श्रद्धेय महाराज जी के चरणों में शत-शत नमन । मै आपकी कथा से बहुत प्रभावित हूँ । मैं केवल इतना जानना चाहता हूँ कि यदि किसी शूद्र को किसी क्षत्रिय से प्रेम हो जाये तो धर्म क्या अनुमति देता है ।
महाराज जी चरणों में नमन । महाराज जी नौ वर्ष पूर्व मेरी कुंडलिनी जागृत हो गयी । पत्नी कहती है जाकर मन्दिर में बैठ । मोहमाया समझ आने लग गयी । मै वाल्मीकि समाज से हूँ ,उम्र चालीस तामसिक भोजन से जन्म से परहेज, ना मदिरा ना चरित्र हीन,पत्नी में ना जाने कहाँ से यह शक पैदा हो, गया मै प्रेम करता हूँ । अब आप ही बताइए कि शूद्र के लिये कोंन सा मन्दिर है । मैंने तो स्वयं को दिव्य उर्जा को सौंप दिया । जय भोले नाथ ।
शूद्र के लिए कौनसा मन्दिर है ? यह कैसा प्रश्न है। भाई आप तो जाति से उपर नही उठ पा रहे हो आपकी कुण्डलिनी कैसे जागृत हो गई। संदेह है। मंदिर तो सबका है बस पवित्रता का ध्यान रखा जाए मंदिर में रहा नही जाता दर्शन किया जाता है। अगर पत्नी को शक है और घर से निकाल रही है तो किसी धाम मे जाकर आश्रमों मे निवास करे वहा सब निशुल्क होता हे बस आपको आश्रमों मे सेवा करनी होगी ।
श्रद्धेय महाराज जी के चरणों में शत-शत नमन । मै आपकी कथा से बहुत प्रभावित हूँ । मैं केवल इतना जानना चाहता हूँ कि यदि किसी शूद्र को किसी क्षत्रिय से प्रेम हो जाये तो धर्म क्या अनुमति देता है ।
क्या अनुमति चाहिए भगवन ।
महाराज जी चरणों में नमन । महाराज जी नौ वर्ष पूर्व मेरी कुंडलिनी जागृत हो गयी । पत्नी कहती है जाकर मन्दिर में बैठ । मोहमाया समझ आने लग गयी । मै वाल्मीकि समाज से हूँ ,उम्र चालीस तामसिक भोजन से जन्म से परहेज, ना मदिरा ना चरित्र हीन,पत्नी में ना जाने कहाँ से यह शक पैदा हो, गया मै प्रेम करता हूँ । अब आप ही बताइए कि शूद्र के लिये कोंन सा मन्दिर है । मैंने तो स्वयं को दिव्य उर्जा को सौंप दिया । जय भोले नाथ ।
शूद्र के लिए कौनसा मन्दिर है ? यह कैसा प्रश्न है। भाई आप तो जाति से उपर नही उठ पा रहे हो आपकी कुण्डलिनी कैसे जागृत हो गई। संदेह है।
मंदिर तो सबका है बस पवित्रता का ध्यान रखा जाए
मंदिर में रहा नही जाता दर्शन किया जाता है। अगर पत्नी को शक है और घर से निकाल रही है तो किसी धाम मे जाकर आश्रमों मे निवास करे
वहा सब निशुल्क होता हे बस आपको आश्रमों मे सेवा करनी होगी ।