जिभ्या अनेकस्तुति अनेकसतगुरूहैपूर्ण विवेकये मेरीदाढ़ी मूछवालीशक्लगुरुनहींवाणी हुजूर मानवेश्जी महाराज

Поделиться
HTML-код
  • Опубликовано: 26 ноя 2024

Комментарии •