THIS IS A REPLY TO "DEVENDRA YADAV" WHOSE COMMENT WAS PINNED निसंदेह ही पितामह भीषम, गुरु द्रोणाचार्य, अंग राज करण और बर्बरीक महान योद्धा थे किन्तु जो आपने कोर्वों को वीर योद्धा कहा वो बिल्कुल ग़लत है। मित्र एक बार सोच के देखो की यदि उस युद्ध में श्री कृष्ण ने शस्त्र उठाए होते तो क्या ये युद्ध 1 पहर तक भी चल पाता? या आपके विचार से करण श्री कृष्ण से भी महान योद्धा थे? भगवान कृष्ण ने केवल संसार को ये सीख दी है कि अधर्म चाहे कितना ही शक्तिशाली क्यों ना हो, जीत सदैव धर्म की ही होगी क्योंकि जिनके पक्ष में धर्म है उनके पक्ष में कृष्ण हैं, और जिनके पक्ष में कृष्ण है उनके पक्ष में जीत है। मेरा आपसे निवेदन है की आप धर्म की परिभाषा को जानिए। गीता पढ़िए। किसी के साथ छल करना अवश्य अधर्म है, किन्तु धर्म की स्थापना एवं समाज के कल्याण के लिए किया गया छल धर्म ही होता है मित्र। कृपया भगवान के बारे में अनुचित मत बोलिए, उन्होंने आपके और हमारे कल्याण के लिए ही पापियों का वध किया था और धर्म की स्थापना की थी।
Today, We have seen many gang rapes all over the country. Say if a good person - becomes friend with you it's always for their selfish reasons. the good person may see benefit of being with that bad person temporarily. But If every person follows to think Karna was following Dharma- he should have stopped the humiliation of Dhrupathi. but he also paid silence contribution to rapists.. In fact to understand the biggest universal law of Dharma- one has to put himself in the shoes of the character. Having few good contributions/Qualities doesn't mean , the most unacceptable thing can be done by being ties with rapists...
प्रियवर ये छल और कपट श्री कृष्ण के द्वारा किया गया था इसलिए इसे लीला का नाम देकर धर्म की रक्षा होना बताया गया, लेकिन सत्यता यही है कि इस युद्ध मे सभी पापी थे और सबसे बड़े पापी स्वयं भगवान कृष्ण थे तभी उन्हें यदुवंश का नाश होने का श्राप दिया गया, क्या आपको लगता है महाभारत काव्य में कर्ण के साथ धर्म और न्याय हुआ था क्या आपको लगता है भीष्म पितामह को एक लड़की की आड़ में मारना धर्म और न्याय था क्या आपको लगता है कि अश्वत्थामा की मौत की झूठी सूचना देकर साधना में बैठे गुरु द्रोणाचार्य का वध करना धर्म की रक्षा करना था, क्या आपको लगता है गधा युद्ध के नियमो की पालना ना कर नाभि से नीचे वार कर दुर्योधन को मारना धर्म की रक्षा करना था, मित्र पापी इस युद्ध मे कौरव हो सकते थे किंतु सभी योद्धा नही, कोई भी धर्म चाहे वो हिन्दू हो या मुस्लिम ये नही सिखाते की युद्ध भूमि में किसीका वध छल धोखे और कपट से किया जाए अर्जुन के रथ पर भगवान श्री हरि और हनुमान जी स्वयं विराजमान थे फिर भी कर्ण के बाण उस रथ को 10 कदम पीछे धकेल ही दिया करते थे, ये कर्ण का पराक्रम ही था जो खुद भगवन श्री कृष्ण ये नजारा देख आश्चर्यचकित हो गए थे, भगवान की आड़ लेकर जितने से बेहतर था एक वीर योद्धा की तरह युद्ध भूमि में कौरवों की तरह वीरगति को प्राप्त होना
भाई मै आप की बात से सहमत हूं कि सबसे शक्ति शाली श्री कृष्ण है पर ये गलत है सोचना आप का की श्री कृष्ण ने युद्ध ही नहीं किया, ये बात एकदम साफ़ है कि अर्जुन के अलावा कर्ण का सामना कोई नहीं कर सकता था पर अर्जुन को भी कर्ण से युद्ध में बचाया था, और भागदत्त से भी तो इससे ये साफ होता है कि कृष्ण जी भी युद्ध में थे, अर्जुन की रक्छा कर रहे थे
Nhi kya dekhna chahiye dron ne to usse arjun se yudh krne ke brabr bhi smjha tb khon aage aaya duryodhan usne karn ko arjun se ladne ka hk diya angraj bna ke to wo uska sath kaise chod deta ....btao...
@@specialfunda3380 agar karn ne ye samjha hota ki duryodhan ne sirf usko istemal kar raha hai. To wo chahte to nikal sakte the. Lekin bolte hai na jo apne taqat ke ghamand me ji raha ho wo kisi ka nahi sunte jabki sree krishna ne samjhane ki kosish bhi ki thi. Unhe samman nahi chahiye tha balki arjun se karna hi chahte the hamesha. Unke jeevan ka maksad sirf arjun ke sath larnahi tha. Agar dekha jay to duryodhan se bara adharmi bheeshma , drona aur karn the kiuki wo dharm ko jante hue bhi unka palan nahi kie the. Islie unki mout itni buri Hui.
कर्ण अर्जुन के सामने कुछ भी नहीं था। विराट युद्ध में अकेले अर्जुन ने पूरी कौरव सेना को जिस में भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य, कर्ण, दुर्योधन, दुशासन, शामिल थे। सब लोगों को कार ने अकेले ही हराया था। कर्ण तो उस युद्ध को छोड़कर घायल होकर भाग गया था लेकिन जब अर्जुन दुर्योधन को मारने चलए तो कर्ण फिर से वापस आ गया था और फिर से अर्जुन ने कर्ण को हराया था। उसके बाद सारे महारथियों ने एक साथ अर्जुन पर हमला कर दिया था। तब अर्जुन ने एक ही बार में सारे महारथियों को मूर्छित कर दिया था। उसके बाद अर्जुन ने कर्ण के कपड़े उतार दिए थे। और कर्ण को नंगा होकर अपने अंग देश वापस जाना पड़ा था।
भगवान की इच्छा के बिना उन्हें कोई छू भी नहीं सकता। उन्होंने अर्जुन की अहंकार का नाश करने के लिए रथ के पहिए को पीछे जाने दिया था। अर्जुन ने तो इंद्रदेव को भी हराया था।
@@sarthakthakur515 karn isliye hara kyun ki usnai rajmata kunti ko vachan diya tha ki woo unkai putron ka aagyat waas bhang nahi honai dega aur karn apnai vachan ka pakka tha aur woo waha par khud ko ghayal karva liya
Sorry Par Dhuruyodhan ne ke val karn ka saath isliye diya tha kyu ki vo Arjun ka acha opponent tha Only for greed Dost ka saath jab tak dena chaiye jab vo sahi ho na to use sahi raha pe lana chahiye Na karn ne dosti nibhayi na Dhuruyodhan ne
Ek bar karan ki asli story read kro.asur tha vo pichle janam me jisne begunaho ki hatya ki thi 1000 kavach kundal the uske pass. Nar narayan ki story h read kr lena net pe search maarke
@@PikaachuuGaming han ye story pta h.... but pichle janam m n.... mahabharat k samay to sahi hi the karna.... ab aapko m pichle janam k jaisa treat kru to kya aap accept kroge?..... nhi n... koi nhi krega.... insan ko to yad bhi nhi rhta k pichle janam m wo kya tha.... to usme present janam k insan k sath to glt hi hota h n......
@@PikaachuuGaming pichle janam me usne avashy paap kiye honge lekin kuch to aisa achha kiya hoya ki use manushy avatar mila vobhi swayam bhagvan Krishn ke samay me.
@@PikaachuuGaming konsa asur tha wo. Kya naam tha uska. Wo pichale janam me swetja tha jisne raktja ka wadh kiya tha. Uska janam bramhaji ke ek mukh katne ke karan jo swat tha usase hua tha.
कर्ण शरीर से दुर्योधन की ओर था पर मन से पांडवो की ओर ही था।उसने मित्र धर्म निभाया क्योंकि वह दुर्योधन के एहसान में दबा हुआ था।संकट में मित्र को छोड़ना भी अधर्म ही था।
@@krishnatiwari5787 abhimanyu ka bhagya me aisi hi maut likhi thi Aur bhautik stithi se dekha jaay, to abhimanyu ki aisi maut pandavo ke asamarthta ki vajah se hi hui he
अर्जुन और कर्ण दोनो अदभुत धनुर्धर थे । पर उन दोनों में एक बहुत बड़ा अंतर था । कर्ण हमेशा अर्जुन से श्रेष्ठ बनना चाहता था, और अर्जुन हमेशा योग्य बनना चाहते थे ।
@@minalmonali5354 aashrit hone ki baat Nahi hai...agr wo aang desh Ka raja na bna hota to vo Kabhi bhi Apne samarth Ka pradarshan nhi KR pata....use Kabhi bhi yudh ladne nhi Diya Jata...
Vo MAA ki bhul nhi thi balki jaativaad tha...agar jaativaad na hota to itna kasht nhi jhelta vo...insaan koi bhi ho karm ke adhar par ijjat honi chahiye na ki janm ke...jesa Karn or eklavya ke sath hua..
भगवान कृष्ण ने कई असुरो का वध किया बचपन मे पर वे भगवान के अवतार होने के कारण उनमे अपार शक्तियां थी पर कर्ण ने शक्तियां अपने घोर परिश्रम से अर्जित किया था अगर कर्ण को श्राप न दिया गया होता तो उसकी मृत्यु नही होती अर्जुन के हाथों
App ne sehi bola . lekini adharm karne wale ho ya adhar ke sath denewale ho uska binas anibariya he . chahe wo koi bhi ho shrap na milne par bhi karna mrutu hota jese bhism ki huatha. Dharma hi shakti he. Jay shree krishna
Karan learn all knowledge of weapons by cheating he cheat his guru and told him lie ,what a student can learn if base of tht education is from lies ,while Arjun please his guru and when guru take parisha of every student only Arjun pass ,Arjun also please lord Shiva ,Arjun did tapasaya and day night hardwork and spend most of life in forest and in exile while Karna spend life in luxurious as angdesh king , karna along with droydhan tries to kill pandav along with their mother , pandav whole life faced difficulty while Karna with droydhan keep trying torture on pandav and he was enjoying when dropadi getting nude ,so see the facts and tell yourself who deserve to be win ,dharma or adharm
Dono me mere bhai bohat farq tha... Karna ko shrap mila kuki usne jo vidya li vo sirf arjun ko harane k lie li or krishn bhgwan sansaar k lie har kam krte the... Bhgwan krishna ne bohat bar smjaya karna ko ki dharm ki tarf ajao... Par karna ne mitr ko na chhodne ki ratt lgai rakhi
भगवान श्री कृष्ण ने कर्ण को पाण्डुवो के पक्ष में धर्म को बता कर लाने का धर्म मार्ग बताया था ।। उचित ही था । लेकिन कर्ण का हर जगह साथ दुर्योधन ने दिया था । कर्ण ,को उनकी मांता ही त्याग बैठी थी । जो पाणडु थे। कर्ण दुर्योधन को मान सम्मान तथा धन सबकुछ दे रहे थे । कृष्ण भगवान जानते थे । कर्ण पाण्डुवो के साथ नही आयेगे लेकिन कृष्ण भगवान ने कर्ण से पांच पांणव ही बचेगे वचन ले लिया था । धन्यवाद
सबसे पहली बात कभी खुद का दुख का तुलना किसी दूसरे से नही करना चाहिए क्योंकि हर किसी का खेल लिखित है....बात सिर्फ ये है कोई अपना सर झुका लेता है और कोई नही झुकाता 🚩
Kya lucky karna ne kbh duryodhana ko roka glt kaam krne se agr itna hi acha dost tha toe rokta duryodhana ko glt kaam krne ne pr esa usne kbh nhi kiya kyo bhai esi konsi friendship
कर्ण ने जो किया एकदम सही था, जहां धर्म की बात होगी वहां भगवान श्री कृष्ण का नाम आयेगा,लेकिन जब कभी और कहीं भी मित्रता का जिक्र हुआ ,तो कर्ण जैसा मित्र का उदाहरण युगों, युगों तक जिन्दा रहेगा।
वो तो भगवान थे उनको योद्धा बोलना सूर्य को दीपक दिखाने के समान है और भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य,महारथी कर्ण बर्बरीक( खाटू श्याम जी ) इत्यादि योद्धाओं को आप कमतर समझ रहे हो, ये तो एक प्रकार से उन वीरो का अपमान ही हुआ वो भीष्म पितामह जिन्होंने कृष्ण जी तक की अस्त्र न उठाने की प्रतिज्ञा भंग की थी और कोई भी योद्धा दोनो सेनाओ में उनको मारने या हराने में सक्षम नही था, बर्बरीक जी से तो स्वयं कृष्ण जी को ही उनका सिर मांगना पड़ा क्योंकि उनको पता था कि यदि ये कौरव की तरफ से लड़ेंगे तो अनर्थ होगा , द्रोणाचार्य को मारने के लिए धर्मराज सत्यवादी युधिष्ठर तक को झूठ बोलना पड़ा तब युधिष्ठिर का रथ भूमि पर चलने लगा था जो कि पहले जमीन से 4 अंगुल ऊपर चला करता था और म्रत्यु के बाद सशरीर स्वर्गारोहण के समय 1 उंगली उसी झूठ के कारण गल कर गिर गयी थी। वो भगवान थे भाई जी योद्धा नही थे और न ही युद्ध को महत्व या प्राथमिकता ही देते थे परंतु अन्याय के विरुद्ध और अपना हक प्राप्त करने के लिए क्षत्रिय को युद्ध उत्तम है ये बताकर गीता का उपदेश देके युद्ध का आदेश दिया , आपको पता होना चाहिए उनका एक नाम रणछोड़ दास या लाल जी भी है वो युद्ध से भागने के कारण ही पड़ा था परंतु उस प्रसंग से भी एक शिक्षा ही मिलती है कि हम विरोधी या शत्रु को सिर्फ आमने सामने लड़ कर ही नही अपितु अन्य तरीकों से भी परास्त कर सकते हैं। भगवान श्री कृष्ण जी का चरित्र अनुसरण योग्य और राम जी का चरित्र अनुकरण योग्य है, कृष्ण जी की एक एक लीला में गहन भेद छिपा है परंतु हम संसारी मूर्ख लोग उसको समझ नही पाते और उंगली उठातें है उनके चरित्र पर, और राम जी का जीवन चरित्र और लीलाये एकदम सरल है परंतु हम लोग न तो उनको समझना और न ही उन पर आचरण करना चाहते हैं।सब विधि का विधान और कर्मो का प्रारब्ध है और कुछ नही शायद। जय श्री राधे, जय श्री सीताराम 🙏🌷
Krishna ek bhagvan the to unka yodha hona koi mayne nahi rakhta kyoki unhe koi hara nahi sakta tha our o kisise har bhi nahi sakte the kyoki o manush nahi bhagvan the to manush unka samna kaise kare our kisi our ko jitne kaise de Agar bhagvan har gaye to unpe kon vishavas karega
Just for an example, tomorrow if you're brother's friends gang rape you're wife in front of your brother. Will you still stay you're brother is the best. forget whether he got denied of good education or is being great helper to poor people... those are other good qualities. But he is silent contributor to evil acts of his friends.
श्रीकृष्ण की बातें ही सत्य और सही हैं! परंतु कर्ण अपनी कुंठाओं के जाल में फँसा रहा और एक आम इंसान की तरह बे तुके कुतर्क देता रहा और अंत में अर्जुन के हाथों मारा गया!! जय श्री माता जी निर्मला देवी जी की! ❤🇮🇳❤😇
करण को पता था कि दर्योधन की आस करण से जुड़ी हुई ह ओर किसी की उम्मीद को तोड़ना सबसे बड़ा अधर्म ह , ओर एक धर्म को छोड़ कर दूसरे धर्म में जाना सबसे बड़ा अपराध ह , अपनी संस्कृति अपनी पहचान को छोड़ना सबसे बड़ा अपराध ह।
कर्ण जैसा धर्म का पालन और दोस्ती का धर्म निभाने वाला शायद ही कोई योद्दा हो, श्री कृष्ण तो स्वयं भगवान थे, लेकिन कर्ण तो एक मनुष्य वीरयोधा था, पूरी महाभारत में कर्ण जैसा योद्धा कोई नहीं था ❤️
श्री कृष्ण के लिए असंभव कुछ भी नहीं था परंतु कर्ण का वध करके श्री कृष्ण जी वह से जीवित नहीं जा सकते थे अगर करण के साथ चल नहीं होता तो उसके कवच कुंडल अजय थे श्री कृष्ण उससे तोड़ अवश्य सकते थे परंतु जीवित नहीं रह सकते थे इसलिए श्रीकृष्ण ने प्रयास किया था कि अंगराज कर्ण पांडवों के पक्ष में आ जाए क्योंकि मांभारत में तो सबके साथ साल 1 दिन में किया और आखिरी चल था परंतु अंगराज कर्ण के साथ 18 दिन पहले से चल शुरू हो गया था तो भगवान से कौन जीत सकता है मगर मारने के लिए देवराज इंद्र अर्जुन परशुराम सब का सहारा लेकर कर्ण का वध हुआ था इन सब का साथ लेकर भी चल किया इसलिए मैं करण को ही मांग मानता हूं
बंधु जब भगवान कृष्ण, कर्ण को समझाने गए थे, उससे कई साल पहले कर्ण अपना कवच कुंडल दान कर चुके थे, दूसरी बात भगवान कृष्ण जानते थे कि कर्ण की मौत अर्जुन के हाथों लिखी है और तब होगी जब गुरु और ब्राह्मण का श्राप फलीभूत होगा, भगवान कृष्ण को कर्ण वध का सोचने की जरूरत भी नहीं थी क्योंकि कर्ण किसी भी तरह से धर्मयुद्ध में जीत नहीं सकता था, अपने कमाए श्रापों के कारण।
कर्ण का कवच कुंडल उसका इस जन्म से अर्जित नहीं था बल्कि पूर्व जन्म से अर्जित था। कर्ण के अलावा अन्य किसी को भी अपने पूर्वजन्म का अर्जित पुण्य, अस्त्र शस्त्र नहीं मिला इसलिए भगवान इंद्र ने न्याय करते हुए उसे कर्ण से ले लिया। अगर कृष्ण, कर्ण को हराना चाहते तो कर्ण के कवच कुंडल को बिना तोड़े ही उसके चारों हाथ पैर को काट कर मरने के लिए छोड़ देते, तब उस दंबोडव दानव को मिले वरदान की बात लागू हो ही नहीं सकती था।
कर्ण ने स्वयं दुर्योधन के पांडवो के साथ साथ किए हर छल, कपट, षड्यंत्र में भागीदारी की थी, अभिमन्यु वध में छल का साथ दिया तो उसे अपनी करनी का दंड तो मिलना ही था।
भगवान श्री कृष्ण कर्ण से अपनी तुलना किस प्रकार कर सकते हैं,वो जन्म से ही अद्भुत शक्तियों के साथ जन्म लिए थे, जबकि कर्ण को तो अपना आस्तित्व ही नहीं पता था, और यदि दुर्योधन से मिलने से पूर्व ही यदि कृष्ण कर्ण का मार्गदर्शन करते तो शायद कर्ण का जीवनचक्र कुछ और होता,औऱ न ही शायद महाभारत घोर नरसंहार होता, किन्तु श्री कृष्ण ने युद्ध से पूर्व उन्हें धर्म का उपदेश दिया,और यदि उस समय कर्ण दुर्योधन का साथ छोड़ देते तो विश्व में मित्रता और सहायता से मानव कूल का विश्वास खत्म हो जाता
श्री कृष्ण तो धर्म का दूसरा नाम है, इसलिए वे कभी गलत नहीं हो सकते. धर्म पालन करनेवाला बेज्जती सहन कर ले, पर किसी अधर्मी का एहसान नहीं लेता. पर कर्ण ने यही गलती की और वो दुर्योधन का ऋणी हो गया और उसे अधर्म का पक्ष लेना पड़ा जिससे उसे हार का सामना करना पड़ा. इसलिए कहते है थोड़ा दुख सहन कर लो पर कभी अधर्म का सहारा ना लो. जय श्री कृष्ण.. 🙏
@@WatchGod Karn neech yoddha tha usi ne bheem ko jehar dene ka plan banaya,usi ne lakshagrah ka plan banaya, usi ne dhyut ka plan banaya. Usne yogyata dikhaye bina Indra se vasuvi Shakti parapt ki. Arjun ne karn ko bar bar jeevan de diya .
@@piyushkumarghosh2059 bheem ko jehar duryodhan ne diya ,lakshagrah ka plan shakuni ka tha or dhut ka plan v shakuni ka tha , indra ne dhokhe se kavach kindal chine uska pachtave ke liye vasuvi shakti karn ko di or arjun ke rath ka paiyya niklne pr us pr prahar na krke jivan dan dene wala karn tha
अरे हरामखोर भगवान कृष्ण भी तो पैदा होते ही माता पिता से दूर रहें, उनको मारने के लिए सैकड़ों कोशिश हुई, चाहते तो कंस को मारने के बाद राजा बन जाते पर उन्होंने सदैव दुखी और कमजोरों का साठ दिया, सबको धर्म का मार्ग दिखाया और तुम हरामजादे टुच्चे से कर्ण को भगवान कृष्ण से महान बताते हो।
कर्ण ने फैसला दिल से लिया था यदि कर्ण ने फैसला दिमाग से लिया होता तो अवश्य पांडवों की तरफ से युद्ध करते क्योंकि दिल से लिया गया फैसला अधर्म की ओर अग्रसर करता है जैसे आज इंसान को विकट परिस्थिति में कोई आकर बचा ले तो वह उसे ही भगवान मान कर उसकी पूजा करने लगता है क्योंकि उसने जो देखा उसी को सत्य मान बैठा लेकिन उसने बचाने वाले के पीछे अदृश्य भगवान के हाथों को नहीं देखा जिन हाथों ने उसे असल में बचाया वही हाल वीर कर्ण का भी था जिसे दुर्योधन ने अपने स्वार्थ हेतु कर्ण की सहायता की और कर्ण ने उसे ही सच मान लिया जो कि गलत था
Dil ka fesla atma or dharm hota hai OR demaak ka fesla kebal maan ka hota hai app ne sehi kaha paristhiti jitna bhi kathin kyon na ho hame dharm ka saath nehin chhod na chahia kyonki paristhiti bhagwan de Kar hamare parikshya lete hai
यदि श्री कृष्ण को हर कोई समझ पाता तो आज संसार main अधर्म नहीं होता। यदि भगवान् श्री राम को भी कोई समझ लेता तो महाभारत नहीं होता। जय श्री कृष्ण 🙏🏼🕉️🙏🏼🕉️🙏🏼
यह वॉच गॉड पर मेरे द्वारा देखे गए सबसे अच्छे वीडियो में से एक है। आपको यकीन नहीं होगा मैं इस वीडियो को हफ्ते में दो बार देख रहा हूं। श्री कृष्ण एक अद्भुत व्यक्तिमत्व है, और आज भी हम लोग उनसे बहुत सारी बातें सिखाते है | आपने जीवन को कैसे जीना चाहिए यह श्रीकृष्ण बहुत ही अच्छी तरह से अपनी लीलाओंसे समझते है| यह एक तुलना नहीं है पर श्रीकृष्ण और श्रीराम एक दो विलक्षण प्रतिमाये है, बहुत बार श्रीकृष्ण की बात आपने जीवन मै follow करनेकी कोशिश करता हु | इस विडिओ मई जो बात कही है, के अपना जीवन बहुत सारी दुःख और आनंदसे भरा है, वो हम लोग कैसे जीते है उसीसे हमारी गणना (evaluation) हो सकता है | जय श्रीकृष्ण, जय श्रीराम |
धन्यवाद चिन्मय जी । वाकई श्री कृष्ण जैसा व्यक्तित्व विलक्षण है । हर समय संयम में रहकर अपना संतुलन खोए बिना इतनी व्यापकता में बात करना हर इंसान को सीखना चाहिए । जीवन की गहराई और धर्म का एकदम सही अर्थ श्री कृष्ण बड़ी सुंदरता से समझाते हैं ।
Radha kaun thi? Dwarka main radha kyu nahi? 12 yrs main gokul chhod ke mathura aa gaye to kya 5saal,7 saal ya 10 saal ke bache ka sath khelna prem leela hai? Krishn ji ki ek hi patni thi, mata Rukmani. Baki sab baad main add kiya gaya hai. Vyas rachit mahabharat dekh lo. Iscon aur geeta press ki mahabharat main bahut milawat hai
6:06 to 6:46 is the Gem words from Lord krishna, Its apply on the Today's generation also who adopt evil path when life is only just unfare a bit to them
Baat use vachan ki thi jo bhari yudh sabha Mai diya tha mitrtha kai liyeh usnai adharm Kiya magar pandavo ko jeevan dekr dharm kiya kuch log vardaan ko yaad raktey hai per aisa pehli barr hua hai jab sharaab ko yaad rakhenge
pandit hokar bhi karan jisne majboori mein adharm ka saath diya ko sahi bologe krishna bhagwan jo kare wahi satya hota hain jinke iccha matra se ananat bramhand anant bramha vishnu mahesh durga ganesh etc chalte hain wo antim supreme power kabhi galat nahi hosakte
Haa re bewakoof ,tum rakshas ko hi poojo, bhagwan se nafrat ha na ,ye wahi karn ha jisne draupadi ko viashya bola tha ,aur bhi apsabd bole the ,ye pooj niye ho gaya
जब कर्ण को सारा समाज धिक्कार रहा था तभी दुर्योधन ने आगे बढकर मित्रता करके अंगदेश का राजा बनाया था कर्ण को ...भले ही उसमे दुर्योधन का छल रहा हो पर साथ तो दिया कर्ण का... तो कर्ण क्यू ना दे दुर्योधन का साथ जब दुर्योधन अधर्म मैं भी क्यू ना हो
Karan ko Mein dusri Nahin manta hai Apna Dharm Sahi Dharm ko nibhaya jo uska Balidan bhi Dharmik anusar se Sahi Raha aur aur Sidhe Bhagwan ke pass bhi diya jo Sahi tha Lekin vah uska pad Ho Jaane ka ek hi Karan tha ki vah Adharm ko Sath Diya lekin Apna Dharm Sahi nibhaya Jab Pandav ka Vijay bhi Dharm Kabhi Jayegi Hi Hua
धर्म की परिभाषा हर किसी के लिए परिस्थिति अनुसार भिन्न होई है, लगभग सभी धर्मी पुरुष कर्ण की वास्तविकता जानते थे, पर किसी ने इसके भेद नहीं खोले क्यूंकि महाभारत अनिवार्य था, ऑर बहुत सारे वरदान/शाप का निवारण था , इसलिए सभी वीरो का सम्मान करना ही हमारा धर्म है। जय भोलेनाथ जय श्री कृष्णा
Adharm mein bhi dharm tha jabtak Duryodhan k shivir mein Karn tha! That being said, Lord Krishna himself admitted that Karn fought from Duryodhan’s side for his friendship but knowingly didn’t kill Yudhistir and other Pandavas as well as Arjun sayin the sun set and he had to stop! He could have killed Arjun at that moment! By ultimately givin his life away, Karn actually helped Pandavas to win the battle in one way and also paid the debt of friendship to Duryodhan in another way!
परम मित्र के साथ कैसे छोड़ सकता था जबकि दुनिया उसे ठुकरा रही थी तब दुर्योधन ने उसका साथ दिया करण भी धर्म युद्ध कर रहा था भले ही क्यों अधर्म का युद्ध की ना हो
Duryodhana ke sath dene ka karan uska lalach tha bcz karan ik mahan yodha tha or usko agar vo frnd bnata to uska paksh strong hota,karan ka bhala krne ke vichar se usne duryodhana ne ye ni kiya, apne bhale ke liye esa kiyaaa,vo to galat hi h,mitrta m kabhi swarth ni hona chaiye lekin yahana to svarth tha duryodhan ka
Sometimes obligation makes one pay more than of their thoughts and truth. Lord krishna always played game in safe hand. He knew to win a battle in all the ways.
Karana ki kahani sunkar ankho main ansu aa jate hain Karan ke sath har jagah chal our kapat kiya gaya sampoorna Mahabharat main mejko sanse accha karana lagte hain
महाभारत में कर्ण के कैरेक्टर को देख के मेरी आँखों मे आँसू आ जाते थे कर्ण ने एक बात कही थी श्री कृष्ण भगवान से की इस समाज को इतनी हानि अधर्मियों से नही है जितनी धर्म जानने वालों की निष्क्रियता से है जय श्री कृष्ण राधे राधे
BHAGWAN SHRI KRISHNA TO PARMESHEWAR HAI AUR WO KABHI GALAT NAHI HO SAKTE AUR NA HI HAI PARANTU MAHARATHI KARN BHI APNI JAGAH SAHI THE AUR UNHONE APNI AAKHRI SHWAS TK DHARM KA PALAN KIYA AUR SWARG MEIN UNHE SABSE UNCHA STHAN PRAPT HUA
THIS IS A REPLY TO "DEVENDRA YADAV" WHOSE COMMENT WAS PINNED
निसंदेह ही पितामह भीषम, गुरु द्रोणाचार्य, अंग राज करण और बर्बरीक महान योद्धा थे किन्तु जो आपने कोर्वों को वीर योद्धा कहा वो बिल्कुल ग़लत है। मित्र एक बार सोच के देखो की यदि उस युद्ध में श्री कृष्ण ने शस्त्र उठाए होते तो क्या ये युद्ध 1 पहर तक भी चल पाता? या आपके विचार से करण श्री कृष्ण से भी महान योद्धा थे?
भगवान कृष्ण ने केवल संसार को ये सीख दी है कि अधर्म चाहे कितना ही शक्तिशाली क्यों ना हो, जीत सदैव धर्म की ही होगी क्योंकि जिनके पक्ष में धर्म है उनके पक्ष में कृष्ण हैं, और जिनके पक्ष में कृष्ण है उनके पक्ष में जीत है।
मेरा आपसे निवेदन है की आप धर्म की परिभाषा को जानिए। गीता पढ़िए। किसी के साथ छल करना अवश्य अधर्म है, किन्तु धर्म की स्थापना एवं समाज के कल्याण के लिए किया गया छल धर्म ही होता है मित्र।
कृपया भगवान के बारे में अनुचित मत बोलिए, उन्होंने आपके और हमारे कल्याण के लिए ही पापियों का वध किया था और धर्म की स्थापना की थी।
Dono taraf se chal kpt hua .
Today, We have seen many gang rapes all over the country.
Say if a good person - becomes friend with you it's always for their selfish reasons. the good person may see benefit of being with that bad person temporarily.
But If every person follows to think Karna was following Dharma- he should have stopped the humiliation of Dhrupathi.
but he also paid silence contribution to rapists..
In fact to understand the biggest universal law of Dharma- one has to put himself in the shoes of the character.
Having few good contributions/Qualities doesn't mean , the most unacceptable thing can be done by being ties with rapists...
प्रियवर ये छल और कपट श्री कृष्ण के द्वारा किया गया था इसलिए इसे लीला का नाम देकर धर्म की रक्षा होना बताया गया,
लेकिन सत्यता यही है कि इस युद्ध मे सभी पापी थे और सबसे बड़े पापी स्वयं भगवान कृष्ण थे
तभी उन्हें यदुवंश का नाश होने का श्राप दिया गया,
क्या आपको लगता है महाभारत काव्य में कर्ण के साथ धर्म और न्याय हुआ था
क्या आपको लगता है भीष्म पितामह को एक लड़की की आड़ में मारना धर्म और न्याय था
क्या आपको लगता है कि अश्वत्थामा की मौत की झूठी सूचना देकर साधना में बैठे गुरु द्रोणाचार्य का वध करना धर्म की रक्षा करना था,
क्या आपको लगता है गधा युद्ध के नियमो की पालना ना कर नाभि से नीचे वार कर दुर्योधन को मारना धर्म की रक्षा करना था,
मित्र पापी इस युद्ध मे कौरव हो सकते थे किंतु सभी योद्धा नही,
कोई भी धर्म चाहे वो हिन्दू हो या मुस्लिम
ये नही सिखाते की युद्ध भूमि में किसीका वध छल धोखे और कपट से किया जाए
अर्जुन के रथ पर भगवान श्री हरि और हनुमान जी स्वयं विराजमान थे
फिर भी कर्ण के बाण उस रथ को 10 कदम पीछे धकेल ही दिया करते थे,
ये कर्ण का पराक्रम ही था जो खुद भगवन श्री कृष्ण ये नजारा देख आश्चर्यचकित हो गए थे,
भगवान की आड़ लेकर जितने से बेहतर था एक वीर योद्धा की तरह युद्ध भूमि में कौरवों की तरह वीरगति को प्राप्त होना
भाई मै आप की बात से सहमत हूं कि सबसे शक्ति शाली श्री कृष्ण है पर ये गलत है सोचना आप का की श्री कृष्ण ने युद्ध ही नहीं किया, ये बात एकदम साफ़ है कि अर्जुन के अलावा कर्ण का सामना कोई नहीं कर सकता था पर अर्जुन को भी कर्ण से युद्ध में बचाया था, और भागदत्त से भी तो इससे ये साफ होता है कि कृष्ण जी भी युद्ध में थे, अर्जुन की रक्छा कर रहे थे
Bhagban jiske sath ho oosko kon hra skta h korbo ko pta tha oonki haar nischit h fir bhi bo lde isliye bo mhan yodha h
कर्ण भक्तों को यह चैनल अवश्य देखना चाहिए।
Wrong information
Nhi kya dekhna chahiye dron ne to usse arjun se yudh krne ke brabr bhi smjha tb khon aage aaya duryodhan usne karn ko arjun se ladne ka hk diya angraj bna ke to wo uska sath kaise chod deta ....btao...
@@specialfunda3380 good 👍
I agree with you.
Yaya
@@specialfunda3380 agar karn ne ye samjha hota ki duryodhan ne sirf usko istemal kar raha hai. To wo chahte to nikal sakte the. Lekin bolte hai na jo apne taqat ke ghamand me ji raha ho wo kisi ka nahi sunte jabki sree krishna ne samjhane ki kosish bhi ki thi. Unhe samman nahi chahiye tha balki arjun se karna hi chahte the hamesha. Unke jeevan ka maksad sirf arjun ke sath larnahi tha.
Agar dekha jay to duryodhan se bara adharmi bheeshma , drona aur karn the kiuki wo dharm ko jante hue bhi unka palan nahi kie the. Islie unki mout itni buri Hui.
अंगराज कर्ण की जिंदगी ने बहुत परीक्षा ली पर उन्होंने कभी हार नहीं मानी
100% 👍
Definitely
Ek baar haar maani Duryodhan ka saath dekar
@@technicalgamers7324 bilkul sahi kiya saath dekar
@@KING-lk6hm galat kiya
धन्य है हमारी सनातन संस्कृति जिसमें ऐसे वीर योद्धाओं ने जन्म लिया 🙏
करण एक महान योद्धा और उसने दोस्ती के ऊपर जान निछावर कर दी अपनी बात पर अटल रहा उसके लिए करण को दिल से सलाम
Very Great Karan
Itna bda dost tha to yudhusthir ko maar deta, or Duryodhan ko raja bna deta....
Arjun se pritispardha ku krta rhe🤔
@@abhishekdangi2976 vachan diya tha, ki Arjun ko hi target krega, baakiyo ko koi nuksan nahi pahuchayega
कर्ण जैसा दानवीर और महान योद्धा कोई नही था महाभारत में
Pitamah the
पितामह भीष्म को कहीं कम नहीं आंका जा सकता है
कर्ण अर्जुन के सामने कुछ भी नहीं था। विराट युद्ध में अकेले अर्जुन ने पूरी कौरव सेना को जिस में भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य, कर्ण, दुर्योधन, दुशासन, शामिल थे। सब लोगों को कार ने अकेले ही हराया था। कर्ण तो उस युद्ध को छोड़कर घायल होकर भाग गया था लेकिन जब अर्जुन दुर्योधन को मारने चलए तो कर्ण फिर से वापस आ गया था और फिर से अर्जुन ने कर्ण को हराया था। उसके बाद सारे महारथियों ने एक साथ अर्जुन पर हमला कर दिया था। तब अर्जुन ने एक ही बार में सारे महारथियों को मूर्छित कर दिया था। उसके बाद अर्जुन ने कर्ण के कपड़े उतार दिए थे। और कर्ण को नंगा होकर अपने अंग देश वापस जाना पड़ा था।
भगवान की इच्छा के बिना उन्हें कोई छू भी नहीं सकता। उन्होंने अर्जुन की अहंकार का नाश करने के लिए रथ के पहिए को पीछे जाने दिया था। अर्जुन ने तो इंद्रदेव को भी हराया था।
@@sarthakthakur515 karn isliye hara kyun ki usnai rajmata kunti ko vachan diya tha ki woo unkai putron ka aagyat waas bhang nahi honai dega aur karn apnai vachan ka pakka tha aur woo waha par khud ko ghayal karva liya
कठिन परिस्थितियों में मित्र का साथ देना भी सबसे बड़ा धर्म है। कर्ण ने भी वही धर्म निभाया।
Sorry
Par Dhuruyodhan ne ke val karn ka saath isliye diya tha kyu ki vo Arjun ka acha opponent tha
Only for greed
Dost ka saath jab tak dena chaiye jab vo sahi ho na to use sahi raha pe lana chahiye
Na karn ne dosti nibhayi na Dhuruyodhan ne
Isliye karna ka marna jaruri tha.
Excellent point view, sir 👍
Agar tera mitra ak khooni ho to
Vo आतंकवादी ho to
Dost agr galt kre to saath dene k bjaye use rokna chayie,ye h shi mitr dhrm
धर्म तो कृष्ण भगवान की तरफ ही इशारा करता है पर दिल कर्ण की ओर है
Ek bar karan ki asli story read kro.asur tha vo pichle janam me jisne begunaho ki hatya ki thi 1000 kavach kundal the uske pass.
Nar narayan ki story h read kr lena net pe search maarke
@@PikaachuuGaming han ye story pta h.... but pichle janam m n.... mahabharat k samay to sahi hi the karna.... ab aapko m pichle janam k jaisa treat kru to kya aap accept kroge?..... nhi n... koi nhi krega.... insan ko to yad bhi nhi rhta k pichle janam m wo kya tha.... to usme present janam k insan k sath to glt hi hota h n......
@@PikaachuuGaming pichle janam me usne avashy paap kiye honge lekin kuch to aisa achha kiya hoya ki use manushy avatar mila vobhi swayam bhagvan Krishn ke samay me.
@@PikaachuuGaming konsa asur tha wo.
Kya naam tha uska. Wo pichale janam me swetja tha jisne raktja ka wadh kiya tha. Uska janam bramhaji ke ek mukh katne ke karan jo swat tha usase hua tha.
@@PikaachuuGaming bro karn apni jagah pe sahi tha. Agar wo us samay pandawo ka sath dene chala jata to aaj sabhi usko dhokebaaj kahte.
कर्ण शरीर से दुर्योधन की ओर था पर मन से पांडवो की ओर ही था।उसने मित्र धर्म निभाया क्योंकि वह दुर्योधन के एहसान में दबा हुआ था।संकट में मित्र को छोड़ना भी अधर्म ही था।
Khuch mat bol samjhe karn pandavo se nafrat krta tha aur te apne mann se bol raha hai ki adharmi paandavo ke saath tha saale joker hai re
कर्ण का पक्ष मजबूत है क्योंकी कृष्ण तो स्वयं भगवान थे
Yehi toh koi nhi jaan pata bhai
O swaym hi sabkuchh the o pura history jante the
Unke pas to bachpan sr hi shaktiya thi
@@hkstatus9578 pr itni skatiyo ke bavjuud unhone itne kashth sahe...
Kaliyog me tumhari yeh dasa serial ne mara hai tumhe
कर्ण अपने जगह पे सही था
कर्ण को मै एक योद्धा ही नहीं
महान योद्धा समझता हू
Yes
Lekin ye Mt bhulo sabse bara yodha Abhimanyu tha ye word karn ne bola h karn dropadi ko besya bola agni putri ko yehi bara gunaah tha
@@krishnatiwari5787 1 veer yodha ko dusre verr yodha ki parshansa karni hi chahiye
@@krishnatiwari5787
Aur draupadi ne jo karna ka bina kisi karan ka swayamvar ke samay apmaan kiya uska kya?
@@krishnatiwari5787 abhimanyu ka bhagya me aisi hi maut likhi thi
Aur bhautik stithi se dekha jaay, to abhimanyu ki aisi maut pandavo ke asamarthta ki vajah se hi hui he
दोनों अपने धर्म पर सही है। और जो भी हुआ वह श्री कृष्ण की इच्छा से हुआ। । ।। जय श्री कृष्ण।।
अर्जुन और कर्ण दोनो अदभुत धनुर्धर थे । पर उन दोनों में एक बहुत बड़ा अंतर था ।
कर्ण हमेशा अर्जुन से श्रेष्ठ बनना चाहता था, और अर्जुन हमेशा योग्य बनना चाहते थे ।
Karna shreshth hone ke baujud uski upeksha ki gayi, aur rahi baat arjun aur karn ki to yah baat sabhi bhul jate hai ki wah ek hi maa ki santan the
Ye baat tune kha se pdd Li bro
Arjun bi karna se jalta tha ...
I'm die hard fan of Great Warrior Danveer Karn 🙏🏻☀️
We too love Karna's Character in mahabharat.
कर्ण इक बहुत अच्छे योद्धा थे, उन्होंने अपना धर्म नहीं छोड़ा और अंततः वीरगति को प्राप्त हुए /
जय श्री राधाकृष्ण
Sahi bhai
Danveer Karn jiss bhav se Dhan deta tha, vo bhav bhi, Prabhu se hi aata tha, yahan humara tumhara hai kya, Sb Gobind Hai, Sb Gobind hai, Gobind Bin Nhi Koye, 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Mitar ho to karan jsa
कर्ण ने अपना मित्रता का धर्म निभया क्योंकि वही उसका प्रथम धर्म था. उसकी मित्रता ने ही उसका सम्मान कराया था. मै उसी महारथी💪💪 के पक्ष में हू.🙏🙏
Main bhi krn ke hi pkhs me hun
Wo kaisa veer jiska samman dusaro pe ashrit ho
@@minalmonali5354 aashrit hone ki baat Nahi hai...agr wo aang desh Ka raja na bna hota to vo Kabhi bhi Apne samarth Ka pradarshan nhi KR pata....use Kabhi bhi yudh ladne nhi Diya Jata...
Wahi toe uska mitra papi tha aur uska sath dene wala aur bhi bada papi
But unhone dharm ka sth b diye...by giving his life
अपनी माँ की एक भूल की सजा ताउम्र वो पता रहा...
कौन्तेय कहलाना था जिसे, वो राधेय कहलाता रहा...
Bhagwan parshuram sisye bhi kahte h
Bhai girl ka photo dekh ke tick deto ho 🤣( for funny way)
Vo MAA ki bhul nhi thi balki jaativaad tha...agar jaativaad na hota to itna kasht nhi jhelta vo...insaan koi bhi ho karm ke adhar par ijjat honi chahiye na ki janm ke...jesa Karn or eklavya ke sath hua..
@@Gauravkumar-kc6mj right
@@Gauravkumar-kc6mj per mujhe lagta hai ki Mata kunti ki bhi galti hai unhe apne putra ka tyag nahi karna chahiye tha
भगवान कृष्ण ने कई असुरो का वध किया बचपन मे पर वे भगवान के अवतार होने के कारण उनमे अपार शक्तियां थी पर कर्ण ने शक्तियां अपने घोर परिश्रम से अर्जित किया था अगर कर्ण को श्राप न दिया गया होता तो उसकी मृत्यु नही होती अर्जुन के हाथों
App ne sehi bola . lekini adharm karne wale ho ya adhar ke sath denewale ho uska binas anibariya he . chahe wo koi bhi ho shrap na milne par bhi karna mrutu hota jese bhism ki huatha. Dharma hi shakti he. Jay shree krishna
Karan learn all knowledge of weapons by cheating he cheat his guru and told him lie ,what a student can learn if base of tht education is from lies ,while Arjun please his guru and when guru take parisha of every student only Arjun pass ,Arjun also please lord Shiva ,Arjun did tapasaya and day night hardwork and spend most of life in forest and in exile while Karna spend life in luxurious as angdesh king , karna along with droydhan tries to kill pandav along with their mother , pandav whole life faced difficulty while Karna with droydhan keep trying torture on pandav and he was enjoying when dropadi getting nude ,so see the facts and tell yourself who deserve to be win ,dharma or adharm
Sahi kaha aap ne
Shree ram aur laxman ko ek sath hara dene wale meghnath ka vadh ho skta hai toh karna kya cheez tha
Dono me mere bhai bohat farq tha... Karna ko shrap mila kuki usne jo vidya li vo sirf arjun ko harane k lie li or krishn bhgwan sansaar k lie har kam krte the... Bhgwan krishna ne bohat bar smjaya karna ko ki dharm ki tarf ajao... Par karna ne mitr ko na chhodne ki ratt lgai rakhi
If Karan would have listened to Krishna and had left his friend we won't be talking about the greatness of karna today.
How bro.... 🙄
Right bro
Wo अपनी जगह best tha
अर्जुन lul था
Yes
bro it's destiny
True
Whatever karna did was perfectly correct because it was his priority and his dharma to give his support to duryodhan only
भगवान श्री कृष्ण ने कर्ण को पाण्डुवो के पक्ष में धर्म को बता कर लाने का धर्म मार्ग बताया था ।।
उचित ही था ।
लेकिन कर्ण का हर जगह साथ दुर्योधन ने दिया था । कर्ण ,को उनकी मांता ही त्याग बैठी थी ।
जो पाणडु थे। कर्ण दुर्योधन को मान सम्मान तथा धन सबकुछ दे रहे थे ।
कृष्ण भगवान जानते थे । कर्ण पाण्डुवो के साथ नही आयेगे लेकिन कृष्ण भगवान ने कर्ण से पांच पांणव ही बचेगे वचन ले लिया था ।
धन्यवाद
I love Karn 😍❣️
Jo Jo Karn ko dilsa pasand krti ho like Koro
👇👍👍
Are ye kaisa nam hai bijoy chutiya
कृष्ण भगवान है उसके लिए कूछ भी संभव है साधारण आदमी के लिए ये सब सम्भव नहीं है कर्ण ने जो किया वह सब सही है
To tum kya rakhyasha kul ke hoo
Oh aesa kya matalab ussane drupadi ko vesya bola wo bhi sahi tha?🙄
Sadharan aadmi ki sadharanata hi adhibhoot hai,swayam ko satkarm or Prabhu k saath me laga k khud kritarth karna hi param dharam hai.
Sahi hi
Are Bhai Apne ye video Puri Dekhi ya nahi'
Swayam bhagwan ne karn ko apni team me ané ko Kaha par fir bhi usne kanoon Ka sath Nahi Diya.
कर्ण जैसा दोस्त ना कभी था ना कभी होगा जो मौत से लढ जाए दोस्ती के लिए
और मित्र को छोडकर भाग जाऐ. दोस्त कृष्ण जैसा होणा चाहिए.
कर्ण की बात में दम और सच्चाई है।
Nhi dost
Karna Ki bate bakwash h so kabhi sri krishan ke barabari nahi kar Sakta
Tv seriyal ne karn ko jada mahan bana diya h
#Suryaputra Karna ki jai ho.
Jai Shri hari.
Har Har #Mahadev.
हर हर महादेव
@@WatchGod 🙏
@@WatchGod Har Har Mahadev .
Good
सबसे पहली बात कभी खुद का दुख का तुलना किसी दूसरे से नही करना चाहिए क्योंकि हर किसी का खेल लिखित है....बात सिर्फ ये है कोई अपना सर झुका लेता है और कोई नही झुकाता 🚩
मै खुद अगर महाभारत का कोई पात्र बना तो कर्ण बनना चाहूंगा
Me v
Karna Papi tha
Par karn jo galtiya ki wo mat dohrana.. otherwise rest is the history!
Mai shreee krishna
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
कर्ण एक कुल द्रोही और अधर्मी था, इस बात को मत भूलना।
Karan is symbol of true friendship dhoryodhan is so lucky that he had karan always love karan
Kya lucky karna ne kbh duryodhana ko roka glt kaam krne se agr itna hi acha dost tha toe rokta duryodhana ko glt kaam krne ne pr esa usne kbh nhi kiya kyo bhai esi konsi friendship
श्री कृष्ण और सुर्य पुत्र कर्ण दोनों की बातें बिलकुल सही है दोनों का ही जीवन कषटो से भरा पङा हुआ है
Everyone needs friend like Karna and motivator like Krishna
Sabko chayiye karn jaisa dost par khud karn jaisa koi nahi banna chahta,,,
मित्र हो तो श्रीकृष्ण जैसा जो बिना हथियार आपको जितादे या फिर कर्ण जैसा आप गलत जो फिर भी आपके लिए हथियार उठाये
Krishna ji ke sabse bade mitra Sudama the bro krishn ji 3 lok tak Sudama ko Dene Lage the ek bar sudama krishn ki story dekh Lena
कर्ण ने जो किया एकदम सही था, जहां धर्म की बात होगी वहां भगवान श्री कृष्ण का नाम आयेगा,लेकिन जब कभी और कहीं भी मित्रता का जिक्र हुआ ,तो कर्ण जैसा मित्र का उदाहरण युगों, युगों तक जिन्दा रहेगा।
कर्ण के लिऐ शायरी
धर्म की राह पर चलते हुए
कर्ण ने वचन को तोडा़ नही
मृत्यु सम्मुख देखकर भी मित्र का साथ छोडा़ नही
एक बात तो सत्य ही है महाभारत में श्री कृष्ण से बड़ा और कोई योद्धा नहीं था
वो तो भगवान थे उनको योद्धा बोलना सूर्य को दीपक दिखाने के समान है और भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य,महारथी कर्ण बर्बरीक( खाटू श्याम जी ) इत्यादि योद्धाओं को आप कमतर समझ रहे हो, ये तो एक प्रकार से उन वीरो का अपमान ही हुआ वो भीष्म पितामह जिन्होंने कृष्ण जी तक की अस्त्र न उठाने की प्रतिज्ञा भंग की थी और कोई भी योद्धा दोनो सेनाओ में उनको मारने या हराने में सक्षम नही था, बर्बरीक जी से तो स्वयं कृष्ण जी को ही उनका सिर मांगना पड़ा क्योंकि उनको पता था कि यदि ये कौरव की तरफ से लड़ेंगे तो अनर्थ होगा , द्रोणाचार्य को मारने के लिए धर्मराज सत्यवादी युधिष्ठर तक को झूठ बोलना पड़ा तब युधिष्ठिर का रथ भूमि पर चलने लगा था जो कि पहले जमीन से 4 अंगुल ऊपर चला करता था और म्रत्यु के बाद सशरीर स्वर्गारोहण के समय 1 उंगली उसी झूठ के कारण गल कर गिर गयी थी। वो भगवान थे भाई जी योद्धा नही थे और न ही युद्ध को महत्व या प्राथमिकता ही देते थे परंतु अन्याय के विरुद्ध और अपना हक प्राप्त करने के लिए क्षत्रिय को युद्ध उत्तम है ये बताकर गीता का उपदेश देके युद्ध का आदेश दिया , आपको पता होना चाहिए उनका एक नाम रणछोड़ दास या लाल जी भी है वो युद्ध से भागने के कारण ही पड़ा था परंतु उस प्रसंग से भी एक शिक्षा ही मिलती है कि हम विरोधी या शत्रु को सिर्फ आमने सामने लड़ कर ही नही अपितु अन्य तरीकों से भी परास्त कर सकते हैं।
भगवान श्री कृष्ण जी का चरित्र अनुसरण योग्य और राम जी का चरित्र अनुकरण योग्य है, कृष्ण जी की एक एक लीला में गहन भेद छिपा है परंतु हम संसारी मूर्ख लोग उसको समझ नही पाते और उंगली उठातें है उनके चरित्र पर, और राम जी का जीवन चरित्र और लीलाये एकदम सरल है परंतु हम लोग न तो उनको समझना और न ही उन पर आचरण करना चाहते हैं।सब विधि का विधान और कर्मो का प्रारब्ध है और कुछ नही शायद।
जय श्री राधे, जय श्री सीताराम 🙏🌷
Shree Krishna ko Taker Dana Wala Wo Karn tha
@@YashBoss9831 nhi tha kyoki woh bhagwan the yodha nhi woh bas 1 chakra se poori yudh khatam kar dete
Krishna ek bhagvan the to unka yodha hona koi mayne nahi rakhta kyoki unhe koi hara nahi sakta tha our o kisise har bhi nahi sakte the kyoki o manush nahi bhagvan the to manush unka samna kaise kare our kisi our ko jitne kaise de
Agar bhagvan har gaye to unpe kon vishavas karega
जब वह स्वयं ईश्वर थे तो इसमें कोई संदेह नहीं है
दोनों अपने अपने स्थान पर सही हैं।
श्री कृष्ण जी को त्यागा उसकी जान बचाने
के लिये
श्री कृष्ण सच बोल रहे है पर एक बात अवश्य बोलूंगा श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के अवतार है और श्री कर्ण एक साधारण मनुष्य है तो आप अंतर बताओ
Wo sury putra the
Just for an example, tomorrow if you're brother's friends gang rape you're wife in front of your brother. Will you still stay you're brother is the best.
forget whether he got denied of good education or is being great helper to poor people... those are other good qualities. But he is silent contributor to evil acts of his friends.
bhagwan krishna antim supreme piwer hain unke uper koi nahi ananat bramha vishnu mahesh durga ganesh etc ananat bramhand unse hi chalte hain
Mere bhai karn koi sadharan nhi the jo dev putr hote h... Vo sadharan nhi hote...
साधारण मनुष्य नहीं
सूर्य देव के अंश थे कर्ण और दिव्य थे
मुझे भगवान श्री कृष्ण जी का पक्ष ज्यादा मजबूत लगा
श्रीकृष्ण की बातें ही सत्य और सही हैं!
परंतु कर्ण अपनी कुंठाओं के जाल में फँसा रहा और एक आम इंसान की तरह बे तुके कुतर्क देता रहा और अंत में अर्जुन के हाथों मारा गया!!
जय श्री माता जी निर्मला देवी जी की! ❤🇮🇳❤😇
Karan ka
Dost sankat me ho
To usse chhod ker nhi Jaate
Issi liye karan Mahaan h
करण को पता था कि दर्योधन की आस करण से जुड़ी हुई ह ओर किसी की उम्मीद को तोड़ना सबसे बड़ा अधर्म ह , ओर एक धर्म को छोड़ कर दूसरे धर्म में जाना सबसे बड़ा अपराध ह , अपनी संस्कृति अपनी पहचान को छोड़ना सबसे बड़ा अपराध ह।
100% 👊
👍🙏
कर्ण जैसा धर्म का पालन और दोस्ती का धर्म निभाने वाला शायद ही कोई योद्दा हो, श्री कृष्ण तो स्वयं भगवान थे, लेकिन कर्ण तो एक मनुष्य वीरयोधा था, पूरी महाभारत में कर्ण जैसा योद्धा कोई नहीं था ❤️
Karn Is The Greatest Ever ❣️❣️
जिधर कृष्ण है उधर धर्म है जिधर धर्म है उधर जीत है जय श्री कृष्णा
आपने बहुत सही वर्णन किया है।।
कुछ लोग करण को सही बताते हैं मगर करण सही नहीं सही तो भगवान श्री कृष्ण ही थे
Karana is best.
मानव ओर भगवान ताकत ओर समझ एक जेसी नही हो सकती भगवान सर्व शक्तिमान हे कुछ भी सम्भव कर सकते आम इन्सान नही चाहे वह कितना शक्तिशाली हो
भगवान के अवतार से कुछ सीख लो मानव भगवान बन सकता है धरती का हर इंसान कृष्ण बन सकता है यदि आप उस मार्ग पर चलें तब आप भगवान बन सकते हैं
भाई हो तो रावण जैसे 👨👧👨👧
दोस्त हो तो, आंग राज कर्ण जैसा 🏹🏹🏹🏹💪💪💪💪
बोहोत बोहोत धन्यबाद इस वीडियो के लिए
श्री कृष्ण के लिए असंभव कुछ भी नहीं था परंतु कर्ण का वध करके श्री कृष्ण जी वह से जीवित नहीं जा सकते थे अगर करण के साथ चल नहीं होता तो उसके कवच कुंडल अजय थे श्री कृष्ण उससे तोड़ अवश्य सकते थे परंतु जीवित नहीं रह सकते थे
इसलिए श्रीकृष्ण ने प्रयास किया था कि अंगराज कर्ण पांडवों के पक्ष में आ जाए क्योंकि मांभारत में तो सबके साथ साल 1 दिन में किया और आखिरी चल था परंतु अंगराज कर्ण के साथ 18 दिन पहले से चल शुरू हो गया था
तो भगवान से कौन जीत सकता है मगर मारने के लिए देवराज इंद्र अर्जुन परशुराम सब का सहारा लेकर कर्ण का वध हुआ था
इन सब का साथ लेकर भी चल किया
इसलिए मैं करण को ही मांग मानता हूं
Bhai shri krishna ne to sastra na uthane bachan liya tha barna karan to aise hi mara jata
बंधु जब भगवान कृष्ण, कर्ण को समझाने गए थे, उससे कई साल पहले कर्ण अपना कवच कुंडल दान कर चुके थे, दूसरी बात भगवान कृष्ण जानते थे कि कर्ण की मौत अर्जुन के हाथों लिखी है और तब होगी जब गुरु और ब्राह्मण का श्राप फलीभूत होगा, भगवान कृष्ण को कर्ण वध का सोचने की जरूरत भी नहीं थी क्योंकि कर्ण किसी भी तरह से धर्मयुद्ध में जीत नहीं सकता था, अपने कमाए श्रापों के कारण।
कर्ण का कवच कुंडल उसका इस जन्म से अर्जित नहीं था बल्कि पूर्व जन्म से अर्जित था। कर्ण के अलावा अन्य किसी को भी अपने पूर्वजन्म का अर्जित पुण्य, अस्त्र शस्त्र नहीं मिला इसलिए भगवान इंद्र ने न्याय करते हुए उसे कर्ण से ले लिया। अगर कृष्ण, कर्ण को हराना चाहते तो कर्ण के कवच कुंडल को बिना तोड़े ही उसके चारों हाथ पैर को काट कर मरने के लिए छोड़ देते, तब उस दंबोडव दानव को मिले वरदान की बात लागू हो ही नहीं सकती था।
कर्ण ने स्वयं दुर्योधन के पांडवो के साथ साथ किए हर छल, कपट, षड्यंत्र में भागीदारी की थी, अभिमन्यु वध में छल का साथ दिया तो उसे अपनी करनी का दंड तो मिलना ही था।
Bhai krisn to bagvan tha osa kon mar sakta tha oske samne to lakho karn a jai to fr v Sri krisn Ka kosh nhi vagd sakte tha
भगवान श्री कृष्ण कर्ण से अपनी तुलना किस प्रकार कर सकते हैं,वो जन्म से ही अद्भुत शक्तियों के साथ जन्म लिए थे, जबकि कर्ण को तो अपना आस्तित्व ही नहीं पता था, और यदि दुर्योधन से मिलने से पूर्व ही यदि कृष्ण कर्ण का मार्गदर्शन करते तो शायद कर्ण का जीवनचक्र कुछ और होता,औऱ न ही शायद महाभारत घोर नरसंहार होता, किन्तु श्री कृष्ण ने युद्ध से पूर्व उन्हें धर्म का उपदेश दिया,और यदि उस समय कर्ण दुर्योधन का साथ छोड़ देते तो विश्व में मित्रता और सहायता से मानव कूल का विश्वास खत्म हो जाता
कृष्णा भगवान थे मगर कारण एक मनुष्य और उन्हों ने अपने मेहनत से सब कुछ प्राप्त किया
Right
Right ✅
Everybody know what is good n what is wrong. Which way we choose that's the matter...
Galat, karn bhi adha bhagwan the. Suryadev ke ansh the.
You are doing great work...
Thank You Nakum :)
@@WatchGod Sir Mahabharat ke top 10 warrior ya top 10 character par video banao
श्री कृष्ण तो धर्म का दूसरा नाम है, इसलिए वे कभी गलत नहीं हो सकते.
धर्म पालन करनेवाला बेज्जती सहन कर ले, पर किसी अधर्मी का एहसान नहीं लेता. पर कर्ण ने यही गलती की और वो दुर्योधन का ऋणी हो गया और उसे अधर्म का पक्ष लेना पड़ा जिससे उसे हार का सामना करना पड़ा.
इसलिए कहते है थोड़ा दुख सहन कर लो पर कभी अधर्म का सहारा ना लो.
जय श्री कृष्ण.. 🙏
I love karna
We too :)
@@WatchGod #Likewise.
@@WatchGod Karn neech yoddha tha usi ne bheem ko jehar dene ka plan banaya,usi ne lakshagrah ka plan banaya, usi ne dhyut ka plan banaya. Usne yogyata dikhaye bina Indra se vasuvi Shakti parapt ki. Arjun ne karn ko bar bar jeevan de diya .
Wee too 🔱🔱🙏🏻🚩 Jai Shri radhey Karn 🙏🏻
@@piyushkumarghosh2059 bheem ko jehar duryodhan ne diya ,lakshagrah ka plan shakuni ka tha or dhut ka plan v shakuni ka tha , indra ne dhokhe se kavach kindal chine uska pachtave ke liye vasuvi shakti karn ko di or arjun ke rath ka paiyya niklne pr us pr prahar na krke jivan dan dene wala karn tha
My favorite krishan /karna❤❤
If karn came in support of pandavas, I am sure he did'nt get such respect as he gets now... Diehard fan of Karn
कर्ण में वो सब खूबियां थी, जिनकी बराबरी कोई भी पांडव या कृष्ण खुद भी नहीं कर सकते थे
Lol karan bo yuddha tha jo virat yuddh me arjun ke hatho ghayal hokar bhag gya tha
Ohh aa gye alp gyani krn ko krishn se bhi bda btane wale pr real m inhone mahabharat padha bhi nhi hoga suryaputr karn dekh kr dekh kr gyan dekho inka
अरे हरामखोर भगवान कृष्ण भी तो पैदा होते ही माता पिता से दूर रहें, उनको मारने के लिए सैकड़ों कोशिश हुई, चाहते तो कंस को मारने के बाद राजा बन जाते पर उन्होंने सदैव दुखी और कमजोरों का साठ दिया, सबको धर्म का मार्ग दिखाया और तुम हरामजादे टुच्चे से कर्ण को भगवान कृष्ण से महान बताते हो।
कृष्ण छोड कर
"Aye Krishna tumsa dushman sahi, bas mitra aapna KARNA hona chaiye"
Dil jit liya bhai tere comment ne
Kitna aacha mazak hai 😂😂
Dono hi apni jgh sahi h lekin har koi shri krishna to.nhi ho skta....😍😍😍😘😘jay shri krishna
कर्ण ने फैसला दिल से लिया था यदि कर्ण ने फैसला दिमाग से लिया होता तो अवश्य पांडवों की तरफ से युद्ध करते
क्योंकि दिल से लिया गया फैसला अधर्म की ओर अग्रसर करता है
जैसे आज इंसान को विकट परिस्थिति में कोई आकर बचा ले तो वह उसे ही भगवान मान कर उसकी पूजा करने लगता है क्योंकि उसने जो देखा उसी को सत्य मान बैठा लेकिन उसने बचाने वाले के पीछे अदृश्य भगवान के हाथों को नहीं देखा जिन हाथों ने उसे असल में बचाया
वही हाल वीर कर्ण का भी था जिसे दुर्योधन ने अपने स्वार्थ हेतु कर्ण की सहायता की और कर्ण ने उसे ही सच मान लिया जो कि गलत था
Dil ka fesla atma or dharm hota hai OR demaak ka fesla kebal maan ka hota hai app ne sehi kaha paristhiti jitna bhi kathin kyon na ho hame dharm ka saath nehin chhod na chahia kyonki paristhiti bhagwan de Kar hamare parikshya lete hai
Help to help hota ha
यदि श्री कृष्ण को हर कोई समझ पाता तो आज संसार main अधर्म नहीं होता। यदि भगवान् श्री राम को भी कोई समझ लेता तो महाभारत नहीं होता। जय श्री कृष्ण 🙏🏼🕉️🙏🏼🕉️🙏🏼
Woh mare jaan ❤ amazing👍
यह वॉच गॉड पर मेरे द्वारा देखे गए सबसे अच्छे वीडियो में से एक है। आपको यकीन नहीं होगा मैं इस वीडियो को हफ्ते में दो बार देख रहा हूं। श्री कृष्ण एक अद्भुत व्यक्तिमत्व है, और आज भी हम लोग उनसे बहुत सारी बातें सिखाते है | आपने जीवन को कैसे जीना चाहिए यह श्रीकृष्ण बहुत ही अच्छी तरह से अपनी लीलाओंसे समझते है| यह एक तुलना नहीं है पर श्रीकृष्ण और श्रीराम एक दो विलक्षण प्रतिमाये है, बहुत बार श्रीकृष्ण की बात आपने जीवन मै follow करनेकी कोशिश करता हु | इस विडिओ मई जो बात कही है, के अपना जीवन बहुत सारी दुःख और आनंदसे भरा है, वो हम लोग कैसे जीते है उसीसे हमारी गणना (evaluation) हो सकता है | जय श्रीकृष्ण, जय श्रीराम |
धन्यवाद चिन्मय जी । वाकई श्री कृष्ण जैसा व्यक्तित्व विलक्षण है । हर समय संयम में रहकर अपना संतुलन खोए बिना इतनी व्यापकता में बात करना हर इंसान को सीखना चाहिए ।
जीवन की गहराई और धर्म का एकदम सही अर्थ श्री कृष्ण बड़ी सुंदरता से समझाते हैं ।
@@WatchGodमैं आपसे request करता हूं, इस प्रकार के Vedios बनाएं।
Agr dkhe To Krishna or Karn Ki Janm katha same hi hai.
Jai Radhe krishna🙏
Jai Radhe karna🙏
Hi. Kaiseho
Kaiseho bhai. Ham mile huahana
Reply do.
MasT Bahi Ek dum
Radha kaun thi?
Dwarka main radha kyu nahi?
12 yrs main gokul chhod ke mathura aa gaye to kya 5saal,7 saal ya 10 saal ke bache ka sath khelna prem leela hai?
Krishn ji ki ek hi patni thi, mata Rukmani. Baki sab baad main add kiya gaya hai. Vyas rachit mahabharat dekh lo.
Iscon aur geeta press ki mahabharat main bahut milawat hai
6:06 to 6:46 is the Gem words from Lord krishna, Its apply on the Today's generation also who adopt evil path when life is only just unfare a bit to them
Excellent heartoching msg guruji.jai Shri Krishna
गुरुजी महाभारत काल के 10 सबसे शक्तिशाली योद्धा के बारे में एक वीडियो बना दीजिए प्लीज
Mostly main character mahayidha hai
अब आने वाली पीढ़ियां श्री राम को नहीं रावण को पूजेगी , श्री कृष्ण को नहीं कर्ण, दुर्योधन को पूजेगी । Thanks to all new tv serials!
मित्रता का मोल चुकाना ही सबसे बड़ा धर्म होता है , कर्ण ने सही किया
मर गया पर धर्म का मार्ग नही छोड़ा
😂😂😂 ghandharv yudh me bhaga vo kon tha
Ye Mitra vali baat galay
Only 👆🏻DANVEER KARN
Baat use vachan ki thi jo bhari yudh sabha Mai diya tha mitrtha kai liyeh usnai adharm Kiya magar pandavo ko jeevan dekr dharm kiya kuch log vardaan ko yaad raktey hai per aisa pehli barr hua hai jab sharaab ko yaad rakhenge
pandit hokar bhi karan jisne majboori mein adharm ka saath diya ko sahi bologe krishna bhagwan jo kare wahi satya hota hain jinke iccha matra se ananat bramhand anant bramha vishnu mahesh durga ganesh etc chalte hain wo antim supreme power kabhi galat nahi hosakte
Karna no 1 ha
हम आपके चैनल पर आते हैं ताकि हमें वास्तविक और सत्य घटना का पता चल सके। आपने तो सोनी टीवी के एपिसोड को बता दिया जो की पूर्णता मिथ्या है।
Shree Krishna is such a great person . I like his opinion.
he is not a person he is the God of all the gods he is the first and last Supreme power
महाभारत में सिर्फ 2 लोग पूज्यनीय है। कर्ण और कृष्ण
और विदुर जी भी
Baki sab kha gye fir, Mahabharat m to Hanuman ji bhi the,socho smjo or fir bolo
महाभारत मे दो ही लोग पूज्यनी है नर और नारायण
Kya baat hai sir bilkul sahi baat
Haa re bewakoof ,tum rakshas ko hi poojo, bhagwan se nafrat ha na ,ye wahi karn ha jisne draupadi ko viashya bola tha ,aur bhi apsabd bole the ,ye pooj niye ho gaya
श्रीकृष्ण तर्क नही अपितु वो धर्म का प्रयोग करते है...
🙏 जय श्री कृष्ण 🙏
जब कर्ण को सारा समाज धिक्कार रहा था तभी दुर्योधन ने आगे बढकर मित्रता करके अंगदेश का राजा बनाया था कर्ण को ...भले ही उसमे दुर्योधन का छल रहा हो पर साथ तो दिया कर्ण का...
तो कर्ण क्यू ना दे दुर्योधन का साथ जब दुर्योधन अधर्म मैं भी क्यू ना हो
Karan ko Mein dusri Nahin manta hai Apna Dharm Sahi Dharm ko nibhaya jo uska Balidan bhi Dharmik anusar se Sahi Raha aur aur Sidhe Bhagwan ke pass bhi diya jo Sahi tha Lekin vah uska pad Ho Jaane ka ek hi Karan tha ki vah Adharm ko Sath Diya lekin Apna Dharm Sahi nibhaya Jab Pandav ka Vijay bhi Dharm Kabhi Jayegi Hi Hua
Kyuki Arjun ke virodh istemal karne ke liye
बेस्ट वीडियो best work. आपकी सारी वीडियो ज्ञानवर्धक होती है best .
आपकी भावना को नमन। बहुत धन्यवाद।
Amazing!
Thank you!
धर्म की परिभाषा हर किसी के लिए परिस्थिति अनुसार भिन्न होई है,
लगभग सभी धर्मी पुरुष कर्ण की वास्तविकता जानते थे, पर किसी ने इसके भेद नहीं खोले क्यूंकि महाभारत अनिवार्य था, ऑर बहुत सारे वरदान/शाप का निवारण था ,
इसलिए सभी वीरो का सम्मान करना ही हमारा धर्म है।
जय भोलेनाथ
जय श्री कृष्णा
Adharm mein bhi dharm tha jabtak Duryodhan k shivir mein Karn tha! That being said, Lord Krishna himself admitted that Karn fought from Duryodhan’s side for his friendship but knowingly didn’t kill Yudhistir and other Pandavas as well as Arjun sayin the sun set and he had to stop! He could have killed Arjun at that moment! By ultimately givin his life away, Karn actually helped Pandavas to win the battle in one way and also paid the debt of friendship to Duryodhan in another way!
जय श्री कृष्णा
कर्ण ने अपने प्राण देकर धर्म को बचाया है ।
परम मित्र के साथ कैसे छोड़ सकता था जबकि दुनिया उसे ठुकरा रही थी तब दुर्योधन ने उसका साथ दिया करण भी धर्म युद्ध कर रहा था भले ही क्यों अधर्म का युद्ध की ना हो
Duryodhana ke sath dene ka karan uska lalach tha bcz karan ik mahan yodha tha or usko agar vo frnd bnata to uska paksh strong hota,karan ka bhala krne ke vichar se usne duryodhana ne ye ni kiya, apne bhale ke liye esa kiyaaa,vo to galat hi h,mitrta m kabhi swarth ni hona chaiye lekin yahana to svarth tha duryodhan ka
Sometimes obligation makes one pay more than of their thoughts and truth.
Lord krishna always played game in safe hand. He knew to win a battle in all the ways.
Karana ki kahani sunkar ankho main ansu aa jate hain Karan ke sath har jagah chal our kapat kiya gaya sampoorna Mahabharat main mejko sanse accha karana lagte hain
Shree Krishna can never be wrong. He approached Karna when he (Karna) had no choice than to support Duryodhana.
Great and deep research, aapne jo bataya voh sab sach he.
Thank you for your kind words 🙏
I am Muslim,,, lakin karon ko bohot like kortahu,,,,,Muslim ka shath karon ka behavior mil gia
Lord krishna was great, there is no question of comparing between krishna and karna, bcoz krishna is uncomparable 🙂🙏
Suryaputra, kuntinandan,radhe , digvijay, mriturnjay digvijay mriturnjay Vijay dhunshdari Karn greatest warrior all time
महाभारत भले ही pando ने जीता पर सबका दिल राधे कर्ण ने जीता 😏जय राधे कर्ण की🙏
कर्ण 👌👌👌
कर्ण ने अपने शरीर और आत्मा का दान या त्याग करके इस महा युद्ध में धर्म का ही साथ दिया था,
I love karn
Serial ne khatam kiya hai tumhare bibek ko
Same bro
मे यदुवंशी हू
राधे कर्ण सही थे
जय यादव
जय माधव
यादव हो आप तो अच्छी बात है लेकिन आप ये यहा क्यु कह रहे हो
Karan Yadav Nahi kshtriy jul ke the
Main bhi aapse sehmat hoon.
Kurshna
@@Asgame43 Google it .
वैसे जाती जाती रट ते जिनकी पूंजी केवल पाशंड में क्या जानू जाती , जाती है ये मेरे भूज दंड - कर्ण
Please sir aap Mahabharata ki gayn ko ek video main detail main explain karey sir please 🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔
Best motivation love you krishna
कभी किसी के एहसान तले इतना न दब जाओ की इतना सामर्थ्यवान होते हुए भी कर्ण जैसा अंत हो।
Radhe karan
महाभारत में कर्ण के कैरेक्टर को देख के मेरी आँखों मे आँसू आ जाते थे
कर्ण ने एक बात कही थी श्री कृष्ण भगवान से की इस समाज को इतनी हानि अधर्मियों से नही है जितनी धर्म जानने वालों की निष्क्रियता से है
जय श्री कृष्ण
राधे राधे
BHAGWAN SHRI KRISHNA TO PARMESHEWAR HAI AUR WO KABHI GALAT NAHI HO SAKTE AUR NA HI HAI PARANTU MAHARATHI KARN BHI APNI JAGAH SAHI THE AUR UNHONE APNI AAKHRI SHWAS TK DHARM KA PALAN KIYA AUR SWARG MEIN UNHE SABSE UNCHA STHAN PRAPT HUA
वासूदेव का सही बात है कठिनाई अपमान चूनौती इस बात कि ईजाजत नही देती के आप अधर्म का मार्ग अपनाये ..नाम तो मेरा भी करन है पर मै अर्जून को स्पोर्ट करूंगा
Suryaputra karn vachno ka shooken tha!🙏
Or unke liye vachan mtlb sarvopari!❤️