बढ़ते शहरों को प्रकृति का जवाब [Nature's response to urban sprawl] | DW Documentary हिन्दी

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  • Опубликовано: 8 сен 2024
  • यह विकासवाद के सिद्धांत का नया और आश्चर्यजनक अध्याय है. हाल के अध्ययनों के अनुसार बाकी जगहों के मुकाबले हमारे शहरों में जानवरों और पौधों की प्रजातियां जीवन की बदलती परिस्थितियों से अपेक्षाकृत जल्दी अनुकूलन करती हैं.
    शहरों के तेज़ विस्तार पर प्रकृति की प्रतिक्रिया आश्चर्यजनक है. फ्रांस के एक शहर की नदी में कैटफिश किनारे पर शहरी कबूतरों का शिकार क्यों करती हैं? कैलिफोर्निया के एक विश्वविद्यालय परिसर में मादा पक्षी अचानक अपने संभोग व्यवहार को क्यों बदल देती हैं? न्यू यॉर्क के सेंट्रल पार्क में चूहे मानव खाद्य अपशिष्ट के बदले हुए आहार से कैसे निपटते हैं? अटलांटिक में किलिफिश ने घातक रासायनिक कचरे के लिए प्रतिरोध कैसे बनाया है? और क्या यह संभव है कि पतंगे अपने को रात के प्रकाश प्रदूषण के अनुकूल ढाल सकें?
    नया शोध डार्विन के विकासवाद के सिद्धांत में आश्चर्यजनक नई अंतर्दृष्टि प्रदान करता है. जानवर और पौधे नई जीवन परिस्थितियों के लिए कहीं और इतनी जल्दी नहीं ढलते, जितना कि शहरों में. जीवविज्ञानी लंबे समय से जानते हैं कि जानवर और पौधे इंसानों के आसपास नए आवास बना लेते हैं. लेकिन अब नए आनुवंशिक विश्लेषणों से पता चलता है कि ये अनुकूलन डीएनए में महत्वपूर्ण परिवर्तनों के साथ आते हैं.
    इससे भी अधिक आश्चर्य की बात यह है कि ये विकासवादी परिवर्तन सहस्राब्दियों में नहीं, बल्कि कुछ ही दशकों के भीतर हुए हैं. इस प्रक्रिया ने वैज्ञानिकों को चकित कर दिया है. प्रकृति हमारे सबसे प्रतिकूल मानव निर्मित हस्तक्षेपों, प्रदूषण, प्रकाश प्रदूषण, शोर, कचरा और घनघोर विकास को नए अनुकूलन के लिए रचनात्मक ऊर्जा में बदल देती है. कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि हमारे शहर जल्द ही अपने बिल्कुल नए जीवन रूप विकसित कर सकते हैं.
    मानव और प्रकृति के बीच संतुलन के लिए हमारे ग्रह पर इस विकास के क्या प्रभाव हैं?
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