वीर गोगाजी के बारे में जानकारी देने का प्रयास सराहनीय है। हिन्दू धर्म में समाधी लेने की प्रथा युगों युगों से प्रचलित है,गौरख नाथजी के परम शिष्य गोगाजी का नाथ परम्परानुसार ही अन्तिम संस्कार होना युक्ति संगत है।इतिहास में गजनबी के साथ हुए युद्ध में गोगाजी का बलिदान होना भी पढने को मिलता है।आचार्य चतुरसेन के उपन्यास सोमनाथ में भी घोघा बाबा के नाम से गोगाजी का वर्णन मिलता है।
जय श्री गुरु गोरखनाथ जी की जय श्री जाहरवीर गोगाजी की बहुत ही बढ़िया प्रश्न है मैं गुरु गोरखनाथ पावन धाम गोरख दरबार मेरठ से महंत शेखर गोरख पंथी सवाल यह क्या गोगा जी ने धरती में सामने के लिए कलमा पढ़ा जी नहीं जिस का गुरु गोरखनाथ साक्षात शिव हो उसे भला कलमा पढ़ने की क्या आवश्यकता है रही बात धरती में समाने की क्या सीता माता ने भी कलमा पढ़ा पीर किसे कहते हैं क्या कोई बताएगा
रतना हाजी में सन् 74से आ रहा हूं गोगा मेडी धाम पर हमारे गुरु जी कहते थे कि मैं सन् 52 से आ रहा हूं उनके गुरुजी कब से आ रहे होंगे और उनके गुरुजी कब से आ रहे होंगे रतन हाजी की जगह पर रतना भ
गीता के गूढ़ रहस्य गीत अध्याय 16 के मंत्र नंबर 23 ॥23 ॥ य : शास्त्रविधिमुत्सृज्य वर्तते कामकारतः । न स सिद्धिमवाप्नोति न सुखं न परां गतिम् ॥23 ॥ शब्द का अर्थ- ( यः ) जो पुरुष ( शास्त्राविधिम् ) शास्त्राविधिको ( उत्सृज्य ) त्यागकर ( कामकारतः ) अपनी इच्छासे मनमाना ( वर्तते ) आचरण करता है ( सः ) वह ( न ) न ( सिद्धिम् ) सिद्धिका ( अवाप्नोति ) प्राप्त होता है ( न ) न ( पराम् ) परम ( गतिम् ) गतिको और ( न ) न ( सुखम् ) सुखको ही । अनुवाद - जो पुरुष शास्त्र विधि को त्यागकर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करता है , वह न सिद्धि को प्राप्त होता है , न परमगति को और न न सुख को ही । गीता अध्याय 16 के मंत्र नंबर 24 ॥24॥ तस्माच्छास्त्रं प्रमाणं ते कार्याकार्यव्यवस्थितौ । ज्ञात्वा शास्त्रविधानोक्तं कर्म कर्तुमिहार्हसि ॥24 ॥ शब्द का अर्थ - ( तस्मात् ) इससे ( ते ) तेरे लिये ( कार्याकार्यव्यवस्थितौ ) कर्तव्य और अकर्तव्यकी व्यवस्थामें ( शास्त्राम् ) शास्त्रा ही ( प्रमाणम् ) प्रमाण है ( इह ) इसे ( ज्ञात्वा ) जानकर ( शास्त्राविधानोक्तम् ) शास्त्राविधिसे नियत ( कर्म ) कर्म ही ( कर्तुम् ) करने ( अर्हसि ) योग्य है । अनुवाद - इससे तेरे लिए इस कर्तव्य और अकर्तव्य की व्यवस्था में शास्त्र ही प्रमाण है । ऐसा जानकर तू शास्त्र विधि से नियत कर्म ही करने योग्य है। गीत अध्याय 16 के मंत्र नंबर 23 में गीता ज्ञान दाता कह रहे हैं की जो शास्त्र विधि को त्याग कर मन माना आचरण करते हैं वह ना तो सिद्धि को प्राप्त होते हैं ना ही परम गति को। और ना ही सुख को प्राप्त होगा। वही गीता अध्याय 16 के मंत्र नंबर 24 में गीता ज्ञान दाता कह रहा है की है अर्जुन कर्तव्य और अकर्तव्य की व्यवस्था में शास्त्र ही प्रमाण है। ऐसा जानकर तू शास्त्र विधि से नित्य कर्म कर। भावार्थ है की:- जो गीता जी में बताए गए कर्म के अनुसार शास्त्र विधि को त्याग कर मन माना आचरण करते हैं जो अपनी मनमानी पूजा भक्ति करता है। वह व्यर्थ (useless) है यानी मोक्षदायक नहीं है। अब जरा आप यह विचार कर लीजिए कि हम जो साधना कर रहे हैं हम जिन मंत्रों का जाप या जो नाम ले रहे हैं या जिस देवी-देवता को पुज रहे हैं उसका हमारे शास्त्र भगवत गीता या वेदों में उल्लेख है या नहीं। कही हम व्यर्थ में अपना मनुष्य जीवन बर्बाद तो नहीं कर रहे हैं।
श्री गोगा जी महाराज की समाधि kab aur Kisne banvae समाधि बनवाने का कारण कैसे पता चला गोगा जी की समाधि यही है जय श्री गोगा जी महाराज गोगा जी को सत सत नमन जय गुरु गोरखनाथ
श्री जाहर वीर गोगा पीर जी महाराज साक्षात शेषनाग जी हैं।गोगा जी ने आधा कलमा पढ़ा था।धरती फटी थी और गोगा जी महाराज उसमे समाए थे।गोगा जी महाराज सबके शीश का ताज हैं।गोगा जी महाराज अमर हैं।ऐसे अवतारी हैं जो माता बाछल के गर्भ में बोले थे।आपको भी संपूर्ण जानकारी नहीं है
गोगाजी वीर योद्धा/ पुरुष थे। गौ भक्त भी थे। गोगाजी गुरु गोरख नाथ जी के शिष्य थे,यह सत्य है परन्तु गायक, समैया लोक कथाओं में तो कलमा पढ़ कर धरती में समा जाना गाया/ बताया जाता है।
गुरु गोरखनाथ जी के शिष्य परंपरानुसार मृत्यु के बाद समाधि लगाते हैं । बारापंथी नाथ सम्प्रदाय तथा दशनामी संप्रदाय मृत्यु के बाद समाधि ही लगाते हैं । अनेक नाथपंथियों की समाधि में मचसलमान भी पूजा करने आते हैं ।
गोगा जी चौहान वंश के ददरेवा शासक थे मोहम्मद गजनवी से लड़ते हुए शहीद हुए 16वी पीढ़ी मै ददरेवा के शासक मोटेराव चौहान के पुत्र कर्म सिंह चौहान उर्फ कायम ख़ान ने फिरोजशाह तुगलक के सहयोग से गोगामेड़ी मन्दिर बनवाया इन्ही क़ायम खान के वंशज कायमखानी मुस्लिम कहलाए जौ आज भी गोगामेड़ी मन्दिर मे पूजा-पाठ करते है
Maaf Karna Bharat ji Mujse koi bhul oh jaiye to Sama kardena kyu ki aap se boht chhota hun Maaf karna bhai Par aapne jo bola hain ki Gogaji nath panth ke the ho ap mante ho Vo Sahi hai apke hisab Se vo Thik he... Par mera mann na Yehe Ki Ratan Haji ne Kalam Boli thi kyu Ki Haji ratan ji Ne Sab shikh liya tha Haj padne gaye the wo bhi Guru Gorakhnath ji ke Aadesh se Or Rahi bat Gorakhnath ji ne to mana kar diya ta ki me Dharti mata ko Nahi faduga Kyu ki nath Spraday manti hai ki dharti meri mata hain Kyuki Mera janam dharti maa me Se huva hain us ishab se nath ji ne nai fada Tab Haji Ratan ko Gorakh nath ji ne hi sab sikhne ko bol diya tha gogaji ka janam bhi nhi huva tha tab ye Aadesh diya tha ki Ap sab sikh lo aisa Haj padne ka or sab. 300 Sal se bhi upar ki thi unki umar haji Ratan ji ki .... To mere ishab se to Haji ratan ji nehi 3.Kalam boli thi or ढ़ाई Kalam bolke hi dharti mata ne di thi Jagah puri 3 kalam bhi nhi hui thi..!!!,🙏🙏 BHARAT bhai maaf karna par mene jana he ye kuch aisi baat hain Aape Ishab se aap Sahi ho pr mene kuch aisa bhi jana he
गोगा जी, महान यौद्धा थे। उन्होंने गजनवी से युद्ध किया था,जब वह सोमनाथ मन्दिर को लुटने जा रहा था। गजनवी से युद्ध मे गोगा जी शहीद हुए थे। समाये नही थे। वो महाराणा प्रताप और पृथ्वीराज चव्हाण के बराबर वीर और यौद्धा थे। इनका गुणगान वीरों की भांति होना चाहिए। बहुत से यौद्धाओ की लालची लोगो ने पूजा करवाके धंधा बनाकर ईतिहास को धूमिल किया है।
जाहरवीर गोगा जी महाराज जी का राणा गोत्र है और यह हिन्दू सनातन धर्म संस्कृति को मानने वाले हैं। और सब से बड़ी बात यह है कि यह गुरू गोरक्षनाथ जी महाराज के शिष्य हैं। जगत पिता गुरू गोरक्षनाथ जी महाराज की माता बाछलं ने मुर्सी रूप में बारह साल अखंड तपस्या की। और जाहरवीर गोगा जी महाराज को पूत्र रूप में प्राप्त किया। गुरू गोरक्षनाथ जी महाराज की सच्ची भक्ति करके। यह तो मुशलिम शाशको द्वारा भुत रूप में पुजवाया जाने लगा है। नहीं तो नीले घोड़े पर सवार जाहरवीर गोगा जी महाराज को मुरति रूप में ही पुजा जाना चाहिए था। और नीली चादर की जगह भगवा रंग की चादर ही मान्य होती। जय हो गुरू गोरखनाथ जी महाराज की। जय हो जाहरवीर गोगा जी महाराज की। जय बाबा की। 🕉️🙏🏻🙏🏻🔱🔱🔱🌹🌹🌹
क्या आप यह सत्य जानते हैं जीव हमारी जाति है , मानव धर्म हमारा । हिन्दु मुस्लिम सिक्ख ईसाई धर्म नहीं कोई न्यारा।। 1. सृष्टि की रचना कब व कैसे हुई ? 2. हम कोन है? कहां से आये है? कहां जाना है? 3. ब्रह्मा , विष्णु महेश के माता - पिता कौन हैं ? 4 . शेरांवाली माता ( दुर्गा अष्टंगी ) का पति कौन है ? 5. हमको जन्म देने व मारने में किस प्रभु का स्वार्थ है? 6. हम सभी देवी - देवताओं की इतनी भक्ति करते हैं , फिर भी दुःखी क्यों हैं ? 7.ब्रह्मा , विष्णु , महेश किसकी भक्ति करते हैं ? 8. ब्रह्मा , विष्णु , महेश कि आयु कितनी है ? 9. पूर्ण संत की क्या पहचान है एवं पूर्ण मोक्ष कैसे मिलेगा ? 10. परमात्मा साकार है या निराकार ? 11.किसी भी गुरू की शरण में जाने से मुक्ति संभव है या नहीं ? 12. तीर्थ , व्रत , तर्पण , श्राद्ध निकालने से लाभ संभव है या नहीं ? 13. श्री कृष्ण जी काल नहीं थे । फिर गीता वाला काल कौन है ? 14. पूर्ण परमात्मा कौन तथा कैसा है ? कहाँ रहता है ? कैसे मिलता है ? किसने देखा है ? 15. समाधि अभ्यास ( Meditation ) राम , हरे कृष्ण , हरिओम , हंस , तीन व पाँच नामों तथा वाहेगुरू आदि - आदि नामों के जाप से सुख एवं मुक्ति संभव है या नहीं ? 16. हिन्दू धर्म में तैंतीस करोड़ देवी-देवता बताएं गए हैं तो क्या हमें सभी की भक्ति करनी चाहिए ? 17. वो एक पुर्ण परमात्मा कोन है जिसकी हमें भक्ति करने से हमारा मोक्ष संभव है ? 18. वर्तमान समय में प्रसिद्ध भविष्यवक्ताओं के अनुसार वह महान संत कौन है ? इन सभी प्रश्नों के उत्तर शास्त्रों में प्रमाण सहित जानने के लिए कृप्या अवश्य पढ़ें यह पुस्तक ' ' 1गीता तेरा ज्ञान अमृत "पुस्तक। 2 ज्ञान गंगा,, पुस्तक। 3.जिने की राह,, पुस्तक
@@deepaksharma4095 गीता के गूढ़ रहस्य गीत अध्याय 16 के मंत्र नंबर 23 ॥23 ॥ य : शास्त्रविधिमुत्सृज्य वर्तते कामकारतः । न स सिद्धिमवाप्नोति न सुखं न परां गतिम् ॥23 ॥ शब्द का अर्थ- ( यः ) जो पुरुष ( शास्त्राविधिम् ) शास्त्राविधिको ( उत्सृज्य ) त्यागकर ( कामकारतः ) अपनी इच्छासे मनमाना ( वर्तते ) आचरण करता है ( सः ) वह ( न ) न ( सिद्धिम् ) सिद्धिका ( अवाप्नोति ) प्राप्त होता है ( न ) न ( पराम् ) परम ( गतिम् ) गतिको और ( न ) न ( सुखम् ) सुखको ही । अनुवाद - जो पुरुष शास्त्र विधि को त्यागकर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करता है , वह न सिद्धि को प्राप्त होता है , न परमगति को और न न सुख को ही । गीता अध्याय 16 के मंत्र नंबर 24 ॥24॥ तस्माच्छास्त्रं प्रमाणं ते कार्याकार्यव्यवस्थितौ । ज्ञात्वा शास्त्रविधानोक्तं कर्म कर्तुमिहार्हसि ॥24 ॥ शब्द का अर्थ - ( तस्मात् ) इससे ( ते ) तेरे लिये ( कार्याकार्यव्यवस्थितौ ) कर्तव्य और अकर्तव्यकी व्यवस्थामें ( शास्त्राम् ) शास्त्रा ही ( प्रमाणम् ) प्रमाण है ( इह ) इसे ( ज्ञात्वा ) जानकर ( शास्त्राविधानोक्तम् ) शास्त्राविधिसे नियत ( कर्म ) कर्म ही ( कर्तुम् ) करने ( अर्हसि ) योग्य है । अनुवाद - इससे तेरे लिए इस कर्तव्य और अकर्तव्य की व्यवस्था में शास्त्र ही प्रमाण है । ऐसा जानकर तू शास्त्र विधि से नियत कर्म ही करने योग्य है। गीत अध्याय 16 के मंत्र नंबर 23 में गीता ज्ञान दाता कह रहे हैं की जो शास्त्र विधि को त्याग कर मन माना आचरण करते हैं वह ना तो सिद्धि को प्राप्त होते हैं ना ही परम गति को। और ना ही सुख को प्राप्त होगा। वही गीता अध्याय 16 के मंत्र नंबर 24 में गीता ज्ञान दाता कह रहा है की है अर्जुन कर्तव्य और अकर्तव्य की व्यवस्था में शास्त्र ही प्रमाण है। ऐसा जानकर तू शास्त्र विधि से नित्य कर्म कर। भावार्थ है की:- जो गीता जी में बताए गए कर्म के अनुसार शास्त्र विधि को त्याग कर मन माना आचरण करते हैं जो अपनी मनमानी पूजा भक्ति करता है। वह व्यर्थ (useless) है यानी मोक्षदायक नहीं है। अब जरा आप यह विचार कर लीजिए कि हम जो साधना कर रहे हैं हम जिन मंत्रों का जाप या जो नाम ले रहे हैं या जिस देवी-देवता को पुज रहे हैं उसका हमारे शास्त्र भगवत गीता या वेदों में उल्लेख है या नहीं। कही हम व्यर्थ में अपना मनुष्य जीवन बर्बाद तो नहीं कर रहे हैं।
गोगा जी ने गौ रक्षा के लिए लड़ाई लड़ी और शाहिद हो गए उन का संस्कार मुस्लिम रीति से म्होमिड गजनी के सैनिक द्वारा किया गया था जो हिंदू रीति नही जानते थे जिंदा पीर,। साक्षात देवता कहा
धार्मिक सदभाव का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल दुनिया में कहीं है तो गोगामेड़ी है। यहां हिन्दू मुस्लिम, सिक्ख ईसाई सभी धर्मों/ पंथो के लोग आकर अपनी मन्नत मांगते हैं, गोगाजी महाराज की मान्यता उत्तर प्रदेश महाराष्ट्र गुजरात मध्य प्रदेश बिहार बंगाल असम हिमाचल व जम्मू-कश्मीर दिल्ली व राजस्थान से लोग मिलजुल कर आते हैं ब एक साथ रहते हैं
Sabhi bhakton ko jai goga ji jab goga ji ne dungi dabar ki ladai me apne bhaiyo ko maar diya tab mata bachal ne unko gusse me kaha tha ki jab tak tum jivit rahoge mujhe apna chehra mat dikhana or marke mere sapne me na ana isliye goga ji duniya se parda lene ke liye dharti maa ke paas aye dharti maa ne kaha ki dharti me parda muslim ke liye hai tum makka madina jao aur kalma sikh kar aao jab guru gorkhnath ji ko pata chala ki goga ji muslim ban ne ja rhe hai unhone haji ratan ka roop banaya aur bathinda me baith gaye jab goga raste se gujar rhe the to unhone dekha ki koi sant baithe inse ashirvad lekar chlu jab goga ji unke pass gaye unhone bataya ki mai madine se aya hun haji ratan mera naam hai goga ji ne kaha ki mai to apse milne hi aa rha tha tabhi haji ratan baba ne ek bhagve rang ke kapde ke upar gayitri mantra likh diya aur kaha jaha par bhi tumhe parda lena hoga vaha jakar ye mantar bol dena tabhi goga ji bagad me akar gaytri mantar bola aur goga ji ghode aur jode ke sath jameen me sama gaye jai shree Goga Ji 🙏🙏
जो बलपूर्वक मुसलमान बनाए गए थे वो कायमखानी मुसलमान ही गोगा जी को पूजते हैं , क्योंकि वो धर्म तो बदल लिया लेकिन अपनी पूर्वजों के प्रति आस्था को नहीं बदल पाये। मजार नहीं है हिंदुओं में भी समाधी प्रथा का चलन रहा है ।
@barat ola मजार नहीं मेड़ी है। कृपया अपने thumbnail का शीर्षक सही कर लीजिए। मेड़ी को मजार कह कर आप हमारी संस्कृति, आस्था और भावनाओं पर आघात कर रहे हैं।
GOGA JI KI MIRTYU HUII HII NHI HAI UNHONE JIS PRAKAR PRABHU SHRI RAM NE JAL SAMADHI LII THII USII PRAKAR SE GOGA JI NE (THAL) YANI DAHRTI MEIN SAMADHI LII THII
वीर गोगाजी के बारे में जानकारी देने का प्रयास सराहनीय है। हिन्दू धर्म में समाधी लेने की प्रथा युगों युगों से प्रचलित है,गौरख नाथजी के परम शिष्य गोगाजी का नाथ परम्परानुसार ही अन्तिम संस्कार होना युक्ति संगत है।इतिहास में गजनबी के साथ हुए युद्ध में गोगाजी का बलिदान होना भी पढने को मिलता है।आचार्य चतुरसेन के उपन्यास सोमनाथ में भी घोघा बाबा के नाम से गोगाजी का वर्णन मिलता है।
जय सिद्ध गुरु गोरखनाथ जी, जय बाबा जाहरवीर गोगाजी, जय दादा नहरसिंह पांडे दीवान जी।
Jai ho baba ki 🙏🚩❤️
जय हो गुरू गोरखनाथ जी महाराज की। जय हो जाहरवीर गोगा जी महाराज की। बहुत ही सुन्दर जानकारी साझा कि है आपने भाई जी। 🕉️🙏🏻🙏🏻🌹🌹🌹🌹👍👌👌👌👌
जय श्री ज़ाहिर वीर गोगा जी की 🚩🙏🏻 सनातन धर्म की जय हो 🚩🙏🏻
भौत ही जोरदार अर मैताऊ जाणकारी गुरुदेव
बहुत ही खूब अच्छी जानकारी
ओला जी बहुत सटीक जानकारी दी!
Jai Shri Guru Goga Maharaj 🌼🌼🌼☘️☘️☘️🍁🍁🍁🍀🍀🍀🌻🌻🌻🌿🌿🌿🌹🌹🌹🙏🙏🙏🥥🥥🥥🕉🕉🕉🏹🏹🏹🔱🔱🔱
❤🎉❤ Jay Jay Guga Jahar Veer Ji ❤🎉❤
Jai goga ji
Jai ho RaNa ji 🥰🥰❤️
Jai goga ji maharaj ki 🙏 ❤️
अच्छी जानकारी के लिए, भरत जी को हार्दिक बधाई
गोगा जी महाराज के इतिहास की सुन्दर एवं सटीक जानकारी के लिए ओला जी का बहुत बहुत धन्यवाद!
सबका मालिक इक है ❤☝️
जय श्री गुरु गोरखनाथ जी की
जय श्री जाहरवीर गोगाजी की
बहुत ही बढ़िया प्रश्न है मैं गुरु गोरखनाथ पावन धाम गोरख दरबार मेरठ से महंत शेखर गोरख पंथी सवाल यह क्या गोगा जी ने धरती में सामने के लिए कलमा पढ़ा जी नहीं
जिस का गुरु गोरखनाथ साक्षात शिव हो
उसे भला कलमा पढ़ने की क्या आवश्यकता है रही बात धरती में समाने की क्या सीता माता ने भी कलमा पढ़ा
पीर किसे कहते हैं क्या कोई बताएगा
"JAI SHRI GOGAVVEER JI KI"
"JAY SHRI GOGAJI MAHARAJ JI KI"
Jal shree guru gorakhnath Maharaj jee ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
जय श्री गोगा जी महाराज की
Jay Jaharvir Goga Ji Maharaj ki Jai Ho Jai Ho Jai Ho Jai Ho Jai 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Jai Goga Ji Maharaj ki Jai
Jay guru gorakhnath Maharaj ki Jai Ho Jai Ho Jai Ho Jai Ho 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Veer Jharvir Goga Ji Maharaj Ki Jai ho, har har Mhadev
जय-जय बाबा जाहर वीर जी जय बाबा गोरखनाथ जी बहुत सही जानकारी दी धन्यवाद
Jai Shree baba gorakhnath ji ki jai
Jai Baba Guru Gorakh Nath Jii ❤
Jai Baba Jaharveer Goga Jii Maharaj Ji ❤
रतना हाजी
में सन् 74से आ रहा हूं गोगा मेडी धाम पर हमारे गुरु जी कहते थे कि मैं सन् 52 से आ रहा हूं उनके गुरुजी कब से आ रहे होंगे और उनके गुरुजी कब से आ रहे होंगे रतन हाजी की जगह पर रतना भ
Jai shree goga ji maharaj❤️
गीता के गूढ़ रहस्य
गीत अध्याय 16 के मंत्र नंबर 23
॥23 ॥ य : शास्त्रविधिमुत्सृज्य वर्तते कामकारतः ।
न स सिद्धिमवाप्नोति न सुखं न परां गतिम् ॥23 ॥
शब्द का अर्थ- ( यः ) जो पुरुष ( शास्त्राविधिम् ) शास्त्राविधिको ( उत्सृज्य ) त्यागकर ( कामकारतः ) अपनी इच्छासे मनमाना ( वर्तते ) आचरण करता है ( सः ) वह ( न ) न ( सिद्धिम् ) सिद्धिका ( अवाप्नोति ) प्राप्त होता है ( न ) न ( पराम् ) परम ( गतिम् ) गतिको और ( न ) न ( सुखम् ) सुखको ही ।
अनुवाद - जो पुरुष शास्त्र विधि को त्यागकर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करता है , वह न सिद्धि को प्राप्त होता है , न परमगति को और न न सुख को ही ।
गीता अध्याय 16 के मंत्र नंबर 24
॥24॥ तस्माच्छास्त्रं प्रमाणं ते कार्याकार्यव्यवस्थितौ ।
ज्ञात्वा शास्त्रविधानोक्तं कर्म कर्तुमिहार्हसि ॥24 ॥
शब्द का अर्थ - ( तस्मात् ) इससे ( ते ) तेरे लिये ( कार्याकार्यव्यवस्थितौ ) कर्तव्य और अकर्तव्यकी व्यवस्थामें ( शास्त्राम् ) शास्त्रा ही ( प्रमाणम् ) प्रमाण है ( इह ) इसे ( ज्ञात्वा ) जानकर ( शास्त्राविधानोक्तम् ) शास्त्राविधिसे नियत ( कर्म ) कर्म ही ( कर्तुम् ) करने ( अर्हसि ) योग्य है ।
अनुवाद - इससे तेरे लिए इस कर्तव्य और अकर्तव्य की व्यवस्था में शास्त्र ही प्रमाण है । ऐसा जानकर तू शास्त्र विधि से नियत कर्म ही करने योग्य है।
गीत अध्याय 16 के मंत्र नंबर 23 में गीता ज्ञान दाता कह रहे हैं की जो शास्त्र विधि को त्याग कर मन माना आचरण करते हैं वह ना तो सिद्धि को प्राप्त होते हैं ना ही परम गति को। और ना ही सुख को प्राप्त होगा।
वही गीता अध्याय 16 के मंत्र नंबर 24 में गीता ज्ञान दाता कह रहा है की है अर्जुन कर्तव्य और अकर्तव्य की व्यवस्था में शास्त्र ही प्रमाण है। ऐसा जानकर तू शास्त्र विधि से नित्य कर्म कर।
भावार्थ है की:- जो गीता जी में बताए गए कर्म के अनुसार शास्त्र विधि को त्याग कर मन माना आचरण करते हैं जो अपनी मनमानी पूजा भक्ति करता है। वह व्यर्थ (useless) है यानी मोक्षदायक नहीं है।
अब जरा आप यह विचार कर लीजिए कि हम जो साधना कर रहे हैं हम जिन मंत्रों का जाप या जो नाम ले रहे हैं या जिस देवी-देवता को पुज रहे हैं उसका हमारे शास्त्र भगवत गीता या वेदों में उल्लेख है या नहीं। कही हम व्यर्थ में अपना मनुष्य जीवन बर्बाद तो नहीं कर रहे हैं।
Bhagvad gita ka gyan pujniye h but apka gyan apne pas rakho isi m blai h
जय बाबा गुरु गोरखनाथ जी जय बाबा जहारवीर गोगा जी 🪔🌹🌹🙏🙏
Mere Goga ji mahan
Jai shri jahar veer Goga ji maharaj ji 🙏🙏🌹🌹
श्री गोगा जी महाराज की समाधि kab aur Kisne banvae समाधि बनवाने का कारण कैसे पता चला गोगा जी की समाधि यही है जय श्री गोगा जी महाराज गोगा जी को सत सत नमन जय गुरु गोरखनाथ
मजार ना कहे समाधि
Right bro😊
अज्ञानी ज्ञान बांट रहे हैं
गोगा मेडी है भगत जी, मजार नहीं है
Ryt bro
Samadhi hai baba
श्री जाहर वीर गोगा पीर जी महाराज साक्षात शेषनाग जी हैं।गोगा जी ने आधा कलमा पढ़ा था।धरती फटी थी और गोगा जी महाराज उसमे समाए थे।गोगा जी महाराज सबके शीश का ताज हैं।गोगा जी महाराज अमर हैं।ऐसे अवतारी हैं जो माता बाछल के गर्भ में बोले थे।आपको भी संपूर्ण जानकारी नहीं है
JaiGugaPirJi vijay sharma Bapora Bhiwani
Jay goga veer ke Jay
Jai shree goga Ji maharaj ki
Jai Goga ji maharaj ki jai shree guru gorakhnath ji maharaj ki jai
Jai baba Goga veer Jai baba sabal Singh bawari Jai baba guru gorakhnath ji
गोगाजी वीर योद्धा/ पुरुष थे। गौ भक्त भी थे। गोगाजी गुरु गोरख नाथ जी के शिष्य थे,यह सत्य है परन्तु गायक, समैया लोक कथाओं में तो कलमा पढ़ कर धरती में समा जाना गाया/ बताया जाता है।
Jhuth he
ye hi lok katha hamare sanatan ko barbad kr dengii
Sabse pahle tujhe barbad karegi
Agar kisi ke bare mein kuchh nahin pata hota to bolna nahin chahie
jai ho
Jai Gogga ji Maharaj Ji ❤️
Jai Goga ji Maharaj ki.
👍👍👍
Jai guru gorakhnath
Jai jaharveer goga ji maharaj
Bolo sanche darbar ki jai 😍😍🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Haaya sh
Jay ho bhagvan gorakhnath jiki jay man vachl ke vee
Jay ho goga g maharaj ki jay
गुरु गोरखनाथ जी के शिष्य परंपरानुसार मृत्यु के बाद समाधि लगाते हैं । बारापंथी नाथ सम्प्रदाय तथा दशनामी संप्रदाय मृत्यु के बाद समाधि ही लगाते हैं । अनेक नाथपंथियों की समाधि में मचसलमान भी पूजा करने आते हैं ।
गोगा जी चौहान वंश के ददरेवा शासक थे मोहम्मद गजनवी से लड़ते हुए शहीद हुए 16वी पीढ़ी मै ददरेवा के शासक मोटेराव चौहान के पुत्र कर्म सिंह चौहान उर्फ कायम ख़ान ने फिरोजशाह तुगलक के सहयोग से गोगामेड़ी मन्दिर बनवाया इन्ही क़ायम खान के वंशज कायमखानी मुस्लिम कहलाए जौ आज भी गोगामेड़ी मन्दिर मे पूजा-पाठ करते है
Tujko jayda pta h
jai SHREE GOGA VEER ji ki jai 🌹🙏🙏🌹
Maaf Karna Bharat ji Mujse koi bhul oh jaiye to Sama kardena kyu ki aap se boht chhota hun Maaf karna bhai Par aapne jo bola hain ki Gogaji nath panth ke the ho ap mante ho Vo Sahi hai apke hisab Se vo Thik he...
Par mera mann na Yehe Ki Ratan Haji ne Kalam Boli thi kyu Ki Haji ratan ji Ne Sab shikh liya tha Haj padne gaye the wo bhi Guru Gorakhnath ji ke Aadesh se Or Rahi bat Gorakhnath ji ne to mana kar diya ta ki me Dharti mata ko Nahi faduga Kyu ki nath Spraday manti hai ki dharti meri mata hain
Kyuki Mera janam dharti maa me Se huva hain
us ishab se nath ji ne nai fada Tab Haji Ratan ko Gorakh nath ji ne hi sab sikhne ko bol diya tha
gogaji ka janam bhi nhi huva tha tab ye Aadesh diya tha ki Ap sab sikh lo aisa Haj padne ka or sab.
300 Sal se bhi upar ki thi unki umar haji Ratan ji ki ....
To mere ishab se to Haji ratan ji nehi 3.Kalam boli thi or ढ़ाई Kalam bolke hi dharti mata ne di thi Jagah puri 3 kalam bhi nhi hui thi..!!!,🙏🙏 BHARAT bhai maaf karna par mene jana he ye kuch aisi baat hain Aape Ishab se aap Sahi ho pr mene kuch aisa bhi jana he
समाधि हे राजा मांडलिक चौहान के चौहान ह्न्नन्न पदम नाग के अवतार
Har har Mahadev
Sanatni hn Raja Mandlik
Kuldev g ko koti koti pranam
Jai goga veer ji
❤❤❤🙏🏿🙏🏿🙏🏿
बोलो सच्चे दरबार की जय
Ham log to jab se dekhte aaye Hain hamare bujurgon ke bujurg bhi Goga peer kahate the aur duaon mein bhi aise hi aata hai
गोगा जी, महान यौद्धा थे। उन्होंने गजनवी से युद्ध किया था,जब वह सोमनाथ मन्दिर को लुटने जा रहा था। गजनवी से युद्ध मे गोगा जी शहीद हुए थे। समाये नही थे। वो महाराणा प्रताप और पृथ्वीराज चव्हाण के बराबर वीर और यौद्धा थे। इनका गुणगान वीरों की भांति होना चाहिए। बहुत से यौद्धाओ की लालची लोगो ने पूजा करवाके धंधा बनाकर ईतिहास को धूमिल किया है।
Samadhi le thi unhone
Jai🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 Rana ji🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 Maharaj🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Jai ho bagad k peer ki
JAY GOGA PEER BABA
अरे भाई साहब-मंदिर को मजार क्यों बता रहें हैं आप?
कृपया सही जानकारी देवें।
इसमें क्या जानकारी दी अपने?
Right sir
इनका काम ये ही है भाई लोगों के अंदर गलत भ्रांति डालना?
right
Jai ho goga baba naag padam
जाहरवीर गोगा जी महाराज जी का राणा गोत्र है और यह हिन्दू सनातन धर्म संस्कृति को मानने वाले हैं। और सब से बड़ी बात यह है कि यह गुरू गोरक्षनाथ जी महाराज के शिष्य हैं। जगत पिता गुरू गोरक्षनाथ जी महाराज की माता बाछलं ने मुर्सी रूप में बारह साल अखंड तपस्या की। और जाहरवीर गोगा जी महाराज को पूत्र रूप में प्राप्त किया। गुरू गोरक्षनाथ जी महाराज की सच्ची भक्ति करके। यह तो मुशलिम शाशको द्वारा भुत रूप में पुजवाया जाने लगा है। नहीं तो नीले घोड़े पर सवार जाहरवीर गोगा जी महाराज को मुरति रूप में ही पुजा जाना चाहिए था। और नीली चादर की जगह भगवा रंग की चादर ही मान्य होती। जय हो गुरू गोरखनाथ जी महाराज की। जय हो जाहरवीर गोगा जी महाराज की। जय बाबा की। 🕉️🙏🏻🙏🏻🔱🔱🔱🌹🌹🌹
क्या आप यह सत्य जानते हैं
जीव हमारी जाति है , मानव धर्म हमारा ।
हिन्दु मुस्लिम सिक्ख ईसाई धर्म नहीं कोई न्यारा।।
1. सृष्टि की रचना कब व कैसे हुई ?
2. हम कोन है? कहां से आये है? कहां जाना है?
3. ब्रह्मा , विष्णु महेश के माता - पिता कौन हैं ?
4 . शेरांवाली माता ( दुर्गा अष्टंगी ) का पति कौन है ?
5. हमको जन्म देने व मारने में किस प्रभु का स्वार्थ है?
6. हम सभी देवी - देवताओं की इतनी भक्ति करते हैं , फिर भी दुःखी क्यों हैं ?
7.ब्रह्मा , विष्णु , महेश किसकी भक्ति करते हैं ?
8. ब्रह्मा , विष्णु , महेश कि आयु कितनी है ?
9. पूर्ण संत की क्या पहचान है एवं पूर्ण मोक्ष कैसे मिलेगा ?
10. परमात्मा साकार है या निराकार ?
11.किसी भी गुरू की शरण में जाने से मुक्ति संभव है या नहीं ?
12. तीर्थ , व्रत , तर्पण , श्राद्ध निकालने से लाभ संभव है या नहीं ?
13. श्री कृष्ण जी काल नहीं थे । फिर गीता वाला काल कौन है ?
14. पूर्ण परमात्मा कौन तथा कैसा है ? कहाँ रहता है ? कैसे मिलता है ? किसने देखा है ?
15. समाधि अभ्यास ( Meditation ) राम , हरे कृष्ण , हरिओम , हंस , तीन व पाँच नामों तथा वाहेगुरू आदि - आदि नामों के जाप से सुख एवं मुक्ति संभव है या नहीं ?
16. हिन्दू धर्म में तैंतीस करोड़ देवी-देवता बताएं गए हैं तो क्या हमें सभी की भक्ति करनी चाहिए ?
17. वो एक पुर्ण परमात्मा कोन है जिसकी हमें भक्ति करने से हमारा मोक्ष संभव है ?
18. वर्तमान समय में प्रसिद्ध भविष्यवक्ताओं के अनुसार वह महान संत कौन है ?
इन सभी प्रश्नों के उत्तर शास्त्रों में प्रमाण सहित जानने के लिए कृप्या अवश्य पढ़ें यह पुस्तक ' '
1गीता तेरा ज्ञान अमृत "पुस्तक।
2 ज्ञान गंगा,, पुस्तक।
3.जिने की राह,, पुस्तक
तेरा गायन तू रख
@@deepaksharma4095 most welcome bro
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गीता के गूढ़ रहस्य
गीत अध्याय 16 के मंत्र नंबर 23
॥23 ॥ य : शास्त्रविधिमुत्सृज्य वर्तते कामकारतः ।
न स सिद्धिमवाप्नोति न सुखं न परां गतिम् ॥23 ॥
शब्द का अर्थ- ( यः ) जो पुरुष ( शास्त्राविधिम् ) शास्त्राविधिको ( उत्सृज्य ) त्यागकर ( कामकारतः ) अपनी इच्छासे मनमाना ( वर्तते ) आचरण करता है ( सः ) वह ( न ) न ( सिद्धिम् ) सिद्धिका ( अवाप्नोति ) प्राप्त होता है ( न ) न ( पराम् ) परम ( गतिम् ) गतिको और ( न ) न ( सुखम् ) सुखको ही ।
अनुवाद - जो पुरुष शास्त्र विधि को त्यागकर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करता है , वह न सिद्धि को प्राप्त होता है , न परमगति को और न न सुख को ही ।
गीता अध्याय 16 के मंत्र नंबर 24
॥24॥ तस्माच्छास्त्रं प्रमाणं ते कार्याकार्यव्यवस्थितौ ।
ज्ञात्वा शास्त्रविधानोक्तं कर्म कर्तुमिहार्हसि ॥24 ॥
शब्द का अर्थ - ( तस्मात् ) इससे ( ते ) तेरे लिये ( कार्याकार्यव्यवस्थितौ ) कर्तव्य और अकर्तव्यकी व्यवस्थामें ( शास्त्राम् ) शास्त्रा ही ( प्रमाणम् ) प्रमाण है ( इह ) इसे ( ज्ञात्वा ) जानकर ( शास्त्राविधानोक्तम् ) शास्त्राविधिसे नियत ( कर्म ) कर्म ही ( कर्तुम् ) करने ( अर्हसि ) योग्य है ।
अनुवाद - इससे तेरे लिए इस कर्तव्य और अकर्तव्य की व्यवस्था में शास्त्र ही प्रमाण है । ऐसा जानकर तू शास्त्र विधि से नियत कर्म ही करने योग्य है।
गीत अध्याय 16 के मंत्र नंबर 23 में गीता ज्ञान दाता कह रहे हैं की जो शास्त्र विधि को त्याग कर मन माना आचरण करते हैं वह ना तो सिद्धि को प्राप्त होते हैं ना ही परम गति को। और ना ही सुख को प्राप्त होगा।
वही गीता अध्याय 16 के मंत्र नंबर 24 में गीता ज्ञान दाता कह रहा है की है अर्जुन कर्तव्य और अकर्तव्य की व्यवस्था में शास्त्र ही प्रमाण है। ऐसा जानकर तू शास्त्र विधि से नित्य कर्म कर।
भावार्थ है की:- जो गीता जी में बताए गए कर्म के अनुसार शास्त्र विधि को त्याग कर मन माना आचरण करते हैं जो अपनी मनमानी पूजा भक्ति करता है। वह व्यर्थ (useless) है यानी मोक्षदायक नहीं है।
अब जरा आप यह विचार कर लीजिए कि हम जो साधना कर रहे हैं हम जिन मंत्रों का जाप या जो नाम ले रहे हैं या जिस देवी-देवता को पुज रहे हैं उसका हमारे शास्त्र भगवत गीता या वेदों में उल्लेख है या नहीं। कही हम व्यर्थ में अपना मनुष्य जीवन बर्बाद तो नहीं कर रहे हैं।
Juti gand mat fala
गोगा जी ने गौ रक्षा के लिए
लड़ाई लड़ी और शाहिद हो गए
उन का संस्कार मुस्लिम रीति से
म्होमिड गजनी के सैनिक द्वारा किया गया था
जो हिंदू रीति नही जानते थे
जिंदा पीर,। साक्षात देवता कहा
ABBE BHOSDI KE CHUTIYA KHAA SE PAD KE AYAA HAI
जै गोगाजी मराज री
Guruji ram ram 😊
Jai mere guru goga ji
ज्ञान लो श्रीमान कुलदेव जी के बारे में ज्ञान लो आज भी सशक्त विद्यामान हन्नन
Har har Mahadev
धार्मिक सदभाव का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल दुनिया में कहीं है तो गोगामेड़ी है। यहां हिन्दू मुस्लिम, सिक्ख ईसाई सभी धर्मों/ पंथो के लोग आकर अपनी मन्नत मांगते हैं, गोगाजी महाराज की मान्यता उत्तर प्रदेश महाराष्ट्र गुजरात मध्य प्रदेश बिहार बंगाल असम हिमाचल व जम्मू-कश्मीर दिल्ली व राजस्थान से लोग मिलजुल कर आते हैं ब एक साथ रहते हैं
Uttarakhand
Sabhi bhakton ko jai goga ji jab goga ji ne dungi dabar ki ladai me apne bhaiyo ko maar diya tab mata bachal ne unko gusse me kaha tha ki jab tak tum jivit rahoge mujhe apna chehra mat dikhana or marke mere sapne me na ana isliye goga ji duniya se parda lene ke liye dharti maa ke paas aye dharti maa ne kaha ki dharti me parda muslim ke liye hai tum makka madina jao aur kalma sikh kar aao jab guru gorkhnath ji ko pata chala ki goga ji muslim ban ne ja rhe hai unhone haji ratan ka roop banaya aur bathinda me baith gaye jab goga raste se gujar rhe the to unhone dekha ki koi sant baithe inse ashirvad lekar chlu jab goga ji unke pass gaye unhone bataya ki mai madine se aya hun haji ratan mera naam hai goga ji ne kaha ki mai to apse milne hi aa rha tha tabhi haji ratan baba ne ek bhagve rang ke kapde ke upar gayitri mantra likh diya aur kaha jaha par bhi tumhe parda lena hoga vaha jakar ye mantar bol dena tabhi goga ji bagad me akar gaytri mantar bola aur goga ji ghode aur jode ke sath jameen me sama gaye jai shree Goga Ji 🙏🙏
नाथ संप्रदाय में सिद्ध महात्माओं को पीर जी कह कर आज भी स्मभोदित किया जाता हे , पीर शब्द नाथ संप्रदाय का हे जी
Jai shree guru gorakhnath jai shree jaharveer mahraj jai shree nahar Singh panday ji ki jai ho
GURU GORAKHNATH KA AASHIRWAD THA KI CHARON DISHAON MEIN GOGA JI KI POOJA HOGI
जो बलपूर्वक मुसलमान बनाए गए थे वो कायमखानी मुसलमान ही गोगा जी को पूजते हैं , क्योंकि वो धर्म तो बदल लिया लेकिन अपनी पूर्वजों के प्रति आस्था को नहीं बदल पाये।
मजार नहीं है हिंदुओं में भी समाधी प्रथा का चलन रहा है ।
Jay.goga.ji.maharaj.ki,Jay,shri.guru.gorakh.nath.ji.ki.
Jay Jay Shri Goga ji Mahara❤😅j
भरत जी कृपया ये उत्तरी भारत का यह सबसे बड़ा पशु मेला भी यहां भरता है उसके बारे में भी जानकारी देना जी
Haa
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
समाधि ही है
Jahar veer gogaji jr dadreva ki shaan hai isliye to gogaji veer chuhan hai
भाई मुस्लिम समाज गोगाजी को जाहरवीर गोगा पीर और रामदेवजी महाराज को राम सा पीर कहते है ।
Medi ke upr kuch Urdu me likha hai, saaf nhi dikhai de rha, woh kiya likha hai..
उसटायम मुगलों का सासन था ईस लिए झुठी ईसटोरी बनाई गई गोगाजी महाराज गुरु गोरखनाथ जी महाराज की करपा थी
@barat ola
मजार नहीं मेड़ी है।
कृपया अपने thumbnail का शीर्षक सही कर लीजिए। मेड़ी को मजार कह कर आप हमारी संस्कृति, आस्था और भावनाओं पर आघात कर रहे हैं।
Raja ganga singh ne dobara banaa tha
Goga ji ki majar nhi samadhi hai hai jai baba jaharveer ki ❣️🙏
Goga ik Power full attma hain..ehh koyi peer ni hain
Hor ki hai fer
गोगाजी हिन्दू थे और हिन्दूओ की मज़ार नहीं होती है
Unki majar firoj shah ne bnaya tha unke vansaj muslim h
Jinko Savari ATI hai unse hi puch lo ke baba aapka asli itihas kya hai
Ratan singh muslim tha kya
Nhi vo nath samparday se the
Skusl rho
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आपका नंबर दीजिए श्रीमान जी मुझे जानकारी चाहिए
Gogaji ki mirtyu kaise hui kirpa btayen gogaji to sheshnag jike avtar the to phir unhen gajnavi ne kaise maara
GOGA JI KI MIRTYU HUII HII NHI HAI UNHONE JIS PRAKAR PRABHU SHRI RAM NE JAL SAMADHI LII THII USII PRAKAR SE GOGA JI NE (THAL) YANI DAHRTI MEIN SAMADHI LII THII
मजार लिखने की जगह समाधि लिखे तो ज्यादा बेहतर होगा।