अच्छी पत्नी पुण्य से मिलती है मुनि श्री श्रमण सागर जी महाराज
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- Опубликовано: 30 сен 2024
- अच्छी पत्नी पुण्य से मिलती है मुनि श्री श्रमण सागर जी महाराज
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नमोस्तु गुरुदेव🙏🙏🙏
Namostu bhagvan 🙏🙏🙏
Ashok 🙏 🙌 🙏 🙌 band jain parth jainam society sus 🤨 ♥️ 😀 ❤️ ✨️ pune 🎉🎉🎉🎉🎉
जय गुरु देव 🙏🏻
Jay jinedra❤
Namostu gurudev ji
शिवपुराण के अनुसार,जब सदाशिव अंतरिक्ष भ्रमण कर रहे थे, उन्हें बहुत गर्मी लगी।
वो ब्रह्मलोक व विष्णु लोक गये, उनके दिगम्बर स्वरूप के कारण, उन्हें, कोई द्वारपाल पहचान नहीं पाये।
वो वहां से आ गये।जब विष्णु जी को ज्ञात हुआ, तो उन्हें संदेह हुआ कि वो शिव जी हैं।
ध्यान अवस्था के बाद विष्णु जी ने सुदर्शन चक्र सदाशिव को ढूंढने के लिए भेजा।
वह सुदर्शन चक्र उन्हें ढूंढता हुआ , झांसी के करगुवां , पंहुचा।वहां पर बैलगाड़ी का पहिया स्थान पर धंस गया जहां पर सदाशिव जी ध्यान अवस्था में बैठे थे। उनको लेकर के विष्णु भगवान लौट गए और सदाशिव अपने दिव्य स्वरुप को वहीं छोड़कर आ गए और जैनियों में दिगंबर के नाम से प्रसिद्ध हैं।
जो आज चिकित्सक बताते हैं, वो जैन धर्म में पहले से ही है और यही कारण है कि कभी कोई जैन बीमार व मोटे नहीं मिलेंगे।
Aao kbi hamare yaha 😂😂😂
इंद्र एक पद है, जो यज्ञों की एक संख्या करके मिलता है।
स्वर्ग नहीं चाहिए।उसके राजा इंद्र हैं।वह तो एक लोक है जहां से पुनः मृत्यु लोक में आना पड़ता है।
Jai guru ji
गीता में श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा, स्वयं सीखो कि धरती पर धरण (स्थापना) कैसे करें?
Pujya gurudev ko barambaar namostu
Namostu bhagwan ji
इक्ष्वाकु वंश के प्रथम, ऋषभ देव जी हैं।जो आदिनाथ, विष्णु जी के अवतार हैं।
ये अयोध्या के शासकों में से एक हैं। भगवान श्री विष्णु जी नेश्रीराम जी के रुप में भी इसी वंश में अवतार लिया।
तीर्थंकर ऋषभदेव जी विष्णु जी के अवतार नहीं है।
विष्णु, नारायण को कहा जाता है।
और नारायण और तीर्थंकर में बहुत बड़ा अंतर होता है।
नारायण को ही त्रिखंडाधिपति और अर्धचक्री भी कहा जाता है।
Namasto guru ji
Namostu gurudev Barodaiya
Ñamostu Gurudev
Namostu gurudev
हमने जहां एक हजार लोगों को कराए गये भोजन का स्वयं गुणगान किया,वहीं समस्त पुण्य समाप्त हो जाते हैं।
उपवास विधि बहुत बढ़िया है।