तू कलि पुरुष का काल बन || A Poem for clearing the myths about Shri Krishna by Deepankur Bhardwaj

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  • Опубликовано: 3 окт 2024
  • Today few people claim that they are Krishna devotees are spreading lies about Shri Krishna through their false stories. These stories don't even belong to our epics so now I'm trying to clear these myths through my poetic words....
    Jai Shree Krishna 🙏🏻❤️
    Jai Mahanayak Arjun 🙏🏻❤️
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    Lyrics:
    कर्मभूमि के इस मंच पर
    मृत्युलोक के प्रपंच पर
    धर्म की तू ढाल थाम
    अधर्म की जो हुई शाम
    उस शाम पर तु बन विराम
    सत्य का प्रकाश करके
    तू अधर्मियोंं के झूठ पर
    तू सत्य का सवाल बन
    तेरा कृष्ण तुझको कह रहा
    तू स्वयं कलि पुरुष का काल बन
    तू कलि पुरुष का काल बन।।
    सत्य सनातनी कृष्ण का तू ध्यान कर
    उस योगेश्वर का तू ज्ञान कर
    सनातन इतिहास के कृष्ण को सारथी तू मानकर
    इन कथाकारों के काल्पनिक कृष्ण को अंतर्ध्यान कर।
    कर्मक्षेत्र में जो अडिग रहा
    धर्म पर जो अटल रहा
    उस कर्मयोगी की निंदा पर
    क्यों ना खून तेरा खोल रहा
    आज सुन सके तो आत्मचक्षु खोल सुन
    वही वासुदेव कृष्ण तुझको बोल रहा
    कि इतिहास के पटल पर
    जो गंदगी फैला रहे
    समाज में ईश्वर के नाम पर
    अराजकता जो ला रहे
    कर्म को त्याग जो भक्ति के नाम पर
    नाच गाना सिखा रहे।
    सनातन वसुंधरा के इतिहास पर
    प्रश्नचिन्ह जो लगा रहे
    इस भारत भू के पौरुष को जो
    दीमक बन के खा रहे
    उनके समक्ष तू एक सवाल बन
    तू कलि पुरुष का काल बन।
    तू कलि पुरुष का काल बन।।
    नारी के जो सम्मान का सवाल था
    आया रक्त में उबाल था
    अपनो के अधिकार हेतु
    जिसने समरांगण सजाया था
    अधर्म का तमस हटा
    धर्मराज को भूपति बनाया था।
    जिसे चोर जार कहते आज ये पाखंडी
    वो रण में बाजुओं को था तोल रहा
    तुम्ही में अर्जुन अपना ढूंढ रहा
    वो वासुदेव कृष्ण आज तुमको बोल रहा।।
    ये भगवा जो पहने बैठे हैं
    माथे पर चंदन सजाया है
    कहते आजीवन इन्होंने केवल
    कृष्ण कृष्ण गाया है
    पर एक सवाल इनसे हो
    क्या कंठ में इनके वास्तविक कृष्ण ही समाया है।
    कह रहे कृष्ण ने गोपीकाओं संग
    वृंदावन में जी भरके रास किया
    पर इतिहास तो है कह रहा
    केवल 10 वर्ष की आयु तक ही कृष्ण ने
    वृंदावन में निवास किया।
    जीवन पर्यंत जो कर्मयोगी बना रहा
    अधर्मियो के समक्ष जो ढाल बन खड़ा रहा
    हर प्राणी में ब्रम्ह है इसका उसे ज्ञान था
    धर्मयुद्ध आजीवन करता रहा
    क्षात्र धर्म का वो सम्मान था
    गीता ज्ञान जिसने दिया था पार्थ को
    जब रण बीच देह मोह में उसकी जकड़ी थी
    उस चरित्रवान योगेश्वर कृष्ण ने कब कहां
    पनघट पर कलाई किसकी पकड़ी थी।
    ये संत बनकर पाखंडी
    कृष्ण ज्ञान को भारत भू से हैं खा रहे
    उस कर्मयोगी कृष्ण से दूर तुमको ले जा रहे
    धर्मगुरु खुद को कहते हैं
    अधर्म की कालिख कृष्ण चरित्र पर हैं मल रहे
    पत्निव्रता कृष्ण को भोगी बताकर
    तुम्हारे चरित्र को ये छल रहे।
    यहीं से शुरुआत हो रही
    कली के इस काल की
    पुण्य समक्ष पाप के ऊंचे होते भाल की
    सनातन इतिहास को तू खुद से जान
    इन पाखंडी धर्मगुरुओ के झूठ पर
    तू एक सवालिया निशान बन
    तू कलि पुरुष का काल बन
    तू कलि पुरुष का काल बन।।
    जो तुझे कृष्ण को है जानना
    स्वयं के चरित्र को धर्म से है साधना
    गीता का तू ज्ञान सुन
    महाभारत का तू कर पठन
    नारी का सम्मान सुन
    रूक्मिणी का शाश्वत प्रेम देख
    पतिव्रता नारी का स्वाभिमान सुन।।
    अर्जुन का धर्मबल देख
    असली पौरुष का बखान सुन
    खुद के इतिहास का तू स्वयं से ही कर पठन
    कैसे होता है कर्मयोद्धाओं के
    उज्ज्वल चरित्र का निर्माण सुन।।
    पाखंडियों के कहे जा रहे
    झूठे इतिहास को तू त्याग कर
    सत्य का प्रकाश चुन
    तू सत्य का प्रकाश चुन।।
    असली कृष्ण चरित्र जान कर
    कर्मक्षेत्र में माधव को सारथी तू मान कर
    पौरुष का पर्याय बन
    गांडीवधारी सा तू शिष्य हो
    निर्बलों का न्याय बन
    कृष्ण को गुरु मानकर
    धर्म की तू ढाल बन
    तू कलि पुरुष का काल बन
    तू कलि पुरुष का काल बन।।

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