हर बार टाल देता है, वो जुलाहा मुझे, ये कहकर कि सूत खत्म हो गया है, जब भी, मांगता हूँ, मै कपड़ा, उससे. तन ढापने के लिए, उस बच्चे का, जो सदियों से, गोल गोल घूम रहाँ है, ठंड में आग के आस पास, नंगी खाल में, हर बार टाल देता है, जुलाहा .... .... ..
बोलते थे ये पहाड़, बोलती थी ये नदियाँ, बोलती थी ये हवायें अपनी अपनी भाषा में, ये सब एक दूसरे की भाषा को, अच्छी तरह से समझते थें ऐसा मै नही कहता, मैने तो, सुना है एक बार, चांद और तारों से. बोलते थे ये पहाड़, बोलती थी, ....... ...... ....
These people operate in entirely different world and hence the effect of their lyrics and soulful intelligent music
Beautiful !!
क्या बोलु , निशब्द सा हूँ.
जय हो.
Both of them are marvelous.
Dono ki nazam hi sidha ek Dil se nikalteh huye dusre Dil ki chu Kate hai.
Very simple language straight from the heart
Very peaceful and poetic session
हर बार टाल देता है, वो जुलाहा मुझे,
ये कहकर कि सूत खत्म हो गया है,
जब भी, मांगता हूँ, मै कपड़ा, उससे.
तन ढापने के लिए, उस बच्चे का,
जो सदियों से, गोल गोल घूम रहाँ है, ठंड में आग के आस पास, नंगी खाल में,
हर बार टाल देता है, जुलाहा .... .... ..
Very nice
Amazing.
🌹
I am buying this book
बोलते थे ये पहाड़,
बोलती थी ये नदियाँ,
बोलती थी ये हवायें
अपनी अपनी भाषा में,
ये सब एक दूसरे की भाषा को,
अच्छी तरह से समझते थें
ऐसा मै नही कहता, मैने तो,
सुना है एक बार, चांद और तारों से.
बोलते थे ये पहाड़,
बोलती थी, ....... ...... ....