kabir ke dohe | कालचक्र से सावधान | Kabir amritwani
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- Опубликовано: 13 сен 2024
- kabir ke dohe | कालचक्र से सावधान | Kabir amritwani
काल पाय जग ऊपजो, काल पाय सब जाय।
काल पाय सब बिनशि हैं, काल काल कहँ खाय।।
समय पाकर संसार के प्राणी-पदार्थ प्रवाह रूप उत्पन्न होते हैं और समय पाकर प्रवाह रूप सब मिटते भी रहते हैं। समय पाकर सब विनष्ट होंगे; क्योंकि किसी काल में बनी हुई वस्तु हो, काल खाता ही है।
काल से सावधान भाग-१
(कबीर के दोहे)
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काल से सावधान भाग-२
(कबीर के दोहे)
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काल से सावधान भाग-३
(कबीर के दोहे )
• kabir ke dohe | काल से...
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@SahiGYAANDisha
श्री सतगुरु कबीर आए नमः
सत है
बहुत बढ़िया साहिब बंदगी
Sat saheb ji
🙏🌹 Sa Prem saheb bandagi saheb 🌹🙏
🙏🙏
Jay Gurudev🙏🙏
वाह कबीर जी क्या आप ने बात कह दी किरदार सबको निभाना है चाहे पिता का हो चाहे माता को
Jai shree krishna...
सतनाम सत्साहिब जी
अति उतम
Saheb
साहेब
बंदगी
🙏🙏🙏 साहेब
👍👍👍
Very good assam
Sat sahib ji,,🙏🙏🙏❤️❤️❤️
वेद मे प्रमाण है कबीर साहेब भगवान है सतसाहेब
🙏🙏Sahib🌷🙏🌷 bandgi🌷🙏🌷 sahib🌷🙏🌷
Saheb bandagi saheb 🙏🙏🙏
कपा9
सतसाहेब जी कबीर इज गाड
Jay.Ramjee..he.mahanubhav.aap.bahut.bhagyvan.ho.jo.kabir.parmatma.ka.geyan.batate.ho.hum.aapka.hardik.suvagt.karte.hai
Thanks jee 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
🌷🙇🌷🙇🌷🙇🌷🙇कबिर साहेब बन्दी छाेड सन्त रामपाल महाराज कि जय हाे सत साहेब 🌷🙇🌷🙇🌷🙇🌷🙇🌷
🙏
Saprem Saheb bandagi saheb 🙏🙏🙏
Jaigurudev naam Prabhu ka pawan pyra naam jaigurudev 🙏🙏🙏🙏🙏
𝓙𝓪𝓲 𝓹𝓻𝓪𝓫𝓱𝓾 𝓳𝓲
Baht Accha sir
जीसको कबिर साहेब खुद जनवाये की मैं कौन हुं वो उनको जान बस वो खो हीं गया चुप हीं रह गया और वो हीं साहेब के बानी का सचा अर्थ बता सकता है और सही बता दिया तो मिर्च की आंधी आ जायेगी
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Kabir sahab ki pahle Arshad dohe Sameer FIR Rampal ko Bhagwan
Aur vedio bhejo
Sir muje Kabir ji ke done Ka book chahiye pls Konsa Sahi book ha muje batadijiye pls
रणधीर प्रकाशन की कबीरवाणी ले लीजिये। शब्द वर्तनी में थोड़ी-सी ग़लतियाँ हैं, किन्तु कबीर के समस्त दोहे लगभग संकलित हैं।
Kaha milega kon se site par hai
@@shrinivasbhandari3197 Sat Kabir App download kijiye
द्वापर युग में परमात्मा *कबीर जी (करुणामय)* द्वारा अपने शिष्य बाल्मिकी *भक्त सुपच सुदर्शन* के रूप में पांडवों की "राजसूय अश्वमेघ यज्ञ" को पूर्ण करना व शंख का बजाना ।
• *कबीर साखी ग्रंथ* (साधु को अंग , मान को अंग) 📌
कबीर, मान बड़ाई कूकरी , संतन खेदी जान ।
पांडव यज्ञ पावन भया , सुपच विराजै आन ।।
कबीर, कुलवंता कोटिक मिले , पंडित कोटि पचीस ।
सुपच भक्त की पनहि में , तुलै न काहू की शीश ।।
कबीर, जाकी धोति अधर तपै , ऐसे मिले असंख ।
सब रीषियन के देखतां , सुपच बजाया घंट ।।
कबीर, साहिब का बाना सही , संतन पहिरा जानि ।
पांडव जग पूरन भयो , पच विराजे आनि ।।
कबीर, साधु दरस को जाइये , जेता धरिये पांय ।
डग डग पै असमेध यज्ञ , कहें कबिर समुझाय ।।
• *संत गरीबदास जी वाणी* (अचला का अंग) 📌
गरीब, सुपच रूप धरि आईया , सतगुरु पुरुष कबीर ।
तीन लोक की मेदनी , सुर नर मुनिजन भीर ।।
गरीब, सुपच रूप धरि आईया , सब देवन का देव ।
कृष्ण चन्द्र पग धोईया , करी तास की सेव ।।
गरीब, पांचैं पंडौं संग हैं , छठ्ठे कृष्ण मुरार ।
चलिये हमरी यज्ञ में , समर्थ सिरजनहार ।।
गरीब, सहंस अठासी ऋषि जहां , देवा तेतीस कोटि ।
शंख न बाज्या तास तैं , रहे चरण में लोटि ।।
गरीब, पंडित द्वादश कोटि हैं , और चैरासी सिद्ध ।
शंख न बाज्या तास तैं , पिये मान का मध ।।
गरीब, पंडौं यज्ञ अश्वमेघ में , सतगुरु किया पियान ।
पांच पंडौं संग चलें , और छठा भगवान ।।
गरीब, बाज्या शंख सुभान गति , कण-२ भई अवाज ।
स्वर्ग लोक बानी सुनी , त्रिलोकी में गाज ।।
Iska Proof Hume...
कबीर बीजक (सखियों) ,
कबीर सागर (अनुराग सागर, द्वापरयुग वर्णन) ,
सतग्रंथ साहिब (संत गरीबदास कृत) ,
श्री भक्तमाल ग्रंथ (संत नाभा दास कृत) ,
में मिलता है ।
Sahib bangi satnam ji
I88u8 69❤xx😅😊