"खुशबू की तरह आया वो तेज हवाओं में, 'तुम छत पे नहीं आए, मैं घर से नहीं निकला', ये चांद बहुत भटका सावन की घटाओं में, मांगा था जिसे हमने दिनरात दुआओं में"। बात सन् 1993 की है, मैं इस ग़ज़ल को बहुत सुनता था, कारण उस ज़माने में एक लड़की थीं जो मेरे घर से थोड़ी दूरी पे रहती थी, उसका दो मंजिला मकान था और मेरा एक मंजिला। मैं हर शाम उसके छत पर आने का राह तकता, उसे भी इस बात की खबर थी। इश्क दोनों ओर बराबर का लगा था। लेकिन इज़हार नहीं हो सका था ना कभी बात हो पाई थी। उन्हीं दिनों चंदन दास के इस गाने का कैसेट मैं खरीद के लाया था और खूब सुनता था। जब मेरी उस लड़की से मुलाकात हुई और बातें आगे बढ़ी तब उसने मुझे एक कैसेट भेंट किया। जब घर आकर मैने रैपर फाड़ा तो कैसेट देख मैं बहुत ही ज्यादा खुशी और अचरज में था। उसने मुझे चंदन दास के गाने की वही कैसेट भेंट दी थीं। फिर क्या था, रोज शाम को छत पे इंतेज़ार और इस चक्कर में कि वो छत पे आके मुझे बिना देखे चले जाय, मैं घर का शाम का सारा काम छोड़ बार बार छत पर ही भागता। हममें से कोई छत पे आकर बिना एक दूसरे को देखे निकल न जाए, इसके लिए कोई भी अर्जेंट काम क्यों ना हो, घर से शाम को कही निकलना नहीं था। उस ज़माने में मोबाइल या मैसेज भेजने का कोई साधन तो था नहीं, बस एक दूसरे को दूर से देख के खुश हो जाना था। प्रत्यक्ष आमने सामने मुलाकात होना थोड़ा मुश्किल होता था। और मैं घर के चक्कर लगाने से डरता था। बहरहाल उससे मेरी प्रेम कहानी पांच सालों तक चली लेकिन एक दिन अचानक......😢 एक एक्सीडेंट में वो चल बसीं। मैं जब सप्ताह भर उसे छत पर नहीं देखा तो हिम्मत करके उसके घर गया। वहां उसकी बड़ी दीदी मुझे देख सब कुछ समझ गई और मुझे ले जाकर उसकी एक बड़ी तस्वीर के आगे खड़ा कर दी जिस पे माला चढ़ा हुआ था। मैं टूट चुका था और अबतक जुड़ नहीं पाया। तब से लेके आज तक दिन रात उसकी यादें और चंदन दास का ये ग़ज़ल ही ज़िन्दगी को आगे बढ़ा रहा।❤😢❤😢❤
Sailza my first Love 😊 Main aajtak uljha hua hu kya tum pyar bhi katti thi ya nhi... Hum saath nursery se 4th class tak padhe Phir woh achanak bahar padne chali gyi ..... Phir bachpan ke baad woh graduation karne phir mere sahar aayi Main jaha tution padhne aata tha wahi .... Commerce majn graduate hue Phir bhi tumne nhi kaha Main bhi keh nhi paaya kyu ki garreb tha tumse 🙂
Kya baat . Every time I hear this ghazal , I am transported to childhood days when I was hooked to the TV serial - Phir Wahi Talash
Kya awaj hai dil chandan das ji
दस साल पहले इनकी गझल सुनी और अद्भुत आवाज का दिवाना हुआ
अद्भुत गायकी 👌👌👌🎉🎉🎉🙏🙏
"खुशबू की तरह आया वो तेज हवाओं में,
'तुम छत पे नहीं आए, मैं घर से नहीं निकला', ये चांद बहुत भटका सावन की घटाओं में, मांगा था जिसे हमने दिनरात दुआओं में"।
बात सन् 1993 की है, मैं इस ग़ज़ल को बहुत सुनता था, कारण उस ज़माने में एक लड़की थीं जो मेरे घर से थोड़ी दूरी पे रहती थी, उसका दो मंजिला मकान था और मेरा एक मंजिला। मैं हर शाम उसके छत पर आने का राह तकता, उसे भी इस बात की खबर थी। इश्क दोनों ओर बराबर का लगा था। लेकिन इज़हार नहीं हो सका था ना कभी बात हो पाई थी। उन्हीं दिनों चंदन दास के इस गाने का कैसेट मैं खरीद के लाया था और खूब सुनता था। जब मेरी उस लड़की से मुलाकात हुई और बातें आगे बढ़ी तब उसने मुझे एक कैसेट भेंट किया। जब घर आकर मैने रैपर फाड़ा तो कैसेट देख मैं बहुत ही ज्यादा खुशी और अचरज में था। उसने मुझे चंदन दास के गाने की वही कैसेट भेंट दी थीं।
फिर क्या था, रोज शाम को छत पे इंतेज़ार और इस चक्कर में कि वो छत पे आके मुझे बिना देखे चले जाय, मैं घर का शाम का सारा काम छोड़ बार बार छत पर ही भागता। हममें से कोई छत पे आकर बिना एक दूसरे को देखे निकल न जाए, इसके लिए कोई भी अर्जेंट काम क्यों ना हो, घर से शाम को कही निकलना नहीं था। उस ज़माने में मोबाइल या मैसेज भेजने का कोई साधन तो था नहीं, बस एक दूसरे को दूर से देख के खुश हो जाना था। प्रत्यक्ष आमने सामने मुलाकात होना थोड़ा मुश्किल होता था। और मैं घर के चक्कर लगाने से डरता था। बहरहाल उससे मेरी प्रेम कहानी पांच सालों तक चली लेकिन एक दिन अचानक......😢 एक एक्सीडेंट में वो चल बसीं। मैं जब सप्ताह भर उसे छत पर नहीं देखा तो हिम्मत करके उसके घर गया। वहां उसकी बड़ी दीदी मुझे देख सब कुछ समझ गई और मुझे ले जाकर उसकी एक बड़ी तस्वीर के आगे खड़ा कर दी जिस पे माला चढ़ा हुआ था। मैं टूट चुका था और अबतक जुड़ नहीं पाया। तब से लेके आज तक दिन रात उसकी यादें और चंदन दास का ये ग़ज़ल ही ज़िन्दगी को आगे बढ़ा रहा।❤😢❤😢❤
Wow gazal😊
New here🙋♂️ after listening Saab ko dushman bana dia mana masterpiece ❤
👌👍❤️🙏🙏
❤❤👍👍👌
This is what the song is called.
Gazal ❤
"Khushbu Ki Taraah Aaya Woh Tez Hawaaon Mein"
Whear are you Archana 1989/90dhaiwadkar tutorial classes
Sailza my first Love 😊
Main aajtak uljha hua hu kya tum pyar bhi katti thi ya nhi...
Hum saath nursery se 4th class tak padhe
Phir woh achanak bahar padne chali gyi .....
Phir bachpan ke baad woh graduation karne phir mere sahar aayi
Main jaha tution padhne aata tha wahi ....
Commerce majn graduate hue
Phir bhi tumne nhi kaha
Main bhi keh nhi paaya kyu ki garreb tha tumse 🙂