इगास बग्वाल || Igas Bawal Uttrakhand || Mrsajwan Vlogs || Pahadi Culture || Uttrakhand Festival

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  • Опубликовано: 10 фев 2025
  • कार्तिक दिवाली के ठीक ग्यारह दिन बाद आकाश दिवाली मनाई जाती है जिसे स्थानीय भाषा में 'इगास' कहते हैं। यह दिवाली कार्तिक अमावस्या के ग्यारहवें दिन एकादशी को मनाई जाती है इसलिए इसे इगास बग्वाल भी कहते हैं और एकादशी का अपभ्रंश इगास है। इसके पीछे मान्यता है कि अज्ञातवास के बाद चार पांडव भाई घर लौट आए लेकिन भीम कहीं युद्ध में फंस गए। ग्यारह दिन बाद वे घर लौटे और इस तरह तब से लेकर आज तक यह आकाश दिवाली मनाई जाती है। एक अन्य मान्यता यह भी है कि महाराजा के सेनापति माधो सिंह भंडारी एक बार युद्ध में तिब्बतियों को भगाते समय रास्ता भटक गए थे। दिवाली के दौरान वे अपने घर नहीं लौट पाए थे। तब किसी अनहोनी के डर से पूरे राज्य में दिवाली नहीं मनाई गई थी। बाद में सेनापति युद्ध से विजयी होकर लौटे थे। यह खबर दिवाली के ग्यारह दिन बाद राज्य में पहुंची जिसके बाद से टिहरी के आसपास के इलाकों में इगास का त्योहार मनाया जाने लगा

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