श्री बीतक साहेब चर्चा - दिवस 9 (श्री मिहिरराज जी एवं खेता भाई प्रसंग) | आचार्य अशोक जी -

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  • Опубликовано: 8 сен 2024
  • बीतक से शिक्षा-
    श्री बीतक साहेब चर्चा - दिवस 9 (श्री मिहिरराज जी एवं खेता भाई प्रसंग ) सद्गुरू महाराज का प्रणाम स्वीकार न करना
    (9 वर्षो की जुदाई)
    वक्ता - आचार्य अशोक जी - SPJIN
    जब अपने सद्गुरु महाराज के प्रणाम स्वीकार नहीं होते, तो मन में निराशा और उदासी होती है। यह ऐसा लगता है जैसे किसी प्रियजन ने अनदेखा कर दिया हो। उनके प्रति सम्मान और भक्ति की अभिव्यक्ति अधूरी रह जाती है, जिससे आत्मा में खालीपन और व्याकुलता महसूस होती है।
    -ChatGPT
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    यह पंचभौतिक शरीर हमेशा रहने वाला नहीं है।
    प्रियतम परब्रह्म को पाने के लिये यह सुनहरा अवसर है।
    अतः बिना समय गवाएं उस अक्षरातीत पाने के लिये प्रयास करना चाहिये।
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    आत्मिक दृष्टि से परमधाम, युगल स्वरुप तथा अपनी परआत्म को देखना ही चितवनि (ध्यान) है। चितवनि के बिना आत्म जागृति संभव नहीं है। संसार की अब तक की प्रचलित सभी ध्यान पद्धतियाँ निराकार-बेहद से आगे नहीं जाती हैं। तारतम ज्ञान के प्रकाश में मात्र निजानन्द योग ही परमधाम ले जा सकता है।
    प्रियतम अक्षरातीत की चितवनि में इतना आनन्द है कि उसके सामने संसार के सभी सुख मिलकर भी कहीं नहीं ठहरते। यही कारण है कि ध्यान का आनन्द पाने के लिये ही राजकुमार सिद्धार्थ, महावीर, भर्तृहरि आदि ने अपने राज-पाट को छोड़ दिया और वनों में ध्यानमग्न रहे।
    बेहद मण्डल - इस प्राकृतिक जगत् से परे वह बेहद मण्डल है, जिसे योगमाया का ब्रह्माण्ड कहते हैं। चारों वेदों में इसे चतुष्पाद विभूति के रूप में वर्णित किया गया है। इस मण्डल में अक्षर ब्रह्म के चारों अन्तःकरण (मन, चित, बुद्धि तथा अहंकार) की लीला होती है, जिन्हें क्रमशः अव्याकृत, सबलिक, केवल और सत्स्वरूप कहते हैं।
    परमधाम - बेहद मण्डल से परे वह स्वलीला अद्वैत परमधाम है, जिसके कण-कण में सच्चिदानन्द परब्रह्म की लीला होती है। यह अनादि है, अनन्त है और सच्चिदानन्दमय है। जिस प्रकार सागर अपनी लहरों से तथा चन्द्रमा अपनी किरणों लीला करता है, उसी प्रकार अक्षरातीत भी अपनी अभिन्न स्वरूपा अंगरूपा आत्माओं के साथ अद्वैत लीला करते हैं, जो अनादि है और इसमें कभी अलगाव नहीं होता है।
    वेदों ने इसी परमधाम के सम्बन्ध में “त्रिपादुर्ध्व उदैत्पुरुष” अर्थात् परब्रह्म योगमाया से परे है, कहकर मौन धारण कर लिया। मुण्डकोपनिषद् ने भी 'दिव्य ब्रह्मपुर' शब्द का प्रयोग तो किया, किन्तु उसे बेहद मण्डल (केवल ब्रह्म) में मान लिया। कुरआन में मेयराज के वर्णन के द्वारा संकेत किये जाने पर भी मुस्लिम जगत अभी इसकी वास्तविकता से बहुत दूर है।
    श्री प्राणनाथजी की अलौकिक तारतम वाणी में इस परमधाम की शोभा, लीला एवं आनन्द का विशद रूप में वर्णन किया गया है, जिसका सुख किसी सौभाग्यशाली को ही प्राप्त होता है।

Комментарии • 17

  • @Liyurathod6989
    @Liyurathod6989 Месяц назад +2

    ❤pranamji♥️🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🙏🌹

  • @anilgohil9487
    @anilgohil9487 Месяц назад +2

    सानपिठ हमारे आध्यात्मिक सुरज के समान है और वहां से निकलने वाली हर किरण हमें सूर्य कि तरहीं प्रकाश देता हूं।❤❤

  • @PrajwalBaral-gn6vm
    @PrajwalBaral-gn6vm Месяц назад +2

    Prem Pranamji❤❤❤

  • @user-ox4nn1zq9t
    @user-ox4nn1zq9t Месяц назад +1

    ❤ pernam ji sunder sath ji ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤

  • @user-vp4pt2pc4i
    @user-vp4pt2pc4i Месяц назад +1

    प्रेम प्रणामजी

  • @user-ke6ii4nw5c
    @user-ke6ii4nw5c Месяц назад +1

    પ્રણામ🙏🙏🙏🙏🙏🙏

  • @user-ww1do7sy3p
    @user-ww1do7sy3p Месяц назад +1

    प्रणाम जी

  • @dhirajkumarramsinhroz279
    @dhirajkumarramsinhroz279 Месяц назад

    પ્રેમ પ્રણામજી 🙏❤️🌷🌹🌺

  • @user-dc5we2mg4x
    @user-dc5we2mg4x 29 дней назад

    ❤Sri Raj Syamajii Pranam❤

  • @tarathapa9126
    @tarathapa9126 Месяц назад

    प्रेम प्रणाम जी बहुत सुन्दर प्रवचन कार्यक्रम सुनेर मन प्रसन्न भयो❤❤❤❤

  • @satbirsingh9692
    @satbirsingh9692 Месяц назад

    Prnam ji 🙏🙏

  • @satyajitsinh21
    @satyajitsinh21 23 дня назад

    Pranamji ❤️

  • @jamunabasnet8230
    @jamunabasnet8230 Месяц назад +1

    Shree prannath pyare ki jay . Aap sabhi sundar saath ji ko charan kamal me kotan kot prem pranam ji .

  • @user-ex6yr5lf8e
    @user-ex6yr5lf8e Месяц назад

    Bhut sunder charcha saath ji, Thanks to you,Raj ji ki meher ap pr yunhi bni rh🙏🙏🙏🙏🙏

  • @pateldakshaben7708
    @pateldakshaben7708 Месяц назад

    प्रेम प्रणाम जी

  • @priyankasachdeva2229
    @priyankasachdeva2229 Месяц назад

    Pranamji🙏🙏