योग के नाम पर मज़ाक || आचार्य प्रशांत, अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर (2022)
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- Опубликовано: 16 окт 2024
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⚡ आचार्य प्रशांत कौन हैं?
अध्यात्म की दृष्टि कहेगी कि आचार्य प्रशांत वेदांत मर्मज्ञ हैं, जिन्होंने जनसामान्य में भगवद्गीता, उपनिषदों ऋषियों की बोधवाणी को पुनर्जीवित किया है। उनकी वाणी में आकाश मुखरित होता है।
और सर्वसामान्य की दृष्टि कहेगी कि आचार्य प्रशांत प्रकृति और पशुओं की रक्षा हेतु सक्रिय, युवाओं में प्रकाश तथा ऊर्जा के संचारक, तथा प्रत्येक जीव की भौतिक स्वतंत्रता व आत्यंतिक मुक्ति के लिए संघर्षरत एक ज़मीनी संघर्षकर्ता हैं।
संक्षेप में कहें तो,
आचार्य प्रशांत उस बिंदु का नाम हैं जहाँ धरती आकाश से मिलती है!
आइ.आइ.टी. दिल्ली एवं आइ.आइ.एम अहमदाबाद से शिक्षाप्राप्त आचार्य प्रशांत, एक पूर्व सिविल सेवा अधिकारी भी रह चुके हैं।
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वीडियो जानकारी: अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस, बातचीत सत्र, 20.06.2022, ग्रेटर नॉएडा
प्रसंग:
~ योग का वास्तविक अर्थ क्या है?
~ योग को कैसे समझें?
~ योग की सर्वोत्तम विधि कौन सी है?
~ क्या मन का आत्मा में स्थापित हो जाना ही योग है?
~ प्रचलित योग और वास्तविक योग में क्या अंतर है?
त्रैगुण्यविषया वेदा निस्त्रैगुण्यो भवार्जुन।
निर्द्वन्द्वो नित्यसत्त्वस्थो निर्योगक्षेम आत्मवान्।।
हे अर्जुन! वेद सत्त्व, रज, तम, इन तीन गुणों वाले हैं अर्थात् कामना-मूलक हैं। तुम इन तीनों गुणों से अतीत अर्थात् निष्काम हो जाओ। सुख-दुःखादि द्वन्द्वों से रहित, सदा आत्मनिष्ठ अर्थात् सदा धैर्यशील तथा आवश्यक वस्तु की प्राप्ति और उसकी रक्षा में प्रयत्न-रहित, स्वस्थ अर्थात् ईश्वर-अवलम्बी हो जाओ।
श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय २, श्लोक ४५)
श्रुतिविप्रतिपन्ना ते यदा स्थास्यति निश्चला।
समाधावचला बुद्धिस्तदा योगमवाप्स्यसि।।
जब अनेक प्रकार की लौकिक और वैदिक फल-श्रुतियों को सुनकर तुम्हारी विक्षिप्त हुई बुद्धि समाधि में निश्चल हो जाएगी तभी तुम समबुद्धि की योगावस्था को प्राप्त होगे अर्थात् तत्त्वज्ञान में प्रतिष्ठित हो सकोगे।
श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय २, श्लोक ५३)
संगीत: मिलिंद दाते
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ऋषि पतंजलि ने अष्टांग योग के बारे में बताया है,
पाँच यम - सत्य, अहिंसा, अस्तेय, अपरिग्रह, ब्रम्हचर्य
पाँच नियम - शौंच, संतोष, तप, स्वाध्याय, ईश्वर प्रणिधान
विष्णु पुराण बताता है - योग: संयोग: इति जीवात्मने परमात्मे
गुरूर्ब्रह्मा गुरूर्विष्णुः गुरूर्देवो महेश्वरः ।
गुरूर्साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ।।
❤️❤️❤️
चरण स्पर्श गुरुवर ❤️❤️❤️❤️
प्रणाम आचार्य जी 🙏
मैं योग का छात्र हूं लेकिन मेरी कक्षा में 99 प्रतिशत छात्र आसन को वास्तविक योग मानते हैं, और उनके लिए योग सिर्फ एक करियर और अपना अहंकार दिखाने का तरीका है, लेकिन मुझे क्या दुख होता है शिक्षक जो इन छात्रों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। मेरे पाठ्यक्रम में उपनिषद और योगसूत्र एक विषय के रूप में हैं, लेकिन शिक्षक जीवन के अपने भौतिकवादी पहलुओं में इतने व्यस्त हैं, वे योग और वेदांत के अपने शिक्षण में इतनी बुरी तरह विफल रहे। एक शिक्षक के रूप में उनके पास इस विद्या का बीज छात्र मन में डालने की शक्ति है लेकिन उनका मन सांसारिक लाभ में लीन है। ऋषि पतंजलि कहते हैं - योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः ॥1..2चित्त अर्थात् अन्त:करण की वृत्तियों का निरोध सर्वथा रुक जाना योग है
we need teachers like acharya ji who can show us the essence of vedanta yog and bhartiya darshan.
Mai bhi yoga ka student hu BHU KA BUT YOG KE NAM PR BODY FITNESS HI BATAY JATA HAI
धन्य है वो मां जिसने आचार्य जी को जन्म दिया।। गुरुदेव आपने मेरी खोखली जिंदगी को असली मतलब दे दिया।।🙏🙏
योग का अनर्थ कर दिया भारत ने और पूरे विश्व के सामने ये छवि रख दी की योग तो बस शारीरिक व्यायाम है।
योग क्या है?
मन का आत्मा से मिलन योग है।
आत्मा क्या है?
मन की शुद्धतम अवस्था को आत्मा कहते हैं।
और उसी शुद्धतम अवस्था को उच्चतम भी माना गया है।
जो उच्चतम है वो तुम्हारे भीतर है।
तुम्हारा ही मन साफ़ हो जाए तो उससे ऊँची कोई चीज़ नहीं हो सकती।
-आचार्य प्रशांत
आचार्य प्रशांत जी के द्वारा आज के दिन में योग का असली अर्थ पता चला है , की योग तो मन को साफ करने का नाम है , योग तो वो है जो आत्मा की ओर ले जाए , योग ये नही है की जो शरीर की ओर ले जाए।🕉️🕉️।
अध्यात्म का मतलब ही यही होता है कि जितना आज तक तुम अपने आपको जानते हो, उससे अधिक जानना अपने आपको।
-आचार्य प्रशांत
गुरुदेव श्री सादर चरण स्पर्श
वेदों की संतति है योग। भारत के छः आस्तिक दर्शनों में एक है योग।☀️🕉🚩
~आचार्य प्रशांत 🙏
प्रचलित योग ने वास्तविक योग का अपहरण कर लिया, लील लिया।🙏👏👍अद्भुत सत्संग।
Yeh ek badi vidambanaa hi hain...
योग का सच्चा अर्थ समझाने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद, प्रणाम आचार्य जी 🙏
बड़े दुःख की बात है कि ये जो फिज़िकल फिटनेस कल्ट है, इसने योग को लील लिया, भक्ष लिया, एकदम खा लिया।
-आचार्य प्रशांत
भारत का सबसे बड़ा योगदान दुनिया को आत्मा है।
प्रणाम पितामः
मन का आत्मा से मिलन योग है और अगर न हो रहा तो उसी को वियोग कहते है।
मन का आत्मा से मिल जाना, आत्मस्थ हो जाना या ब्रह्मलीन हो जाना ही योग कहलाता है।🌻
~आचार्य प्रशांत 🙏
योग पर सबसे शुद्ध और सटीक परिभाषा आचार्य जी के साथ। कोटि-कोटि नमन। ♥️🕉🚩
Koti koti pranaam yog ke shi arth hume samjhane ke liye bhaut bhaut bhaut dhanyavaad acharya ji
🙏🙏👍👍👌👌❤❤🚩🌺🌺🌹🌹
जो आज चल रहा है वो योगा है पर जो भारत की विरासत योग है जो देखने को नही मिलता। योग और योगा मे अन्तर है।
❤सही अर्थ योग का...
आज योग देह आधारित हैं जबकि योग मन को शुद्ध कर आत्मा तक पहुँचना योग है... आपको नमन्... 🌹
शरीर के अंगो को आकाश की ओर ले जाना योग नही हैं।। योग मन को आकाश की ऊंचाई में ले जाने का नाम है ।। आचार्य प्रशान्त जी ❤️
योग अगर शारीरिक है तो भ्रष्ट है!
:- आचार्य प्रशांत
🙏🙏
धन्यवाद आचार्य जी ़
टांग को आकाश की ओर करने का नाम योग नहीं है😂😂😂 मन को आकाश की ओर करने को योग कहते हैं।🙏🙏🙏AP Sir😎
😅👍🏽
😀😀😀😀
😂😂👌👌
😂😂
🤣🤣🤣🤣🤣
आचार्य जी. कितना स्पष्ट और कितना बेहतर आप बोलते है..आपकी बात सुनकर लगता है कितना कम जानते हैं हम और कितनी धुंध है हमारी जिंदगी में...आचार्य जी आप सबसे अलग हैं... धन्यवाद आचार्य जी 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
आचार्य जी जैसे गुरु की प्राप्ति भगवद्गीता के कृष्ण प्राप्ति के समान है ,कोटि कोटि नमन 🙏आचार्य जी के कहने के बाद कहने को कुछ रह ही नहीं जाता , और कहने का कुछ मन भी नहीं करता , बस उनके शब्दों की गूंज को , गहराई को कुछ देर मौन रहकर मन में महसूस करते हुए आनंदित रहने का मन करता है l
नमन है इस युगपुरुष को 🙏❤️
आज योग केवल शरीर को स्वस्थ रखने का नाम बन गया है, मन को स्वस्थ रखने से कोई लेना देना नहीं,,,
🙁
अच्छी बात है शरीर सुडौल हो लेकिन सुडौल शरीर रखने भर से क्या होगा?
लेकिन अगर मन सुडौल हो गया तो फिर जीवन धन्य है।
मन पहले तन बाद में।
तन पहले आ गया तो अब जीवन नरक हो गया।
-आचार्य प्रशांत।
योग बहुत अच्छा है जब वो आत्मा की ओर ले जा राहा हो , और योग बहुत भ्रष्ट है जब वो शारीरिक चीजों की ओर ले जाए।~ आचार्य प्रशांत 🙏❤️।
*शारीरिक*
Vaah
मन पहले तन बाद में , अगर तन पहले आ गया तो जीवन नर्क बन गया। आचार्य जी 🙏
तन अच्छा नहीं होने से मन अच्छा नहीं होगा।
Vedo ki santati hai yog 🙏🙏🕉️🕉️ acharya prasant 🙏🙏🕉️🕉️
Aacharya ji ke Charanon Mein Koti Koti Vandan tash Sabhi log Aacharya ji Jaise Gyani Ho Jaate🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼❤❤❤❤❤❤
इसी का इंतजार था 🙏
जो मन को आत्मा तक ले जाये वो असली योग होता है धन्यवाद् आचार्य जी 🙏🙏🙏
आत्मा ही भारत का ,दुनिया को सबसे बड़ा योगदान है।🙏😊💐
Vaah
भारतीय दर्शन हमेशा कहता है की वेदों का ज्ञान खण्ड है वेदांत। भारतीय दर्शन का हृदय है वेदांत। तो वेदांत को केन्द्र में रखिए। स्पष्टता स्वयं आती जाएगी।🙏🕉🚩🌼🌻
वेदांत वेदो का हृदय है~आचार्य प्रशांत जी।
@@Prasad_advait उस हृदय की धड़कन है आचार्य जी 🙏🏻
🙏🏻✨
मन की शुचिता का नाम ही आत्मा है।
मन जब इतना शुद्ध हो जाए कि वो सब गुण दोषों के अतीत चला जाए तो उसे ही आत्मा कहते हैं।
-आचार्य प्रशांत
मेरी उम्र अभी 18 वर्ष की है
मुझे बहुत लाभ हुआ आपके काम से
और जीवन का अमूल्य आनंद प्राप्त हुआ
आपके ही कारण मेरा जीवन सार्थक हुआ है!
आप अपना काम जारी रखिए
मैं भी अपना जीवन सत्य को समर्पित करना चाहता हूं
अभी विद्यार्थी हूं... पढ़ाई पूरी करके संस्था के लिए काम करूंगा
अन्यथा जो भी काम करूंगा ईमानदारी से करूंगा
और सारी कमाई सत्य को समर्पित करूंगा
ये मेरा वादा है!
तन से मन की यात्रा ही तो हठयोग है
🧘♂🧘♂
टांग को आकाश की ओर नही ले जाना है 🤣, मीडिया वाले अंधे, बहरे है, उन्हे आचार्य जी का इंटरव्यू लेना चाहिए , 🙏 acharya ji ❤️🥰
Aap itna samjhdar kaise ho skte hain achary ji.... Aaj Yog Divas k din ek naya chapter hi khol k rkh dia aapne to, Jo 100% sach hain ... Body identify Yog nhi, consciousness level high high krne ko Yog kahte hain.... Bahut khoobsurat analysis kie hain Yog Topic pr....sat sat naman aapko ❣️❣️❣️👌🙂
Agar insaan vedo ka gyan le in aur sirf sachai khoje toh wo bhi acharya jaisa samajhdar ban sakta hain
🙏👍👍👍👌👌🚩🌺🌹🌹🌹
योग योग सब कहे योग न जाने कोई अरध धार उरध चले योग कहावे सोई प्रणाम आचार्य जी
प्रणाम आचार्य जी...🙏🙏🙏❤😊
Aap sahi kah rahe hai aacharya ji
charan sparsh
Jai Shree Radhe Krishna🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Aacharya ji आपने योग को बहुत ही अच्छा samjhya
सादर प्रणाम गुरुदेव। 🙏🙏
वास्तविक योग के रास्ते में सबसे बड़ी बांधा प्रचलित योग है जो कि हम सब कर रहे। आज जो हम योग करते है ये देंह केन्द्रित है। हालांकि शारीरिक तौर पर फायदे होते है। लेकिन वास्तविक योग से कोशो दूर है। योग का यथार्थ मतलब होता है मन को ऊँचाई देना। आत्मस्थ होना ही असली में योग है।🤗♥️🕉🚩☀️🌻
धन्यवाद आचार्य जी योग का बहुत सुंदर अर्थ बताया और प्रचलित योग की भर्त्सना की है
उपनिषद आत्मा को सिद्धान्त रूप में बताते हैं और और गीता में आत्मा सजीव, साकार और सगुण होकर सामने खड़ी हो जाती है।
-आचार्य प्रशांत
Aacharya ji pranaam 🙏🙏
योग के बिषय मे इतना स्पष्ट रूप से समझाया आपने, जो योग को लेकर मेरे आँखो पर भ्रम की पट्टी थी, आज वह हमेशा के लिए उतर गयी ।। कोटि कोटि धन्यावाद आपका 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Koti Koti Pranaam Guruji Hara Hara Mahadev 🙏🙏🙏🙏🙏
Pyar🙏
वास्तविक योग की राह में सबसे बड़ी बाधा, प्रचलित योग है।
-आचार्य प्रशांत
मुझे यह सुनकर दुख भी और बुरा भी होता है कि जो लोग आचार्य प्रशांत जी को सुनते और जानते भी हैं उनको पढ़कर और सुन के लाखों का फायदा उठा रहे हैं और फिर भी कहते हैं किताबों के दाम और कोर्स के दाम बहुत ज्यादा है मेरे हिसाब से एक बुक कि अगर ₹1000 रुपए कीमत है ठीक है कोई ज्यादा नहीं है हम यूट्यूब पर फ्री वीडियो देख तो लेते हैं उन पर भी हम हजारों का लाभ ले लेते हैं और जब सामने पढ़ते हैं आचार्य जी ke या संस्था पूछती है तो कर देते हैं बहुत बदलाव आए मैं आप सभी से कहना चाहता हूं जो बदलाव आए हैं उनकी कीमत और जो बुक और कोर्सेज की कीमत है दोनों को देखो कौन सी कीमत ज्यादा है अगर भीतर सच्चाई की प्रति ईमानदारी होगी तो जो फायदा हुआ है उसकी कीमत बहुत ज्यादा ही पाओगे आप सभी 🙏
शत प्रतिशत सही कहा
🙏🙏🙏👍👍👌👌👌👌🚩🚩🌺🌺🌹🌹
अपने बंधनु से मुक्त होना ही आत्मा है।
रात्रि (मृगमरीचिका) सूर्य (परम उच्च स्तरीय सनातन भाषा-साहित्य-काव्य-संगीत-योग हर अंग-उपअंग धर्म विधान-व्यवस्था-न्याय-नियम ज्ञान-विज्ञान-विद्या मार्ग-साधन-विधि दर्शन-अनुभूति-उपलब्धि शिक्षा शिक्षण परम-परा संरक्षण) के अस्त की शुरुआत-वृद्धि-विस्तार है
बहुत-बहुत धन्यवाद गुरुवर! ❤❤🙏🏻
धन्यवाद आचार्य जी!
मन को ज्ञान चाहिए।
👏🏻👏🏻👏🏻
🙏🏻🙏🏻🙏🏻
योग का असली अर्थ समझाने के लिए धन्यवाद 💐
वेदांत साधारण जनमानस के लिए योग्य है।
हमारी उम्र आपको लग जाए आचार्य जी 🙏
jai ho Acharya ji 🙏 Satyam Sivam Sundram Bhut hi umda parsang h 🙏 💖 💙 ♥ ❤ 💕 🙏
Jai ho prabhu 🙏
Koti -koti vandan 🙏
कोटि कोटि प्रणाम गुरुजी 🍁🍂🙏
मन का आत्मा में लीन होना योग कहलाता है।
Consciousness level dekho achary Prashant ji ka, kitna highest hain, mountain Everest se bhi ucha ❣️👌👌👌
Bharat Mata ki Jai 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
बिल्कुल सही बात आचार्य जी योग दिवस पर योग को क्षति हो रही है मातृ दिवस के नाम पर माता को और पितृ दिवस के नाम पर पिता को भी क्षति हो रही है। हर एक दिवस लोगों के स्टेटस तक सीमित रह गए हैं बाकी सब खल्लास।
सही बात
आज के समय मे योग का अर्थ ही बदल दिया गया
आज के योह का गीता से कोई सम्बन्ध ही नही है , हर कोई योग का सहारा ले कर स्वस्थ शरीर के साथ भोग मे लिप्त रहना चाहता है
Maan koo Giyan chaheay
kasrat badh main Super excellent Acharyajii🙏 😇👍💯✅👏
waooooo
prabhujee hari bol
Ma pichle kai salon se ek inclusive approach lekar chal rhi hu jisme svadhyay,bhajan,pranayam,yoga , meditation,jyotish aur jeevn ma sapashtata aur prakash bad raha ha .apko sunkar ye clear ho gaya mujhe prakash svadhyay aur apke margdarshan se hi mila ha dhanyavad Acharya ji
प्रणाम आचार्य जी 🙏🙏
योग कर तू खुद का खुद से और आत्म शक्ति जगा ।
दूर कर उलझनों को और आत्म आनंद पा ।।
shukriya acharya ji yoga ko itna saaf samjhane k liye..love u acharya ji
ek saccha guru or dost vahi h , jo hme hmara i-naa dikha de...
गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागूं पाय
बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो मिलाए 🙏🙏🙏🙏🙏❤️❤️❤️❤️❤️
Astang Yog kya Yog se bhinn h?
टांग को आकाश की ओर करने को योग नहीं कहते हैं 😀मन को आकाश की ओर ले जाने को योग कहते हैं 💯
बहुत बहुत धन्यवाद आचार्य जी योग का वास्तविक अर्थ बताने के लिए 🙏🙏🙂❤️
Oh what's a upraised heavenly talk
Aacharya ji koti koti pranam...
बिलकुल सही आचार्य जी योग का मतलब ही जोड़ होता है मन + आत्मा यही योग है ।
Atma is purest potential of mind....
Thank u Aacharya ji
Antarrashtriya yoga diwas ki bohot bohot Shubhkamnayein🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
योग समझाने के लिए धन्यवाद गुरु जी
असली अर्थो में आज समझ आया कि योग क्या है और इसका असली उद्देश्य क्या है
🙏🙏धन्यवाद आचार्य महोदय🙏🙏
Ji Acharya ji 🙏🙏🙏🙏🙏
Gurudev aapne badi sarlta se yog ka sandesh diya . Dhanywad ji
Bilkul sahi kaha achrya ji aapne aaj yog ka arth bahut chota ho gaya hai jo aapne mann ko aatma ya brahm me Lagaye wahi yogi hai 🕉 🕉
मन का दुखी, परेशान, आतृप्ति ,इन सबका मूल कारण आज्ञान है ।
Aisa mn jo adhik se adhik atma ko pana chahta hai wo hi adhyatmik hai..🙏🙏
Asli yog se parichay karane ka apko lakh lakh dhanyavad guru ji
Nice explanation about REAL YOGA
योग जिसका अर्थ मन को साफ़ करना है, मन को हल्का करना है, उसका हमने अर्थ बना दिया शरीर को हल्का करना।
-आचार्य प्रशांत
जैसे जिम में हमें वजन की बाधाएँ आती हैं, आप भी हमें हमारी सोच के लिए बाधाएँ देते हैं और इसे तोड़ते हैं जो जीवन के लिए एक नए विचार और दृष्टिकोण की ओर ले जाता है। धन्यवाद आचार्य जी