इस वीडियो ने मुझे आत्मा के वास्तविक अर्थ के बारे में फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया है। यह सचमुच हमारी धारणाओं को बदलने वाली व्याख्या है। जिस तरह से आत्मा को 'अद्वैत' बताया गया है, वह अद्वैत वेदांत के गूढ़ सिद्धांतों का सरल परंतु गहन वर्णन है।
आत्मा को देखा, छुआ या सोचा नहीं जा सकता-यह विचार किसी भी साधक के लिए बहुत बड़ा खुलासा है। यह हमारी इंद्रियों और मानसिक प्रक्रियाओं की सीमाओं को चुनौती देकर आत्मा को उस असीम अनुभव के रूप में पेश करता है, जो मानव बुद्धि के परे है।
प्रणाम महाराज जी 🙏! आपका बहुत बहुत धन्यवाद माण्डूक्य उपनिषद् का इतना अच्छा व्याख्यान करने के लिए जैसे जैसे आपका सत्संग सुन रहा हूं धीरे धीरे सब भ्रम टूटने लगे। आत्मा का इतना सहज और विशुद्ध वर्णन के लिए बहुत बहुत आभार आपका महाराज जी ! प्रणाम 🙏
प्रणाम! महाराज जी आज का सत्संग बहुत ही ज्ञानप्रद है। वेदों में उपनिषदों में यह सब लिखा...इतनी गहरी बातें है आज पता चला। आपका आभार। और आत्मा शब्द के नाम पर व्याप्त गलत जानकारी को तो आपने अच्छे से उजागर कर दिया करते है...हमेशा की तरह इस बार भी 🙂🙏🙏🚩🌹🌹🌹🌹🌹🌹
🙏प्रणाम महाराज जी आपकी व्याख्या से मांडूक्य उपनिषद के सातवें मंत्र की गहराई को समझने में बहुत मदद मिली।" आत्मा के स्वरूप को समझने के लिए आपका सत्संग बहुत ही उपयोगी है, आपका बहुत धन्यवाद महाराज जी आपके चरणों मे कोटि कोटि नमन 🙏🙏🙏
अदृष्टम जो देखा जाता है वह दृश्य बन जाता हैऔर जो जाना जाता है वह जानकारी महाराज जी आज आपने जो पॉइंट टू पॉइंट आत्मा के बारे में समझाया है वह अद्भुत है . आत्मा के बारे में जो लोग अज्ञान फैला रहे हैं उनको निश्चित रूप से यह वीडियो देखना चाहिए आपको कोटि कोटि प्रणाम महाराजजी 🙏🙏
The distinction between the external and internal is so beautifully explained. It made me realize how much of this division is a product of our own minds. This video is an incredible guide for anyone walking the path of self-realization.
"The way the video discusses the Self as 'advaita'-non-dual-brilliantly simplifies a complex philosophy. It’s a true gift for those seeking clarity on the nature of the Self.
बताया नहीं जा सकता सोचा भी नहीं जा सकता न व्यवहार ही कर सकता है बिनु बानी वह वक्ता उसके भीतर नहीं कुछ उसके बाहर नहीं कुछ खुद वह ही सबकुछ भ्रम संसार दिखे जो सरकता दो वह नहीं है प्रपंच कुछ नहीं है विराज शांति रही है सिर्फ है बस 'मैं' यह परम सत्ता ! प्रणाम!
So all those big religious gurus selling tickets to 'soul awakening' retreats might be in for a shock after watching this. Turns out the Self isn’t for sale-who would’ve thought!
प्रणाम! वीडियो देखने के लिए धन्यवाद। कृपया अपने प्रश्न और सुझाव हमें नीचे दिए गए ईमेल पते पर भेजें ताकि हम महाराज जी द्वारा आपको विस्तृत समुचित उत्तर उपलब्ध करवा सके: ईमेल आईडी: satya_ki_aur@yahoo.com टीम - सत्य की ओर
महाराज जी, आप कहते हैं कि व्यक्तिगत आत्मा नहीं होती या आत्मा शरीर से बाहर नहीं निकलती, तो फिर उस सिद्धि के बारे में क्या कहा जाएगा जिसमें व्यक्ति एक शरीर से निकलकर दूसरे शरीर में प्रवेश कर जाता है। जैसा कि कहा जाता है कि आदि शंकराचार्य ने भी किया था। क्या वो व्यक्तिगत आत्मा का प्रमाण नही?
वाह, सदियों से जो हमने 'आत्मा' को पूजा-पाठ और दान-दक्षिणा तक सीमित कर रखा था, वो सब गलत निकला! लगता है हमने आत्मज्ञान की जगह, अंधविश्वास का कोर्स किया है।
Narayan Hariom ❤ Asatomasadgamy Tamasomajyotirgamay ❤ Shashwat Prem Pranam prabhu ji ❤
धन्यवाद महाराज जी और बहुत सारा प्रेम 🙏🪔
❤ Aap Ke bhitar baithe Parmatma ko Court court pranam❤
अत्यंत ही स्पष्ट व्याख्या। एक एक शब्द को गहराई से समझने के लिए आपको साधुवाद। जान की गंगा बहती रहे। प्रणाम।
स्वामीजी के श्री चरणों में कोटि कोटि नमन।
Anantaay namo namah hansanandji maharaj🙏
आत्मा को ना देखा जा सकता है, ना सोचा जा सकता है-इस सच को महाराज जी ने बेहतरीन ढंग से समझाया।
Hariom.guruji.❤❤❤
इस वीडियो ने मुझे आत्मा के वास्तविक अर्थ के बारे में फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया है। यह सचमुच हमारी धारणाओं को बदलने वाली व्याख्या है। जिस तरह से आत्मा को 'अद्वैत' बताया गया है, वह अद्वैत वेदांत के गूढ़ सिद्धांतों का सरल परंतु गहन वर्णन है।
बहुत ही सुंदर 🙏🙏
बहुत ही सुंदर और अद्भुत विवरण। शुक्रिया गुरूदेव 🙏❤️🌹
Guruji pranam 🙏❤️🙏🙏
Aatma ajar amar avinashi hai
आत्मा को देखा, छुआ या सोचा नहीं जा सकता-यह विचार किसी भी साधक के लिए बहुत बड़ा खुलासा है। यह हमारी इंद्रियों और मानसिक प्रक्रियाओं की सीमाओं को चुनौती देकर आत्मा को उस असीम अनुभव के रूप में पेश करता है, जो मानव बुद्धि के परे है।
Pranam maharaj ,
भाषा के निषेधात्मक प्रयोग का विवरण काफी अच्छा लगा 👌🙏
महाराज जी ने जिस तरह से आत्मा के 'शांत' और 'प्रपंच रहित' स्वरूप का वर्णन किया है, वह एक गहरी आंतरिक शांति और संतुलन की ओर इशारा करता है।
प्रणाम महाराज जी 🙏! आपका बहुत बहुत धन्यवाद माण्डूक्य उपनिषद् का इतना अच्छा व्याख्यान करने के लिए जैसे जैसे आपका सत्संग सुन रहा हूं धीरे धीरे सब भ्रम टूटने लगे। आत्मा का इतना सहज और विशुद्ध वर्णन के लिए बहुत बहुत आभार आपका महाराज जी ! प्रणाम 🙏
Gajab kee lila❤
प्रणाम! महाराज जी
आज का सत्संग बहुत ही ज्ञानप्रद है। वेदों में उपनिषदों में यह सब लिखा...इतनी गहरी बातें है आज पता चला। आपका आभार। और आत्मा शब्द के नाम पर व्याप्त गलत जानकारी को तो आपने अच्छे से उजागर कर दिया करते है...हमेशा की तरह इस बार भी 🙂🙏🙏🚩🌹🌹🌹🌹🌹🌹
Pranam maharaj ji 🙏🙏
You have told the true and correct meaning of soul, we were misled by understanding the different meaning of soul. 🙏🙏🙏🙏
सत्रह बिंदुओं के माध्यम से आत्मा के बारे में जो व्याख्या दी गई है, वह हमें अपने भीतर झाँकने का अवसर देती है।
अपने चित्त की निचाइयों से इस ज्ञान की ऊँचाइयों को बारंबार प्रणाम करता हूं 👏👏👏👏👏
आत्मा आकाश तत्व या मन नहीं है-यह विचार बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह हमें आत्मा को भौतिक तत्वों से अलग समझने की दिशा में मार्गदर्शन करता है।
महाराज जी को सादर प्रणाम!
अत्यंत सारगर्भित तथा स्पष्ट व्याख्यान 🚩🙏
🙏प्रणाम
महाराज जी आपकी व्याख्या से मांडूक्य उपनिषद के सातवें मंत्र की गहराई को समझने में बहुत मदद मिली।"
आत्मा के स्वरूप को समझने के लिए आपका सत्संग बहुत ही उपयोगी है, आपका बहुत धन्यवाद महाराज जी
आपके चरणों मे कोटि कोटि नमन
🙏🙏🙏
अदृष्टम जो देखा जाता है वह दृश्य बन जाता हैऔर जो जाना जाता है वह जानकारी महाराज जी आज आपने जो पॉइंट टू पॉइंट आत्मा के बारे में समझाया है वह अद्भुत है . आत्मा के बारे में जो लोग अज्ञान फैला रहे हैं उनको निश्चित रूप से यह वीडियो देखना चाहिए आपको कोटि कोटि प्रणाम महाराजजी 🙏🙏
आत्म तत्व को स्पष्ट करने लिए उपनिषद की ही बात प्रस्तुत करना श्रेयस्कर है जो कि आपने किया...
माण्डूक्य उपनिषद का यह मंत्र वाकई में आत्मा के वास्तविक स्वरूप को समझने के लिए अद्भुत मार्गदर्शन देता है।
The distinction between the external and internal is so beautifully explained. It made me realize how much of this division is a product of our own minds. This video is an incredible guide for anyone walking the path of self-realization.
🙏❤️🙏
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🙏🙏
👍👍
Dandvat pranam Maharaj ji 🙏 🌹
Parnam maharaj ji 🙏🙏
"The way the video discusses the Self as 'advaita'-non-dual-brilliantly simplifies a complex philosophy. It’s a true gift for those seeking clarity on the nature of the Self.
बताया नहीं जा सकता
सोचा भी नहीं जा सकता
न व्यवहार ही कर सकता
है बिनु बानी वह वक्ता
उसके भीतर नहीं कुछ
उसके बाहर नहीं कुछ
खुद वह ही सबकुछ
भ्रम संसार दिखे जो सरकता
दो वह नहीं है
प्रपंच कुछ नहीं है
विराज शांति रही है
सिर्फ है बस 'मैं' यह परम सत्ता !
प्रणाम!
Dhanyvad koti koti Naman
It is now up to us that how do we realize the teachings you provide so regularly and so profoundly. Pl accept my pranams
Pranam Maharaj ji 🙏
इस तरह के ज्ञानवर्धक वीडियो के लिए धन्यवाद!
Gurudew apko dekhana hai awaj hi suni hai
दंडवत प्रणाम महाराज जी
Pjylpiutv
Pjylpiutv
यह वीडियो आत्मा को किसी भी वस्तुगत या मानसिक सीमा में बाँधने के सारे भ्रमों को दूर करता है।
आत्मा तो अद्वैत है! और हमने इसे हमेशा ‘इसे भी दे दो, उसे भी दे दो’ में बाँट रखा था। लगता है अब सारे दान-दक्षिणाओं की दुकानें बंद करनी पड़ेंगी।
आत्मा शिव है
पर यह शिव गंगधारी शिव नहीं
सत्य वचन
Swami ji ka live satasang ko sunne ke liye kahan Anna hoga
Krupa kar ke hardcopy bhi amzon per upload kariye
प्रणाम!
पुस्तक की प्रिंट कॉपी के लिए संपर्क करें: +91 - 8287367201
₹250 + ₹100 डिलीवरी चार्जर्स।
टीम - सत्य की ओर
So all those big religious gurus selling tickets to 'soul awakening' retreats might be in for a shock after watching this. Turns out the Self isn’t for sale-who would’ve thought!
bavji Sa ka koi adress ho to bhejo please
प्रणाम!
वीडियो देखने के लिए धन्यवाद। कृपया अपने प्रश्न और सुझाव हमें नीचे दिए गए ईमेल पते पर भेजें ताकि हम महाराज जी द्वारा आपको विस्तृत समुचित उत्तर उपलब्ध करवा सके:
ईमेल आईडी: satya_ki_aur@yahoo.com
टीम - सत्य की ओर
महाराज जी, आप कहते हैं कि व्यक्तिगत आत्मा नहीं होती या आत्मा शरीर से बाहर नहीं निकलती, तो फिर उस सिद्धि के बारे में क्या कहा जाएगा जिसमें व्यक्ति एक शरीर से निकलकर दूसरे शरीर में प्रवेश कर जाता है। जैसा कि कहा जाता है कि आदि शंकराचार्य ने भी किया था। क्या वो व्यक्तिगत आत्मा का प्रमाण नही?
वाह, सदियों से जो हमने 'आत्मा' को पूजा-पाठ और दान-दक्षिणा तक सीमित कर रखा था, वो सब गलत निकला! लगता है हमने आत्मज्ञान की जगह, अंधविश्वास का कोर्स किया है।
Pranam maharaj ji 🙏🌺
प्रणाम महाराज जी 🙏🏻
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