शास्त्रसम्मत बात करना तो ठीक है पर कहीं न कहीं आज इस संसार के जीव को प्रयोगात्मक विधि की जरूरत है......साधना पक्ष का प्रयोग इन विचारों मे कहीं नही है.. इससे प्रतीत होता है कि यह मार्ग अधूरा है.....गुुप्त रहस्यों को अनुभव के माध्यम से संसार को चेताना ही गुरू का लक्ष्य हो सकता है मेरे विचार से.....पर इनके प्रवचनों में वो खिंचाव नही है..आत्मा को झकझोर कर देने वाले अनुभव ही हो सकते हैं जहां तक मेरा अनुभव है.....मेरी वाणी अनुचित हो तो आलोचक समझ कर मुझे छोड़ देना ही ठीक है पर सत्य यही है...
No judgement should be given just listening one pravachan. It's been 20 years to be with guruji nd I felt so close to devine. So it's needs a close understanding nd relationship to understand him nd than some judgements should be given... Jisko jo baat achi lage vo implement karen. I m sure some of his words touch yr soul so rather than implementing alll. Just Implement what u like nd leave those which u didn't like..... Jai Gurudev...
कृपया पूरा पढें सम्भवतः आप इनके द्वारा विरचित ग्रंथों के द्वारा इनकी गति नहीं जान पाए हैं। और एकान्तिक प्रवचन भी सुनने का अवसर नहीं मिला होगा। और श्रोता के अधिकार और परिस्थिति के अनुसार ही वक्ता कुछ कहते हैं यही परम्परागत गुरुओं का लक्षण है। जैसा कि शास्त्र और पूर्वाचार्यों (आदि शंकराचार्य) का भी वचन की फल की सिद्धि अधिकारी की ही होती है और ब्रह्म सूत्र आदि वेदांत सिद्धांत से यही ज्ञात होता है कि साधन चतष्टय संपन्न हो उसका ही ब्रह्म विद्या में अधिकार है। और परोक्ष रूप से भी जिज्ञासु को ही ज्ञान दिया जाता है अन्यथा सामन्य और विशेष धर्म तक सीमित करके छोड़ दिया जाता है। आकर्षक प्रवचन वक्ता-श्रोता सम्बंध तो बनाता है पर है परंतु हर स्तर के व्यक्ति को उसके मन को मोहित कर देने वाले और भविष्य में संशय में डालने वाली बात यदि आकर्षक भी हो तो नहीं कही जाती। (यही गुरु परम्परा से प्राप्त बात है और वेदादि शास्त्रों ने भी इसी का समर्थन किया है)। यदि आप मुमुक्षु हैं तो निःसंदेह आप इनसे पूछिये सब अद्भुत रहस्य और उत्तम ज्ञान और विशिष्ट ज्ञान आपको मिलेंगे। नारायण
Dhan 2 satguru sh. Sugriva nand ji maharaj ji k charan kmalon main koti 2 parnam. Jai sh. Lakshmi narayan bhagwan ji ki jai.🙏🙏🙏
Sh. Narayan bhgwan sh. Satguru sugriva nand ji maharaj ji ki jai. Akhand dhune ki jai.🙏🙏🙏🚩
Jai mere gurudev ji ki🙏🙏🙏🌹🌹🌹
जय हो महाराज जी
Jai Jai Guru Dev g Maharaj ko koti koti Parnam 🚩🙏🙏🙏🚩🌹🌾🌹🌾🌹💐🌺🌼🌼🍓🥭🍎🍊🍏🌹🌾💐🌺🌼🌼🌹🌹🌹🌷🌷🌷🌷🍓🍓☘️⚜️☘️💞🌻💐🌺🌼🌼🌹🌹🌹🌾🌾🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
Jai Guru dev ji Parnam aapke chrno me
Jay Sadguru Ji Maharaj
Jai Guru Dev G 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹💐💐💐💐💐💐💐💐💐
Jai guru dev
Jaigurudev Ji Maharaj Jay Radha Krishna Ji Maharaj
Jai guru Dev ji Om namah shivaya har har Mahadev
jai gurudev ji🙏
शास्त्रसम्मत बात करना तो ठीक है पर कहीं न कहीं आज इस संसार के जीव को प्रयोगात्मक विधि की जरूरत है......साधना पक्ष का प्रयोग इन विचारों मे कहीं नही है.. इससे प्रतीत होता है कि यह मार्ग अधूरा है.....गुुप्त रहस्यों को अनुभव के माध्यम से संसार को चेताना ही गुरू का लक्ष्य हो सकता है मेरे विचार से.....पर इनके प्रवचनों में वो खिंचाव नही है..आत्मा को झकझोर कर देने वाले अनुभव ही हो सकते हैं जहां तक मेरा अनुभव है.....मेरी वाणी अनुचित हो तो आलोचक समझ कर मुझे छोड़ देना ही ठीक है पर सत्य यही है...
No judgement should be given just listening one pravachan. It's been 20 years to be with guruji nd I felt so close to devine. So it's needs a close understanding nd relationship to understand him nd than some judgements should be given... Jisko jo baat achi lage vo implement karen. I m sure some of his words touch yr soul so rather than implementing alll. Just Implement what u like nd leave those which u didn't like..... Jai Gurudev...
कृपया पूरा पढें
सम्भवतः आप इनके द्वारा विरचित ग्रंथों के द्वारा इनकी गति नहीं जान पाए हैं। और एकान्तिक प्रवचन भी सुनने का अवसर नहीं मिला होगा।
और श्रोता के अधिकार और परिस्थिति के अनुसार ही वक्ता कुछ कहते हैं यही परम्परागत गुरुओं का लक्षण है। जैसा कि शास्त्र और पूर्वाचार्यों (आदि शंकराचार्य) का भी वचन की फल की सिद्धि अधिकारी की ही होती है और ब्रह्म सूत्र आदि वेदांत सिद्धांत से यही ज्ञात होता है कि साधन चतष्टय संपन्न हो उसका ही ब्रह्म विद्या में अधिकार है। और परोक्ष रूप से भी जिज्ञासु को ही ज्ञान दिया जाता है अन्यथा सामन्य और विशेष धर्म तक सीमित करके छोड़ दिया जाता है।
आकर्षक प्रवचन वक्ता-श्रोता सम्बंध तो बनाता है पर है परंतु हर स्तर के व्यक्ति को उसके मन को मोहित कर देने वाले और भविष्य में संशय में डालने वाली बात यदि आकर्षक भी हो तो नहीं कही जाती। (यही गुरु परम्परा से प्राप्त बात है और वेदादि शास्त्रों ने भी इसी का समर्थन किया है)। यदि आप मुमुक्षु हैं तो निःसंदेह आप इनसे पूछिये सब अद्भुत रहस्य और उत्तम ज्ञान और विशिष्ट ज्ञान आपको मिलेंगे।
नारायण
Jai gurudev ji ❤️🙏