कलयुग | ऋषि वेद्व्यास द्वारा वर्णित कलियुग के दुष्प्रभाव | कलयुग का अंत।

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  • Опубликовано: 24 ноя 2024

Комментарии • 72

  • @damunnakavlekeri1254
    @damunnakavlekeri1254 Год назад

    Hare Krishna Prabhu ji aise acche video banakar dalo 👌 super man bhag Gaya Bhagwat Geeta ka sar sunkar ❤️❤️

  • @teachingchannel5504
    @teachingchannel5504 2 года назад +1

    ॐ नमो भगवते वासुदेवायः 🙏

  • @dagadushimpi8856
    @dagadushimpi8856 2 года назад

    धन्यवाद जय श्रीराधेकृष्ण. 🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹

  • @urmilanath4107
    @urmilanath4107 2 года назад

    JaySriKraushna

  • @Riyasingh-mv6kn
    @Riyasingh-mv6kn 2 года назад +1

    Radha Radha Radha Radha

  • @deepakbehera4861
    @deepakbehera4861 2 года назад +1

    जय श्री राम

  • @Santoshkumar-cx4he
    @Santoshkumar-cx4he 2 года назад

    Jai sri Ram Ram ji jay ho

  • @ManojSingh-ry5sp
    @ManojSingh-ry5sp 2 года назад +1

    Jai shiv guru shiv shisay priwar

  • @Jks0826
    @Jks0826 2 года назад

    Radhey Radhey....

  • @anjalbantawa3695
    @anjalbantawa3695 2 года назад +1

    Om namo vagavate basudebaye namaha 🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

  • @deepakbehera4861
    @deepakbehera4861 2 года назад +1

    jay shree krishna

  • @rakhigupta4876
    @rakhigupta4876 Год назад

  • @bhimajumbarthi1421
    @bhimajumbarthi1421 2 года назад +1

    🕉🌹🌹🌹📿🙏🙏🙏😭

  • @vaibhavrajethorat9960
    @vaibhavrajethorat9960 2 года назад +2

    जय श्री कृष्ण जय श्री चक्रधर

  • @Rajendra-db4iz
    @Rajendra-db4iz 2 года назад

    Jai Shri Krishna 18 adhiya ya pura nahi ATI sunder bykhiya kiya apne

    • @thedigitalsaint-hindi5104
      @thedigitalsaint-hindi5104  2 года назад

      हम निश्चित रूप से भगवद गीता के दिव्य ज्ञान के सभी अध्याय आप तक पहुँचाने का प्रयास करेंगे |
      आपका बहुत - बहुत धन्यावाद | ❤️❤️

  • @ramyug7127
    @ramyug7127 2 года назад +1

    जय जय श्री राम

  • @rambhatt4857
    @rambhatt4857 2 года назад +1

    Jai Shiva 💏💏💏💏💏💏💏💏💏💏💏💏💏💏💏😼😼😼

  • @RaviSharma-ce4kq
    @RaviSharma-ce4kq 2 года назад +1

    हरे कृष्ण राधे राधे

  • @nationfirst311
    @nationfirst311 2 года назад +1

    हरे कृष्ण

  • @satyanarayanchura1579
    @satyanarayanchura1579 2 года назад +1

    जय श्री कृष्णा राधे राधे सा हरि इच्छा प्रबल जाई विधी राखे राम ताहि विधि रहिए

  • @prabhatkiaur
    @prabhatkiaur 2 года назад +13

    जीवन झरने की तरह है, बहते रहने में ही निर्मल रहता है🌷

  • @rashmishukla5117
    @rashmishukla5117 2 года назад

    जय श्री राम जय हनुमान जी की जय हो।🚩🚩🚩🔱🔱🔔🔔🏹🐚💮💮❤️🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🔯🕉️✡️🚩🙏🌻🌻🌻🌹🌹🌹🌻🌻🌻🙏🚩🚩

  • @surajraut6805
    @surajraut6805 2 года назад +1

    Jai shri krishna

  • @village126
    @village126 2 года назад +1

    🙏🙏🙏🙏

  • @redwolf5154
    @redwolf5154 2 года назад +2

    Jai Shree Naarayan ❤

  • @Riyasingh-mv6kn
    @Riyasingh-mv6kn 2 года назад +1

    Jay shree Krishna

  • @npandya3189
    @npandya3189 2 года назад +1

    🚩🚩🚩🚩🚩🚩Har Har Mahadev 🙏🌷🙏

  • @kakajoshi4135
    @kakajoshi4135 2 года назад +1

    🌹🌹🌹 जय श्री राम राम जी 🌹🌹🌹
    🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

  • @thekingofearth3629
    @thekingofearth3629 2 года назад +1

    शास्त्र में हैं वो सत्य है 🙏🚩🚩

  • @rajashchowgule1922
    @rajashchowgule1922 2 года назад +2

    Jay seer kerishna

  • @kaminisingh3923
    @kaminisingh3923 2 года назад +3

    जय श्री कृष्णा 🙏🙏

  • @wakilbharti3331
    @wakilbharti3331 2 года назад +1

    Ye 100% right h

  • @dillipbiwal6846
    @dillipbiwal6846 2 года назад

    Jay Jagannth, Translates to odia

  • @upendrabharti83
    @upendrabharti83 2 года назад +2

    Thanks for information

  • @emenentgamer818
    @emenentgamer818 2 года назад +2

    RADHE ❤❤ RADHE ❤❤ JI

  • @ankitmodi786
    @ankitmodi786 2 года назад +3

    Absolutely True !!!!

  • @sudhaparmar8973
    @sudhaparmar8973 2 года назад

    🙏 Jai Shree Krishna 🌹

  • @channulal3179
    @channulal3179 2 года назад +2

    Apne etna to bata diya jay shiree karshn

  • @shantikaam3795
    @shantikaam3795 2 года назад

    "तीन मुट्ठी तन्दुल? यह भला कैसा उपहार हुआ सुशीला? माना कि हम दरिद्र हैं, पर वे तो नरेश हैं न... नरेश के लिए भला तन्दुल कौन ले जाता है?" द्वारिका जाने को तैयार सुदामा ने चावल की पोटली बांधती पत्नी से कहा।
    "उपहार का सम्बंध प्राप्तकर्ता की दशा से अधिक दाता की भावनाओं से होता है प्रभु! और एक भिक्षुक ब्राह्मण के घर के तीन मुट्ठी चावल का मूल्य श्रीकृष्ण न समझेंगे तो कौन समझेगा? आप निश्चिन्त हो कर जाइये।" सुशीला उस ब्राह्मण कुल की लक्ष्मी थीं, अपने आँचल में परिवार का सम्मान बांध कर चलने वाली देवी। वह अडिग थीं।
    सुदामा की झिझक समाप्त नहीं हो रही थी। बोले, "किंतु वे नरेश हैं सुशीला! हमें उनकी पद-प्रतिष्ठा का ध्यान तो रखना ही होगा न! तुम यह सब छोड़ दो, मैं यूँ ही चला जाऊंगा।"
    "मित्र को स्मरण करते समय यदि उसकी सामर्थ्य पर ध्यान जाने लगे, तो मित्रता प्रदूषित हो जाती है देवता! भूल जाइए कि वे द्वारिकाधीश हैं, बस इतना स्मरण रखिये कि वे आपके वे मित्र हैं जिनके साथ आपने गुरुकुल के दिनों में भिक्षाटन किया था।"
    "कैसी बातें करती हो देवी! वे बचपन के दिन थे। अब समय ने सबकुछ बदल दिया है। तबका माखनचोर अब विश्व का सर्वश्रेष्ठ योद्धा है। वे धर्मसंस्थापक है, इस युग के देवता हैं..." सुदामा का पुरुष-मन सांसारिक भेदों से मुक्त नहीं हो पा रहा था।
    "समय सामान्य मनुष्यों को बदलता है, कृष्ण जैसे महानायकों को नहीं। वे एक शरीर के अंदर अनेक रूपों में विद्यमान हैं। वे जिससे जिस रूप में मिले, उसके लिए सदैव उसी रूप में रह गए। क्या राधिका मानेंगी कि उनका मुरली-मनोहर अब प्रेमी नहीं, योद्धा हो गया है? क्या नन्द बाबा मानेंगे कि उनका नटखट कन्हैया आज समस्त संसार का पिता हो गया है? नहीं! वे ब्रज की गोपियों के लिए अब भी माखनचोर हैं, नन्द-यशोदा के लिए अब भी नटखट बालक हैं, राधिका के लिए अब भी प्रिय सखा हैं। वे अर्जुन के लिए जो हैं, वह द्रौपदी के लिए नहीं हैं। वे गोकुल के लिए दूसरे कृष्ण हैं, द्वारिका के लिए दूसरे... हस्तिनापुर के लिए उनका रूप कुछ और है और मगध के लिए कुछ और। आप जा कर देखिये तो, वे आपको अब भी गुरुकुल वाले कन्हैया ही दिखेंगे। यही उनकी विराटता है, यही उनका सौंदर्य..." सुशीला ऐसे बोल रही थीं, जैसे कृष्ण सुदामा के नहीं, उनके सखा हों।
    सुदामा मुस्कुरा उठे। बोले-" इतना कहाँ से देख लेती हो देवी?" सुशीला ने हँस कर उत्तर दिया, "पुरुष अपनी आंखों से संसार को देखता है, और स्त्री मन से... धोखा तो दोनों ही खाते हैं, पर कभी बदलते नहीं।"
    सुदामा ने पोटली उठाई, ईश्वर को प्रणाम किया और निकल पड़े... वे नहीं जानते थे कि द्वारिका में बैठा उनका कन्हैया आँखों में अश्रु लिए उनकी ही प्रतीक्षा कर रहा था।🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉

  • @shantikaam3795
    @shantikaam3795 2 года назад +3

    "भक्त गोविन्द दास"
    बरसाना में गोविन्द दास नाम का एक भक्त रहता था।उसकी एक पुत्री थी, जिसका नाम था मुनिया।
    गोविन्द दास के परिवार में मुनिया के अलावा कोई नहीं था।
    गोविन्द दास सारा दिन अपना काम क़रते और शाम को श्री जी के मन्दिर मे जाते दर्शन करते और जो भी संत मन्दिर में रुके हुए होते उनकी सेवा करते और उनके साथ सत्संग करते। यही उनका रोज का नियम था ।
    एक बार एक संत ने गोविन्द दास से कहा भइया हमें नन्दगांव जाना है, हमारे पास सामान ज्यादा है और हमें रास्ता भी नहीं मालूम तो तुम हमें नन्दगाँव पहुँचा सकते हो क्या ? गोविन्द दास बोले महाराज ये तो मेरा सौंभाग्य हैं, गोविन्द दास ने हां भर ली।
    शाम को गोविन्द दास अपनी बेटी से बोला मुझे एक संत को नन्दगाँव छोड़ने जाना है। दिन चढने तक आ जाऊँगा प्रतीक्षा मत करना।
    अगले दिन गोविन्द दास सुबह चार बजे राधे राधे करते नंगे पांव संत के पास पहुँच गये और संत के सामान और ठाकुर जी की पेटी और बर्तन उठा कर बोले चलो महाराज और आगे-आगे चलने लगे। एक तो संत जी की उम्र हो चली थी ऊपर से उन्हे श्वाश रोग भी था इसलिये वे कुछ दूर चलते फिर बैठ जाते। इस तरह रुक-रुक कर चलने में नन्दगाँव पहुँचने में ही देरी हो गई
    मन्दिर पहुँचकर गोविन्द दास ने सामान रखा और बोले महाराज अब चलते हैं। संत जी बोले भाई तुम इतनी दूर से मेरे साथ आये हो तनिक विश्राम कर लो, कुछ जलपान कर लो, फिर चले जाना तो गोविन्द दास ने कहा ये क्या कह रहे हो महाराज बरसाने की वृषभानु नंदनी नन्दगाँव मे ब्याही हुई है अतः मै यहाँ जल नहीं पी सकता,ये तो घोर पाप हो जायेगा।
    संत की आँखो से अश्रुपात होने लगे। संत बोले ये तो कितने वर्ष पुरानी बात है गोविन्द दास, तुम गरीब भले ही हो पर तुम्हारा दिल बहुत नेक है।
    गोविन्द दास संत जी को प्रणाम कर राधे-राधे करते रवाना हो लिए। सूरज सिर पर चढ़ आया था, ऊपर से सूरज की गर्मी नीचे तपती रेत। भगवान को दया आ गयी वे भक्त गोविन्द दास के पीछे-पीछे चलने लगे।
    एक पेड़ की छाया में गोविन्द दास रुके और वही मूर्छित हो कर गिर पड़े। भगवान ने मूर्च्छा दूर करने के प्रयास किये पर मूर्च्छा दूर नहीं हुई। भगवान ने विचार किया कि भक्त के प्राण संकट में हैं कोई उपाय नही लग रहा है।
    गोविन्द दास राधारानी का भक्त है वे ही इस के प्राणों की रक्षा कर सकती हैं तो उनको ही बुलाया जाए। इतना सोचते ही भगवान राधारानी के महल की तरफ दौड पड़े।
    राधा रानी ने कन्हैया को इस हालत में देखा और इस गर्मी में आने का कारण पूछा। भगवान भी पूरे मसखरे हैं उन्होने सोचा राधिका को थोड़ा छेडा जाये।
    उन्होंने कहा तुम्हारे पिताजी बरसाना और नन्दगाँव की डगर में पड़े हैं तुम चलकर संभालो।
    राधा जी चौंकी और बोली कौन पिताजी ? भगवान ने सोचा विलम्ब करना ठीक नहीं हैं भक्त के प्राण संकट में हैं इसलिये राधा को सारी बात समझाई और चलने को कहा। यह भी कहा की तुमको गोविन्द दास की बेटी के रूप में भोजन, जल लेकर चलना है। राधा जी तैयार होकर पहुँची।
    पिताजी, पिताजी आवाज लगाई और जल पिलाया। गोविन्द दास जागे और बेटी से बोले तू यहाँ कैसे ?
    राधा जी बोली घर पर हरिया काका आये हैं आपसे मिलने को तो आपको बुलाने आ गयी।
    आते-आते भोजन भी ले आयी हूँ आप भोजन कर लीजिये।
    गोविन्द दास भोजन लेने लगे तो राधा जी ने कहा मैं घर पर मेहमानों को संभालती हूँ आप आ जाना। कुछ दूरी के बाद राधारानी अदृश्य हो गयीं।
    गोविन्द दास ने ऐसा भोजन कभी नही पाया। शाम को घर आकर गोविन्द दास बेटी के चरणों मे गिर पड़े। बेटी ने कहा आप ये क्या कर रहे हैं ?
    गोविन्द दास ने कहा आज तुमने भोजन, जल ला कर मेरे प्राण बचा लिये, नहीं तो आज मेरे प्राण ही निकल गये होते।
    बेटी ने कहा मैं तो कहीं गयी ही नहीं पिताजी। गोविन्द दास ने कहा अच्छा बता हरिया कहाँ हैं ?
    बेटी ने कहा हरिया काका तो नहीं आये हैं लेकिन आप उनके बारे में क्यो पूछ रहे हो ?
    अब गोविन्द दास के समझ में सारी बात आई। उसने मुनिया से कहा कि आज तुम्हारे ही रूप में राधा रानी आयी थीं मुझे भोजन और जल देने।
    भाव बिभोर हो गये गोविन्द दास, मेरी किशोरी को मेरे कारण इतनी प्रचण्ड गर्मी में कष्ट उठाना पड़ा और मैं उन्हें पहचान भी ना सका।
    अब तो मेरे जीवन की बस एक ही आस हैं कि मुझे कब फिर से श्री राधा रानी के दर्शन मिलेंगे। . 🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉

  • @priyanshusrivastav1050
    @priyanshusrivastav1050 2 года назад

    Tumhara voice dharmarth channel wale jesa he 👌

  • @siD-on198
    @siD-on198 2 года назад +2

    कृष्ण नाम वो अमृत हैं जो ग्रहन किया वो कलयुग से तर गया किंतु पृथ्वी लोग पर आने के बाद आप सभी का यहां भी कर्म बनता हैं कि आने वाले पीढ़ी को संस्कार धर्म और मानवता का गया दे कर जाए ।। मृत्यु तो सभी को आनी हैं पर जाने से पहले बिना किसी लालच और निस्वार्थ भाव से जीवन जीना सीख जाओ सभी पैसा पैसा करते हुए मर गए तो तुम्हे पूछने वाला कोई नहीं होगा बस यही बोला जाएगा एक कोई आदमी था जो मर गया आज ।।

  • @NidhiJaswantOfficial
    @NidhiJaswantOfficial 2 года назад

    Bhaiya aap ye video kis tarah se bnate ho .plzz muje btaye..

  • @shantikaam3795
    @shantikaam3795 2 года назад +2

    भगवान शिव की पांच बेटियों के जन्म की कथा?
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    भारत में शिव जी को भगवान के रूप में तथा देवी पार्वती को माँ की रूप में पूजा जाता है। भगवान शिव को देवों के देव भी कहते हैं। इनके अन्य नाम महादेव, भोलेनाथ, नीलकंठ, तथा शंकर आदि हैं। शिव के गले में नाग देवता विराजित हैं। उनके हाथों में डमरू और त्रिशूल रहता है।
    माँ पार्वती भगवान शिव की पत्नी हैं। माँ पार्वती देवी सती का ही रूप हैं। माँ पार्वती को उमा तथा गौरी आदि नामो से भी जाना जाता है। माँ पार्वती का जन्म हिमनरेश के घर हुआ था जो कि हिमालय का अवतार थे। माँ पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए घोर तप किया था तथा अपने कठोर तप में वह सफल भी हुई।
    आपने भगवान शिव तथा देवी पार्वती से सम्बंधित कई कथाएं भी सुनी होंगी। परन्तु भगवान शिव की पांच बेटियों की कथा के बारे में केवल कुछ ही लोग जानते हैं।
    एक दिन भगवान शिव और माँ पार्वती एक सरोवर में जल क्रीड़ा कर रहे थे। उस समय भगवान शिव का वीर्यस्खलन हो गया। तब महादेव ने वीर्य को एक पत्ते पर रख दिया। उन वीर्य से पांच कन्यायों का जन्म हो गया। परन्तु यह कन्याएं मनुष्य रूप में ना होकर सर्प रूप में थी।
    माँ पार्वती को इस विषय में कोई जानकारी नही थी। परन्तु भगवान शिव तो सब जानते थे कि वो अब पांच नाग कन्यायों के पिता हैं। कौन पिता नही चाहता कि वह अपनी पुत्रियों के साथ खेले। महादेव भी अब एक पिता थे और वह भी अपनी पुत्रियों के साथ समय बिताना चाहते थे तथा उनके साथ खेलना चाहते थे। इसलिए पुत्री मोह के कारण भगवान शिव अब हर दिन उस सरोवर पर नाग कन्यायों से मिलने आते तथा उनके साथ खेलते।
    प्रतिदिन महादेव का ऐसे चले जाने से देवी पार्वती को शंका हुई। इसलिए उन्होंने भगवान शिव का रहस्य जानने की कोशिश की। एक दिन जब महादेव सरोवर की ओर जाने लगे तो देवी पार्वती उनके पीछे-पीछे सरोवर पहुँच गयी।
    वहां देवी पार्वती ने भगवान शिव को नाग कन्यायों के साथ खेलते हुए देखा। यह देखकर देवी पार्वती को बहुत क्रोध आया। क्रोध के वशीभूत होकर देवी पार्वती ने नाग कन्यायों को मारना चाहा। जैसे ही उन्होंने नाग कन्यायों को मारने के लिए अपना पैर उठाया तो भगवान शिव ने कहा कि यह आपकी पुत्रियां हैं। देवी पार्वती बहुत आश्चर्यचकित हुई। फिर भगवान शिव ने देवी पार्वती को नाग कन्यायों के जन्म की कथा सुनाई। कथा सुनकर देवी पार्वती हंसने लगी।
    भगवान शिव ने बताया की इन नाग कन्यायों का नाम है- जया, विषहर, शामिलबारी, देव और दोतलि। भगवान शिव ने अपनी पुत्रियों के बारे में बताते हुए कहा कि सावन में जो भी इन कन्यायों की पूजा करेगा उसे सर्प भय नही रहेगा। इन कन्यायों की पूजा करने से परिवार के सदस्यों को सांप नही डसेगा। यही कारण है की सावन में भगवान शिव की पांच नाग पुत्रियों की पूजा की जाती है ।🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉

  • @shantikaam3795
    @shantikaam3795 2 года назад +1

    क्या थी कर्ण, घटोत्कच, विदुर और संजय कि अंतिम इच्छा
    1. दानवीर कर्ण की अंतिम इच्छा
    जब कर्ण मृत्युशैया पर थे तब कृष्ण उनके पास उनके दानवीर होने की परीक्षा लेने के लिए आए। कर्ण ने कृष्ण को कहा कि उसके पास देने के लिए कुछ भी नहीं है। ऐसे में कृष्ण ने उनसे उनका सोने का दांत मांग लिया। कर्ण ने अपने समीप पड़े पत्थर को उठाया और उससे अपना दांत तोड़कर कृष्ण को दे दिया। कर्ण ने एक बार फिर अपने दानवीर होने का प्रमाण दिया जिससे कृष्ण काफी प्रभावित हुए। कृष्ण ने कर्ण से कहा कि वह उनसे कोई भी वरदान मांग़ सकते हैं। कर्ण ने कृष्ण से कहा कि एक निर्धन सूत पुत्र होने की वजह से उनके साथ बहुत छल हुए हैं। कर्ण ने दो वरदान मांगे।
    पहले वरदान के रूप में कर्ण ने यह मांगा कि अगले जन्म में कृष्ण उन्हीं के राज्य में जन्म लें और दूसरे वरदान में उन्होंने कृष्ण से कहा कि उनका अंतिम संस्कार ऐसे स्थान पर होना चाहिए जहां कोई पाप ना हो। पूरी पृथ्वी पर ऐसा कोई स्थान नहीं मिला।कर्नाटक में करनाली नदी के तट पर एक बालिस्त भूमि मिली। उसी भूमि पर कृष्ण ने अपने हाथ की कोहनी टिकाकर कृष्ण ने कर्ण का अंतिम संस्कार अपने ही हाथों पर किया। इस तरह दानवीर कर्ण मृत्यु के पश्चात साक्षात वैकुण्ठ धाम को प्राप्त हुए।
    2. भीमपुत्र घटोत्कच की अंतिम इच्छा
    युद्ध भूमि में श्री कृष्ण ने घटोत्कच से कहा- पुत्र तुम मुझको बहुत प्रिय हो युद्ध मे जाने से पहले तुम मुझसे कोई वरदान माँग लो । घटोत्कच ने कहा प्रभु युद्ध में मेरी मृत्यु भी हो सकती है। हे प्रभु यदि मैं वीरगति को प्राप्त करूँ, तो मेरे मरे हुए शरीर को ना भूमि को समर्पित करना, ना जल में प्रवाहित करना, ना अग्नि दाह करना मेरे इस तन के मांस, त्वचा, आँखे, ह्रदय आदि को वायु रूप में परिवर्तित करके अपनी एक फूँक से आकाश में उडा देना। प्रभु आप का एक नाम घन श्याम-है। मुझे उसी घन श्याम- में मिला देना। और मेरे शरीर के कंकाल को पृथ्वी पे स्थापित कर देना। आने वाले समय में मेरा यह कंकाल महाभारत युद्ध का साक्षी बनेगा ।
    3. विदुर जी की अंतिम इच्छा
    महाभारत युद्ध समाप्त होने के 15 वर्षों बाद धृतराष्ट्र, गांधारी, कुन्ती,विदुर, तथा संजय ने सन्यास ले लिया, वन में कठोर तप करने लगे । कुछ समय बीतने के बाद युधिष्ठिर आदि पाँचों पांडव धृतराष्ट्र से मिलने आये । युधिष्ठिर विदुर जी से मिलने के लिए उनके पास आये युधिष्ठिर को देखते ही विदुर जी के प्राण शरीर छोडकर युधिष्ठिर में समाहित हो गये। युधिष्ठिर ने सोंचा ये क्या हो गया। मन ही मन श्री कृष्ण को याद किय। श्री कृष्ण प्रकट हुए और युधिष्ठिर से बोले- विदुर जी धर्मराज के अवतार थे और तुम स्वयं धर्मराज हो इस लिए विदुर के प्राण तुममें समाहित हो गये । लेकिन अब मै विदुर जी को दिया हुआ बरदान उनकी अंतिम इच्छा पूरी करूँगा। युधिष्ठिर बोले प्रभु पहले विदुर काका का अंतिम संस्कार आप अपने हाथों से करदो । श्री कृष्ण बोले इनकी अंतिम इच्छा थी कि मेरे मरने के बाद मेरे शव को ना जलाना, ना गाडना, ना जल में प्रवाहित करना। मेरे शव को सुदर्शन चक्र का रूप प्रदान करके धरा पे स्थापित कर देना। हे युधिष्ठर आज मै उनकी अंतिम इच्छा पूरी करके विदुर जी को सुदर्शन का रूप दे कर यहीं स्थापित करूँगा । श्री कृष्ण ने विदुर को सुदर्शन का रूप देके वहीं स्थापित कर दिया ।
    4. संजय की अंतिम इच्छा
    महाभारत युद्ध के पश्चात अनेक वर्षों तक संजय युधिष्ठिर के राज्य में रहे। इसके पश्चात धृतराष्ट्र, गांधारी और कुंती के साथ उन्होंने भी संन्यास ले लिया था। बाद में धृतराष्ट्र की मृत्यु के बाद वे हिमालय चले गए, जहां से वे फिर कभी नहीं लौटे। हिमालय पर संजय ने भगवान कृष्ण का कठिन तप किया । तप से प्रसन्न होकर कृष्ण भगवान प्रकट हुए और संजय से बोले- ये संजय! तुम्हारी तपस्या से मैं बहुत खुश हूँ आज जो चाहे वो मुझसे माँग लो । संजय श्री कृष्ण से बोले- प्रभु महाभारत युद्ध मे मैने अधर्म का साथ दिया है। इस लिए मुझे आप पाहन (पत्थर) बना दो और जब तक आप का पुन: धरती पे अवतार ना हो तब तक इसी हिमालय पर पाहन रूप में आप की भक्ति करता रहूँ। भगवान श्री कृष्ण ने संजय को अपने शालग्राम रूप में परिवर्तित करके हिमालय पर स्थापित कर दिया ।🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉

  • @mayaamma4304
    @mayaamma4304 2 года назад

    Kyuki prayer eknaam kahanese bhaaki bhargavan ki namoka kya hoga jise log mante hi hindu dharm me

  • @rishabhrajpoot2541
    @rishabhrajpoot2541 2 года назад

    sach me aaj ki aurate aslil aur badchalan hi ho gyi hai

  • @bhakthavalsalanramankutty7797
    @bhakthavalsalanramankutty7797 Год назад

    os.please See Brahma Kumaris who am I. God has arrived voice of Truth. Maha Parivarthan. Dr Mohith Guptha... God of Gods ... 7 days Raja yoga.class Polaris star world Transformer. Brahmastra English

  • @anonymousmusician1998
    @anonymousmusician1998 2 года назад +1

    I'm sorry to say this but your Bhagwat Geeta had been rewritten

  • @KrAuAs
    @KrAuAs 2 года назад

    please btaeye kaun sa app use krte hai please

  • @kishanameta326
    @kishanameta326 2 года назад

    Ye sab q karenge bhagwan chahe to pehle hi sab rok nahi sakta kya

  • @mayaamma4304
    @mayaamma4304 2 года назад +1

    Acha hi magar ant me aapne kaha srikrishn ka naam se hi mukthi prapt karenge ye kuch adura laga shayad aap ye kahte bhagvaan ke aur dharmke margse vedonka saharese hi mukthi prapt hoga kahetho acha hota

  • @rajinderverma9435
    @rajinderverma9435 2 года назад +2

    यही तो कलयुग है कि आपके यूट्यूब चैनल के ऊपर कितने गुरु आगे बता रहे हैं भ्रमित कर रहे हैं ध्यान में बैठने के लिए दुनिया भर के बरम ब्रह्मांड कर रहे हैं परमात्मा को देखने के लिए एक अमृत की क्रिया का पता होना चाहिए दूसरा हमारे घट में जो नाम है उसका पता होना चाहिए दो हमारे घट में नाम है उसी का गुरु महाराज नाम बताते हैं सच्चा गुरु है बाकी सब पाखंडी है

  • @rajspec
    @rajspec 2 года назад +1

    krishan ji ne gita ji mei sirf 2 mantr bataye hai unme se ek mukti ka mantr hai...Krishan ji ke naam jaap se mukti sambhav nahi hai agar hoti to krishan ji gita ji mei aisa bol dete.

  • @subhashsharma5049
    @subhashsharma5049 2 года назад +1

    कौन सी नई बात बतलाई, दशकों से यही सुनते पढ़ते आए हैं। कुछ नया हो तो बताओ।

  • @rajkaranbhilrajkaranbhil2032
    @rajkaranbhilrajkaranbhil2032 2 года назад +1

    Shikshan pane ka Mantra chahie mere ko school ka six Sal pani ka Mantra hai

  • @devn.yadavnep3106
    @devn.yadavnep3106 2 года назад

    आज के बाद यैसी गलत अफवा भ्रम मत फैलाए....🌚🌚🌚