महाराज के गुरुदेव की कथा जब वृन्दावन मे हरिजन समाज के लोगो को नेताओ ने भड़का दिया राजेन्द्रदास जी

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  • Опубликовано: 7 ноя 2024

Комментарии • 4

  • @Riskyboys879
    @Riskyboys879 Месяц назад

    श्रद्धेय महाराज जी के चरणों में शत-शत नमन । मै आपकी कथा से बहुत प्रभावित हूँ । मैं केवल इतना जानना चाहता हूँ कि यदि किसी शूद्र को किसी क्षत्रिय से प्रेम हो जाये तो धर्म क्या अनुमति देता है ।

    • @Sant_waani
      @Sant_waani  Месяц назад

      क्या अनुमति चाहिए भगवन ।

    • @Riskyboys879
      @Riskyboys879 Месяц назад +1

      महाराज जी चरणों में नमन । महाराज जी नौ वर्ष पूर्व मेरी कुंडलिनी जागृत हो गयी । पत्नी कहती है जाकर मन्दिर में बैठ । मोहमाया समझ आने लग गयी । मै वाल्मीकि समाज से हूँ ,उम्र चालीस तामसिक भोजन से जन्म से परहेज, ना मदिरा ना चरित्र हीन,पत्नी में ना जाने कहाँ से यह शक पैदा हो, गया मै प्रेम करता हूँ । अब आप ही बताइए कि शूद्र के लिये कोंन सा मन्दिर है । मैंने तो स्वयं को दिव्य उर्जा को सौंप दिया । जय भोले नाथ ।

    • @Sant_waani
      @Sant_waani  18 дней назад

      शूद्र के लिए कौनसा मन्दिर है ? यह कैसा प्रश्न है। भाई आप तो जाति से उपर नही उठ पा रहे हो आपकी कुण्डलिनी कैसे जागृत हो गई। संदेह है।
      मंदिर तो सबका है बस पवित्रता का ध्यान रखा जाए
      मंदिर में रहा नही जाता दर्शन किया जाता है। अगर पत्नी को शक है और घर से निकाल रही है तो किसी धाम मे जाकर आश्रमों मे निवास करे
      वहा सब निशुल्क होता हे बस आपको आश्रमों मे सेवा करनी होगी ।