which would consists Shiva's role on Vedas as well. Keep checking our channel and before Bhairava Jyanthi this month we will plan to start releasing every chapter of Shiva Purana that includes all that you would want to learn. Thank you!
आपके सभी सवालों का उत्तर हमारे वीडियो 'शिव लोक भाग 1' और 'शिव लोक भाग 2' में दिया गया है। अधिक जानने के लिए आपको इन्हें देखना चाहिए। यहाँ लिंक दिए गए हैं: भाग 1: ruclips.net/video/vtAZh1myu-g/видео.html भाग 2: ruclips.net/video/T6Yt_KTZ7QY/видео.html यह समय ले सकता है, लेकिन ये दोनों वीडियो शिव पुराण से लिए गए हैं।
Vedic darshan ke anusar, prithvi aur jeevan ke kaal-chakra ko maha-yugon ke roop mein samjha gaya hai. Ek maha-yuga chaar yugo ka sangrah hai: Satyuga, Treta Yuga, Dvapara Yuga, aur Kaliyuga. Inka samaykal kuch is prakar hai: Satyuga - 1,728,000 varsh Treta Yuga - 1,296,000 varsh Dvapara Yuga - 864,000 varsh Kaliyuga - 432,000 varsh In chaar yugo ka yog 4.32 million varsh ka hota hai, aur ise ek maha-yuga kaha jaata hai. Vedic gyan ke anusaar, Brahma ke ek din mein 1000 maha-yuga hote hain, jo 4.32 billion varsh ke barabar hote hain. Isi prakaar raat bhi hoti hai, aur Brahma ke ek poore din-rat ka samay 8.64 billion varsh hota hai. Brahma ke ek din aur ek raat milake vishva ke sthiti aur pralaya ka ek chakkar poora hota hai. Aur jab Brahma ka ek "maha-manvantar" samapt hota hai, jo unke 100 varsh ke barabar hota hai, tab 311.04 trillion varsh ke baad poora srishti ka pralaya hota hai, aur fir se nayi srishti ka arambh hota hai. Ye hi Vedic siddhant ke anusaar prithvi aur jeevan ke kaal-chakra ka vivechan hai, jo ki bahut hi alaukik aur divya hai, samanya samay-gyan se bohot alag aur ati-vistarit hai.
कुछ जगह मैं सुना है की हमारे ब्रम्हा और ब्रम्हांड की उम्र एक सी है मगर नासा के मुताबिक हमारा ब्रम्हांड 13.8 बिलियन साल पुराना है और हमारे ब्रम्हा की कुल उम्र 311.04 ट्रिलियन साल है और जिसमे से आधी उम्र बीत चुकी है। तो उस हिसाब से हमारे ब्रम्हा जी 155.52 ट्रिलियन मानव वर्ष जितने बूढ़े है । जो की 13.8 बिलियन से कहीं ज्यादा है। इसका मतलब ब्रम्हा जी इस ब्रम्हांड की उत्पति से पहले भी रहे होंगे। तो क्या ब्रम्हा अपने जीवन काल में बार बार ब्रम्हांड की रचना करते है??
Brahma ji ke jeevan aur brahmand ki rachna ke sambandh me shastra kehta hai ki Brahma ji apne kaalchakra ke antaragat kai baar srishti ka nirmaan aur vinash karte hain. Unka jeevan kaal (311.04 trillion varsh) aur hamare brahmand ki age (13.8 billion varsh) ke beech jo antar hai, wahi is baat ka pramaan deta hai ki Brahma ji ka kaal srishti ke samay ke aage ka hai. Aapka ye vichar ki Brahma ji apne jeevan kaal me kai baar brahmand ka nirmaan karte hain, shastra ke anusar uchit lagta hai. Aise sawalon aur chintan se spirituality aur vigyaan ka samvad aur gehra hota hai. Dhanyavad aur Jai Shri Hari! 🙏"
Yah bahut achha prashna hai! Hiranyagarbh ka arth hai "sone ka anda" jo srishti ke prarambhik stithi ka prateek hai, jise kai baar pratham srishti ke roop mein bhi dekha gaya hai. Aise mein, ek bar Hiranyagarbh ka utpatti hui, aur usi se kai Brahmandon ka nirman aur viksit hona shuru hua. Parantu, srishti ek chakar hai jisme anek yug aur kalp bante aur bigadte rehte hain. Sukshma jagat, yaani astral ya subtle world mein bhi kuch vyavastha aur niyam hain, parantu yah sthool jagat ke pralay se alag hai. Sukshma jagat ka apna ek niyam hai jo sthool jagat ke pralay se prabhavit nahi hota. Aise mein, pralay sthool aur sukshma jagat par alag alag asar kar sakta hai, lekin sukshma jagat ka pura vinash ya pralay kabhi nahi hota, kyonki woh adhik sthayi aur shashwat hai.
Very nice knowledge, transformation of Sanatan to modern science...
आपकी टिप्पणी और वीडियो देखने के लिए धन्यवाद! जय माँ काली। हर हर महादेव । ॐ आदि शक्तिये नमः। जय राधे कृष्ण। 🌸🙏
🕉️ नमः शिवाय हर हर महादेव 🕉️🐍🌙🔱🍀🪔❤️🙏🙏🙏🙏🙏
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Dhanyawad, Great knowledge,Har har Mahadev 🙏 Om namah shivay 🙏 Jai maa Adishakti 🙏
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Om Namah Shivaya🕉️🌼🌹🪔🙏🙏 Guruji ki chorno me koti koti parnam 🙏🙏♥️ very nice thank you 🙏🙏
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और आपका कोटि कोटि धन्यवाद महानुभव जी
तत, त्वं असि
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Thanku prabhu, om namah shivaya
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Great speech sir 🪔🎇🪷🙏💧🌀⚡🌅☀️🌌🌏
आपकी टिप्पणी के लिए धन्यवाद, जय राधे कृष्ण। 🌸🙏
इतनी अदभुत जानकारी के लिए आपका बहुत धन्यवाद 🙏🙏🙏
कृपया ओम के बारे में विस्तार से बताइए जब केवल शून्य औरअंधकार था तब ओम की ध्वनि या ओम स्वयं कैसे प्रकट हो गए क्या वेदों में ऋषि मुनि ओम से भी पीछे जा चुके हैं अथवा नहीं
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अदृश्य ब्रह्मांड की यात्रा: Cosmic Mystery of Dark Matter and Energy
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Journey from Vedas to the Big Bang Theory
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Ancient advance technology and about transportation in Ancient time per and about Kailash pervat ka video banaiye 👏👏👏👏👏👏
आपके सभी सवालों का उत्तर हमारे वीडियो 'शिव लोक भाग 1' और 'शिव लोक भाग 2' में दिया गया है। अधिक जानने के लिए आपको इन्हें देखना चाहिए। यहाँ लिंक दिए गए हैं:
भाग 1: ruclips.net/video/vtAZh1myu-g/видео.html
भाग 2: ruclips.net/video/T6Yt_KTZ7QY/видео.html
यह समय ले सकता है, लेकिन ये दोनों वीडियो शिव पुराण से लिए गए हैं।
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जब 52 अक्षर नहीं थे तब यह ओम कहां था जब ब्रह्मांड नहीं था तब यह ब्रह्मकहा था जब यह जीव नहीं था तब मनुष्य कहां था यह सृष्टि मन और माया का है
यह एक गहरी दार्शनिक प्रश्न है, जिसमें ब्रह्मांड, ओम, ब्रह्म, जीव, मनुष्य, सृष्टि, मन, और माया के संबंध को लेकर जिज्ञासा व्यक्त की गई है। इस टिप्पणी का जवाब देने के लिए हम आध्यात्मिक और दार्शनिक दृष्टिकोण का सहारा ले सकते हैं।
ओम का अस्तित्व: ओम को शास्त्रों में "आदिशब्द" माना गया है, जिसका अर्थ है कि वह सब कुछ का मूल है। जब भी सृष्टि उत्पन्न हुई, उससे पहले भी ओम की ध्वनि ब्रह्मांड में विद्यमान मानी जाती है। ओम को परमात्मा या ब्रह्म का प्रतीक माना गया है, जो सृष्टि से परे है और जिसका कोई आरंभ या अंत नहीं है। इस दृष्टिकोण से, ओम हमेशा से अस्तित्व में था, चाहे अक्षर हों या ना हों।
ब्रह्म का अस्तित्व: ब्रह्म या परमात्मा को अद्वितीय और सर्वव्यापी माना गया है। वह किसी समय, स्थान, रूप, या सीमा में बंधा नहीं है। भले ही सृष्टि का निर्माण न हुआ हो, ब्रह्म सदा था, है और रहेगा। इसे अद्वैत वेदांत में "सत्य" कहा गया है, जो सृष्टि के जन्म और विनाश के परे है।
जीव और मनुष्य का अस्तित्व: यह विचार करने योग्य है कि जीव का अस्तित्व, सृष्टि के साथ ही प्रारंभ हुआ। मनुष्य भी उसी सृष्टि का अंग है, जो माया के बंधनों में बंधा है। जब तक जीवात्मा माया के बंधन में है, तब तक वह जन्म-मृत्यु के चक्र में फंसा रहता है।
सृष्टि, मन और माया का संबंध: सृष्टि माया के अधीन है। माया को शास्त्रों में एक शक्ति के रूप में माना गया है, जो हमें भौतिक संसार के मोह में बांधती है। मन माया का ही एक उपकरण है, जो मनुष्य को मोह और भ्रम में डालता है। इस दृष्टिकोण से, सृष्टि, मन और माया का संबंध है, जबकि ब्रह्म इन सबसे परे है और ओम उसका प्रतीक है।
इस तरह, इस टिप्पणी का उत्तर यह है कि ओम और ब्रह्म हमेशा से अस्तित्व में थे, चाहे भौतिक संसार और जीवों का अस्तित्व हो या न हो। माया और मन सृष्टि के जन्म के बाद प्रकट होते हैं और जीवों को भौतिक संसार से जोड़ते हैं।
52अक्षर
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अरे भाई दोनों कान पर एक जोर से थप्पड़ मारो स्वयं के देखो ऊं का स्वर अपने आप ही सुनाई देखा ऐ बीज है जैसे मका के बीज में ना पते दिखते हैं ना ही दाने दीखते और ना ही जड़ दिखती है फिर उस बीज में वो है इसी प्रकार इस ऊं वह ध्वनी है बीज है जिसमें ऐ ब्रम्हांड रूपी पेड़ है 🎉 .......
ओम कोई शब्द नहीं है बल्कि ब्रह्मांड का संगीतधुन है
नितिन साहेब के शिष्य हो।
Dark Energy Dark Matter Par Video upload kare
Sunday raat tak upload karenge pakka. Video dekhne ke liye dhanyawad!
APSARA KE BARE MEIN EK VIDEO ATHYANTH ZAROORI HAIN
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Next video : shiv in vedas
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Bhasma: ruclips.net/video/dUe1G-HY5Eo/видео.html
Shiva Tandava: ruclips.net/video/0oZC00ySdK0/видео.html
Shiva’s Cosmic Symphony: ruclips.net/video/8HDsYcRx160/видео.html
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@meghakamath28 I have already watched your all video and read shiv puran but I want to know about vedas
@@BrijeshBartaula That's good to know, we are working on a large project on Shiva Purana all chapters which would consists Shiva's role on Vedas as well. Keep checking our channel and before Bhairava Jyanthi this month we will plan to start releasing every chapter of Shiva Purana that includes all that you would want to learn. Thank you!
@@meghakamath28 ok
Kya humare kailash ka shivlok ek centre point hai or kya waha per dosri bhramando ya fir dusri duniya ke portal bhi kholte hain🙏🙏
आपके सभी सवालों का उत्तर हमारे वीडियो 'शिव लोक भाग 1' और 'शिव लोक भाग 2' में दिया गया है। अधिक जानने के लिए आपको इन्हें देखना चाहिए। यहाँ लिंक दिए गए हैं:
भाग 1: ruclips.net/video/vtAZh1myu-g/видео.html
भाग 2: ruclips.net/video/T6Yt_KTZ7QY/видео.html
यह समय ले सकता है, लेकिन ये दोनों वीडियो शिव पुराण से लिए गए हैं।
Dhanyawad 🙏🙏m part 2 dekhti hu😊@@meghakamath28
Age of earth life cicle time perioud kya h
Vedic darshan ke anusar, prithvi aur jeevan ke kaal-chakra ko maha-yugon ke roop mein samjha gaya hai. Ek maha-yuga chaar yugo ka sangrah hai: Satyuga, Treta Yuga, Dvapara Yuga, aur Kaliyuga. Inka samaykal kuch is prakar hai:
Satyuga - 1,728,000 varsh
Treta Yuga - 1,296,000 varsh
Dvapara Yuga - 864,000 varsh
Kaliyuga - 432,000 varsh
In chaar yugo ka yog 4.32 million varsh ka hota hai, aur ise ek maha-yuga kaha jaata hai.
Vedic gyan ke anusaar, Brahma ke ek din mein 1000 maha-yuga hote hain, jo 4.32 billion varsh ke barabar hote hain. Isi prakaar raat bhi hoti hai, aur Brahma ke ek poore din-rat ka samay 8.64 billion varsh hota hai. Brahma ke ek din aur ek raat milake vishva ke sthiti aur pralaya ka ek chakkar poora hota hai.
Aur jab Brahma ka ek "maha-manvantar" samapt hota hai, jo unke 100 varsh ke barabar hota hai, tab 311.04 trillion varsh ke baad poora srishti ka pralaya hota hai, aur fir se nayi srishti ka arambh hota hai.
Ye hi Vedic siddhant ke anusaar prithvi aur jeevan ke kaal-chakra ka vivechan hai, jo ki bahut hi alaukik aur divya hai, samanya samay-gyan se bohot alag aur ati-vistarit hai.
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Brahma ji ke jeevan aur brahmand ki rachna ke sambandh me shastra kehta hai ki Brahma ji apne kaalchakra ke antaragat kai baar srishti ka nirmaan aur vinash karte hain. Unka jeevan kaal (311.04 trillion varsh) aur hamare brahmand ki age (13.8 billion varsh) ke beech jo antar hai, wahi is baat ka pramaan deta hai ki Brahma ji ka kaal srishti ke samay ke aage ka hai. Aapka ye vichar ki Brahma ji apne jeevan kaal me kai baar brahmand ka nirmaan karte hain, shastra ke anusar uchit lagta hai.
Aise sawalon aur chintan se spirituality aur vigyaan ka samvad aur gehra hota hai. Dhanyavad aur Jai Shri Hari! 🙏"
kya hiranyagarbh ek bar hi hua or ab brahmand ab bante bigadtey rehte hai. Kya suksh jagat lok ka pralay kabhi bhi nhi hota ?
Yah bahut achha prashna hai! Hiranyagarbh ka arth hai "sone ka anda" jo srishti ke prarambhik stithi ka prateek hai, jise kai baar pratham srishti ke roop mein bhi dekha gaya hai. Aise mein, ek bar Hiranyagarbh ka utpatti hui, aur usi se kai Brahmandon ka nirman aur viksit hona shuru hua. Parantu, srishti ek chakar hai jisme anek yug aur kalp bante aur bigadte rehte hain.
Sukshma jagat, yaani astral ya subtle world mein bhi kuch vyavastha aur niyam hain, parantu yah sthool jagat ke pralay se alag hai. Sukshma jagat ka apna ek niyam hai jo sthool jagat ke pralay se prabhavit nahi hota. Aise mein, pralay sthool aur sukshma jagat par alag alag asar kar sakta hai, lekin sukshma jagat ka pura vinash ya pralay kabhi nahi hota, kyonki woh adhik sthayi aur shashwat hai.
@@meghakamath28 mai apke uttar se santusht hu. apka bahot dhanyawad.