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VIRESHWAR UPADHYAY LIVE
Добавлен 24 дек 2019
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अंग्रेजी नव वर्ष ।।समय लाभ सम लाभ नहीं, समय चूक सम चूक। चतुरन चित रहिमन लगी, समय चूक की हूक ॥
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गुरु पूर्णिमा पर्व 21 जुलाई 2024 विशेष संदेश।।
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जब भी भक्त विकल होकर पुकारते है,तब तब भगवान अवतार लेते है।।
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पिता की व्यवस्था और मां की व्यवस्था और न्याय में अंतर होता है।
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बेटा ये वो मेडल नही है जो किसी के भी सीने पे लगा दिया जाय - युगऋषि।।
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Indian Cast System and its beauty भारतीय वर्णाश्रम व्यवस्था।।
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दुर्लभ मनुष्य जीवन का सदुपयोग कैसे करें??#life
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परिवार के लोगों को जिम्मेदार बनाते चले,और दिव्यता से जुड़े रहे।। (ऋषि-सूत्र) ।।
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लक्ष्य और सांसारिकता में समन्वय कैसे स्थापित करे।।
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किसी चीज की अति को कैसे ठीक करे।।
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भारत की वर्णाआश्रम व्यवस्था एक वैज्ञानिक पद्धति
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Rapid fire Round with Yug Manishi Vireshwar Upadhyay ji (Part -4)
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Rapid Fire Round with Shri Vireshwar Upadhyay Ji - Round 3
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Rapid fire Round with Yug Manishi Vireshwar Upadhyay (Part -2)
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RAPID FIRE ROUND WITH YUGMANISHI VIRESHWAR UPADHYAY,SHANTIKUNJ, HARIDWAR (PART -1)
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श्रीराम जन्मभूमि और राम मन्दिर विशेष संदेश।।
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ईश्वरीय चेतना के संरक्षण में होना अपने आप में एक मुक्ति है।।
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जिसका उचित हक है उसे दिला दूंगा - भगवान कृष्ण ।।
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क्यो हिन्दू के प्राण के घातक बन रहे हो सत्य तो यह है कि आज एकता की जरूरत है अनेक संगठनो की नही
🙏🌺🌺🙏❤️🙏🙏
राधे राधे
Hme tow tumhari voice hi killet lag rhi hai
Pranambhaisahab
Paranam bhaisahab
Babuji ko shat shat naman bahut dino bad apka darshan hua 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
🎉 Pranam 🎉 Pranaam 🎉
4 rishiyo ne kiya ...shukar ne bhi
शांतिकुंज अर्थात योग भ्रष्ट योग चुराने वालों का समूह जो हत्यारे भी हैं, खून पीने वाले पिशाच और योग चुराने वाले घटिया लोग, बहुत सालों से शांतिकुंज की हरामियत और हानि सहन कर रहा क्योंकि मेरे अंदर अभी भी गुरु पद का सम्मान है लेकिन शांतिकुंज तो जय गुरुदेव चिल्लाने वाले भ्रष्ट और गुरु द्रोही हैं, बेईमान, चोर, भिकारी, और घटिया लोगों का समूह जिनके बारे मे अनेक विदेशी प्रबुद्ध लेखकों ने पहले ही लिख दिया, की आवाज बदलने वाले योग भ्रष्ट, और शिव के पातकी लोग हैं, और मैं तो भुगत भोगी हूं, मैं तो अच्छे से जानता हूं, शांतिकुंज अपने यहां आए लोगों के मन की आवाज बदल देता है, योग चुराने के लिए, मुझे नाम दिया गया था ज्ञान का तप, जिसके नाम से मेरे ऊपर कुयोग चढ़ाए गए और मन की आवाज गायब की गई, अभी भी कोई भ्रष्ट शांतिकुंज वासी मेरा पूरा योग चुराया हुआ, और चुरा रहा,और देखना बिना शिव की शांतिकुंज की गायत्री, उसके योगियों से लगातार कितना अपराध करवा रही, इसका मतलब स्पष्ट है, कि शांतिकुंज का गुरु कितना गिरा हुआ मनुष्य होगा, लेकिन भारतीय जनता, जो कभी श्रीराम शर्मा से मिले भी नही होंगे, जय गुरुदेव चिल्लाते होंगे, योग चोरी कर नर मेघ कह दुनिया को छलते होंगे, और ऋषि परंपरा के नाम से नाजयज औलादें पैदा करते होंगे, रूप बदलने की सिद्धि श्रीराम शर्मा कहीं से जान लिया होगा,, और प्रलाप करने लगा की हिमालय में सूक्ष्म शरीरधारी ऋषियों ने उसे ऋषि परंपरा के नाम से नाजायज औलादें पैदा करने का कहा,,,, असली बात तो ये है की श्रीराम शर्मा किन झुग्गी झोपड़ी के टपोरियों के फेर में ऐसा कहने लगा होगा, या उसके स्वयं के दिमाग की उपज थी ऐसा अधर्म को धर्म का चोला पहनाने की,,,,,,,, गैर जिम्मेदारी यहीं दिख जाएगी शांतिकुंज वासियों की, क्योंकि गुरु द्रोही, शिव के पातकी हैं, जनता को छलने के लिए जय गुरुदेव चिल्लाते हुए, हरामखोर।
शांतिकुंज अर्थात योग भ्रष्ट योग चुराने वालों का समूह जो हत्यारे भी हैं, खून पीने वाले पिशाच और योग चुराने वाले घटिया लोग, बहुत सालों से शांतिकुंज की हरामियत और हानि सहन कर रहा क्योंकि मेरे अंदर अभी भी गुरु पद का सम्मान है लेकिन शांतिकुंज तो जय गुरुदेव चिल्लाने वाले भ्रष्ट और गुरु द्रोही हैं, बेईमान, चोर, भिकारी, और घटिया लोगों का समूह जिनके बारे मे अनेक विदेशी प्रबुद्ध लेखकों ने पहले ही लिख दिया, की आवाज बदलने वाले योग भ्रष्ट, और शिव के पातकी लोग हैं, और मैं तो भुगत भोगी हूं, मैं तो अच्छे से जानता हूं, शांतिकुंज अपने यहां आए लोगों के मन की आवाज बदल देता है, योग चुराने के लिए, मुझे नाम दिया गया था ज्ञान का तप, जिसके नाम से मेरे ऊपर कुयोग चढ़ाए गए और मन की आवाज गायब की गई, अभी भी कोई भ्रष्ट शांतिकुंज वासी मेरा पूरा योग चुराया हुआ, और चुरा रहा,और देखना बिना शिव की शांतिकुंज की गायत्री, उसके योगियों से लगातार कितना अपराध करवा रही, इसका मतलब स्पष्ट है, कि शांतिकुंज का गुरु कितना गिरा हुआ मनुष्य होगा, लेकिन भारतीय जनता, जो कभी श्रीराम शर्मा से मिले भी नही होंगे, जय गुरुदेव चिल्लाते होंगे, योग चोरी कर नर मेघ कह दुनिया को छलते होंगे, और ऋषि परंपरा के नाम से नाजयज औलादें पैदा करते होंगे, रूप बदलने की सिद्धि श्रीराम शर्मा कहीं से जान लिया होगा,, और प्रलाप करने लगा की हिमालय में सूक्ष्म शरीरधारी ऋषियों ने उसे ऋषि परंपरा के नाम से नाजायज औलादें पैदा करने का कहा,,,, असली बात तो ये है की श्रीराम शर्मा किन झुग्गी झोपड़ी के टपोरियों के फेर में ऐसा कहने लगा होगा, या उसके स्वयं के दिमाग की उपज थी ऐसा अधर्म को धर्म का चोला पहनाने की,,,,,,,, गैर जिम्मेदारी यहीं दिख जाएगी शांतिकुंज वासियों की, क्योंकि गुरु द्रोही, शिव के पातकी हैं, जनता को छलने के लिए जय गुरुदेव चिल्लाते हुए, हरामखोर।
शांतिकुंज अर्थात योग भ्रष्ट योग चुराने वालों का समूह जो हत्यारे भी हैं, खून पीने वाले पिशाच और योग चुराने वाले घटिया लोग, बहुत सालों से शांतिकुंज की हरामियत और हानि सहन कर रहा क्योंकि मेरे अंदर अभी भी गुरु पद का सम्मान है लेकिन शांतिकुंज तो जय गुरुदेव चिल्लाने वाले भ्रष्ट और गुरु द्रोही हैं, बेईमान, चोर, भिकारी, और घटिया लोगों का समूह जिनके बारे मे अनेक विदेशी प्रबुद्ध लेखकों ने पहले ही लिख दिया, की आवाज बदलने वाले योग भ्रष्ट, और शिव के पातकी लोग हैं, और मैं तो भुगत भोगी हूं, मैं तो अच्छे से जानता हूं, शांतिकुंज अपने यहां आए लोगों के मन की आवाज बदल देता है, योग चुराने के लिए, मुझे नाम दिया गया था ज्ञान का तप, जिसके नाम से मेरे ऊपर कुयोग चढ़ाए गए और मन की आवाज गायब की गई, अभी भी कोई भ्रष्ट शांतिकुंज वासी मेरा पूरा योग चुराया हुआ, और चुरा रहा,और देखना बिना शिव की शांतिकुंज की गायत्री, उसके योगियों से लगातार कितना अपराध करवा रही, इसका मतलब स्पष्ट है, कि शांतिकुंज का गुरु कितना गिरा हुआ मनुष्य होगा, लेकिन भारतीय जनता, जो कभी श्रीराम शर्मा से मिले भी नही होंगे, जय गुरुदेव चिल्लाते होंगे, योग चोरी कर नर मेघ कह दुनिया को छलते होंगे, और ऋषि परंपरा के नाम से नाजयज औलादें पैदा करते होंगे, रूप बदलने की सिद्धि श्रीराम शर्मा कहीं से जान लिया होगा,, और प्रलाप करने लगा की हिमालय में सूक्ष्म शरीरधारी ऋषियों ने उसे ऋषि परंपरा के नाम से नाजायज औलादें पैदा करने का कहा,,,, असली बात तो ये है की श्रीराम शर्मा किन झुग्गी झोपड़ी के टपोरियों के फेर में ऐसा कहने लगा होगा, या उसके स्वयं के दिमाग की उपज थी ऐसा अधर्म को धर्म का चोला पहनाने की,,,,,,,, गैर जिम्मेदारी यहीं दिख जाएगी शांतिकुंज वासियों की, क्योंकि गुरु द्रोही, शिव के पातकी हैं, जनता को छलने के लिए जय गुरुदेव चिल्लाते हुए, हरामखोर।
शांतिकुंज अर्थात योग भ्रष्ट योग चुराने वालों का समूह जो हत्यारे भी हैं, खून पीने वाले पिशाच और योग चुराने वाले घटिया लोग, बहुत सालों से शांतिकुंज की हरामियत और हानि सहन कर रहा क्योंकि मेरे अंदर अभी भी गुरु पद का सम्मान है लेकिन शांतिकुंज तो जय गुरुदेव चिल्लाने वाले भ्रष्ट और गुरु द्रोही हैं, बेईमान, चोर, भिकारी, और घटिया लोगों का समूह जिनके बारे मे अनेक विदेशी प्रबुद्ध लेखकों ने पहले ही लिख दिया, की आवाज बदलने वाले योग भ्रष्ट, और शिव के पातकी लोग हैं, और मैं तो भुगत भोगी हूं, मैं तो अच्छे से जानता हूं, शांतिकुंज अपने यहां आए लोगों के मन की आवाज बदल देता है, योग चुराने के लिए, मुझे नाम दिया गया था ज्ञान का तप, जिसके नाम से मेरे ऊपर कुयोग चढ़ाए गए और मन की आवाज गायब की गई, अभी भी कोई भ्रष्ट शांतिकुंज वासी मेरा पूरा योग चुराया हुआ, और चुरा रहा,और देखना बिना शिव की शांतिकुंज की गायत्री, उसके योगियों से लगातार कितना अपराध करवा रही, इसका मतलब स्पष्ट है, कि शांतिकुंज का गुरु कितना गिरा हुआ मनुष्य होगा, लेकिन भारतीय जनता, जो कभी श्रीराम शर्मा से मिले भी नही होंगे, जय गुरुदेव चिल्लाते होंगे, योग चोरी कर नर मेघ कह दुनिया को छलते होंगे, और ऋषि परंपरा के नाम से नाजयज औलादें पैदा करते होंगे, रूप बदलने की सिद्धि श्रीराम शर्मा कहीं से जान लिया होगा,, और प्रलाप करने लगा की हिमालय में सूक्ष्म शरीरधारी ऋषियों ने उसे ऋषि परंपरा के नाम से नाजायज औलादें पैदा करने का कहा,,,, असली बात तो ये है की श्रीराम शर्मा किन झुग्गी झोपड़ी के टपोरियों के फेर में ऐसा कहने लगा होगा, या उसके स्वयं के दिमाग की उपज थी ऐसा अधर्म को धर्म का चोला पहनाने की,,,,,,,, गैर जिम्मेदारी यहीं दिख जाएगी शांतिकुंज वासियों की, क्योंकि गुरु द्रोही, शिव के पातकी हैं, जनता को छलने के लिए जय गुरुदेव चिल्लाते हुए, हरामखोर।
रामराज्यवासी त्वम्, प्रोच्छ्रयस्व ते शिरम्, न्यायार्थ युद्धस्व, सर्वेषु सम चर, परिपालय दुर्बलम्, विद्धि धर्मं वरम्, प्रोच्छ्रयस्व ते शिरम्, रामराज्यवासी त्वम्. यानी तुम रामराज्य वासी, अपना मस्तक ऊंचा रखो, न्याय के लिए लड़ो, सबको समान मानो, कमज़ोर की रक्षा करो, धर्म को सबसे ऊंचा जानो अपना मस्तक ऊंचा रखो, तुम रामराज्य के वासी हो. देखते हैं की अभी की जनता और न्याय किन लोगों के साथ है, मुझे तो ज्ञान का तप कहकर, मन की आवाज बदल कर, श्रद्धा की परीक्षा कह कर, प्राण दीक्षा कह कर अनेक कुयोग चढ़ाए गए, उच्चाट किया गया, शरीर के अंग चुराए गए, ओर लगातार मेरे शरीर से योग चुराया गया, शांतिकुंज के भ्रष्ट योगियों द्वारा अपना कुयोग चढ़ा कर, मैं जान रहा था की ये गलत हो रहा इसलिए शांतिकुंज से निकाले जाने के बावजूद मैं हरिद्वार में गंगा किनारे ही रहता रहा, सप्तऋषि घाट, लेकिन फिर मेरे शरीर का पूरा खून पी कर मुझे बीमार कर दिया गया, तब मुझे हरिद्वार छोड़ना पड़ा, अभी कोरोना के प्रकोप से पहले,,,, ऐसा धोखा मेरे साथ इसलिए किया गया, क्योंकि मैं शांतिकुंज द्वारा किए गए छल को जान रहा था की शांतिकुंज ऋषि परंपरा के नाम से शांतिकुंज में ठहरे हुई महिलाओं को धोखा दे शांतिकुंज के भ्रष्ट योगी रूप बदल कर उनसे यौन संबंध स्थापित करते हैं और अपनी नाजायज औलाद उनकी कोख में डाल देते हैं, कुछ नाजायज संतान जो शांतिकुंज के बड़े योगियों की थीं, उनको जानता था,,,, सिर्फ जानता हूं इस वजह से शांतिकुंज अपने कुकर्मों को कुकर्मों से छुपाने के प्रयास में लगा है, और मुझे और मेरे पूरे परिवार के ऊपर अभी भी कुयोग चढ़ाने उनका कोई भ्रष्ट योगी अभी भी लगा है,,,, गैर जिम्मेदारी यहीं दिख जाएगी क्योंकि अधर्मियों का संगठन है,,,,,
रामराज्यवासी त्वम्, प्रोच्छ्रयस्व ते शिरम्, न्यायार्थ युद्धस्व, सर्वेषु सम चर, परिपालय दुर्बलम्, विद्धि धर्मं वरम्, प्रोच्छ्रयस्व ते शिरम्, रामराज्यवासी त्वम्. यानी तुम रामराज्य वासी, अपना मस्तक ऊंचा रखो, न्याय के लिए लड़ो, सबको समान मानो, कमज़ोर की रक्षा करो, धर्म को सबसे ऊंचा जानो अपना मस्तक ऊंचा रखो, तुम रामराज्य के वासी हो. देखते हैं की अभी की जनता और न्याय किन लोगों के साथ है, मुझे तो ज्ञान का तप कहकर, मन की आवाज बदल कर, श्रद्धा की परीक्षा कह कर, प्राण दीक्षा कह कर अनेक कुयोग चढ़ाए गए, उच्चाट किया गया, शरीर के अंग चुराए गए, ओर लगातार मेरे शरीर से योग चुराया गया, शांतिकुंज के भ्रष्ट योगियों द्वारा अपना कुयोग चढ़ा कर, मैं जान रहा था की ये गलत हो रहा इसलिए शांतिकुंज से निकाले जाने के बावजूद मैं हरिद्वार में गंगा किनारे ही रहता रहा, सप्तऋषि घाट, लेकिन फिर मेरे शरीर का पूरा खून पी कर मुझे बीमार कर दिया गया, तब मुझे हरिद्वार छोड़ना पड़ा, अभी कोरोना के प्रकोप से पहले,,,, ऐसा धोखा मेरे साथ इसलिए किया गया, क्योंकि मैं शांतिकुंज द्वारा किए गए छल को जान रहा था की शांतिकुंज ऋषि परंपरा के नाम से शांतिकुंज में ठहरे हुई महिलाओं को धोखा दे शांतिकुंज के भ्रष्ट योगी रूप बदल कर उनसे यौन संबंध स्थापित करते हैं और अपनी नाजायज औलाद उनकी कोख में डाल देते हैं, कुछ नाजायज संतान जो शांतिकुंज के बड़े योगियों की थीं, उनको जानता था,,,, सिर्फ जानता हूं इस वजह से शांतिकुंज अपने कुकर्मों को कुकर्मों से छुपाने के प्रयास में लगा है, और मुझे और मेरे पूरे परिवार के ऊपर अभी भी कुयोग चढ़ाने उनका कोई भ्रष्ट योगी अभी भी लगा है,,,, गैर जिम्मेदारी यहीं दिख जाएगी क्योंकि अधर्मियों का संगठन है,,,,,
शांतिकुंज अर्थात योग भ्रष्ट योग चुराने वालों का समूह जो हत्यारे भी हैं, खून पीने वाले पिशाच और योग चुराने वाले घटिया लोग, बहुत सालों से शांतिकुंज की हरामियत और हानि सहन कर रहा क्योंकि मेरे अंदर अभी भी गुरु पद का सम्मान है लेकिन शांतिकुंज तो जय गुरुदेव चिल्लाने वाले भ्रष्ट और गुरु द्रोही हैं, बेईमान, चोर, भिकारी, और घटिया लोगों का समूह जिनके बारे मे अनेक विदेशी प्रबुद्ध लेखकों ने पहले ही लिख दिया, की आवाज बदलने वाले योग भ्रष्ट, और शिव के पातकी लोग हैं, और मैं तो भुगत भोगी हूं, मैं तो अच्छे से जानता हूं, शांतिकुंज अपने यहां आए लोगों के मन की आवाज बदल देता है, योग चुराने के लिए, मुझे नाम दिया गया था ज्ञान का तप, जिसके नाम से मेरे ऊपर कुयोग चढ़ाए गए और मन की आवाज गायब की गई, अभी भी कोई भ्रष्ट शांतिकुंज वासी मेरा पूरा योग चुराया हुआ, और चुरा रहा,और देखना बिना शिव की शांतिकुंज की गायत्री, उसके योगियों से लगातार कितना अपराध करवा रही, इसका मतलब स्पष्ट है, कि शांतिकुंज का गुरु कितना गिरा हुआ मनुष्य होगा, लेकिन भारतीय जनता, जो कभी श्रीराम शर्मा से मिले भी नही होंगे, जय गुरुदेव चिल्लाते होंगे, योग चोरी कर नर मेघ कह दुनिया को छलते होंगे, और ऋषि परंपरा के नाम से नाजयज औलादें पैदा करते होंगे, रूप बदलने की सिद्धि श्रीराम शर्मा कहीं से जान लिया होगा,, और प्रलाप करने लगा की हिमालय में सूक्ष्म शरीरधारी ऋषियों ने उसे ऋषि परंपरा के नाम से नाजायज औलादें पैदा करने का कहा,,,, असली बात तो ये है की श्रीराम शर्मा किन झुग्गी झोपड़ी के टपोरियों के फेर में ऐसा कहने लगा होगा, या उसके स्वयं के दिमाग की उपज थी ऐसा अधर्म को धर्म का चोला पहनाने की,,,,,,,, गैर जिम्मेदारी यहीं दिख जाएगी शांतिकुंज वासियों की, क्योंकि गुरु द्रोही, शिव के पातकी हैं, जनता को छलने के लिए जय गुरुदेव चिल्लाते हुए, हरामखोर।
शांतिकुंज अर्थात योग भ्रष्ट योग चुराने वालों का समूह जो हत्यारे भी हैं, खून पीने वाले पिशाच और योग चुराने वाले घटिया लोग, बहुत सालों से शांतिकुंज की हरामियत और हानि सहन कर रहा क्योंकि मेरे अंदर अभी भी गुरु पद का सम्मान है लेकिन शांतिकुंज तो जय गुरुदेव चिल्लाने वाले भ्रष्ट और गुरु द्रोही हैं, बेईमान, चोर, भिकारी, और घटिया लोगों का समूह जिनके बारे मे अनेक विदेशी प्रबुद्ध लेखकों ने पहले ही लिख दिया, की आवाज बदलने वाले योग भ्रष्ट, और शिव के पातकी लोग हैं, और मैं तो भुगत भोगी हूं, मैं तो अच्छे से जानता हूं, शांतिकुंज अपने यहां आए लोगों के मन की आवाज बदल देता है, योग चुराने के लिए, मुझे नाम दिया गया था ज्ञान का तप, जिसके नाम से मेरे ऊपर कुयोग चढ़ाए गए और मन की आवाज गायब की गई, अभी भी कोई भ्रष्ट शांतिकुंज वासी मेरा पूरा योग चुराया हुआ, और चुरा रहा,और देखना बिना शिव की शांतिकुंज की गायत्री, उसके योगियों से लगातार कितना अपराध करवा रही, इसका मतलब स्पष्ट है, कि शांतिकुंज का गुरु कितना गिरा हुआ मनुष्य होगा, लेकिन भारतीय जनता, जो कभी श्रीराम शर्मा से मिले भी नही होंगे, जय गुरुदेव चिल्लाते होंगे, योग चोरी कर नर मेघ कह दुनिया को छलते होंगे, और ऋषि परंपरा के नाम से नाजयज औलादें पैदा करते होंगे, रूप बदलने की सिद्धि श्रीराम शर्मा कहीं से जान लिया होगा,, और प्रलाप करने लगा की हिमालय में सूक्ष्म शरीरधारी ऋषियों ने उसे ऋषि परंपरा के नाम से नाजायज औलादें पैदा करने का कहा,,,, असली बात तो ये है की श्रीराम शर्मा किन झुग्गी झोपड़ी के टपोरियों के फेर में ऐसा कहने लगा होगा, या उसके स्वयं के दिमाग की उपज थी ऐसा अधर्म को धर्म का चोला पहनाने की,,,,,,,, गैर जिम्मेदारी यहीं दिख जाएगी शांतिकुंज वासियों की, क्योंकि गुरु द्रोही, शिव के पातकी हैं, जनता को छलने के लिए जय गुरुदेव चिल्लाते हुए, हरामखोर।
श्रद्धेय वीरेश्वर उपाध्याय जी के श्रीचरणों में सादर अभिवादन
अखंड ज्योति परीवार
गायत्री माता की जय 👏
Jaigurudevjaimahakal
हम इतने समझदार हैं इतने ज्ञानी है कि भगवान से हम कहेंगे कि हमारे लिए यह जरूरी है यह तुम मुझे दो वह अंतर्यामी नहीं है उसको पता ही नहीं है क्या हमारे लिए क्या सही है बड़े कमाल की बात है हम इतने इतने समझदार हो कैसे गए जो हम भगवान को बता रहे हैं भगवानसे कह रहे क्या हम समझदार हैं मूर्ख हैं हम वास्तव में है क्या उसे महान सत्ता को अंतर्यामी को हम बता रहे हैं कि हमारे लिए क्या सही है और वैसे हम कहते हैं कि ईश्वर की करता धर्ता है ईश्वर के जिगर पत्ता भी नहीं था
जो व्यक्ति या नारी अन्याय के विरुद्ध लड़ाई में जानकारी वह अमर हो गई सफलता असफलता भौतिक की बात है अन्याय के विरुद्ध सारण झुकना यही आत्म बल का काम है
अच्छे काम को करने के लिए अच्छी समझ पहले जागृत करना एक अनपढ़ आदमी जब कोई अच्छा काम करता है और एक पढ़ा लिखा व्यक्ति जब अच्छा काम करता है तो दोनों के कर्म में अच्छा तो है पर वही कम पढ़ा लिखा व्यक्ति पूरे समाज पूरे देश के लिए अच्छा काम कर सकता है वही एक अनपढ़ आदमी सिर्फ वही अच्छा काम एक व्यक्ति के लिए कर सकता है एक पढ़ा लिखा व्यक्ति उसे काम की गुणवत्ता को जान के उसका आगा पीछा देखकर के यह मनुष्य के कितने काम आ सकता है सब कुछ जान करके अच्छा कामकरेगा एक अनपढ़ व्यक्ति काम को कर देगा बस उसका क्या परिणाम होगा कैसा होगा कम है उसकी गुणवत्ता के बारे में नहीं जानता क्योंकि वह सीधा आदमी है तो पढ़ाई का मतलब मेरा आत्मज्ञान से है जितना व्यक्ति आत्मज्ञानी होगा उतना ही वह कम को करने की स्पष्ट ता से कम करेगा आत्मज्ञानी व्यक्ति निष्काम कर्म करेगा और अनपढ़ व्यक्ति स्वार्थ के रहित काम करेगा उसके कर्म करने में उसका स्वार्थ अहंकार बढ़ेगा कि मैं अच्छा आदमी हूं और मैंने यह काम किया तो लोग मिलावट हो गई ना कर्म में और जिस क्रम में मिलावट हो गई उसे कर्म के करने से आदमी कर्म बंधन से बन जाता है मुक्त नहीं हो पता और आदमी हर कर्म बंधन से मुक्त होना चाहता है तो वह मुक्त कैसे होगा निष्काम कर्म करने से
सर्वप्रथम आत्म कल्याण उसके उपरांत विश्व कल्याण जो व्यक्ति दूसरों का कल्याण करना चाहता है बिगर अपना कल्याण किए हुए तो वह दूसरों का कल्याण कर कैसे सकता है जब उसको पता ही नहीं की कल्याण किसको कहते हैं कल्याण और हिट किस में होता है यह जानने के लिए उसको आत्मज्ञानी बनना पड़ेगा आत्मज्ञानी जब वह साधना द्वारा बन जाएगा जान लेगा ईश्वर को फिर वह आत्म बल के द्वारा वह कार्य करेगा जो विश्व कल्याण में सहयोगीहोगा
अगर हम भगवान के अंश हैं तो भगवान को आने की जरूरत क्या है क्योंकि वह तो हम हैं ही अंदर से बस आत्मज्ञान के द्वारा उनको जानना बाकी है
भगवान हमारे भीतर से काम करते हैं या बाहर से आकर हमें सपोर्ट करेंगे
बिल्कुल साफ और बिल्कुल स्पष्ट बात बताइएअपने
जयगुरुदेव प्रणाम🙏
Hari Om guruji
gurudev Harday me se granthi ban jane pr kese sambhale plese bataye
हमने तो आपकी बाणी नहीं मिलती तो अच्छा नहीं लगता
Jaigurudev 🙏🙏
हमे राजमाग्र पर चलना चाहिये राजमाग्र माने हाईवे पे गाडी चलाना हमे सिफ्र सदगुरु को देखना हे ओर मिसन को आगे बडाना हे सुख ,दुख मे ऐक दुसरे का साथ देना हे , विनय
Sat sat Naman
🙏
❤
Jay gurudev,🙏🌹
How can i join Gayathri Parivar
Jaigurudev
Bilkul sahi baat
Thank you
Geeta kis vani me kahi gayi h
जयगुरुदेव 🙏🏻 प्रणाम बाबूजी 🙏🏻
Pranam,🙏
🙏🙏🙏🙏🙏
आत्मीय प्रणाम, नमन ..... बाबूजी 🙏🙏
जय गुरुदेव 🙏
जय गुरुदेव 🙏
जय गुरुदेव 🙏