"बुलंद भारत की बुलंद तस्वीर" Dr Hari Om Pawar

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  • Опубликовано: 11 сен 2024
  • इस वीडिओ पूरा देखने पर आपको इस कविता में अपने देश की असली तस्वीर दिखाई देगी कि आप आज कहाँ खड़े हैं। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम , एक अनुमान के अनुसार 29.8% भारतीय देश की राष्ट्रीय गरीबी रेखा से नीचे रहते हैं; 55% लोग कच्चे मकानों में रह रहे हैं। ऑक्सफोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनिशिएटिव (OPHI) द्वारा एक 2010 की रिपोर्ट में 8 भारतीय राज्यों में रहने वाले गरीब उप सहारा अफ्रीका की तुलना में रहने वाले गरीब लोगों से अधिक गरीब लोग है। एक 2013 संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट दुनिया के एक तिहाई गरीब लोग (32.7%) भारत में रहते हैं। दुनिया भर में तीन कुपोषित बच्चों में से एक, भारत में पाए जाते हैं कि पता चलता है। यह भी सर्वेक्षण में पांच वर्ष से कम बच्चों की 58% आबादी कुपोषण का शिकार है जिसका प्रमुख कारण आर्थिक गरीबी है। इस देश में गरीबी-भुखमरी-बदहाली-कर्ज के कारण 10 वर्ष में 13 लाख 47 हज़ार 425 भारतीय आत्महत्या कर लेते हैं जिनमें 3 लाख 8 हज़ार 307 की सँख्या हमारे अन्नदाता किसानो की है। काश हमारे नेतागण कभी भारत कि इस तस्वीर पर भी ध्यान देते और हमारे धर्मगुरु मजहब और जींस पैंट पर ही नही देश, समाज और मानवता की चिंता में भी फतवे जारी करते। नागरिकों के प्रति ऐसे अमानवीय भाव रखने वाले नेता आज देश/ प्रदेश की सत्ता चलाते हैं और संविधान का खुला अपमान करते हैं। संसद में संविधान के सम्मान के के नाम यही रोते-बिलखते हैं और बाहर आम नागरिक के मौलिक अधिकार कुचलते हैं। नेताओ ने साजिश कर संविधान का स्पष्ट वर्गीय विभाजन कर दिया है। नेताओं की सुविधा वाले संविधान की तो पूर्ण हिफाजत होनी चाहिए पर आम नागरिकों की सुविधा वाले हिस्से के साथ नेता ही सार्वजानिक दुराचार करे। हमारे संविधान और कानून में इतनी औकात नहीं कि उन्हें काबू में रख पाये और आम नागरिक के अधिकार की हिफाजत रख पाये। लोकतंत्र नाम के गिरोह के ये खद्दरधारी सरगना देश में भूख और साम्प्रदायिकता को छुट्टे शैतान की तरह पाल रहे हैं और वही भूख और नफरत अपने सियासी आकाओं के इशारे पर भारत वर्ष को गृह युद्ध की तरफ ले जा रही है। आज देश का विकास भूख के मानचित्र पर खड़ा लाक्षागृह है। भूख और गरीबी ही इस देश की सबसे बड़ी समस्या है जो जाती और मजहब देख कर नहीं आती और इसका समाधान ही शायद इस देश का असली विकास है।

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