हरे संत सार्दुल साहेब चरण में वंदन महान साधु जिनके सूफी कल्लम सिंध और घाट जैसलमेर बाड़मेर में। चाव से सुने जाते हैगुरु मुखी और इश्वर के प्रेम से जो रूमानियत सार्दुल साहेब के भजनों मिलती हैं वह दूसरी जगह नही रज्जब रसखान और सुंदर दश के बराबर के रसीले और भाव भरे भजन साडुल साहेब के भजन में मिलते है
हरे संत सार्दुल साहेब चरण में वंदन महान साधु जिनके सूफी कल्लम सिंध और घाट जैसलमेर बाड़मेर में। चाव से सुने जाते हैगुरु मुखी और इश्वर के प्रेम से जो रूमानियत सार्दुल साहेब के भजनों मिलती हैं वह दूसरी जगह नही रज्जब रसखान और सुंदर दश के बराबर के रसीले और भाव भरे भजन साडुल साहेब के भजन में मिलते है
हरे सन्तों हरे
ये भजन लिखित मे कहा मिल सकते है ??????
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