विकास दास तू कभी आर्य समाज में नहीं था दयानंद ने कहा था वेदों की ओर लौटो रामपाल कहता है पाखंड की तरफ चलो पूरा इंटरव्यू कभी भी दिया हो मैंने आज ही देखा है मेरे पास आज यूपी में मैं बताऊंगा तुझे आर्य समाज में और क्या अंतर है रामपाल में कबीर पंथ में झूठ के अलावा कुछ नहीं है सत्य खोजना है तो पुराने कबीर बीजक में खोजो पुराना कबीर बीजक में देखो उसमें सत्य मिलेगा जोर दयानंद ने बताया है वही कबीर भी जग में कबीर दास ने कहा है विकास दास तू पाखंड के रास्ते पर चल पड़ा है विकास दास तू पाखंडी है तेरा गुरु पाखंडी है रामपाल
रामपाल बंदी छोड़ कहता है फिर भी वह खुद बंदी बन गया रामपाल की ही तरह उसके उसके साथ चलने वाले सभी जानते हैं जो आश्रम से ना ने तोड़ा था सरकारी जमीन पर था उसमें 19 औरतों की लाश है निकली थी क्या हुआ रामपाल के लिए औरतें नहीं थी रामपाल कोई संत नहीं है रामपाल एक धोखेबाज है सेक्स करने वाला ढोंगी है वेद में देखी क्या लिखा हुआ है सनातन का मूल वेद है कबीर जी को धनपाल वैश्य के पुत्र थे इसका प्रमाण हम देंगे पुराने भविष्य पुराण में है यह डॉग बहुत हो गया अब मत करो
आदरणीय गरीबदास जी महाराज ने बताया है कि तीन चरण चिन्तामणी साहेब, शेष बदन पर छाए। माता, पिता, कुल न बन्धु, ना किन्हें जननी जाये।। पूर्ण परमेश्वर कविर्देव जी स्वयम्भू हैं अर्थात माता से जन्म नहीं लेते हैं तथा जरा-मरण के बन्धन से मुक्त सर्व उत्पादक प्रभु हैं।
💟 *ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17* *शिशुं जज्ञान हर्यतं मृजन्ति शुम्भन्ति वह्निं मरुतो गणेन ।* *कविर्गीर्भिः काव्येना कविः सन्त्सोमः पवित्रमत्येति रेभन् ॥* शिशुम् जज्ञानम् हर्य तम् मृजन्ति शुम्भन्ति वह्निम् मरुतः गणेन कविर्गीर्भिः काव्येना कविः सन्त् सोमः पवित्रम् अत्येति रेभन् ➡️ *Translation By Saint Rampal Ji* (हर्य) ========= पाप हर्ता परमात्मा जब (शिशुम् जज्ञानम्) == शिशु के रूप में प्रकट होता है, (तम् मृजन्ति) ==== उस समय निर्मलता से ज्ञान का (शुम्भन्ति) ====== उच्चारण करता है, (वह्निम्) ======= परमात्मा के लिए लगी विरह अग्नि वाल (मरुतः गणेन) ==== वायु समान शीतल भक्त गणों के लिए (काव्येना) ====== कविताओं द्वारा कवित्व से (पवित्रम् अत्येति) == अत्यधिक पवित्रता के साथ (कविर्गीर्भिः) ===== कविर वाणी को (रेभन्) ======== गर्जते स्वर में बोलता हुआ, (सोमः सन्त्) ===== सोमस्वरूप परमात्मा संत/ऋषि रूप में (कविः) ======== कविर्देव ही होता है ॥ ➡️ *Translation By Dayanand Saraswati Ji* (शिशुम्, जज्ञानम्) == उस परमात्मा को जो सदा प्रगट है, (हर्य्य, तम्) ==== जो अत्यंत कामनीय है, उसको उपासक लोग (मृजन्ति) ==== बुद्धिविषय करते हैं और (शुम्भन्ति) === उसकी स्तुति द्वारा उसके गुणों का वर्णन करते हैं और (मरुतः) ==== विद्वान् लोग (वह्निम्) ==== उस गतिशील परमात्मा का (गणेन) ==== गुणों के द्वारा वर्णन करते हैं और (कविः) ==== कवि लोग (गीर्भिः) ==== वाणी द्वारा और (काव्येन) === कवित्व से (कविः) ==== उस कवि की स्तुति करते हैं। (सोमः) ==== सोमस्वरूप (पवित्रम्) === पवित्र परमात्मा कारणावस्था में सूक्ष्म प्रकृति को (रेभन्, सन्, अत्येति) = गर्जता हुआ अतिक्रमण करता है ॥
विकास जी, आपकी भाषा शैली बता रही है कि आप पढ़े लिखे हैं लेकिन रामपाल की भाषा शैली भी ग्वारों जैसी है। आपने स्वयं स्वीकार किया कि आपमें अपनी शिक्षा का घमंड था। अतः जहां तक मेरा मानना है आप जैसी अहंकारी आदमी के अहम को जब ठेस लगती है तो वह दूसरे की निंदा करने से नहीं चूकता। इसलिए आर्य समाज में रहते हुए विकास जी के साथ कुछ ऐसा ही कुछ हुआ होगा इसलिए आपने आर्य समाज की निंदा करना अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया। आप लोग स्वामी दयानंद सरस्वती के बारे में बुरा भला कहते हो फिर उनके भाष्य किए गए वेदार्थ से अपने पंथ को सिद्ध करना चाहते हो, ये न्यायोचित नहीं है। स्वामी दयानद गुजरात पृष्ठभूमि से इसलिए उनकी हिंदी शैली थोड़ी हटकर प्रतीत होती है। आर्य समाज में मौजूद कोई व्यक्ति गलत विचारों का हो सकता है आर्य समाज के नियम और वेद नहीं। आपने जो वेद मंत्रों के उदहारण दिए, इन वेद मंत्र से आशय यह नहीं है कि किए हुए पाप कर्म को परमात्मा काट देता है अर्थात उस पाप कर्म का फल कर्ता को नहीं भोगना पड़ेगा। सभी लोग जानते हैं कि परमात्मा पूर्ण न्यायकारी है और जो न्यायकारी होता है वो एक समान न्याय करता है।उदाहरण के तौर पर माना .........आप ने मुझे जान बूझकर बिना बात के 10 लोगों के बीच में थपड़ मार दिया और आप ने परमात्मा की भक्ति करके अपने पाप को माफ करा लिया यह तो फिर मेरे साथ न्याय नहीं हुआ और मेरे साथ न्याय न होने के कारण परमात्मा के पूर्ण न्यायकारी होने की परिभाषा खंडित होती है जो कि उचित नहीं है। अतः किए का दण्ड तो भोगना ही पड़ेगा। हां, इतना संभव है कि परमात्मा अपने उपासक को पाप कर्म के फलस्वरूप मिलने वाले दुःख को सहन करने की शक्ती देता है साथ ही उस पाप कर्म के संस्कार जो आत्मा पर पड़ जाते हैं उनको हटाने/काटने के किए निरंतर प्रेरित करता है और अंतत कठोर तप उपरांत उसको दगधबीज भी कर देता है, ऐसा मानना, समझना व जानना चाहिए। दूसरी बात आपने बताया कि आपका चमत्कारिक रूप से सर्विकल pain ठीक हो गया यदि रामपाल के पास ऐसी शक्ति है तो फिर ये इतने Medical, PGIMS, AIIMS सब व्यर्थ हैं सब डॉक्टर जो सारा जीवन पढ़ लिखकर अपना जीवन समाज को समर्पित करते हैं सब व्यर्थ ही। जबकि हकीकत तो यह है कि आपके रामपाल को यदि बुखार भी होता है तो इन्ही डॉक्टर्स की शरण में जाते हैं। तीसरी बात यह कि यदि उन्होंने आपके मन की बात जान ली तो फिर वे भारतीय खुफिया एजेंसी का सहयोग करें तो काफी कुछ देश हित में रहेगा। अतः आप आर्य समाज के प्रति अपनी व्यक्तिगत ईर्षा को आधार बनाकर व्यर्थ आक्षेप न लगाएं। सत्य सिद्धांतो पर चलें और अपनी विद्या का दुरुपयोग न करें।
📕दयानंद की अज्ञानता समुल्लास 4 के पृष्ठ 101 पर अज्ञानी महर्षि ने लिखा है कि एक स्त्री नियोग ग्यारह व्यक्तियों तक कर सकती है। इसी प्रकार पुरूष भी ग्यारह स्त्रियों से नियोग (अभ्रद कर्म) कर सकता है।
📕दयानंद की अज्ञानता समुल्लास 4 पृष्ठ 96-97 पर महर्षि दयानंद ने लिखा है कि विधवा स्त्री का पुनः विवाह इसलिए नहीं करना चाहिए क्योंकि पुनःविवाह से उसका पति व्रत धर्म नष्ट हो जाएगा। इसलिए नियोग करें।
आर्य समाज आज तक मिटा नहीं है और ना ही कभी मिटेगा| कितने समाज आए थे लेकिन सारे मिट गए आर्य समाज हमेशा अमर रहेगा| हमारा जीवन भी चला जाए लेकिन इस मिटने नहीं देंगे| इसका कारण क्या है? हमने जाना है कि इसमें क्या सच्चाई है क्या अच्छा ही है| आर्य समाज कल्पना से परे है| जब जब धर्म की हानि होगी तब कोई ना कोई ऋषि दयानंद धरती पर आता ही रहेगा|
विकास जी, आपकी भाषा शैली बता रही है कि आप पढ़े लिखे हैं लेकिन रामपाल की भाषा शैली भी ग्वारों जैसी है। आपने स्वयं स्वीकार किया कि आपमें अपनी शिक्षा का घमंड था। अतः जहां तक मेरा मानना है आप जैसी अहंकारी आदमी के अहम को जब ठेस लगती है तो वह दूसरे की निंदा करने से नहीं चूकता। इसलिए आर्य समाज में रहते हुए विकास जी के साथ कुछ ऐसा ही कुछ हुआ होगा इसलिए आपने आर्य समाज की निंदा करना अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया। आप लोग स्वामी दयानंद सरस्वती के बारे में बुरा भला कहते हो फिर उनके भाष्य किए गए वेदार्थ से अपने पंथ को सिद्ध करना चाहते हो, ये न्यायोचित नहीं है। स्वामी दयानद गुजरात पृष्ठभूमि से इसलिए उनकी हिंदी शैली थोड़ी हटकर प्रतीत होती है। आर्य समाज में मौजूद कोई व्यक्ति गलत विचारों का हो सकता है आर्य समाज के नियम और वेद नहीं। आपने जो वेद मंत्रों के उदहारण दिए, इन वेद मंत्र से आशय यह नहीं है कि किए हुए पाप कर्म को परमात्मा काट देता है अर्थात उस पाप कर्म का फल कर्ता को नहीं भोगना पड़ेगा। सभी लोग जानते हैं कि परमात्मा पूर्ण न्यायकारी है और जो न्यायकारी होता है वो एक समान न्याय करता है।उदाहरण के तौर पर माना .........आप ने मुझे जान बूझकर बिना बात के 10 लोगों के बीच में थपड़ मार दिया और आप ने परमात्मा की भक्ति करके अपने पाप को माफ करा लिया यह तो फिर मेरे साथ न्याय नहीं हुआ और मेरे साथ न्याय न होने के कारण परमात्मा के पूर्ण न्यायकारी होने की परिभाषा खंडित होती है जो कि उचित नहीं है। अतः किए का दण्ड तो भोगना ही पड़ेगा। हां, इतना संभव है कि परमात्मा अपने उपासक को पाप कर्म के फलस्वरूप मिलने वाले दुःख को सहन करने की शक्ती देता है साथ ही उस पाप कर्म के संस्कार जो आत्मा पर पड़ जाते हैं उनको हटाने/काटने के किए निरंतर प्रेरित करता है और अंतत कठोर तप उपरांत उसको दगधबीज भी कर देता है, ऐसा मानना, समझना व जानना चाहिए। दूसरी बात आपने बताया कि आपका चमत्कारिक रूप से सर्विकल pain ठीक हो गया यदि रामपाल के पास ऐसी शक्ति है तो फिर ये इतने Medical, PGIMS, AIIMS सब व्यर्थ हैं सब डॉक्टर जो सारा जीवन पढ़ लिखकर अपना जीवन समाज को समर्पित करते हैं सब व्यर्थ ही। जबकि हकीकत तो यह है कि आपके रामपाल को यदि बुखार भी होता है तो इन्ही डॉक्टर्स की शरण में जाते हैं। तीसरी बात यह कि यदि उन्होंने आपके मन की बात जान ली तो फिर वे भारतीय खुफिया एजेंसी का सहयोग करें तो काफी कुछ देश हित में रहेगा। अतः आप आर्य समाज के प्रति अपनी व्यक्तिगत ईर्षा को आधार बनाकर व्यर्थ आक्षेप न लगाएं। सत्य सिद्धांतो पर चलें और अपनी विद्या का दुरुपयोग न करें।
सत्यार्थ प्रकाश नहीं झूठार्थ प्रकाश! महर्षि दयानंद ने सत्यार्थ प्रकाश समूल्लास 8 पृष्ठ 197-198 पर लिखा है कि सूर्य पर पृथ्वी की तरह सब प्रजा बसती है। इसी प्रकार सर्व पदार्थ हैं।इन्ही वेदों को सूर्य पर रहने वाले मनुष्य पढते हैं
बड़े दूर्भाग्यशाली हो😭😭😭 झूठ बोल रहा है•••• गुरुकुल में पढ़ा लिखा होकर, आर्य समाज में रहकर सत्यार्थ प्रकाश पढ़कर भी अपना जीवन व्यर्थ गवा रहा है| तुम अपना जीवन गवालो कोई दिक्कत नहीं लेकिन उस देव स्वरूप पर कोई लांछन मत लगा तुझे नरक में भी जगह नहीं मिलेगी| मैं ऋषि दयानंद की कोई दास नहीं हूं लेकिन मैंने सत्यार्थ प्रकाश को जाना है समझा है 100% सच है| लेकिन दुर्भाग्य हीन तुम्हारा कल्याण कभी नहीं हो सकता😢
Dayanand saraswati ki vajah se Arya samaj yon ne sadguru rampal ji Maharaj per galat ilzaam lagakar jail mein band karvaya deshdroh ka jhutha mukadma lagvaya
स्वामी दयानद गुजरात पृष्ठभूमि से इसलिए उनकी हिंदी शैली थोड़ी हटकर प्रतीत होती है। आर्य समाज में मौजूद कोई व्यक्ति गलत विचारों का हो सकता है आर्य समाज के नियम नहीं। विकाश जी ने। जो वेद मंत्रों के उदहारण दिए, इन वेद मंत्र से आशय यह नहीं है कि किए हुए पाप कर्म को परमात्मा काट देता है अर्थात उस पाप कर्म का फल कर्ता को नहीं भोगना पड़ेगा। सभी लोग जानते हैं कि परमात्मा पूर्ण न्यायकारी है और जो न्यायकारी होता है वो एक समान न्याय करता है।उदाहरण के तौर पर माना .........आप ने मुझे जान बूझकर बिना बात के 10 लोगों के बीच में थपड़ मार दिया और आप ने परमात्मा की भक्ति करके अपने पाप को माफ करा लिया यह तो फिर मेरे साथ न्याय नहीं हुआ और मेरे साथ न्याय न होने के कारण परमात्मा के पूर्ण न्यायकारी होने की परिभाषा खंडित होती है जो कि उचित नहीं है। अतः किए का दण्ड तो भोगना ही पड़ेगा। हां, इतना संभव है कि परमात्मा अपने उपासक को पाप कर्म के फलस्वरूप मिलने वाले दुःख को सहन करने की शक्ती देता है साथ ही उस पाप कर्म के संस्कार जो आत्मा पर पड़ जाते हैं उनको हटाने/काटने के किए निरंतर प्रेरित करता है और अंतत कठोर तप उपरांत उसको दगधबीज भी कर देता है, ऐसा मानना, समझना व जानना चाहिए। दूसरी बात आपने बताया कि आपका चमत्कारिक रूप से सर्विकल pain ठीक हो गया यदि रामपाल के पास ऐसी शक्ति है तो फिर ये इतने Medical, PGIMS, AIIMS सब व्यर्थ हैं सब डॉक्टर जो सारा जीवन पढ़ लिखकर अपना जीवन समाज को समर्पित करते हैं सब व्यर्थ ही। जबकि हकीकत तो यह है कि आपके रामपाल को यदि बुखार भी होता है तो इन्ही डॉक्टर्स की शरण में जाते हैं। तीसरी बात यह कि यदि उन्होंने आपके मन की बात जान ली तो फिर वे भारतीय खुफिया एजेंसी का सहयोग करें तो काफी कुछ देश हित में रहेगा। अतः आप आर्य समाज के प्रति अपनी व्यक्तिगत ईर्षा को आधार बनाकर व्यर्थ आक्षेप न लगाएं। सत्य सिद्धांतो पर चलें और अपनी विद्या का दुरुपयोग न करें।
REALITY OF DAYANAND SARASWATI It is written in Samullas 4 of Satyarth Prakash (book by Dayanand Saraswati) that- It is "best" to marry a 24 years old girl with a 48 years old man. Dayanand had no knowledge. He was not a social reformer.
Mya bohut vagyaban hun.
aisa satguru mil gaya.
koti koti dandwat parnam
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Jay ho bandichhod satguru Rampal Ji Maharaj ki 🙏🙏
Very very nice Saccha Gyan Sant Rampal Ji ka Anmol Gyan granthon se Praman Shahid Gyan Anmol Gyan sarvshreshth Gyan Satya Gyan
True spiritual knowledge of sant Rampal Ji 👍👍
अनमोल ज्ञान
Anmol vachan 🙏
True spiritual experience
संत श्री रामपालमहराज की जय !
Very nice shatsang
Incredible spiritual experience
satsaheb mere gurudev bhgwan rampalji baki sab pampal
Great
आर्य समाज अति श्रेष्ठ समाज है उसको बदनाम करना अति निंदनीय काम है
Jnab agar ap snatni he to yek bar gyan ganga pusat ko pura jrur pad dena nhi to muslim ho
Jai shree shyam ❤❤❤❤❤😊😊😊
Sat saheb ji 🙏
बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय
विकास दास तू कभी आर्य समाज में नहीं था दयानंद ने कहा था वेदों की ओर लौटो रामपाल कहता है पाखंड की तरफ चलो पूरा इंटरव्यू कभी भी दिया हो मैंने आज ही देखा है मेरे पास आज यूपी में मैं बताऊंगा तुझे आर्य समाज में और क्या अंतर है रामपाल में कबीर पंथ में झूठ के अलावा कुछ नहीं है सत्य खोजना है तो पुराने कबीर बीजक में खोजो पुराना कबीर बीजक में देखो उसमें सत्य मिलेगा जोर दयानंद ने बताया है वही कबीर भी जग में कबीर दास ने कहा है विकास दास तू पाखंड के रास्ते पर चल पड़ा है विकास दास तू पाखंडी है तेरा गुरु पाखंडी है रामपाल
रामपाल बंदी छोड़ कहता है फिर भी वह खुद बंदी बन गया रामपाल की ही तरह उसके उसके साथ चलने वाले सभी जानते हैं जो आश्रम से ना ने तोड़ा था सरकारी जमीन पर था उसमें 19 औरतों की लाश है निकली थी क्या हुआ रामपाल के लिए औरतें नहीं थी रामपाल कोई संत नहीं है रामपाल एक धोखेबाज है सेक्स करने वाला ढोंगी है वेद में देखी क्या लिखा हुआ है सनातन का मूल वेद है कबीर जी को धनपाल वैश्य के पुत्र थे इसका प्रमाण हम देंगे पुराने भविष्य पुराण में है यह डॉग बहुत हो गया अब मत करो
Sat saheb ji
सतगुरु शरण में आने से, आई तले बल्ला,
जो मस्तिष्क में सूली हो, काटे मे टल जा,🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌻🌻🌻🌻🌻💐💐💐💐💐💐🌻🌻🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️💯💯💯💯💯
Satsaheb
Bhot jada nice interview ❤❤❤
Right interviwe
Very nice Satsang
Boht achi video hai ❤❤🎉
बंदी छोड़ सत गुरु राम पाल भगवान ❤️❤️❤️❤️❤️🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾
Truth,which is written in the Satyarthprakash.
Bandi xod sat guru rampal ji bhagwan ki jay
कबीर, सब जग निर्धना, धनवन्ता ना कोई।
धनवन्ता सो जानियों, जिसके राम नाम धन होय।।
👍👍👍
🙏🙏🙏🙏🙏
Arya Samaj Amar Rhe....Jay Shree Ram🕉️🚩🚩
True interview
सद्गुरु के शरण में आने से सच्ची भक्ति करने से सब कुछ दूर हो जाता है
Kabir दास जी पूर्ण परमात्मा हैं।
Nice
🙏
कबीर, लूट सकै तो लूट ले, राम नाम की लूट।
फिर पीछै पछताएगा, प्राण जांहिंगे छूट।।
Sat saheb ji.. watch the video of Saint Ghisa ji Maharaj Katha aby Saint Rampal Ji... On my channel
Raam naam ki loot karo . Rampalji ke naam ki nhi.
@@shashikantbote2198o
आदरणीय गरीबदास जी महाराज ने बताया है कि
तीन चरण चिन्तामणी साहेब, शेष बदन पर छाए।
माता, पिता, कुल न बन्धु, ना किन्हें जननी जाये।।
पूर्ण परमेश्वर कविर्देव जी स्वयम्भू हैं अर्थात माता से जन्म नहीं लेते हैं तथा जरा-मरण के बन्धन से मुक्त सर्व उत्पादक प्रभु हैं।
ये तन विष की बेलड़ी, गुरु अमृत की खान।
शीश दिए जो गुरु मिले, तो भी सस्ता जान।।
Real God Kabir
💟 *ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17*
*शिशुं जज्ञान हर्यतं मृजन्ति शुम्भन्ति वह्निं मरुतो गणेन ।*
*कविर्गीर्भिः काव्येना कविः सन्त्सोमः पवित्रमत्येति रेभन् ॥*
शिशुम् जज्ञानम् हर्य तम् मृजन्ति शुम्भन्ति वह्निम् मरुतः गणेन
कविर्गीर्भिः काव्येना कविः सन्त् सोमः पवित्रम् अत्येति रेभन्
➡️ *Translation By Saint Rampal Ji*
(हर्य) ========= पाप हर्ता परमात्मा जब
(शिशुम् जज्ञानम्) == शिशु के रूप में प्रकट होता है,
(तम् मृजन्ति) ==== उस समय निर्मलता से ज्ञान का
(शुम्भन्ति) ====== उच्चारण करता है,
(वह्निम्) ======= परमात्मा के लिए लगी विरह अग्नि वाल
(मरुतः गणेन) ==== वायु समान शीतल भक्त गणों के लिए
(काव्येना) ====== कविताओं द्वारा कवित्व से
(पवित्रम् अत्येति) == अत्यधिक पवित्रता के साथ
(कविर्गीर्भिः) ===== कविर वाणी को
(रेभन्) ======== गर्जते स्वर में बोलता हुआ,
(सोमः सन्त्) ===== सोमस्वरूप परमात्मा संत/ऋषि रूप में
(कविः) ======== कविर्देव ही होता है ॥
➡️ *Translation By Dayanand Saraswati Ji*
(शिशुम्, जज्ञानम्) == उस परमात्मा को जो सदा प्रगट है,
(हर्य्य, तम्) ==== जो अत्यंत कामनीय है, उसको उपासक लोग
(मृजन्ति) ==== बुद्धिविषय करते हैं और
(शुम्भन्ति) === उसकी स्तुति द्वारा उसके गुणों का वर्णन करते हैं और
(मरुतः) ==== विद्वान् लोग
(वह्निम्) ==== उस गतिशील परमात्मा का
(गणेन) ==== गुणों के द्वारा वर्णन करते हैं और
(कविः) ==== कवि लोग
(गीर्भिः) ==== वाणी द्वारा और
(काव्येन) === कवित्व से
(कविः) ==== उस कवि की स्तुति करते हैं।
(सोमः) ==== सोमस्वरूप
(पवित्रम्) === पवित्र परमात्मा कारणावस्था में सूक्ष्म प्रकृति को
(रेभन्, सन्, अत्येति) = गर्जता हुआ अतिक्रमण करता है ॥
विकास जी, आपकी भाषा शैली बता रही है कि आप पढ़े लिखे हैं लेकिन रामपाल की भाषा शैली भी ग्वारों जैसी है। आपने स्वयं स्वीकार किया कि आपमें अपनी शिक्षा का घमंड था। अतः जहां तक मेरा मानना है आप जैसी अहंकारी आदमी के अहम को जब ठेस लगती है तो वह दूसरे की निंदा करने से नहीं चूकता। इसलिए आर्य समाज में रहते हुए विकास जी के साथ कुछ ऐसा ही कुछ हुआ होगा इसलिए आपने आर्य समाज की निंदा करना अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया।
आप लोग स्वामी दयानंद सरस्वती के बारे में बुरा भला कहते हो फिर उनके भाष्य किए गए वेदार्थ से अपने पंथ को सिद्ध करना चाहते हो, ये न्यायोचित नहीं है। स्वामी दयानद गुजरात पृष्ठभूमि से इसलिए उनकी हिंदी शैली थोड़ी हटकर प्रतीत होती है। आर्य समाज में मौजूद कोई व्यक्ति गलत विचारों का हो सकता है आर्य समाज के नियम और वेद नहीं।
आपने जो वेद मंत्रों के उदहारण दिए, इन वेद मंत्र से आशय यह नहीं है कि किए हुए पाप कर्म को परमात्मा काट देता है अर्थात उस पाप कर्म का फल कर्ता को नहीं भोगना पड़ेगा। सभी लोग जानते हैं कि परमात्मा पूर्ण न्यायकारी है और जो न्यायकारी होता है वो एक समान न्याय करता है।उदाहरण के तौर पर माना .........आप ने मुझे जान बूझकर बिना बात के 10 लोगों के बीच में थपड़ मार दिया और आप ने परमात्मा की भक्ति करके अपने पाप को माफ करा लिया यह तो फिर मेरे साथ न्याय नहीं हुआ और मेरे साथ न्याय न होने के कारण परमात्मा के पूर्ण न्यायकारी होने की परिभाषा खंडित होती है जो कि उचित नहीं है। अतः किए का दण्ड तो भोगना ही पड़ेगा। हां, इतना संभव है कि परमात्मा अपने उपासक को पाप कर्म के फलस्वरूप मिलने वाले दुःख को सहन करने की शक्ती देता है साथ ही उस पाप कर्म के संस्कार जो आत्मा पर पड़ जाते हैं उनको हटाने/काटने के किए निरंतर प्रेरित करता है और अंतत कठोर तप उपरांत उसको दगधबीज भी कर देता है, ऐसा मानना, समझना व जानना चाहिए।
दूसरी बात आपने बताया कि आपका चमत्कारिक रूप से सर्विकल pain ठीक हो गया यदि रामपाल के पास ऐसी शक्ति है तो फिर ये इतने Medical, PGIMS, AIIMS सब व्यर्थ हैं सब डॉक्टर जो सारा जीवन पढ़ लिखकर अपना जीवन समाज को समर्पित करते हैं सब व्यर्थ ही। जबकि हकीकत तो यह है कि आपके रामपाल को यदि बुखार भी होता है तो इन्ही डॉक्टर्स की शरण में जाते हैं।
तीसरी बात यह कि यदि उन्होंने आपके मन की बात जान ली तो फिर वे भारतीय खुफिया एजेंसी का सहयोग करें तो काफी कुछ देश हित में रहेगा।
अतः आप आर्य समाज के प्रति अपनी व्यक्तिगत ईर्षा को आधार बनाकर व्यर्थ आक्षेप न लगाएं। सत्य सिद्धांतो पर चलें और अपनी विद्या का दुरुपयोग न करें।
📕दयानंद की अज्ञानता
समुल्लास 4 के पृष्ठ 101 पर अज्ञानी महर्षि ने लिखा है कि एक स्त्री नियोग ग्यारह व्यक्तियों तक कर सकती है। इसी प्रकार पुरूष भी ग्यारह स्त्रियों से नियोग (अभ्रद कर्म) कर सकता है।
कवीर साहेब भगवान हैं❤ वेदों में लिखें मिले प्रमाण
जेल में क्यों बढ़िया संत रामपाल के बच्चे
Kabir is God 🙏
इस सच्चाई काे अवश्य सुनें❤।
📕दयानंद की अज्ञानता
समुल्लास 4 पृष्ठ 96-97 पर महर्षि दयानंद ने लिखा है कि विधवा स्त्री का पुनः विवाह इसलिए नहीं करना चाहिए क्योंकि पुनःविवाह से उसका पति व्रत धर्म नष्ट हो जाएगा। इसलिए नियोग करें।
झूठ बोलता है हरामजादे तू कहां लिखाहै
आर्य समाज आज तक मिटा नहीं है और ना ही कभी मिटेगा|
कितने समाज आए थे लेकिन सारे मिट गए आर्य समाज हमेशा अमर रहेगा| हमारा जीवन भी चला जाए लेकिन इस मिटने नहीं देंगे| इसका कारण क्या है?
हमने जाना है कि इसमें क्या सच्चाई है क्या अच्छा ही है| आर्य समाज कल्पना से परे है|
जब जब धर्म की हानि होगी तब कोई ना कोई ऋषि दयानंद धरती पर आता ही रहेगा|
दयानंद के पैरों के नाखून के बराबर भी नहीं है तुम्हारा यह रामपाल|
दयानंद ने जितना संसार को दिया यह तो कण भर भी नहीं दे सकता उल्टा ले और सकता है|😂
विकास जी, आपकी भाषा शैली बता रही है कि आप पढ़े लिखे हैं लेकिन रामपाल की भाषा शैली भी ग्वारों जैसी है। आपने स्वयं स्वीकार किया कि आपमें अपनी शिक्षा का घमंड था। अतः जहां तक मेरा मानना है आप जैसी अहंकारी आदमी के अहम को जब ठेस लगती है तो वह दूसरे की निंदा करने से नहीं चूकता। इसलिए आर्य समाज में रहते हुए विकास जी के साथ कुछ ऐसा ही कुछ हुआ होगा इसलिए आपने आर्य समाज की निंदा करना अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया।
आप लोग स्वामी दयानंद सरस्वती के बारे में बुरा भला कहते हो फिर उनके भाष्य किए गए वेदार्थ से अपने पंथ को सिद्ध करना चाहते हो, ये न्यायोचित नहीं है। स्वामी दयानद गुजरात पृष्ठभूमि से इसलिए उनकी हिंदी शैली थोड़ी हटकर प्रतीत होती है। आर्य समाज में मौजूद कोई व्यक्ति गलत विचारों का हो सकता है आर्य समाज के नियम और वेद नहीं।
आपने जो वेद मंत्रों के उदहारण दिए, इन वेद मंत्र से आशय यह नहीं है कि किए हुए पाप कर्म को परमात्मा काट देता है अर्थात उस पाप कर्म का फल कर्ता को नहीं भोगना पड़ेगा। सभी लोग जानते हैं कि परमात्मा पूर्ण न्यायकारी है और जो न्यायकारी होता है वो एक समान न्याय करता है।उदाहरण के तौर पर माना .........आप ने मुझे जान बूझकर बिना बात के 10 लोगों के बीच में थपड़ मार दिया और आप ने परमात्मा की भक्ति करके अपने पाप को माफ करा लिया यह तो फिर मेरे साथ न्याय नहीं हुआ और मेरे साथ न्याय न होने के कारण परमात्मा के पूर्ण न्यायकारी होने की परिभाषा खंडित होती है जो कि उचित नहीं है। अतः किए का दण्ड तो भोगना ही पड़ेगा। हां, इतना संभव है कि परमात्मा अपने उपासक को पाप कर्म के फलस्वरूप मिलने वाले दुःख को सहन करने की शक्ती देता है साथ ही उस पाप कर्म के संस्कार जो आत्मा पर पड़ जाते हैं उनको हटाने/काटने के किए निरंतर प्रेरित करता है और अंतत कठोर तप उपरांत उसको दगधबीज भी कर देता है, ऐसा मानना, समझना व जानना चाहिए।
दूसरी बात आपने बताया कि आपका चमत्कारिक रूप से सर्विकल pain ठीक हो गया यदि रामपाल के पास ऐसी शक्ति है तो फिर ये इतने Medical, PGIMS, AIIMS सब व्यर्थ हैं सब डॉक्टर जो सारा जीवन पढ़ लिखकर अपना जीवन समाज को समर्पित करते हैं सब व्यर्थ ही। जबकि हकीकत तो यह है कि आपके रामपाल को यदि बुखार भी होता है तो इन्ही डॉक्टर्स की शरण में जाते हैं।
तीसरी बात यह कि यदि उन्होंने आपके मन की बात जान ली तो फिर वे भारतीय खुफिया एजेंसी का सहयोग करें तो काफी कुछ देश हित में रहेगा।
अतः आप आर्य समाज के प्रति अपनी व्यक्तिगत ईर्षा को आधार बनाकर व्यर्थ आक्षेप न लगाएं। सत्य सिद्धांतो पर चलें और अपनी विद्या का दुरुपयोग न करें।
तम्बाकू सेवन करना महापाप है इसे अवश्य छोड़िए 👏
सत्यार्थ प्रकाश नहीं झूठार्थ प्रकाश!
महर्षि दयानंद ने सत्यार्थ प्रकाश समूल्लास 8 पृष्ठ 197-198 पर लिखा है कि सूर्य पर पृथ्वी की तरह सब प्रजा बसती है। इसी प्रकार सर्व पदार्थ हैं।इन्ही वेदों को सूर्य पर रहने वाले मनुष्य पढते हैं
बड़े दूर्भाग्यशाली हो😭😭😭
झूठ बोल रहा है••••
गुरुकुल में पढ़ा लिखा होकर, आर्य समाज में रहकर सत्यार्थ प्रकाश पढ़कर भी अपना जीवन व्यर्थ गवा रहा है| तुम अपना जीवन गवालो कोई दिक्कत नहीं लेकिन उस देव स्वरूप पर कोई लांछन मत लगा तुझे नरक में भी जगह नहीं मिलेगी|
मैं ऋषि दयानंद की कोई दास नहीं हूं लेकिन मैंने सत्यार्थ प्रकाश को जाना है समझा है 100% सच है| लेकिन दुर्भाग्य हीन तुम्हारा कल्याण कभी नहीं हो सकता😢
Dayanand saraswati ki vajah se Arya samaj yon ne sadguru rampal ji Maharaj per galat ilzaam lagakar jail mein band karvaya deshdroh ka jhutha mukadma lagvaya
स्वामी दयानद गुजरात पृष्ठभूमि से इसलिए उनकी हिंदी शैली थोड़ी हटकर प्रतीत होती है। आर्य समाज में मौजूद कोई व्यक्ति गलत विचारों का हो सकता है आर्य समाज के नियम नहीं।
विकाश जी ने। जो वेद मंत्रों के उदहारण दिए, इन वेद मंत्र से आशय यह नहीं है कि किए हुए पाप कर्म को परमात्मा काट देता है अर्थात उस पाप कर्म का फल कर्ता को नहीं भोगना पड़ेगा। सभी लोग जानते हैं कि परमात्मा पूर्ण न्यायकारी है और जो न्यायकारी होता है वो एक समान न्याय करता है।उदाहरण के तौर पर माना .........आप ने मुझे जान बूझकर बिना बात के 10 लोगों के बीच में थपड़ मार दिया और आप ने परमात्मा की भक्ति करके अपने पाप को माफ करा लिया यह तो फिर मेरे साथ न्याय नहीं हुआ और मेरे साथ न्याय न होने के कारण परमात्मा के पूर्ण न्यायकारी होने की परिभाषा खंडित होती है जो कि उचित नहीं है। अतः किए का दण्ड तो भोगना ही पड़ेगा। हां, इतना संभव है कि परमात्मा अपने उपासक को पाप कर्म के फलस्वरूप मिलने वाले दुःख को सहन करने की शक्ती देता है साथ ही उस पाप कर्म के संस्कार जो आत्मा पर पड़ जाते हैं उनको हटाने/काटने के किए निरंतर प्रेरित करता है और अंतत कठोर तप उपरांत उसको दगधबीज भी कर देता है, ऐसा मानना, समझना व जानना चाहिए।
दूसरी बात आपने बताया कि आपका चमत्कारिक रूप से सर्विकल pain ठीक हो गया यदि रामपाल के पास ऐसी शक्ति है तो फिर ये इतने Medical, PGIMS, AIIMS सब व्यर्थ हैं सब डॉक्टर जो सारा जीवन पढ़ लिखकर अपना जीवन समाज को समर्पित करते हैं सब व्यर्थ ही। जबकि हकीकत तो यह है कि आपके रामपाल को यदि बुखार भी होता है तो इन्ही डॉक्टर्स की शरण में जाते हैं।
तीसरी बात यह कि यदि उन्होंने आपके मन की बात जान ली तो फिर वे भारतीय खुफिया एजेंसी का सहयोग करें तो काफी कुछ देश हित में रहेगा।
अतः आप आर्य समाज के प्रति अपनी व्यक्तिगत ईर्षा को आधार बनाकर व्यर्थ आक्षेप न लगाएं। सत्य सिद्धांतो पर चलें और अपनी विद्या का दुरुपयोग न करें।
REALITY OF DAYANAND SARASWATI
It is written in Samullas 4 of Satyarth Prakash (book by Dayanand Saraswati) that- It is "best" to marry a 24 years old girl with a 48 years old man.
Dayanand had no knowledge. He was not a social reformer.
Jhut tikta Nahi,such dagta nahi
ये बेवकूफ गुरुकुल का छात्र हो नही सकता हैं।
Ye bewkuf gurukul ka sisya to nhi he tum pura bewkuf ho ye pta chal gya.gyan Ganga book pado dud ka dud or pani ka pani alag ho jayega
Sat saheb ji
Real spiritual experience
Sat saheb ji
Real spiritual experience