Katha 47 | Agar Jeevan Me Aap Bahut Jyada Pareshan Hai toh yah Katha Sune | SSDN | Beni Bhagat |
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- Опубликовано: 20 окт 2024
- एक ब्राह्मण था , पंडित , वो जिस गांव में रहता था , उस गांव में जितने भी ब्राह्मण थे ,bपंडित थे सबको लोग अपने घर बुलाकर थे पूजा करने के लिए पर इस ब्राह्मण को कोई नहीं बुलाता था
इसके घर में खाने के लिए अन्य नहीं है , घरवाली ताने मारती है बच्चे रोते हैं..
पर इसके पास कुछ है ही नहीं , परेशान है कि मुझे कोई पूजा करने के लिए दान दक्षिणा देने के लिए कोई बुलाता ही नहीं है..
पूजा होंगी तो दान दक्षिणा होंगी ना दूसरों को लोग बुला लेते हैं पर मुझे नहीं बुलाते
गुरुमुखों, ज्ञान जहां से मिले ले लो, अभी यहां पर क्या ज्ञान है
अब जैसे कई लोग कहते हैं,b कई लोग देखते हैं दुकानें सबकी एक जैसी है
एक ही मार्केट में है किसी की बहुत चलती है किसी की बिलकुल नहीं चलती , सोचते हैं ना कि हमारी क्यों नहीं चलती इसका जवाब है इसमें उसकी क्यों चलती है इसका भी जवाब है इसमें
कोई कहे कि मैं अपने दिमाग से दुकान चलाता हूं अपनी मेहनत से दुकान चलाता हूं
महापुरष कहते है नही..
मेहनत तो रोड पर जो मजदूर करता है जो पत्थर तोड़ता है इतनी मेहनत तो कोई कर ही नहीं सकता
एक एक प्रश्न का उत्तर है इसमें
हमारे पूज्य श्री ग्रंथ साहिब में एक एक प्रश्न का उत्तर है उसमें
ऐसा कोई प्रश्न नहीं जिसका उत्तर नहीं हो
यह ब्राह्मण सोचता है कि मुझे कोई क्यों नहीं बुलाता
लेनदार दरवाजे पर खड़े रहते हैं , रोज सुबह ताने मार के चले जाते हैं
फिर सुबह निकल जाता है शाम को आता है पर कोई नहीं बुलाता घर पर पूजा पाठ करने
घरवाली रोज कहती है कि लेनदार आए थे ताने मार कर चले गए रोती है
अब तो उधार मिलना भी बंद हो गया है
एक दिन घरवाली ने कह दिया कि कल शाम को अगर धन लेकर नहीं आए तो घर आने की जरूरत नहीं जाकर नदी में छलांग लगा देना
दुखी मन से ब्राह्मण घर से निकला
और शाम हो गई पर कोई भिक्षा नहीं मिला
नदी के तट पर बैठ गया , मन में ख्याल आ रहे कि सच में नदी में छलांग लगा देता हूं ऐसे जीवन का क्या लाभ
घर जाऊंगा तो घरवाली फिर से ताने मारेगी बच्चे भूख से बिलखते देखे नहीं जाएंगे, लेनदार सुबह फिर आ जाएंगे इससे अच्छा है नदी में छलांग लगा दूं, इस जीवन को समाप्त कर दूं
यह सोचते सोचते सुबह हो गई
मन बनाया कि अब नदी में छलांग लगा देता हूं डूब कर मर जाता हूं जैसे ही खड़ा हुआ कानों में आवाज पड़ी -
क्या आवाज पड़ी सुबह का समय रात के 3:00 बजे
कानों में आवाज पड़ी - नाम की .. प्रभु नाम की - खुले प्रभु नाम की
कानों में आवाज पड़ी प्रभु नाम की.. मन को शांति मिली पहली बार मन को इतनी शांति मिली
कदम बढ़ चले जहां से आवाज आ रही थी उस तरफ
नदी में छलांग लगाने जा रहा था, कदम रुक गए
कदम मुड़ गए उस तरफ जहां से आवाज आ रही थी..
चलते जा रहा है क्या दिखता है-
कोई महापुरुष प्रभु नाम का जाप कर रहे हैं और कुछ लोग उसे बैठ कर सुन रहे हैं
यह भी बैठ गया, रात के 3:00 बजे से सुबह की 6:00 बजे तक दिन चड गया सूरज निकल आया, जो लोग बैठे थे उठ कर चले गए पर यह नहीं जा रहा, ये बैठ गया
महापुरुषों ने समाधि खोली इसे बुलाया अपने पास , यह रो पड़ा
जोर जोर से रो पड़ा
सारी वृथा सुनाई अपनी और इसने सवाल पूछा महापुरषों से
कि प्रभु का नाम मैं भी जपता था , पर आज जो रस आया
यह रस मुझे कभी नहीं आया क्या कारण है इसका
महापुरुष कहने लगे इसके दो कारण हैं एक तो सबसे बड़ा कारण के प्रभु का नाम जपा किस समय जा रहा है??
अमृत वेले...या कोई दूसरा समय है ??
संत महापुरुषों के वचन है जिस इंसान पापी से पापी इंसान शराबी कबाबी दुनिया के सारे गलत काम किए हो कभी सत्संग में ना आया हो जिसका मन कहीं ना जुड़ता हो नास्तिक हो अमृत वेले उठकर अगर संगत में आकर दरबार में आकर बैठ जाएगा
श्री गुरु महाराज जी के पास आकर बैठ जाएगा उसका मन भी जुड़ जाएगा नाम में, नाम की बरकत है इसे पहचानो..
जिस मन को कभी शांति नहीं मिली , जो आत्मा कई जन्मों से अतृप्त है श्री गुरु महाराज जी का अगर वह नाम जपेंगे मन शांत हो जाएगा
तो उसने कहा मुझे रास्ता भी बता दो
मेरे दुखों से छुटकारा कैसे हो माहापुरुषों ने बड़ा प्यारा जवाब दिया कहने लगे - यह वह राम का नाम है कि पथरों पर लिख दिया तो पत्थर तर गए
इंसान जपेगा तो क्यों नहीं तरेंगा,
राम जी को भी सवाल किया गया था कि राम जी आप तो भगवान हो आप समुद्र को कह देते कि सूख जाए तो वह भी सूख जाता
सारी सेना चली जाती चलकर यह पुल बनाने की क्या जरूरत थी
राम जी ने बड़ा प्यारा जवाब दिया प्रेमियों इस बात की गहराई को समझो रामजी ने जवाब दिया अगर मैं समुद्र से कहता की समुंदर सूख जा समुंदर सूख जाता है सेना चली भी जाती है
पर लोग जुड़ जाते हैं शरीर से और यह शरीर नश्वर है
लोग कहते राम में शक्ति थी , मैं लोगों को समझाना चाहता था कि राम में नहीं राम के नाम में शक्ति है
इसलिए मैंने पथरों पर राम लिखवाया , के पत्थर तर गए
तो इंसान कैसे नहीं तरेगा, जो प्रभु का नाम जपेगा
महापुरुष वचन किया करते हैं इस सृष्टि में कितने सितारे हैं कोई नहीं गिन सकता पर अगर कोई गिन ले , तो गिन ले
पर राम के नाम ने कितने तारे हैं , कितनों को तारा है और कितने तारेंगा , यह कोई नहीं गिन सकता
राम जी ने जितनों को तारा है शरीर में हम गिन सकते हैं इसको तारा उसको तारा अहिल्या को तारा इसको तारा उसको तारा
पर राम के नाम ने जितनों को तारा यह कोई नहीं गिन सकता
इसलिए राम से बड़ा राम का नाम
नाम की महिमा को पहचानो
क्या करता है यह नाम -
महापुरुषों ने समझाया कि तू अमृत वेले उठकर प्रभु के नाम का जाप करें
तेरे सारे कष्ट दूर हो जायेंगे , प्रभु के नाम की शक्ति को पहचान
पहले भी तू जपता था - जप पर पूरे भरोसे से जप
के नाम तुल कुछ अवल ना होवे
यह बात उस ब्राह्मण के हृदय में घर कर गई
मन को ताकत आ गई घर चला गया , बीवी ने फिर से ताने मारे
परेशान कर दिया, क्या करें बीवी भी मजबूर है
अब इसने झूठ बोल दिया , घरवाली को खुश करने के लिए झूठ बोल दिया
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Shukarana guru ji margadarshan krne k lie har pal k lie shukrana
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Chanchal
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Jai guru Maharaj Ji apne shukrane vich rkhna ek maa ki ardaass hai apne ki proper setting krdho 🏘️✈️🙏🙏
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Thanku Guru ji 🙏🏻💝
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S.S.D.N
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