Jai ❤Jai ❤Jai ❤❤sri ❤❤ram ❤❤ Jai ❤❤sri ❤❤ram ❤❤ Jai ❤❤sri ❤❤ram ❤❤ Jai ❤❤sri ❤❤ram ❤❤ Satya ❤❤sanatan ❤ki ❤Jai ❤ Satya ❤❤sanatan ❤❤ki ❤Jai ❤❤ Satya ❤❤mebo ❤❤jayte ❤❤ Satya ❤❤mebo ❤❤jayte ❤❤ ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤ Jab jab batey hay tab tab Katey hay ekk raho gey too nek raho gey Bato mat jate may Bato mat jate may Jab jab batey hay tab tab Katey hay ekk raho gey too nek raho gey
ये जातियां नही....गुण-क्रिया हैं 👇 ब्राह्मण- ज्ञान अर्जन और ज्ञान प्रसार करना क्षत्रिय- रक्षा कार्य करना वैश्य- पालन पोषण कार्य करना शुद्र- सेवा भाव, कर्तव्यनिष्ठा भाव से कार्य करना। प्रत्येक मनुष्य अपने जीवन में आवश्यक अनुपात में इन चारों गुण-क्रियाओं के द्वारा ही प्रत्येक कार्य करता है प्राचीन समय में ब्राह्मण उपाधि होती थी...जो यह उपाधि लेता था उससे कुछ नियमों का पालन करना पड़ता था...उन नियमों की पालना को संकल्प में बांधकर कर धर्म रूप में धारण करवा दिया जाता था यह उपाधि जन्मजात नही थी...ज्ञानी लोगों को ही मिलती थी...जब वह अपनी विशेषज्ञता सिद्ध कर देता था...तभी उसे यह उपाधि दी जाती थी... जाति तो प्रकृति में स्थान, रहन सहन, पर्यावरण के प्रभाव से स्वतः विकसित हो जाती है जैसे.... आम के फल की बहुत सी जातियां है विश्व में लगभग 104 तरह के सांप पाए जाते हैं..ये सांप की जातियां ही हैं मछली की बहुत सी जातियां है 🧐 महत्वपूर्ण यह हैं कि मनुष्य को ईश्वर और प्रकृति से मनुष्य को जीवन में जो विशेष शक्ति मिलती है; सदगुण और शिक्षा की चेतना से उस शक्ति का कैसे सदुपयोग बनाये रखा जाए सनातन ग्रंथों को ध्यान से पढोगे... तो समझ मे आऐगा कि ईश्वर ने भक्ति, कर्म और भाव को विशेष महत्वपूर्ण बताया है ईश्वर मनुष्य को उसके कर्म के अनुसार कर्मफल और कर्म करने के लिए ज्ञान, शक्ति, कला और सामर्थ्य देता है...ना कि छोटा, बड़ा, ऊँच, नीच, श्रेष्ठ, निम्न बनने के लिए.. जन्मजात स्वयं को केवल ब्राह्मण, केवल क्षत्रिय, केवल वैश्य, केवल शुद्र मत कहो....क्योंकि ये चारों गुण-क्रियाएं, ऊर्जाएं प्रत्येक मनुष्य में विद्यमान हैं स्वयं को वेद अनुयायी, पुराण, रामायण, महाभारत संस्कृति के पालनकर्ता, अनुयायी कह सकते हो स्वयं को सनातनी संस्कृति अनुयायी कह सकते हो स्वयं को सनातनी कह सकते हो स्वयं को भारतीय कहो सनातन धर्म संस्कृति के रक्षक बनो....स्वयं ही अपनी दिव्य संस्कृति के लिए दीमक मत बनो सनातन धर्म ग्रंथो को पढो
जय श्री राम
हिंदू राष्ट्र की जय हो
जय श्री सीताराम
जय श्री राम 🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
हिन्दुओं को एक होना ही पड़ेगा कोई दूसरा रास्ता नहीं है, आप देखेंगे कि पूरी दुनिया में हिन्दुओं को चुन चुन कर निशाना बनाया जा रहा है
राधे राधे
Jai shree Ram 🙏
Jai shri ram🙏🙏🙏
Jai shree Ram 🙏🙏🙏
Jai jagarnnath🙏🙏
Jai shri sita Ram 🙏🙏🚩🚩
Jai ho sanatan
Jay Yogi Adityanath ji 🙏🙏🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳❤️
Jai Shri Ram
जय हिन्द☝️☝️☝️☝️🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🤝🤝🤝🤝🤝🤝🤝
Jay Shri Ram
Jai jai shree ram 🙏🛕🚩🎪
Jai Yogi ji
Ji sar Ram
Jay Shri Ram
Jati pati men nahi Batna hai, Hum sab Sanatani h yad rakhen, Ekta main shakti hoti h. Ek raho Nek raho.
Jay shree Ram 🙏🙏🚩🚩🚩
Jai ❤Jai ❤Jai ❤❤sri ❤❤ram ❤❤
Jai ❤❤sri ❤❤ram ❤❤
Jai ❤❤sri ❤❤ram ❤❤
Jai ❤❤sri ❤❤ram ❤❤
Satya ❤❤sanatan ❤ki ❤Jai ❤
Satya ❤❤sanatan ❤❤ki ❤Jai ❤❤
Satya ❤❤mebo ❤❤jayte ❤❤
Satya ❤❤mebo ❤❤jayte ❤❤
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Jab jab batey hay tab tab Katey hay ekk raho gey too nek raho gey
Bato mat jate may
Bato mat jate may
Jab jab batey hay tab tab Katey hay ekk raho gey too nek raho gey
हमें हिंदुओं को बताना पडता है
“बंटेंगे तो कटेंगें ”
वो कटे हुए है फिर भी बंटे नहीं !😂
ये जातियां नही....गुण-क्रिया हैं
👇
ब्राह्मण- ज्ञान अर्जन और ज्ञान प्रसार करना
क्षत्रिय- रक्षा कार्य करना
वैश्य- पालन पोषण कार्य करना
शुद्र- सेवा भाव, कर्तव्यनिष्ठा भाव से कार्य करना।
प्रत्येक मनुष्य अपने जीवन में आवश्यक अनुपात में इन चारों गुण-क्रियाओं के द्वारा ही प्रत्येक कार्य करता है
प्राचीन समय में ब्राह्मण उपाधि होती थी...जो यह उपाधि लेता था उससे कुछ नियमों का पालन करना पड़ता था...उन नियमों की पालना को संकल्प में बांधकर कर धर्म रूप में धारण करवा दिया जाता था
यह उपाधि जन्मजात नही थी...ज्ञानी लोगों को ही मिलती थी...जब वह अपनी विशेषज्ञता सिद्ध कर देता था...तभी उसे यह उपाधि दी जाती थी...
जाति तो प्रकृति में स्थान, रहन सहन, पर्यावरण के प्रभाव से स्वतः विकसित हो जाती है जैसे....
आम के फल की बहुत सी जातियां है विश्व में लगभग 104 तरह के सांप पाए जाते हैं..ये सांप की जातियां ही हैं मछली की बहुत सी जातियां है 🧐
महत्वपूर्ण यह हैं कि मनुष्य को ईश्वर और प्रकृति से मनुष्य को जीवन में जो विशेष शक्ति मिलती है; सदगुण और शिक्षा की चेतना से उस शक्ति का कैसे सदुपयोग बनाये रखा जाए
सनातन ग्रंथों को ध्यान से पढोगे... तो समझ मे आऐगा कि ईश्वर ने भक्ति, कर्म और भाव को विशेष महत्वपूर्ण बताया है
ईश्वर मनुष्य को उसके कर्म के अनुसार कर्मफल और कर्म करने के लिए ज्ञान, शक्ति, कला और सामर्थ्य देता है...ना कि छोटा, बड़ा, ऊँच, नीच, श्रेष्ठ, निम्न बनने के लिए..
जन्मजात स्वयं को केवल ब्राह्मण, केवल क्षत्रिय, केवल वैश्य, केवल शुद्र मत कहो....क्योंकि ये चारों गुण-क्रियाएं, ऊर्जाएं प्रत्येक मनुष्य में विद्यमान हैं
स्वयं को वेद अनुयायी, पुराण, रामायण, महाभारत संस्कृति के पालनकर्ता, अनुयायी कह सकते हो
स्वयं को सनातनी संस्कृति अनुयायी कह सकते हो
स्वयं को सनातनी कह सकते हो
स्वयं को भारतीय कहो
सनातन धर्म संस्कृति के रक्षक बनो....स्वयं ही अपनी दिव्य संस्कृति के लिए दीमक मत बनो
सनातन धर्म ग्रंथो को पढो
जो कभी नही हो सकता,, सत्ता सुख सिर्फ दो मलाई खा रहे है,, ये सिर्फ दिखावा है
जय श्री राम
Jai shree Ram 🙏🙏🙏
Jai shree ram 🚩🚩
Jai shree ram
Jai shree Ram ❤❤
Jay Shri Ram
Jai shree Ram