दीवार में एक खिड़की रहती थी: विनोद कुमार शुक्ल (vinod kumar sukl)
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- Опубликовано: 12 сен 2024
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विनोद कुमार शुक्ल का ये तीसरी किताब है
कैसी होगी वह कहानी जिसके पात्र शिकायत करना नहीं जानते, हाँ! जीवन जीना अवश्य जानते हैं, प्रेम करना अवश्य जानते हैं, और जानते हैं सपने देखना। सपने शिकायतों का अच्छा विकल्प हैं। यह भी हो सकता है कि सपने देखने वालों के पास और कोई विकल्प ही न हो। यह भी हो सकता है कि शिकायत करने वाले यह जानते ही ना हों कि उन्हें शिकायत कैसे करनी चाहिये। या तो यह भी हो सकता है कि शिकायत करने वाले यह मानते ही न हों कि उनके जीवन में शिकायत करने जैसा कुछ है भी! ऐसे ही सपने देखने वाले किंतु जीवन को बिना किसी तुलना और बिना किसी शिकायत के जीने वाले, और हाँ, प्रेम करने वाले पात्रों की कथा है विनोदकुमार शुक्ल का उपन्यास “दीवार में एक खिड़की रहती थी”।
विनोद कुमार शुक्ल के उपन्यासों में निरूपित विभिन्न समस्याएं।
में इस विषय पर पीएचडी करने वाला हूँ।
Great 👍
Dewar me ek khidki Rati thi ke notes
@@sarojjain630 Ha hai vo book..
🔥🔥🔥
Amazing
Thanks
Books ka price kitna ya pdf mil sakta hai kya Google par 🌸