Calculated Risk | अपनी सीमाओं को तोड़े बिना अमीर नहीं बनोगे ! | Harshvardhan Jain | 7690030010

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  • Опубликовано: 27 сен 2024
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    The person who makes his personal limitations public, one day the possibilities of his public life reach the limits of the universe because our limitations depend on our mentality only.
    जिस प्रकार पत्थर में मूर्ति छिपी होती है, उसी प्रकार मनुष्य की संभावनाएं छिपी होती हैं। जब कोई व्यक्ति अपनी छिपी हुई क्षमताओं को समझकर उन्हें मूर्ति रूप देने का प्रयास करता है, तब अदृश्य व्यक्तित्व प्रकट होता है। आप जिस लक्ष्य रूपी दृश्य की कल्पना कर सकते हैं, उसे साकार भी कर सकते हैं। यही है व्यक्ति की अदृश्य शक्तियों का परिणाम। अधिकतर लोग न ही अपने अदृश्य व्यक्तित्व को पहचानते हैं और न ही अपनी अदृश्य शक्तियों को पहचानते हैं। लेकिन जो सफलता के मैदान में जीतने की संभावनाओं को खोजने का लगातार प्रयास करते हैं; वे अपनी छिपी हुई शक्तियों को जगा देते हैं, अपनी छिपी हुई संभावनाओं को मूर्ति रूप दे देते हैं और अपने छुपे हुए व्यक्तित्व को उभारकर विजेता के रूप में दुनिया के सामने प्रस्तुत कर देते हैं। जब एक बार व्यक्ति अपनी पहचान का डंका पूरी दुनिया में बजाने के विषय में कल्पनाएं करता है, तब उसी समय उसकी अदृश्य शक्तियों का जागरण होता है और उसके भविष्य का चित्रांकन होना शुरू हो जाता है।
    प्रत्येक व्यक्ति की सीमाएं होती हैं। एक साधारण व्यक्तित्व अपनी सीमाओं को कंफर्ट जोन में बांध कर सीमित कर देता है और एक असाधारण व्यक्तित्व अपनी सीमाओं के कंफर्ट जोन को तोड़कर दुनिया में अपनी सफलता के साम्राज्य का विस्तार कर देता है। जो व्यक्ति अपनी कल्पनाओं के घोड़े को बांध कर रखता है, उसका जीवन असंतुष्ट और असफल मर्यादाओं में बंधा रहता है। लेकिन जो व्यक्ति अपनी कल्पनाओं के घोड़े को बिना लगाम के छोड़ देता है, एक दिन उसकी सफलता की सीमाओं का अनंत तक विस्तार होना निश्चित हो जाता है। सीमाएं व्यक्तिगत भी होती हैं और सार्वजनिक भी। जो व्यक्ति अपनी व्यक्तिगत सीमाओं को व्यक्तिगत ही बना कर रखता है, उसका सार्वजनिक जीवन कभी शुरू ही नहीं होता है। लेकिन, जो व्यक्ति अपनी व्यक्तिगत सीमाओं को सार्वजनिक कर देता है, एक दिन उसके सार्वजनिक जीवन की संभावनाएं ब्रह्मांड की सीमाओं को अपनी मुट्ठी में कर लेती हैं क्योंकि हमारी सीमाएं हमारी मानसिकता पर ही निर्भर करती हैं।
    जिसके पास जितनी जरूरत होती है, उतने ही कदम व्यक्ति चलता है। एक साधारण व्यक्ति की जरूरतें सीमित होती हैं। इसीलिए उसके कदमों की रफ्तार भी सीमित होती है। लेकिन, जिसकी ज़रूरतें असीमित होती हैं, उसकी सफलता की सीमाएं अनंत हो जाती हैं। इसीलिए दुनिया के सफलतम लोग अपनी जरूरतों को हमेशा बढ़ाते रहते हैं, अपनी जरूरतों की संभावनाओं को हमेशा खोजते रहते हैं, अपनी जरूरतों की संभावनाओं की सीमाओं को हमेशा खोजते रहते हैं। जब खोज लेते हैं, तब जीत लेते हैं। जिसने कभी अपना लक्ष्य निर्धारित न किया हो, उसे हासिल करने की संभावनाएं भी न के समान हो जाती हैं। जो व्यक्ति अपने लक्ष्य का निर्धारण करने की आदत बना लेता है, उसकी सफलता की सीमाओं का विस्तार होना अनुशासित हो जाता है। इसलिए यदि जीवन में उस ऊंचाई पर पहुंचना चाहते हो, जहां पर बहुत कम लोग पहुंचते हैं, तो वहां तक पहुंचने की कल्पनाओं को स्वतंत्र छोड़ दें। एक दिन आपकी कल्पनाएं आपके लक्ष्य तक पहुंचने का मार्ग स्वयं खोज लेंगी। जो व्यक्ति अपने निश्चित लक्ष्यों के अतिरिक्त लक्ष्य का निर्माण करने की आदत बना लेता है, उसकी सफलता एक कदम आगे बढ़कर अतिरिक्त संभावित सफलताओं के साम्राज्य को उपहार स्वरूप जीत लेती है।
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