Ramcharit A Journey Through Tulsidas's Epic। श्री रामचरितमानस । गोस्वामी तुलसीदास

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  • Опубликовано: 19 сен 2024
  • श्री रामचरितमानस की रचना गोस्वामी तुलसीदास जी ने 16वीं शताब्दी में की थी। इसे अवधी भाषा में लिखा गया है और इसका मुख्य उद्देश्य श्रीराम के जीवन और उनके आदर्शों को सरल भाषा में जनसामान्य तक पहुंचाना था। श्री रामचरितमानस हिंदू धर्म के प्रमुख ग्रंथों में से एक है जो भगवान श्रीराम के आदर्श जीवन और उनके जीवन से जुड़े विभिन्न प्रसंगों को विस्तार से वर्णित करता है।
    रचना का समय
    तुलसीदास जी ने श्री रामचरितमानस की रचना वर्ष 1574 ईस्वी में आरंभ की और इसे पूरा करने में उन्हें लगभग दो साल का समय लगा। ऐसा कहा जाता है कि यह रचना अयोध्या में स्थित एक मंदिर में बैठकर आरंभ की गई थी। तुलसीदास जी ने इस महाकाव्य को उत्तर भारत में उस समय की जनभाषा अवधी में लिखा ताकि इसे हर व्यक्ति आसानी से समझ सके।
    श्री रामचरितमानस की रचना क्यों हुई
    सामान्य जन तक राम कथा पहुंचाना संस्कृत में पहले से उपलब्ध रामायण को केवल पंडित और विद्वान समझ सकते थे। तुलसीदास जी ने अवधी भाषा में इस महाकाव्य की रचना की ताकि आम जनता भी राम कथा और उनके जीवन के आदर्शों को समझ सके और उसे अपने जीवन में उतार सके।
    समाज में नैतिकता और आदर्शों की स्थापना श्री राम का जीवन एक आदर्श पुत्र पति भाई और राजा का प्रतीक है। तुलसीदास जी ने राम के आदर्शों को सामने रखते हुए समाज में नैतिक मूल्यों और धार्मिक कर्तव्यों की स्थापना के उद्देश्य से इस ग्रंथ की रचना की।
    धार्मिक एकता को बढ़ावा देना तुलसीदास जी ने रामचरितमानस के माध्यम से भक्ति की भावना को बढ़ावा देने और समाज को धार्मिक रूप से एकजुट करने की कोशिश की। इसमें उन्होंने भगवान राम की भक्ति को सर्वोच्च माना और उनके जीवन के आदर्शों का प्रचार-प्रसार किया।
    कथा का सार
    श्री रामचरितमानस में भगवान राम के जीवन के विभिन्न चरणों को सात कांडों (बालकांड, अयोध्याकांड, अरण्यकांड, किष्किंधाकांड, सुंदरकांड, लंकाकांड, और उत्तरकांड) में विभाजित किया गया है। इस महाकाव्य में राम के जन्म से लेकर उनके राज्याभिषेक तक के समस्त घटनाक्रमों का वर्णन है।
    तुलसीदास जी ने रामचरितमानस के माध्यम से भगवान राम के जीवन को आदर्श और मर्यादा का प्रतीक बताया है, जिसे आज भी हिंदू समाज में बड़े आदर और श्रद्धा के साथ पढ़ा और गाया जाता है।
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