अविच्छिन्न साधनरूप संग्राम अनिवार्यं हैं (Avichchhinn saadhanaroop sangraam anivaary hai)

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  • Опубликовано: 29 авг 2024
  • मुक्ति देनेवाली आधात्मिक शक्ति को प्राप्त करने के लिए निरलस तथा अविच्छिन्न साधनरूप संग्राम अनिवार्यं हैं। वैसे संग्रामी साधक को तो पग-पग दुःख-कष्ट को स्वीकार करना तथा सहन करना ही पड़ेगा और साधक के लिए वह दुःख-कष्ट, भुख-प्यास, सर्दी-गर्मी आदि को सहन करना और किसी भी प्रकार परिस्थितियों का सामना करना पडे, उसीको स्वीकार करके सतत सन्तोष रहना ही साधक का प्रधान कर्तव्य हैं, एवं वैसे साधक ही सिद्धि तथा मुक्ति आदि रूप विजय को प्राप्त होकर मनुष्य का जन्म निश्चित रूप से सफल कर लेता हैं।
    .................. स्वामी सर्वानन्द
    पुस्तक (Book):
    ( स्वामी सर्वानन्द की अमृतधारा
    एवं
    कुछ छंदोबद्ध कवितागुच्छो )
    .................................................................................................................................
    "Shri Guru Dham", Swami Sarvananda Sevashram, Yogoda satsanga, Vadia, Amreli, Gujarat-365480, India.

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