'Dealing' with negetive emotions is a temporary phenomenon, not SOLUTION... when we outgrow our routine mind and habitual patterns, we are automatically out of this negativity too... don't fight or try to change these emotions rather try to bring more of positivity in your life...
स्वामी जी, मेरा एक प्रश्न है। ओशो ने प्रतिरोध मतलब resistance के बारे मे क्या कभी कोई भावना को शेयर किया है? ये प्रतिरोध मै द्रोह के सन्दर्भ में बोल रहा हुँ।
ओशो ने इस दिशा में काफी सजगता हमें दी है । सच्चा विद्रोह अपने सच्चे चेहरे को पहचानकर आता है, किसी से प्रभावित होकर नहीं भले ही वह गुरु की वाणी हो, शास्त्र हो या किसी की नकल करके हो। वह विद्रोह की परछाईं है, असल नहीं। उसके बरतने से बाहरी तौर पर आपको थोड़ी शक्ति महसूस होगी पर आंतरिक शांति, मुक्ति, संतोष नहीं और यही कसौटी है।
Swamiji, could please explain how to deal with jealousy and envy.
'Dealing' with negetive emotions is a temporary phenomenon, not SOLUTION...
when we outgrow our routine mind and habitual patterns, we are automatically out of this negativity too...
don't fight or try to change these emotions rather try to bring more of positivity in your life...
स्वामी जी, मेरा एक प्रश्न है। ओशो ने प्रतिरोध मतलब resistance के बारे मे क्या कभी कोई भावना को शेयर किया है? ये प्रतिरोध मै द्रोह के सन्दर्भ में बोल रहा हुँ।
ओशो ने इस दिशा में काफी सजगता हमें दी है । सच्चा विद्रोह अपने सच्चे चेहरे को पहचानकर आता है, किसी से प्रभावित होकर नहीं भले ही वह गुरु की वाणी हो, शास्त्र हो या किसी की नकल करके हो। वह विद्रोह की परछाईं है, असल नहीं। उसके बरतने से बाहरी तौर पर आपको थोड़ी शक्ति महसूस होगी पर आंतरिक शांति, मुक्ति, संतोष नहीं और यही कसौटी है।