आध्यात्मिकता से सराबोर पण्डित जी का गायन श्रवण करते समय लगता है कि राम केवट संवाद मेरे नेत्रों के सामने घटित हो रहा है। पण्डित जी और आयोजकों को कोटिशः नमन।
Pandit chunnilal Mishra,pandit Jasraj,Pandit Ravishankar,pandit Shivkumar Sharma,pandit Bhimsen Joshi,Lata Mangeshkar,Pandit Rajan,Sajan Mishra etc are gems who have kept the sanatan culture alive by their devine singing...they deserve bharat ratn..
इतना सुन्दर व सरल स्वभाव से गाया है कि शब्द ही नही है कि क्या लिखू ! अति आत्म से भी अधिक आनन्द आया और वह भी व्याख्या के साथ मुसकराते हुए ! फोरी कोटी कर बद्ध धन्यवाद संगीत श्रेष्ठ
Bharat me ek ek ratna hain..... Vastav me panditji ko sunkar nai pidhi k bachhe bhi sri "ramcharitmanas " k prati ruchi badhegi.. Maa saraswti putra pt. Chhanulalji ko saadar naman..
पंडितजी आपको शत कोटि प्रणाम मैं अपने बहुत भाग्यशालीमानता हूँ कि आपकी मखमली आवाज सुन रहा हूँ शब्द कम पड़ रहे हैँ आप शतायु हों स्वस्थ रहें भगवान से प्रार्थना है
* जासु बियोग बिकल पसु ऐसें। प्रजा मातु पितु जिइहहिं कैसें॥ बरबस राम सुमंत्रु पठाए। सुरसरि तीर आपु तब आए॥1॥ भावार्थ:-जिनके वियोग में पशु इस प्रकार व्याकुल हैं, उनके वियोग में प्रजा, माता और पिता कैसे जीते रहेंगे? श्री रामचन्द्रजी ने जबर्दस्ती सुमंत्र को लौटाया। तब आप गंगाजी के तीर पर आए॥1॥ * मागी नाव न केवटु आना। कहइ तुम्हार मरमु मैं जाना॥ चरन कमल रज कहुँ सबु कहई। मानुष करनि मूरि कछु अहई॥2॥ भावार्थ:-श्री राम ने केवट से नाव माँगी, पर वह लाता नहीं। वह कहने लगा- मैंने तुम्हारा मर्म (भेद) जान लिया। तुम्हारे चरण कमलों की धूल के लिए सब लोग कहते हैं कि वह मनुष्य बना देने वाली कोई जड़ी है,॥2॥ * छुअत सिला भइ नारि सुहाई। पाहन तें न काठ कठिनाई॥ तरनिउ मुनि घरिनी होइ जाई। बाट परइ मोरि नाव उड़ाई॥3॥ भावार्थ:-जिसके छूते ही पत्थर की शिला सुंदरी स्त्री हो गई (मेरी नाव तो काठ की है)। काठ पत्थर से कठोर तो होता नहीं। मेरी नाव भी मुनि की स्त्री हो जाएगी और इस प्रकार मेरी नाव उड़ जाएगी, मैं लुट जाऊँगा (अथवा रास्ता रुक जाएगा, जिससे आप पार न हो सकेंगे और मेरी रोजी मारी जाएगी) (मेरी कमाने-खाने की राह ही मारी जाएगी)॥3॥ * एहिं प्रतिपालउँ सबु परिवारू। नहिं जानउँ कछु अउर कबारू॥ जौं प्रभु पार अवसि गा चहहू। मोहि पद पदुम पखारन कहहू॥4॥ भावार्थ:-मैं तो इसी नाव से सारे परिवार का पालन-पोषण करता हूँ। दूसरा कोई धंधा नहीं जानता। हे प्रभु! यदि तुम अवश्य ही पार जाना चाहते हो तो मुझे पहले अपने चरणकमल पखारने (धो लेने) के लिए कह दो॥4॥ छन्द : * पद कमल धोइ चढ़ाइ नाव न नाथ उतराई चहौं। मोहि राम राउरि आन दसरथसपथ सब साची कहौं॥ बरु तीर मारहुँ लखनु पै जब लगि न पाय पखारिहौं। तब लगि न तुलसीदास नाथ कृपाल पारु उतारिहौं॥ भावार्थ:-हे नाथ! मैं चरण कमल धोकर आप लोगों को नाव पर चढ़ा लूँगा, मैं आपसे कुछ उतराई नहीं चाहता। हे राम! मुझे आपकी दुहाई और दशरथजी की सौगंध है, मैं सब सच-सच कहता हूँ। लक्ष्मण भले ही मुझे तीर मारें, पर जब तक मैं पैरों को पखार न लूँगा, तब तक हे तुलसीदास के नाथ! हे कृपालु! मैं पार नहीं उतारूँगा। सोरठा : * सुनि केवट के बैन प्रेम लपेटे अटपटे। बिहसे करुनाऐन चितइ जानकी लखन तन॥100॥ भावार्थ:-केवट के प्रेम में लपेटे हुए अटपटे वचन सुनकर करुणाधाम श्री रामचन्द्रजी जानकीजी और लक्ष्मणजी की ओर देखकर हँसे॥100॥ चौपाई : * कृपासिंधु बोले मुसुकाई। सोइ करु जेहिं तव नाव न जाई॥ बेगि आनु जलपाय पखारू। होत बिलंबु उतारहि पारू॥1॥ भावार्थ:-कृपा के समुद्र श्री रामचन्द्रजी केवट से मुस्कुराकर बोले भाई! तू वही कर जिससे तेरी नाव न जाए। जल्दी पानी ला और पैर धो ले। देर हो रही है, पार उतार दे॥1॥ केवट राम रजायसु पावा। पानि कठवता भरि लेइ आवा॥3॥ भावार्थ:- केवट श्री रामचन्द्रजी की आज्ञा पाकर कठौते में भरकर जल ले आया॥3॥ * अति आनंद उमगि अनुरागा। चरन सरोज पखारन लागा॥ बरषि सुमन सुर सकल सिहाहीं। एहि सम पुन्यपुंज कोउ नाहीं॥4॥ भावार्थ:-अत्यन्त आनंद और प्रेम में उमंगकर वह भगवान के चरणकमल धोने लगा। सब देवता फूल बरसाकर सिहाने लगे कि इसके समान पुण्य की राशि कोई नहीं है॥4॥ पद पखारि जलु पान करि आपु सहित परिवार। पितर पारु करि प्रभुहि पुनि मुदित गयउ लेइ पार॥101॥ भावार्थ:-चरणों को धोकर और सारे परिवार सहित स्वयं उस जल (चरणोदक) को पीकर पहले (उस महान पुण्य के द्वारा) अपने पितरों को भवसागर से पार कर फिर आनंदपूर्वक प्रभु श्री रामचन्द्रजी को गंगाजी के पार ले गया॥101॥ चौपाई : * उतरि ठाढ़ भए सुरसरि रेता। सीय रामुगुह लखन समेता॥ केवट उतरि दंडवत कीन्हा। प्रभुहि सकुच एहि नहिं कछु दीन्हा॥1॥ भावार्थ:-निषादराज और लक्ष्मणजी सहित श्री सीताजी और श्री रामचन्द्रजी (नाव से) उतरकर गंगाजी की रेत (बालू) में खड़े हो गए। तब केवट ने उतरकर दण्डवत की। (उसको दण्डवत करते देखकर) प्रभु को संकोच हुआ कि इसको कुछ दिया नहीं॥1॥ * पिय हिय की सिय जाननिहारी। मनि मुदरी मन मुदित उतारी॥ कहेउ कृपाल लेहि उतराई। केवट चरन गहे अकुलाई॥2॥ भावार्थ:-पति के हृदय की जानने वाली सीताजी ने आनंद भरे मन से अपनी रत्न जडि़त अँगूठी (अँगुली से) उतारी। कृपालु श्री रामचन्द्रजी ने केवट से कहा, नाव की उतराई लो। केवट ने व्याकुल होकर चरण पकड़ लिए॥2॥
आदरणीय पं. आपकी पुत्री को कोरोना ने काल के गाल मे समा दिया। आपके इस असीम दुख में हम भी सम्मिलित हैं। ईश्वर आपकी पुत्री को अपने चरणों में शरण दे और आपको और आपके परिवार को इस दुख को वहन करने की शक्ति दे । 🕉शान्ति 🕉 🌹🌹🌹
गुरुदेव श्री आप के सुर में सचमुच ही सरसुती जी का वास है सुनते ही जाओ मनही नहीं भरता हैं मैं तो निद में आप की आवाज की गुज सुनते रेहता हु🎉एन,एस रघुवंशी एम पी सिवनी कुरई से
आपने अपनी इस प्रस्तुति से मुझे एक बार रामायण पढ़ने को बाध्य किया। आज आपने मेरी आंखों , हृदय और मस्तिष्क की मैल साफ कर दिया। आपकी बीच बीच में विवेचना गागर में सागर भरने का काम किया है। चरण स्पर्श के साथ।
मेरा प्रणाम! आपको ,फरवरी में मैं बनारस आ रही हूं आपसे मिलना चाहती हुं ।अपना पता या फोन नंबर बता दिजिए आपकी अति कृपा होगी ।आपके भजन महादेव से मिला देते हैं मैं रोज सुबह सुनती हूं
Shastriya sangeet time, sthan n isthiti k anusar ....raag, dhun, shabda ....rachna hoti hai.....meri jankari se.. Panditji ki aawaz me bahut aakarsan hai.... Hamare sikshak bahut bhav se panchvati prasang padhate the.. Shrota ko bahut patience chahiye sunne ka.....man Sri ganga ji kinase chala jata hai.
One of the most brilliant singers of Bharat. One should feel proud of our singers and their accomplished musicians to reach such height as unimaginable in the universe.
sunane walo se vintee hai Pandit ji ka aur video dekhe sune aur sunane wale logo ko bhi bataye great classical singer with great knowledge--- Jai Shri Ram ( Acchi bate logon ko bhi pata hona chahiye)
Head down to the feet of this highly erudite person who is blessed by the God`s voice. Panditji explains a highly poetical literary work with his unchallenged & unparalleled wisdom. 15 danav / asur don`t like this? :-) Gore Lagun/ Caran Sparsh :-) A Kumar, German Writers Union, Section Hess
अमृतमयी, मखमली आवाज में आनन्द दायक मानस प्रसंग। मेरा मन-मस्तिष्क और श्रवणेन्द्रिय परमानन्द से सराबोर हो गया। कोटिश:नमन,वन्दन और प्रणाम।
पंडित जी के गायन में ऐसी अलौकिक मिठास है, कि सुनते जाओ सुनते जाओ, मन ही नहीं भरता। ऐसी विभूतियां सदियों में जन्म लेती हैं। वाह वाह! ❤❤❤❤
मां सरस्वती का वास है गुरूजी आपके गायन मे।
Panditji ...dada.. aapne to bholenatha ķa darsan karwa diya ..is gaane me......mere aasu ubhar aaye......thanks....
शास्त्रीय संगीत के कलाकारों में शिरोमणि पण्डित जी को श्रद्धा भाव से नमन। जय सियाराम
कितने सौभाग्य शील ही वो श्रोता जिन्हे , वहा बैठ कर सुना होगा🙏🙏🙏
मिठाई में मिठास होता है लेकिन भजन में पण्डित जी मुख से निकला मिठास सुन कर कानों के साथ साथ मन मस्तिष्क भाव विभोर हो गया ।जय श्री राम,जय श्री राम।।
इतना मधुर रसीला संगीत शब्दों से परे सत् सत् नमन
आध्यात्मिकता से सराबोर पण्डित जी का गायन श्रवण करते समय लगता है कि राम केवट संवाद मेरे नेत्रों के सामने घटित हो रहा है। पण्डित जी और आयोजकों को कोटिशः नमन।
🚩🙏🚩
@@lalchandsharma2228 7
Q
ऐही प्रतिपालऊ सब परिवारू ,नहीं जानऊँ कछु और कबारू.......बहुत सुंदर विनय निवेदन प्रार्थना है केवट के संदेश भी है ईश्वर के लिए ।पंडित जी का अभिनंंदन
Pandit chunnilal Mishra,pandit Jasraj,Pandit Ravishankar,pandit Shivkumar Sharma,pandit Bhimsen Joshi,Lata Mangeshkar,Pandit Rajan,Sajan Mishra etc are gems who have kept the sanatan culture alive by their devine singing...they deserve bharat ratn..
Sangig Ur basha em ho hai ati sunder panditji
“मैं नाहि लेहुँ पृभु तेरी उतराई “ पंडित जी ने रूला दिया अपने अलौकिक गान से। मैं धन्य हो गया। पंडितजी को कोटि कोटि नमन।
अद्वितीय!!!
अद्भुत पूरी संगत को 🙏🙏नमन्
पंडित जी मै कितना भाग्यशाली हूँ कि आपको सुन रहा हूँ शब्द कम पड़ रहे हैं आपके अद्भुत गायन कीं प्रशंसा के लिए कोटि कोटि प्रणाम आप महान जैसी विभूति को
@@shashitripathi9576 😂😂😂😂🎉🎉🎉🎉😂😂😂😂😂🎉🎉😂😂😂😂
😊mm
M. 65*
@@ramachalmishra5880
परम् पूज्य गुरुदेव जी के चरणों में शिष्य का सादर प्रणाम दंडवत गुरू जी
इतना सुन्दर व सरल स्वभाव से गाया है कि शब्द ही नही है कि क्या लिखू ! अति आत्म से भी अधिक आनन्द आया और वह भी व्याख्या के साथ मुसकराते हुए ! फोरी कोटी कर बद्ध धन्यवाद संगीत श्रेष्ठ
अतिसुंदर मनभावन ,जय हो पंडित चुन्नू लाल मिश्र
Channulal mishra murkh
आपकी प्रस्तुती की जीवन्तता का जवाब नही, मैने इसको 100 बार से अधिक सुना है तथा यह अनवरत जारी है।
चरण स्पर्श पंडित जी
पूज्य पंडित जी के चरणों में शत् शत् नमन
धन्य है आप और उससे भी सुन्दर है आपकी मनमोहक मुस्कान सरल सहज सुमधुर स्वर के देव मिश्रा जी
आपके चरणों में कोटि-कोटि नमन 🙏
जय हो श्रद्धा से प्रणाम, सुनकर अपने को धन्य सा महसूसहोरहाहै।
🙏 🙏 श्रद्धेय गुरुवर आप साक्षात नटराज राजेश्वर हैं। मैं बारम्बार आपकी चरणरज शीश पर धारण करूं। 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
पंडित छन्नूलाल जी बहुत ही सरल , सहज और लोकभोग्य शैली में गायन करते हैं इसलिये सबको मनभावन लगता है।
मानस में केवट संवाद दीन हीन भक्त के लिए उपयुक्त उदाहरण है
जय जय श्री राम 🙏
जय हो गुरु आपको प्रणाम,
मेरा तो कभी मन ही नहीं हटता की आपकी संगीत सुनने के लिए, 28:56
Bharat me ek ek ratna hain.....
Vastav me panditji ko sunkar nai pidhi k bachhe bhi sri "ramcharitmanas " k prati ruchi badhegi..
Maa saraswti putra pt. Chhanulalji ko saadar naman..
धन्य है सरस्वती के कृपा पात्र
पंडित जी बड़े से बड़े नास्तिक भी सुन कर आस्तिक हो जाएंगे सादर प्रणाम
I don't have words to express my feelings. thanks.let it be in my heart.
To listen Raag Dhulia Malhar click : ruclips.net/video/ElMSZd8inAE/видео.html
@@jitenmohanvaidya9126 à1❤❤⁰⁰9i
भारतीय संगीत साक्षात प्रभु से संबंध बना देता है, पंडित जी हिन्दुस्तान के मस्तक के रत्न है ऐसी विभुति को कोटिशः प्रणाम। वाह क्या बात है वाह प्रभु।
आप को सुनना ही जीवन को धन्य बनाने जैसा है।। सास्टांग प्रणाम 🙏
पंडितजी आपको शत कोटि प्रणाम मैं अपने बहुत भाग्यशालीमानता हूँ कि आपकी मखमली आवाज सुन रहा हूँ शब्द कम पड़ रहे हैँ आप शतायु हों स्वस्थ रहें भगवान से प्रार्थना है
गुरु जी आप सचमुच संगीत के गुरु हैं. आपकी गायकी आत्मा को झकझोर देती है. अवर्णीय.
* जासु बियोग बिकल पसु ऐसें। प्रजा मातु पितु जिइहहिं कैसें॥
बरबस राम सुमंत्रु पठाए। सुरसरि तीर आपु तब आए॥1॥
भावार्थ:-जिनके वियोग में पशु इस प्रकार व्याकुल हैं, उनके वियोग में प्रजा, माता और पिता कैसे जीते रहेंगे? श्री रामचन्द्रजी ने जबर्दस्ती सुमंत्र को लौटाया। तब आप गंगाजी के तीर पर आए॥1॥
* मागी नाव न केवटु आना। कहइ तुम्हार मरमु मैं जाना॥
चरन कमल रज कहुँ सबु कहई। मानुष करनि मूरि कछु अहई॥2॥
भावार्थ:-श्री राम ने केवट से नाव माँगी, पर वह लाता नहीं। वह कहने लगा- मैंने तुम्हारा मर्म (भेद) जान लिया। तुम्हारे चरण कमलों की धूल के लिए सब लोग कहते हैं कि वह मनुष्य बना देने वाली कोई जड़ी है,॥2॥
* छुअत सिला भइ नारि सुहाई। पाहन तें न काठ कठिनाई॥
तरनिउ मुनि घरिनी होइ जाई। बाट परइ मोरि नाव उड़ाई॥3॥
भावार्थ:-जिसके छूते ही पत्थर की शिला सुंदरी स्त्री हो गई (मेरी नाव तो काठ की है)। काठ पत्थर से कठोर तो होता नहीं। मेरी नाव भी मुनि की स्त्री हो जाएगी और इस प्रकार मेरी नाव उड़ जाएगी, मैं लुट जाऊँगा (अथवा रास्ता रुक जाएगा, जिससे आप पार न हो सकेंगे और मेरी रोजी मारी जाएगी) (मेरी कमाने-खाने की राह ही मारी जाएगी)॥3॥
* एहिं प्रतिपालउँ सबु परिवारू। नहिं जानउँ कछु अउर कबारू॥
जौं प्रभु पार अवसि गा चहहू। मोहि पद पदुम पखारन कहहू॥4॥
भावार्थ:-मैं तो इसी नाव से सारे परिवार का पालन-पोषण करता हूँ। दूसरा कोई धंधा नहीं जानता। हे प्रभु! यदि तुम अवश्य ही पार जाना चाहते हो तो मुझे पहले अपने चरणकमल पखारने (धो लेने) के लिए कह दो॥4॥
छन्द :
* पद कमल धोइ चढ़ाइ नाव न नाथ उतराई चहौं।
मोहि राम राउरि आन दसरथसपथ सब साची कहौं॥
बरु तीर मारहुँ लखनु पै जब लगि न पाय पखारिहौं।
तब लगि न तुलसीदास नाथ कृपाल पारु उतारिहौं॥
भावार्थ:-हे नाथ! मैं चरण कमल धोकर आप लोगों को नाव पर चढ़ा लूँगा, मैं आपसे कुछ उतराई नहीं चाहता। हे राम! मुझे आपकी दुहाई और दशरथजी की सौगंध है, मैं सब सच-सच कहता हूँ। लक्ष्मण भले ही मुझे तीर मारें, पर जब तक मैं पैरों को पखार न लूँगा, तब तक हे तुलसीदास के नाथ! हे कृपालु! मैं पार नहीं उतारूँगा।
सोरठा :
* सुनि केवट के बैन प्रेम लपेटे अटपटे।
बिहसे करुनाऐन चितइ जानकी लखन तन॥100॥
भावार्थ:-केवट के प्रेम में लपेटे हुए अटपटे वचन सुनकर करुणाधाम श्री रामचन्द्रजी जानकीजी और लक्ष्मणजी की ओर देखकर हँसे॥100॥
चौपाई :
* कृपासिंधु बोले मुसुकाई। सोइ करु जेहिं तव नाव न जाई॥
बेगि आनु जलपाय पखारू। होत बिलंबु उतारहि पारू॥1॥
भावार्थ:-कृपा के समुद्र श्री रामचन्द्रजी केवट से मुस्कुराकर बोले भाई! तू वही कर जिससे तेरी नाव न जाए। जल्दी पानी ला और पैर धो ले। देर हो रही है, पार उतार दे॥1॥
केवट राम रजायसु पावा। पानि कठवता भरि लेइ आवा॥3॥
भावार्थ:- केवट श्री रामचन्द्रजी की आज्ञा पाकर कठौते में भरकर जल ले आया॥3॥
* अति आनंद उमगि अनुरागा। चरन सरोज पखारन लागा॥
बरषि सुमन सुर सकल सिहाहीं। एहि सम पुन्यपुंज कोउ नाहीं॥4॥
भावार्थ:-अत्यन्त आनंद और प्रेम में उमंगकर वह भगवान के चरणकमल धोने लगा। सब देवता फूल बरसाकर सिहाने लगे कि इसके समान पुण्य की राशि कोई नहीं है॥4॥
पद पखारि जलु पान करि आपु सहित परिवार।
पितर पारु करि प्रभुहि पुनि मुदित गयउ लेइ पार॥101॥
भावार्थ:-चरणों को धोकर और सारे परिवार सहित स्वयं उस जल (चरणोदक) को पीकर पहले (उस महान पुण्य के द्वारा) अपने पितरों को भवसागर से पार कर फिर आनंदपूर्वक प्रभु श्री रामचन्द्रजी को गंगाजी के पार ले गया॥101॥
चौपाई :
* उतरि ठाढ़ भए सुरसरि रेता। सीय रामुगुह लखन समेता॥
केवट उतरि दंडवत कीन्हा। प्रभुहि सकुच एहि नहिं कछु दीन्हा॥1॥
भावार्थ:-निषादराज और लक्ष्मणजी सहित श्री सीताजी और श्री रामचन्द्रजी (नाव से) उतरकर गंगाजी की रेत (बालू) में खड़े हो गए। तब केवट ने उतरकर दण्डवत की। (उसको दण्डवत करते देखकर) प्रभु को संकोच हुआ कि इसको कुछ दिया नहीं॥1॥
* पिय हिय की सिय जाननिहारी। मनि मुदरी मन मुदित उतारी॥
कहेउ कृपाल लेहि उतराई। केवट चरन गहे अकुलाई॥2॥
भावार्थ:-पति के हृदय की जानने वाली सीताजी ने आनंद भरे मन से अपनी रत्न जडि़त अँगूठी (अँगुली से) उतारी। कृपालु श्री रामचन्द्रजी ने केवट से कहा, नाव की उतराई लो। केवट ने व्याकुल होकर चरण पकड़ लिए॥2॥
जय हो
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आदरणीय पं. आपकी पुत्री को कोरोना ने काल के गाल मे समा दिया। आपके इस असीम दुख में हम भी सम्मिलित हैं। ईश्वर आपकी पुत्री को अपने चरणों में शरण दे और आपको और आपके परिवार को इस दुख को वहन करने की शक्ति दे ।
🕉शान्ति 🕉 🌹🌹🌹
गुरुदेव श्री आप के सुर में सचमुच ही सरसुती जी का वास है सुनते ही जाओ मनही नहीं भरता हैं मैं तो निद में आप की आवाज की गुज सुनते रेहता हु🎉एन,एस रघुवंशी एम पी सिवनी कुरई से
Tabla wale bhai sabse jyada enjoy kar rhe hain❤❤
अद्भुत प्रस्तुतिकरण । बनारस की शान हैं पंडित जी ।
उपहार है पंडित जी को सरस्वती मां का🙏🙏
Bhajan aur thumari samrat pandit jee ko 🙏🙏🙏🙏🙏
दिगंबर खेले मसानी मै होली।❤❤❤❤❤
आपने अपनी इस प्रस्तुति से मुझे एक बार रामायण पढ़ने को बाध्य किया। आज आपने मेरी आंखों , हृदय और मस्तिष्क की मैल साफ कर दिया। आपकी बीच बीच में विवेचना गागर में सागर भरने का काम किया है। चरण स्पर्श के साथ।
Jayjaysitaram
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जय जय श्री राम
Pagle
@@pawanmahaseth6746 kya baat hai pandit ji kya baat hai pandit ji kya baat hai
यह है भारत का संगीत-लोक और लोकोत्तर का सहज अनुबन्ध। पंडित जी के चरणों में शत- शत नमन !
पंडित जी आपको सुनने का जो सुख हैं वह अवर्णनीय हैं। आपकी गायकी में इतनी मिठास इतना रस! निःशब्द हूँ।
गुरु जी ऐसा प्रतीत होता है जैसे यह सब आंखों के सामने घटित हो रहा है
कोटि-कोटि प्रणाम
हजारों लोगों को जबरदस्ती शिष्य बना ले यही सबसे बड़ी महानता है ।
अपूर्व ए संगीत मिश्राजी के । मन राम भावनायें गद्गगद हो गया ।🙏🙏💐जय सीयाराम
मेरा प्रणाम! आपको ,फरवरी में मैं बनारस आ रही हूं आपसे मिलना चाहती हुं ।अपना पता या फोन नंबर बता दिजिए आपकी अति कृपा होगी ।आपके भजन महादेव से मिला देते हैं मैं रोज सुबह सुनती हूं
आई पंथ धर्म गुरु दीवान साहब की जय हो
आपके हृदयस्पर्शी आवाज मेरे रूह में अंतिम समय तक समाई रहेगी। महाराज जी को कोटि प्रणाम!
🕉️🙏🏼🕉️
पंडित जी के कंठ में माता स्वर की देवी सरस्वती का निवास लगता है, आपके चरणों की वंदन करता हूं।
शत शत नमन गुरुदेव।
आनंद विभोर हो जाता जो भी आपको सुनता है।
तबलजी महाराज बहोतही बेहतरीन हैं..... गुरुजी इन्हें कभी विदा नहीं करना....इन जैसे महानूभव बिना संगीत अधुरा हैं.
What a childlike smile guruji has!!! Blessed by maa Saraswati.
तबला उस्ताद और हारमोनियम उस्ताद ने भी जो समा बांधा है बेमिसाल है
Shastriya sangeet time, sthan n isthiti k anusar ....raag, dhun, shabda ....rachna hoti hai.....meri jankari se..
Panditji ki aawaz me bahut aakarsan hai....
Hamare sikshak bahut bhav se panchvati prasang padhate the..
Shrota ko bahut patience chahiye sunne ka.....man Sri ganga ji kinase chala jata hai.
अद्भुत अद्वितीय अलौकिक सुनकर आनंद आ गया पंडित जी को नमन
जय श्री राम
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जै हो।भारतीय शास्त्रीय गायन के प्राण स्तम्भ को कोटि कोटि नमन्🌷🙏
Sweet classical after a long time,thanks with salutes to Pandit ji.
धन्य है पंडित जी और इनके गाने की कला ।नमन ।
Chhanulal Mishra deserves great honour.
महराज जि की जै हो आप अमर हो जाओ
आहा……निशब्द हो गई सुनकर,भावविभोर हूँ
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kya kahu kitna bhi kahu utna kam hai ???
bahut accha hai aap sare jivan isi andaz se sangeet kripa se dhanya karte rahe .
jai shri ram.
ग
'
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dhany hai yeh raag jo aapne gaaya hai pandit g man krit krit ho gaya ...
sat sat naman aapko
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Amazingly ecstatic. Pandit Ji is deeply merged in the Consciousness of the Supreme.
Great
Panditjiammezing classical songs cjiring spiritual life
To listen Raag Dhulia Malhar click : ruclips.net/video/ElMSZd8inAE/видео.html
No words to say
Saraswati ka vardan hai
sachi amritpaan yahi hai.Mai yah geet 100 baar suna hun.. kaas.... panditjee aisa sainkado bhajan gaate.may you live long. ..
अति सुंदर मन की गहराइयों को छू।जाने वाला व बहुत ही मार्मिक केवट संवाद 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
One of the most brilliant singers of Bharat. One should feel proud of our singers and their accomplished musicians to reach such height as unimaginable in the universe.
शत शत प्रणाम पँडित जी को
गुरुदेव, वाह क्या बात है आपने तो मार डाला शब्द नहीं हैं मेरे पास कुछ कहने के लिए
Bhut adbhut
Very nice
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹जय श्री राम 🌹🌹🌹🌹🙏🙏🙏🙏 आप अद्भुत हैं अकल्पनीय हैं धन्य हैं जो इतनी सुन्दर प्रेम पूर्ण व्याख्या की है 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹💓💓💓💓💓🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹
Wah! Can't stop my tears. ❤🙏💐
Marvelous, what a beautiful scketch with spiritual emotions
Hridaysparshi,ishwar apko dirghayu rakhe
BEST PRESENTATION OF MISHRA SAB
।।*रामराम*।। शत् शत् नमन। वंदनम्। ह्रदयस्पर्शी भाव।मधुर स्वर।
Adbhut Pandit Ji..🙏🏻🙏🏻 Apki Adbhut Vani Bahut shant aur madhur hai.
Bahut se bhi bahut jyada sundar . Koi jawab nahi . 👏👏👏👏
Great Pandit ji future me ab koi nahi gaa payega😢😢
Incredible voice
Amazing!!! Ecstatic!!! Charan vandan pandit ji🙏🏻🙏🏻
To listen Raag Dhulia Malhar click : ruclips.net/video/ElMSZd8inAE/видео.html
जय जय
@@ganeshshukla800 आज जीवन धन्य हो गया है
कमाल की प्रस्तुति। मेरे पास शब्द नहीं है।
Masterpiece rendition by incomparable Mishra ji' but tabla player is unbeatable.
What an illustration, what a melody, I adore you pandit ji
Dhanya ho gaya aaj pandit ji ko sunkar
Great...no words.. congratulations Padma Vibhushan pandit ji
वाह!इसे सुनकर बहुत सुन्दर चित्र प्रस्तुत हुआ ।।।।
Pandit ji ..amrit bant di apne 🙏🙏🙏🙏
आनन्द बर्षा, पंडित जी को कोटिशः प्रणाम .
ATI sunder shriman ji
AAP k charno me koti koti naman mahraj ji.
sunane walo se vintee hai Pandit ji ka aur video dekhe sune aur sunane wale logo ko bhi bataye great classical singer with great knowledge--- Jai Shri Ram ( Acchi bate logon ko bhi pata hona chahiye)
आप बेमिसाल हैं बार बार नमन है आपको
हर-हर महादेव🙏🙏🙏💞
गुरू जी को सादर प्रणाम🙏🙏🙏
Jay Shri Ram 🙏
Wonderful sharing superrrrrrrrrrrrr Jay Shri Ram 🙏,,,,, 🎧😃👍
Wah ati Sundar
Dhanya h apki janani
जय हो महराज जी अद्भुत वाणी अद्भुत प्रसंग साष्टांग दंडवत 🙏🙏🙏
Head down to the feet of this highly erudite person who is blessed by the God`s voice.
Panditji explains a highly poetical literary work with his unchallenged & unparalleled wisdom.
15 danav / asur don`t like this? :-)
Gore Lagun/ Caran Sparsh :-)
A Kumar, German
Writers Union, Section Hess
poetrysniper
To listen Raag Dhulia Malhar click : ruclips.net/video/ElMSZd8inAE/видео.html
Your this singing style made my memory fresh
prabhu aap k mangal karenge pandit ji. so beautifully explained.... thank u..
I can't express my feelings in words. Aankh se aanshoo chhalak gaye.
Nipu Kumar Singh dhany dhany. अति आनंदानुभूति .
Fir sun lijiye
Shankar ji Holi, truly enchanting !!!
जय जय हो
हर हर महादेव 🙏🌹
waah pandit ji...................namaskar