हां सा मु मेवाड़ी हूं। स्वरचित कविता
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- Опубликовано: 25 ноя 2024
- मेवाड़ी हूं
हां सा मु मेवाड़ी हूं
ओर मेवाड़ म्हारी पिछाण।
हल्दी घाटी रो रण जटै व्यो
सेना रो रक्त जटै बहयो
जटै जन्म्या महाराणा प्रताप
जटै जन्म्य राणा कुम्भा
वटारो हूं
मेवाड़ी हूं
मेवाड़ म्हारी पिछाण
मु ऊंण धरती रो हूं
जटै रानिसा कर्मावती और पद्मिनी जौहर कियो
जटै मीराबाईसा री भक्ति ने जनम लियो
जटै पन्ना धाय रो तप त्याग हुयो
जटै हाड़ी रानी सीस चूंडावत ने सैनाणी दे दियो
जटै महाराणी जयवंता बाईसा प्रताप ने जनम दियो
जटै अस्यान मेवाड़ी छत्राणया होई
वटारो मुं मेवाड़ी हूं
मेवाड़ म्हारी पिछाण
जटारा महाराणा मेवाड़ी दीवान है
प्रभो एकलिंग नाथ जटारा महिपाल
कालभोज थे बड़े युद्धवान
इण मेवाड़ी चीते ने जीते ईरान अफगान
जटै चेतक घोड़ा रो अतरो बखान
जटै राणा पूंजा रो गुरिल्ला युद्ध रो सम्मान
जटै दानवीर भामाशाह रो अनुपम दान
हा सा मुं मेवाड़ी हूं
मेवाड़ म्हारी पिछाण
म्हारी पेली मेवाड़ी काविता
-अरविंद सिंह चुंडावत
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