ग़ज़ल - मधुमास (Ghazal - Madhumas)
HTML-код
- Опубликовано: 18 сен 2024
- समापन है शिशिर का अब, मधुर मधुमास आया है।
सभी आनंद में डूबे, अपरिमित हर्ष छाया है॥
सुनहरे सूत को लेकर, बुना किरणों ने जो कम्बल।
ठिठुरते चाँद तारों को, दिवाकर ने उढ़ाया है॥
...
...
समर्पित काव्य चरणों में, बनाई छंद की माला।
नमन है वागदेवी को, सुमन ‘अवि’ ने चढ़ाया है॥
गीतकार - विवेक अग्रवाल "अवि"
स्वर - श्रेय तिवारी
---------------
Full Ghazal is available for listening
You can write to me on HindiPoemsByVivek@Gmail.com