अगर आप पारब्रह्म अवस्था यानी पीव अवस्था को प्राप्त कर लोगे तो आप भी ऐसे ही बोलोगे । समझ में नहीं आए तो बात नीं भाई । खुश रहो । इस वाणी में संत लक्ष्मणजी नें अपने बारे में कहा है । गीता में भी बहुत सारी बातें कृष्णजी ने अपने बारे में कही हैं । ऐसे ही कबीर साहब नें भी कुछ वाणीयों में अपने निज स्वरूप, मूलस्वरूप, यानी अपने वास्तविक स्वरूप के बारे में बहुत कुछ कहा है आपका हमारा मन अगर इस वाणी के रचयिता संत लक्ष्मणजी को सच्चा नहीं मान रहा है तो कोई बात नहीं भाई, क्योंकि यह वाणी संत लक्ष्मणजी नें लिखी है । अतः कहने वाले संत लक्ष्मणजी है
@@babulalkhudanibhajan आप परमअवस्था प्राप्त हो नमन है आपको हम तो खोजी हैं हमारे बात समझ में आई है या नहीं है यह तो एक बार सत्संग करेंगे साथ में तब पता चलेगा
गुड
Jay sadgurunath
ᴊᴀy ʜᴏ
good
Jay ho
💞💞💞💞💞❤️❤️❤️❤️
वेद पढ़ लो उपनिषद पढ़ लो जो होता है वह कहता नहीं है इसका मतलब गलत है वह
अगर आप पारब्रह्म अवस्था यानी पीव अवस्था को प्राप्त कर लोगे तो आप भी ऐसे ही बोलोगे ।
समझ में नहीं आए तो बात नीं भाई ।
खुश रहो ।
इस वाणी में संत लक्ष्मणजी नें अपने बारे में कहा है ।
गीता में भी बहुत सारी बातें कृष्णजी ने अपने बारे में कही हैं ।
ऐसे ही कबीर साहब नें भी कुछ वाणीयों में अपने निज स्वरूप, मूलस्वरूप,
यानी अपने वास्तविक स्वरूप के बारे में बहुत कुछ कहा है
आपका हमारा मन अगर इस वाणी के रचयिता संत लक्ष्मणजी को सच्चा नहीं मान रहा है तो कोई बात नहीं भाई, क्योंकि यह वाणी संत लक्ष्मणजी नें लिखी है ।
अतः कहने वाले संत लक्ष्मणजी है
@@babulalkhudanibhajan आप परमअवस्था प्राप्त हो नमन है आपको हम तो खोजी हैं हमारे बात समझ में आई है या नहीं है यह तो एक बार सत्संग करेंगे साथ में तब पता चलेगा
@@thakurdasmeghwal5716 🙏❤️🙏
@@babulalkhudanibhajan कृष्ण कबीर लक्ष्मण राम सबका ज्ञान आप पढ़ोगे तो वह उधार हो गया है जो अपने भीतर से उठता है वही वास्तविक विज्ञान हैं