🙏જય જિનેન્દ્ર... 🙏 🙏જથ ગુરુદેવ.. 🙏 અદભુત.. અદભુત.. અદભુત... 🙏 રચના...લય... તેમજ તાલ અદભુત છે.. જયારે ચાલીસા બોલાય છે ત્યારે રૂવાટાં ઉભાં થઈ જાય છે.. અને સાંભળીથા કરીએ બંધ જ ન થાય એવાં ભાવ ઉતપન્ન થાય છે.. રાગ ખૂબ ખૂબ ખૂબ જ સુંદર છે... આપની અને આમાં ભાગ લેનાર બધા જ દેવાનું પ્રિયે ની ખૂબ ખૂબ ખૂબ🙏💕 અનુમોદના ....અનુમોદના...અનુમોદના ...વારંવાર અનુમોદના... 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 "શુભ થાઓ સકલ વિશ્વનું " 🙏 એ જ ભાવના... ❤❤થી🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Dear Shemaroo ..this is very important and immortal rachana of yours. Previously I used to listen this on DvD every day. After a Long search I found it here. Why have you Removed from your list? Please send 🙏 this.. Thousands of people were listen ing on DVD. NOW its not available on DVD. It is so powerful that if anyone is sick.or in any trouble..we keep it on for 25 hours and come out of it.I have given DVDs to many when they were in trouble. You have a Kohinoor in your Please subscribe it specially for me and request you to put it on Shemaroo Jain with Previous photos of Bhagawans..Thanks for making the Video also .
🙏🙏 धन्य धन्य मुनिराज। सभी गछाधिपति और जैन सम्प्रदाय को संगठित होकर करना है महावीर भगवान का शासन जयवंत रहे सभी सम्प्रदाय के आचार्य भगवंत, उपाध्याय, साधु, साध्वी भगवंत की खूब खूब अनुमोदना अनुमोदना.कोटि कोटि वंदन ❤🙏🙏
Jay Jay shree Parshwnath
I was searching for this stavan from long.
. Thanks dear Shemaroo to make the video and stavan for us. I listen it everyday. Good luck 👍
🙏જય જિનેન્દ્ર... 🙏
🙏જથ ગુરુદેવ.. 🙏
અદભુત.. અદભુત.. અદભુત... 🙏
રચના...લય... તેમજ તાલ અદભુત છે.. જયારે ચાલીસા બોલાય છે ત્યારે રૂવાટાં ઉભાં થઈ જાય છે.. અને સાંભળીથા કરીએ બંધ જ ન થાય એવાં ભાવ ઉતપન્ન થાય છે.. રાગ ખૂબ ખૂબ ખૂબ જ સુંદર છે... આપની અને આમાં ભાગ લેનાર બધા જ દેવાનું પ્રિયે ની ખૂબ ખૂબ ખૂબ🙏💕 અનુમોદના ....અનુમોદના...અનુમોદના ...વારંવાર અનુમોદના... 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
"શુભ થાઓ સકલ વિશ્વનું " 🙏
એ જ ભાવના... ❤❤થી🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
🙏🙏👌👌💐
Dear Shemaroo..Beautiful stavans with very good 👍 videos 😊
ખૂબ ખૂબ અભિનંદન,હૃદયને સ્પર્શી ગયું 🙏🌹🙏
Bahut sars che bitrag pramaatma ni bhjan🙏🙏🙏🙏🙏
Ranjanben parekh na koti Koti.pranamji
Excellent
Speechless wordings
Vandan ho Sri Parshwa Prabhu ne
Janam Kalyanak ki badhaai ho
6⁶666⁶ý⁶ý[
Very nice ....
Superb...Specially for 108 Parshwanath prabhu ne Bhave karu Vandana🙏🙏
🛕🛕खुब खुब अनुमोदना🛕🛕
अद्भुत शब्द संरचना प्रभु के गुणों की लय और ताल के साथ व्याख्या रोमांचित कर देती है रचनाकार का अभिनंदन
Vinay Mehta
Vinay Mehta
Khub khub saras
खूब खूब अनुमोदित
Extraordinary Parshwanath Stuti
Jay shree 108 pashwanath🙏🌸🙏🌸
Jai parsavnath Dada
Jai Parshvanath bhagwan ki jai
mara Parasnath Dada ❤
Om jinanam jia bhyanam
Excellent stotra .Miraculously zgreat !
108 pashw vandana 🙏🙏
Dear Shemaroo ..this is very important and immortal rachana of yours. Previously I used to listen this on DvD every day.
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Why have you Removed from your list?
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It is so powerful that if anyone is sick.or in any trouble..we keep
it on for 25 hours and come out of it.I have given DVDs to many when they were in trouble. You have a Kohinoor in your Please subscribe it specially for me and request you to put it on Shemaroo Jain with Previous photos of Bhagawans..Thanks for making the Video also .
Read 24 hours instead 25.
Nice & peace giving stavans.
Fantastic stavans and videos.
Koti koti vandan
Anant anant vandan prabhuji
Jay Jay shri parshvanath mara bhala parshvanath🙏🙏🙏
ज.
जज
Very good stavan.
Jay shree shankheshwara pashwanath🙏🌸🙏
Jai Shree Parhvanath Bhagavan 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
अद्भुत अनोखी भावपूर्ण शब्दों की अनुपम रचना कोटि कोटि वंदन
अनूपम भक्ति कोटी कोटी नमन
ખૂબ જ અદભૂત રચના છે મનને આનંદ આપે તેવી ૧૦૮ નામ ની સ્તુતિ રચના... 🙏👌👍
Namo,jinam
મન ને અતિ શાન્તિ થઇ,ખૂબ ખૂબ આભાર 👌🙏
Jai Jinendra Ji
Jai parshwanath prabhu...aap...karunamayi prabhu.
Very nice
ATI bhavy
Ek ek shabd moti ki Tarah hai
Adbhutttttt adbhutttttt adbhutttttt stuti
Anupam RachanaShabd kar koKoti Koti Naman
Parshwanath prabhu ki stuti kebhich me chiken ki add kyo aarahi hei
ખૂબ ખૂબ અનુમોદના 🙏
best to best..... sup
nice
Sweety Jain Stavanger
😢🎉❤
Nice Sutti
Feel like listening this amazing stuti stavan again n again n again adbhutttttt Jay Jay shree Parshwanath dada
🎊🙏🏻
સાથે લખેલું આવે તો વધારે સારું
સાથે લખેલું આવે તો વધારે સારું
❤
Om sidhha parshvnathay namo narayna.
Jai jinendr.
superb heart touching ❤️
0
🙏श्री १०८ पार्श्वनाथ वंदना🙏
जेना गुणोंने वर्णवा श्रुतसागरों ओछा पड़े,
गंभीरताने मापवा सहु सागरों पाछा पड़े,
जेनी धवलता आगले शीरसागरों जांखा पड़े,
श्री “शंखेश्वरा” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [१]
जेना वदननु तेज निरखी सूर्य आकशे भमे,
वड़ी नेत्रना शुभ पीयूषपामी चंद्रनी शाहेजगे,
जेनी कृपा वृष्टिथकी आ वादड़ाओ वरस्ता,
श्री “शंखेश्वरा” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [२]
अतीथ चौविशि तणा नवमा श्री दामोदर प्रभु,
अषाढी श्रावक पूछता को माहरा तारक विभु,
त्या झानता प्रभु पार्श्वने, प्रतिमा भारवि पूजता,
श्री “शंखेश्वरा” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [३]
सौधर्मकलपादी विमाने पूज्यता जेनी रही,
वड़ी सूर्य चंद्र विमानमा पूजना जेनी थाई,
जे नागलोके नाथ बनीने, शांति-सुख ने अर्पता,
श्री “शंखेश्वरा” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [४]
आ लोकमा आ कालमा पुजाए आदि कालथी,
वड़ी नमीविनमी विद्या धरो जेने सेवे बहुमान थी,
त्याथी धरणपती लाई प्रभुने नीजभवन पधरावता,
श्री “शंखेश्वरा” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [५]
जरासंघनी विद्या जराज्या जादवोने घेरति,
नेमि प्रभु उपदेशकी श्री कृष्ण अठमने तपी,
पद्मावती बहुमानथी, परभु पार्श्व प्रतिमा आप्ति,
श्री “शंखेश्वरा” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [६]
जेना नवणंथी जादवोनी जरा दुरे भागती,
शंखध्वनि करी स्थापता त्या पार्श्वनी प्रतिमा खरी,
जेना प्रभावे मृपगणोना रोग सहु दुरे थता,
श्री “शंखेश्वरा” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [७]
जेना स्मरणथी भाविकना इच्छितकार्यों सिद्धता,
जे नाम थी विषधरोंना विष अमृत बनी जता,
जेना पूजनथी पापियोना पाप-ताप क्षमी जता,
श्री “शंखेश्वरा” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [८]
ज्या कामधेनु कामघटने सुरतरु पाछापड़े,
चिंतामणी पारसमणिना तेज ज्या जाका पड़े,
मणि मंत्र तंत्र ने यंत्र जेना नामथी फल आप्त,
श्री “शंखेश्वरा” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [९]
जे जीर्ण करता क्षणमहीं मोहादि भावो भाव्यना,
सहु सूरिवरो जश ध्यानथी, इच्छित कार्यों साधता,
ने प्रतिष्ठादिक कार्य जेना नाम मंत्रथी सिद्धता,
श्री “जीरावला” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [१०]
जे स्वप्न आपी प्रगटता ने संकटो सहु छेदता,
वितरागता मुख पर दिसे पण ते छतां मन मोहता,
भद्रावतीमां शोभता ने, भद्रता वरसावता,
श्री “केशरीया” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [११]
अतीत चोवीसी तणा नेमि प्रभु उपदेशथी,
आषाढी श्रावक पूजता नीलम तणा प्रभु पार्श्वजी,
नागार्जुन ने आठमां बलदेवजी पण पूजता,
श्री “स्तंभनजी” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [१२]
जे स्नात्रजलथी भविकना सहु दुख दर्दों कापता,
दिव्य प्रभाव प्रकाशथी सहु यात्रिने हरखावता,
अदभुत बिंबना दर्शने सहु भव्यना मन मोहता,
श्री “मनमोहना” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [१३]
मुजपुर निवासी अंतरे मुज वास करजो हे प्रभु,
जोटिंगनो भय वारता प्रभु पार्श्व हुं तुजने भजु,
जोटो जडेना त्रण भुवनमां तेहथी जोटींगडा,
श्री “जोटींगडा” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [१४]
जेम शंखना निर्धोषथी सहु शत्रुगण भय पामता,
तेम शंखला प्रभु पार्श्वजी पण आपदाने डारता,
शंखलपुरमां शोभता ने त्रण भुवन अजवालता,
श्री “शंखला” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [१५]
जे रजतनी मुद्रा दईने दुख दोहग दारता,
गांभू नगरमा बेसणुं लइ मोहमल्ल विदारता,
गांभीर्य मुख पर ओपतुं पण आपतां जे प्रसन्नता,
श्री “गंभीरा” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [१६]
मांडल मंडन हे प्रभु! मुज आत्मा अजवालजो,
को गारुडी मंत्र फुकीने मुज मोहविष उतारजो,
जे दुर्गतिपंथे जतु मुज गाडु पाछुं वालता,
श्री “गाडलीय” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [१७]
दीक्षाग्रही कादंबरी वनखंड माही पधारता,
ने कुंड सरोवरने तीरे काउसग्ग ध्यानने ध्यावता,
हस्ति वडे ज्यां कमलथी प्रभु पार्श्वनी थई पूजना,
श्री “कलिकुंड” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [१८]
जे राजनगरे राज करता, राज देता मुक्तिनुं,
श्री श्यामल प्रभु पार्श्वजी, फल मांगु तारी भक्तिनुं,
मुज आत्मानि श्यामली, सहु कर्म रज दूर काढता,
श्री “श्यामला” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [१९]
जे सर्व रिद्धि सिद्धि ना, ने उन्नतिना मुल छे,
जे राजनगरनी संपदा ने, शांति सुखना मुल छे,
जेना प्रभाविक दर्शने सहु भाविकों नित आवता,
श्री “मुलेवा” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [२०]
पद्मावती माता तणुं ह्रींकार बीज गणाय छे,
जेमा बिराज्या पार्श्व प्रभु, ह्रींकार नाम गवाय छे,
जेना नाम मंत्रथी सर्व कार्यों, सिद्धता क्षणवारमा,
श्री “ह्रींकार” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [२१]
तुम सुखनी उपमा जड़े ना, इंद्रना आवाशमा,
तुम सुख एक प्रदेशनु नवी माये लोकाकाशमा,
सुखिया करो आ दासने, विनवी रहया तुज आशमा,
श्री “सुखसागरा” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [२२]
जे जगतना जगदीश जगचिंतामणीमां ताहरी,
स्तवना करी गौतम प्रभुए अरज सुणजो माहरी,
दुखदूरितनु खंडन करीने मोक्ष देजो मोह हरी,
श्री “मुहरी” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [२३]
जे ध्वज तणा संकेतथी यात्रीना वावड आपता,
ते प्रगटता खेतर खेडंता तेजपुंजथी ओपता,
सहु दुर्गुणोंने शोषी लइने सदगुणोने पोषता,
श्री “पोशीना” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [२४]
जे स्थापना समये अगननु विघन राहु विदारता,
विघ्नापहार नामे प्रभुजी जगतमाही गाजता,
मोटा पोशीना तीर्थमा राजा बनीने राजता,
श्री “विघ्नापहारी” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [२५]
सहु कर्मगंजी काजे जे अग्नि स्फुलिंग सम जलकता,
उवसग्गहरं ने नमिउणथी जे प्रभु सूचित थता,
विजापुरमा विराजता वीतरागी पारस माहरा,
श्री “स्फुलिंग” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [२६]
कष्ठमा जलतो फणीधर ते उगार्यो प्रेमथी,
क्रोधे बलुं मुजने निहालों ओ प्रभुजी रेहमथी,
उपसर्ग कमठे आदर्यो त्या फणा फणीपति ए धरी,
श्री “नागफणा” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [२७]
जे कुपमाथी प्रगटता भवकूपथी उगारवा,
ते विसनगरमा विराजता मोहविषने उतारवा,
कल्याण करता सहु जीवोंनु त्रण भवोथि जे प्रभु,
श्री “कल्याण” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [२८]
भवदुखखंडन नाथ निरंजन मनोरंजन हे प्रभु,
हे वामानदंन त्रिजगवंदन शीतलचंदन हे विभु,
महेशाजी राजा आपनु पूजन करी मनरंजता,
श्री “मनोरंजन” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [२९]
बादशाहोना बादशाह छे तेथी ज ते सुल्तान छे,
सहु भान भूली समयनु तुज भक्तिमा गुलतान छे,
छे सिद्धपुर मंडन प्रभु जे सिद्धि देता भव्यने,
श्री “सुल्तान” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [३०]
तुज नाम एक्सो आठ छे पण नाथ तू तो एक छे,
तुज भक्तिथी मुज मुक्ति थाय एक ए मुज टेक छे,
मुज गाडु मोक्षे वालजो, घरडा ज गड़ा वालता,
श्री “डोसला” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [३१]
अति पापी प्रह्लाद नृपे तुज पलव पकडयो प्रेमथी,
पल्लवित थायो तस कोढ़ गलतो एह प्रभु तुज रहेमथी,
पल्लवित करो मुज धर्मवेली तुज कृपा जल रेलथी,
श्री “पल्लवीय” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [३२]
नानी मजानी नाथ तारी अजब सुंदर मूर्ति,
पण प्रभावे परिपूर्ण पारस आज सुणि तुज कीर्ति,
सहु कर्म भील्लथी रक्षजो श्रद्धा तणी करु आरती,
श्री “भीलड़िया” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [३३]
जे पांच आश्रव वार्ता पंचासरा प्रभु पासजी,
वनराज नृपे थापिया बहुमानथी धरी आसजी,
प्रेमे करी भक्ति प्रभु तुज मांगु मुक्ति वासजी,
श्री “पंचासरा” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [३४]
प्रभातमा घड़ी चार जे पुजाय बनी शंखेश्वरा,
ने कोक दि तो रेहम करीने तारजो अलवेसरा,
तुज हृदयना कोक अंशमा मुजने वसावों इसरा,
श्री “कोका” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [३५]
हाथ कंकणने प्रभु शु आरसी धरवी पड़े,
एम नाथ कंकण ताहरी ओलखाण शु करवी पड़े,
वीछि नहीं करडे कदा तने पुष्प माले पूजता,
श्री “कंकणा” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [३६]
अणहील पत्तने शोभता कंबोईना प्रभु पासजी,
धृतवणिजना दुख दुरित दर्दों आपे कीधा नाशजी,
संसार दुखे दुखियों छु आपने कहु खासजी,
श्री “घीया” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [३७]
मेवाड़ना राणा प्रतापे आपनी पूजा करी,
माहोमकाजे सहाय दई ते कामना पूरी करी,
धरनेन्द्रए भक्ति करी बहुमान हृदयमा भरी,
श्री “धरनेन्द्र” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [३८]
पद्मावती बहुमानती हरदम हृदयमा ध्यावती,
संकट हरे तुज भक्तना भक्ति करे एक ध्यानथी,
जे नरोडा नगरी निवासी लोको श्रद्धा पामता,
श्री “पद्मावती” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [३९]
धींगो धणी गुजरातनो जे जोगीवाडे जागतों,
धींगणी जीती मोहने वली मल्ल जिम जे गाजतों,
मुज हृदयना सिंहासने तु नाथ बनीने राजतों,
श्री “धिंगाड़मल्ल” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [४०]
वाडी पूरेथी आविया, ने पाटणे बिराजिया,
मुज हृदय कमले आवशो, तो कर्म शत्रु नाशिया,
वरसावों करुणा धार अम पर भव दावानले दाजीय,
श्री “वाडी” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [४१]
वर्षा करी दुधधारनी वरसावों करुणा धारने,
आ विश्वना शुभ सौख्यनो तु हीज एक आधार,
विश्वास तारो पार्श्वजी किधो छे ते तु निभावजे,
श्री “दुधाधारी” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [४३]
हे टांकला प्रभु पासजी मुज जीवनना शिल्पी बनो,
पाषाण हु लइ टांकणु ने घाट आतमनो घड़ों,
जलपूर्ण टांकीथी प्रगटया तेहथी तुम टांकला,
श्री “टांकला” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [४४]
दुर्गुणोंनी भीड़ वच्छे हु भिसायो भव मही,
हे भीड़भंजन भांगजों, भीड़ भक्त छु तारों सही,
वटवृक्ष नीचेथी प्रगटता, खेड़ा तिर्थे राजता,
श्री “भीड़भंजन” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [४५]
ज्या ज्योत केसरनी थती ने उछलती धाँधर नदी,
तुज भक्तिथी सहु शांति पामे शोकना रेहतों कधी,
समकित केसर ज्योत मुजमन दिवड़े प्रगटावजों,
श्री “वणछरा” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [४६]
कंसरी नगरना कंथ हे, भगवंत मुज मन आवजों,
मुज कर्म कसं हणी प्रभु, कंसरी बिरुद निभावजों,
स्तंभन तीर्थे बिराजिने, थंभावता भवी चित्तडा,
श्री “कंसारी” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [४७]
भौतिक सुखने अर्पतु ते दिव्यचिंतामणी कहु,
पण मुक्ति सुखने आपता ते सोमचिंतामणी चहू,
संघवी नी पोले बिराजता पद्मावती आराधता,
श्री “सोमचिंतामणी” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [४८]
हे नाथ चापानेरथी पधारिया गाड़ा महि,
नेवोरसदे गाडु थंबावी वास किधो त्या सही,
मुज सावरों छो केम करी प्रभु जाव छो मुजने भूली,
श्री “सावरा” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [४९]
वाराणसीए वारवा त्रण जगतना भव दुखने,
प्रणत कल्पथी आवता प्रभु पासजी वामा घरे,
वाराणसीए जन्म दीक्षा नाण पण प्रभु पामत,
श्री “वाराणसी” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [५०]
प्रगट प्रभावी नाम तारु नाथ साचु होय जो,
कलिकालमा मुजने प्रभुजी, मुक्ति सुख देखाड़जो,
तुज नाम सत्य ठेर ज छे मुज आत्मा आनंदता,
श्री “प्रगटप्रभावी” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [५१]
काचा सुतरना तांतणे जे कूपमाथी प्रगटता,
वेणुतणा प्रभुजी छत्ता लोढासमा जे बनी जता,
पद्मासनार्धे शोभता दर्भावतीमा राजता,
श्री “लोढ़ण” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [५२]
गंधारनगरे बिराजता हे गंधहस्ति समा विभु,
अमृत जरे तुज नयणथी, ने वयणथी पारस प्रभु,
तुज दर्शथी सहु भाविकना संताप पाप क्षमी जता,
श्री “अमीजरा” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [५३]
कल्हारा पारस मोह भंजी, कालहारा बनी जजों,
निरंजनोंना नगरमा, एकवार मुजने लई जजों,
एैनाबादने भृगुकच्छ तारा तीर्थ जगमा जाणिता,
श्री “कल्हारा” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [५४]
जेम पुष्पमा चंपातणा फूल श्रेष्ठ नाथ गणाय छे,
तेम सृष्टिमा सहु देवमा तु देवाधिदेव मनाय छे,
तु दिव्य छे, तु भव्य छे, श्रद्धेयेयने तु ध्येय छे,
श्री “चंपा” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [५५]
नमिउण मंत्रनी सिद्धिदाता सुराजमंडण छो तमे,
ने सुरतनगरे रिद्धिदाता दुख विहंडण छो तमे,
सुरनर मुनिवर भक्तिथी ज्या वामानंदनने नेम,
श्री “सुराजमंडण” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [५६]
षटमास सुधि तुज दर्श स्वामी, कोक पुण्याधिक करे,
हे नाथ तुजने ध्यावता सहु काज भक्तोंना सरे,
केशरीया अमीवृष्टि वरसे, मानु दयारसना जरा,
श्री “सहस्त्रफणा” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [५७]
जे स्वप्नसूचित जमीनमाथी देव पूजित प्रगटता,
जेना दर्शथी सहु भक्तजनना धर्म नवनवा सिद्धता,
चोवीश जिनवर सहित जे नवसारी नगरे राजता,
श्री “नवसारी” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [५८]
हे दोकड़ा देणार दोकड़िया श्री पारसनाथजी,
मुज दुखना हरणार दोकड़िया बानोने नाथजी,
प्रभासपाटण नवगभारे बेसणा भवतारणा,
श्री “दोकड़िया” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [५९]
जे हास्य मोह निवार्ता पण हास्य मुख पर धारता,
जे चोरवाड़े बेसता त्रण मोह चोर निवार्ता,
हे चोरवाड़ी हसमुखा तुज आण सहु अवधारता,
श्री “चोरवाड़ी” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [६०]
नवपल्लवित निज अंगुली करणार प्रभु नयने धरो,
मुज भावना मूर्छित बनी नवपल्लवित तेने करो,
मांगरोल नगरे इश जगदीश हे तु जग जाणितों,
श्री “नवपल्लवित” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [६१]
अमृत जरे तुज मुखथी मुज आत्मा भिंजावजे,
ने अमरपद आपी प्रभु तु देवाधिदेव कहावजे,
जे स्वप्न आपी भविकना श्रद्धा कमल विकसावता,
श्री “अमृतजरा” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [६२]
आलम आखि नाथ तुजने देव साचो मानती,
छो श्यामला पण नाथ तारी धवल कीर्ति जामती,
जे बरेजे बलवंत बेठो मोहबलने तोड़वा,
श्री “बरेजा” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [६३]
हे सप्तफणा प्रभु पार्श्वजी मुज सात भय निवारजो,
भणसालथी मुज मोहने हे नाथ पाठ भणावजो,
तुज दर्शनी इच्छा धरे ते देव नी पण आवता,
श्री “सप्तफणा” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [६४]
सुगठित तमारी देहयष्टि कर्मकष्टि कापता,
तुज भामणा लेती समष्ठी पार्श्व भाभा ओपता,
जे जामनगरे जागता जीवमैत्रीने रेलावता,
श्री “भाभा” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [६५]
तारी प्रतिष्ठा नाथ करता कपिल केवली आविने,
ने नागराजने देवगण आवी नमे जगनामिने,
छो कच्छना शणगारने अणगारना नायक तमे,
श्री “भद्रेश्वरा” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [६६]
धृतपुरीत भाजनने विषे भगवान जे कल्लोलता,
ने लाज राखी संघनी दुष्कालने डोलावता,
जे कच्छ सुथरीमा बिराजे लाड़का ललचामणा,
श्री “धृतकल्लोल” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [६७]
परचों बताव्यो नाथ गजनीखान मान उतारवा,
भिनमालनो भगवान छे श्री संघना भय भांजवा,
मुज मोह भयने भांगजे भगवान तुजने ध्याववा,
श्री “भयभंजन” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [६८]
आ देशनी सीमे बिराजे देश आखों रक्षवा,
तुज मस्तके अदभुत फणाने नामतारु लोद्रवा,
ज्या आवता अहनीश अहिपती भक्तिथी प्रभु भेटवा,
श्री “लोद्रवा” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [६९]
संकटहरी सहु भक्तना जे वांछितोने आपतो,
जे हृदयमा स्थापे तने तेने मुक्तिपदमा स्थापतो,
मुज मोह चोरने जरे करतो नाथ जैसलमेरनो,
श्री “संकटहरण” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [७०]
मुज मनमंदिरमा जे प्रभुजी कुंकुम पगले पधारता,
मुज हृदयसरमा जे प्रभुजी मराल बनीने राजता,
मुज आत्माना हर प्रदेशे जे प्रभुजी बिराजता,
श्री “कुंकुममरोल” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [७१]
आशारहित अवधूत समो तु ते छता आशा पूरे,
उपसर्गने सहनार तु पण ते छता संकट चुरे,
छे नुन नगरे जगत जननी तुजमा नहीं न्यूनता,
श्री “आशपुरण” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [७२]
जगमोह विष उतारवा सिरोड़ीमा तु गारुड़ी,
तुज मूर्ति मोहनगारी जाणे खाली अमृतवेलड़ी,
प्रभु तुही तुही धुन जागे एक ए मुज कामना,
श्री “शिरोडिया” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [७३]
बलतो उगारयो नागने ते मा शु मार्यो मीर ते,
मुज मोहपीरने मारशो तो मानू तारा हीरने,
मीरपुर निवासी हे प्रभु तु वीरने वलधीर छे,
श्री “हमीरपुरा” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [७४]
पोसालिया तीर्थाधिपतीने पेखता नयना ठरे,
तुज श्यामली मूरत प्रभु मुज कर्मरज श्यामल हरे,
मुज वासना शोषी लईने भावनाने पोषता,
श्री “पोसालिया” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [७५]
ज्या कच्छना रावे वसाव्यु धाम काछोली तणु,
त्या थापिया प्रभु पार्श्वने तुज नाम काछोली गणु,
काछोली पारस कर्म छोली छेडलों भवनों करो,
श्री “काछोली” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [७६]
बेड़ा बिरजी थई सुकानी बेड़ों पार लगावता,
दिव्य प्रभाव थकी सुगंधी हस्तमा फेलावता,
अमृत काछोला नयनमा दादाजी जाणे लागता,
श्री “दादा” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [७७]
मिठड़ी नदीना तीर पर बेठा प्रभुजी मिठड़ा,
ने नाम तारु सेसली करे नामशेष दूरितड़ा,
मुज शेष कर्मोने हणों तो मानू तारी विशेषता,
श्री “सेसली” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [७८]
रणकपुरानु धाम धरणाशाह ज्या विकसावता,
प्रभु पार्श्वनु मंदिर तिहा सहु स्थपतिओ मली स्थापता,
छे तीर्थ प्रभु आदि तणु ज्या पार्श्व प्रभु पण जागता,
श्री “रणकपुरा” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [७९]
चोपाट चार गति तणी खेलु प्रभु संसारमा,
मुज सोगठी जिताड़जो पहोचाडजो तुज द्वारमा,
जेखलगिरीना मूलमा जे जमीनमाथी प्रगटता,
श्री “सोगठीया” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [८०]
वरकाणानगरे शोभता वर्गन्धहस्ती समा प्रभु,
विनवी रहया आ भक्त तारा का निवी रिजता विभु,
जगमातने जगतात तु जगनाथ ए तुज नामना,
श्री “वरकणा” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [८१]
पालिनगरना पालनारा बालने आ पालजो,
पालनहारा बिरुद तारु तोज साचु जाणजो,
नवअंगमा नवयंत्र लेखा तेहथी तु नवलखा,
श्री “नवलखा” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [८२]
बावलियाना वृक्ष नीचेथी स्वयंभू प्रगटता,
कापरडा तिर्थे बिरजी कर्म कंटक कापत,
जेना दर्शथी प्रगटे स्वयंभू बोधि बिजनी स्पर्शना,
श्री “स्वयंभू” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [८३]
अम्लाना पुष्प संकेत्तथी जे पार्श्व प्रभुजी प्रगटता,
पारसश्रेष्ठीनो साथियों जे स्वर्णमय बनावता,
तेथी तमे फलवृद्धि छो मुज भक्ति फल वधारजो,
श्री “फलवृद्धि” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [८४]
श्री विजय चितांमणी तमे सर्वत्र विजय अपावता,
मेड़ता नगर निवासी मुज जड़ता सदा उच्छेदता,
चिंता चुरो चिंतामणी चहु चेतना चेतावजों,
श्री “विजयचिंतामणी” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [८५]
जे स्वप्न आपी केरडाना वृक्ष तलथी प्रगटता,
जे जव भरेल करंडियो सोनी मही पलटावता,
मुंडावानगरे तीर्थ तारा मुंडजों मुज मोहने,
श्री “मंडोवरा” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [८६]
हे नाथ जीणोद्धार जांजणमंत्री तारों करावता,
तारी स्तुतिथि देवकृत उपसर्ग सहु दुरे थता,
छे नाम तारु एहवुं जाणे कर्मने पड़े कोरडा,
श्री “करेडा” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [८७]
सिंहाकृति तुज मुखनी ने व्याध्रशीलपे बिराजता,
अद्भुत परचा पुरीने आशातना सहु टालता,
तारक मेरा वोही-वोही भक्त एम पुकारता,
श्री “वही” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [८८]
म्लेच्छो तणी लड़ाईमा नवखंड थाता ताहरा,
पण अखंड सुख स्वामी प्रभु अखंड बनता माहरा,
खोवायेलाने खोलनारा आत्मा मुज खोलजे,
श्री “नवखंडा” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [८९]
नागेश्वरा परमेश्वरा तु परमज्योत स्वरूप छे,
प्रभाव तारों छे अनोखों विषापहारी रूप छे,
मर्कट मणिमय देहने काउसग मुद्रा धारता,
श्री “नागेश्वरा” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [९०]
प्रशमझरंतु मुखलडु अमीरसझरंती आंखड़ी,
मेवानगरना राजिया पूरी करे सहु आंखदी,
भैरव नाकोडा करे सानिध्य जेनु लडी लडी,
श्री “नाकोडा” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [९१]
जेना नवणथी अजय नृपना रोग शोक सहु हारता,
हे भयहरा शिवसूखकरा सहु नाम अजाहरा पाडता,
ने पूजता धरनेन्द्र आदि सूरवरो जेने वली,
श्री “अजाहरा” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [९२]
देवेन्द्रसूरी अंतःस्फुरणथी अंध शिल्पी आवतो,
पद्मावतीनी सहायथी तुज बिंब निशिए बनावतों,
मुज कर्म शत्रु शेर माथे तु सवाशेर इश छो,
श्री “शेरिसा” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [९३]
सम्मेतशैली साधु तेत्रिश साथ प्रभु आवे सही,
श्रावण सुदि आठम दिने नक्षत्र विशाखा महि,
एक मासनु अनशन करी ज्या पार्श्व प्रभुजी सिद्धता,
श्री “सम्मेतशिखर” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [९४]
प्रजापालनृपनो भय हटववा जे प्रभु निर्मित थता,
देवे प्रभावे वेलुमाथि व्रजमय जे बनी जता,
माता अंबिका चरणमा रही जे प्रभुने सेवता,
श्री “भटेवा” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [९५]
केसी स्वामीना उपदेशथी प्रदेशी प्रतिमा भरावता,
दूध धार ने धरनेन्द्र साथे जे प्रभुजी प्रगटता,
उपसर्ग ने सहनार तु उपसर्ग तु सहूना हरे,
श्री “उवसग्गहरम्” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [९६]
प्रभावथी पूरा प्रभु हासामपुरामा तमे,
छे अलौकिक मूर्ति तमारी तु प्रभु मुजने गमे,
तुज हस्तमा नागनागणि जाणे धरण-पद्मावती रमे,
श्री “अलौकिक” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [९७]
इच्छया विना मांग्या विना तुज भक्ति मुक्ति आप्ति,
तु कल्पद्रुमथी अधिक छे कल्पद्रुमा प्रभु पासजी,
मथुरा महि मधुरा प्रभु मुह मोहने मथी नाखजे,
श्री “कल्पद्रुम” प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना... [९८]
कुर्कट अने ईश्वरतणा बे चरम भवनी यादमा,
ए नामथी दत्ते भराव्या अरज सुणो फरियादमा,
मुज भवभ्रमण केम नहीं मिटाव्यु तारजो परमात्मा,
श्री “कुकडेश्वर” प्रभु पार्श्वने भावे करू हुं वंदना... [९९]
गुण रत्न रोहण भुवन-मोहन भुवन पारसनाथजी,
तुज मूर्ति ना मलकारथी मोही रहया सुरनाथजी,
मने मुक्ति पगथारे चढ़ावों नाथ पकड़ी हाथजी,
श्री “भुवन” प्रभु पार्श्वने भावे करू हुं वंदना... [१००]
तुज चरणकजमा रावने उमराव भक्तिथी नेम,
मुज राव छे भवथी उगारो मोहराय मुजने दमे,
ज्या रावणे भक्ति किधी प्रभु तेहथी तुमे रावणा,
श्री “रावण” प्रभु पार्श्वने भावे करू हुं वंदना... [१०१]
कामित पुरो सहु लोकना कामितपुरण प्रभु पासजी,
छे कामना मुज कामने दुरे करो हे नाथजी,
छे काम तारु भक्तजननी पूरी करवी कामना,
श्री “कामितपुरण” प्रभु पार्श्वने भावे करू हुं वंदना... [१०२]
जे अवन्ती सुकुमारनी शुभयादमा निर्मित थता,
कल्याणमंदिर स्तव थकी फरिवार जे प्रभु प्रगटता,
ज्या मणीभद्रवीर पण प्रभु पार्श्व पासे जागता,
श्री “अवन्ती” प्रभु पार्श्वने भावे करू हुं वंदना... [१०३]
अमीरसतणी अमीधार वेहती हे प्रभु तुज नयनमा,
समता तणी सरवाणी वेहती हे प्रभु तुज वयणमा,
शमी जति समीना मही तुज दर्शथी दुर्भावना,
श्री “समीना” प्रभु पार्श्वने भावे करू हुं वंदना... [१०४]
तुज मुख रूपी चंद्रथी अमृत जरंतु देखिने,
आकाशमा आ चंद्र भमतो आपनु तेज पेखिने,
मुज हृदयनों उकलाट ठारों चांदनी फेलावता,
श्री “चंदा” प्रभु पार्श्वने भावे करू हुं वंदना... [१०५]
छत्र स्वरूप तुज फेणमाथि धार वेहती दुग्धनी,
परचों बातव्यों गिजनीने अर्जी सुनो आ मुग्धनी,
हे मक्षी पारस मोक्ष देजो रक्षी-रक्षी मोहथी,
श्री “मक्षी” प्रभु पार्श्वने भावे करू हुं वंदना... [१०६]
खरदूषणे तुजने भराव्या निरखता नयना हसे,
शिरपुर तणो शिरताज तु अंतरिक्षमा अद्धर वसे,
तु अंधने करे देखतो देखाड़ मुक्ति बारणा,
श्री “अंतरिक्ष” प्रभु पार्श्वने भावे करू हुं वंदना... [१०७]
केसरतणी वृष्टि थती ने अमीटणा जरणा झरे,
कुंभोजगिरीए बेसणा तु नाम जगवल्लभ धरे,
वल्लभ गणे मुजने प्रभु तो आत्मा मारो ठरे,
श्री “जगवल्लभ” प्रभु पार्श्वने भावे करू हुं वंदना... [१०८]
गिरुआ गुणो गणायना गिरुआ श्री पारसनाथना,
गिरुआ बनावे भक्तने बंधन भरी मोहपासना,
गिरुआ जीनालयमा बिराजे अमलनेर मुकाममा,
श्री “गिरुआ” प्रभु पार्श्वने भावे करू हुं वंदना... [१०९]
जेम कामधेनु कामघटने सूरतरु इच्छा पूरे,
पण कलीकाले ते बधा तुजमा समाया कहु खरे,
छे नेरनो तु नाथ तारी पेर जगमा ना जड़े,
श्री “मनोवांछित” प्रभु पार्श्वने भावे करू हुं वंदना... [११०]
हे विमल पारस विमल करो मुज कर्म मल उच्छेदीने,
मुज हृदय कमले वास करजो अवगुणों सहु भेदीने,
तुज नयण कमलो पेखीने मुज मन भमर ललचाय छे,
श्री “विमल” प्रभु पार्श्वने भावे करू हुं वंदना... [१११]
जे प्रभुजी ना दर्शथी सहु आपदा दुरे थती,
ने जे प्रभुना स्पर्शथी सहु संपदाओ मली जति,
विघ्नों हरी शिवमार्गना जे मुक्ति सुखने आप्त,
श्री “विघ्नहरा” प्रभु पार्श्वने भावे करू हुं वंदना... [११२]
संसारमा सहु देव जोया तुज सरीखों ना मले,
केईक रागी द्वेषीने केइ वासनाए टलवले,
वीतरागी साचा देव छो महादेव तेथी आप छो,
श्री “महादेवा” प्रभु पार्श्वने भावे करू हुं वंदना... [११३]
प्रभु तु सदानंद तु चिदानंद तु सहज आनंद छे,
पण नाथ मारो जीवड़ों एक वासनानो कंद छे,
मुज कर्मकंद उच्छेदशो तो एज परमानन्द छे,
श्री “आनंदा” प्रभु पार्श्वने भावे करू हुं वंदना... [११४]
चारुप तिर्थे चार रुप करती प्रतिमा आपनी,
जोता ठरे नयनों अमारा ने ठरे मोह तापणी,
अषाढीना प्यार प्रभु लागे धुन अजपाजापनि,
श्री “चारुप” प्रभु पार्श्वने भावे करू हुं वंदना... [११५]
चिंतामणी चिंता हरे एवी प्रतिष्ठा आपनी,
समृद्धि आपे पाप कापे नामना तुज जापनी,
नासिक तिर्थे नीलवर्णा नेत्र दीपक छो तमे,
श्री “चिंतामणी” प्रभु पार्श्वने भावे करू हुं वंदना... [११६]
मुंबई नगरनी रिद्धिने समृद्धिना जे मुल छे,
मुज आत्मानी सिद्धि काजे जे प्रभु अनुकूल छे,
तुज मिलननी आशा मही मन माहरु व्याकुल छे,
श्री “गोडीजी” प्रभु पार्श्वने भावे करू हुं वंदना... [११७]
मूर्ति अलौकिक निरखी तारी नयन युगल मुज ठरे,
राज्य लेवा शिवनगरनु हु आव्यो तारी कने,
मा-बाप मान्या में तने मुज टाल भावना तापने,
श्री “रत्नचिंतामणी” प्रभु पार्श्वने भावे करू हुं वंदना... [११८]
मुज आत्म कमले आवजों लब्धिविक्रम फैलावजो,
ने भाग्यनु तिलक करी आ बाल ने बोलावजों,
यशोअजितवीरनी विनंती है नाथ उरअवधारजो,
श्री “अशटोतर” प्रभु पार्श्वने भावे करू हुं वंदना... [११९]
कोई अक्षर आगल पाचल थ्यो होय तो मिच्छामि दुक्कडम🙏
🙏🏼🙏🏼🙏🏼
Mahima sathe vandana bahuj saras
Shree Parshwanathay Namah 🙏🙏🙏
JAI JINENDRA
Very soothing and Calming stavan.... Voice is so nice
Very good words
Samet sikar jaokesnkesavrjaohal haltanepasvnatadekaoestavan sanga cam❤
श्री पारसनाथाय नमः
very nice adbhut bhavvahii stuties
Adbhutt stuti..heart touching
Very very nice
Very smoothing Stavan 🙏🙏🙏
Namostu bhagwan
Awesome 👍 ...jay shri shankhe swra parshvnath swami...
🙏🙏🙏
very nice very touchy stavan
Superb Spiritual with pictures. Great!!
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feel like listening stavan again n again adbhutttttt
@@JaiJinendra ¹*
jay jinendra ....😊
Good
very nice
Mara aatma vade 99,999 krod sree navkar uvasaggaharam maha stotra gani puja karu vahla sree sankhesvara paras nath dada .raxa karo.
સ્તુતિ ની જે પ્રભુનું નામ બોલાય તે ગામની ભગવાન નું સ્વરૂપ દેખાય તે રીતે ગોઠવાય તો ભાવ વધારે આવે
❤
heart touch vandana
Fine stavan. Thank u so much
कख
@@jaggajasoos6320 what do you mean
Chandra.raj.bothra.jaipur.raj
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Bhavanamay
🙏🙏 धन्य धन्य मुनिराज। सभी गछाधिपति और जैन सम्प्रदाय को संगठित होकर करना है महावीर भगवान का शासन जयवंत रहे सभी सम्प्रदाय के आचार्य भगवंत, उपाध्याय, साधु, साध्वी भगवंत की खूब खूब अनुमोदना अनुमोदना.कोटि कोटि वंदन ❤🙏🙏
Wonderful
Excellent Stuti of God PARSHWANATH
Sudha Doshi
Mind blowing stavan
very touchy stavan
so touching ...very nice
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À
Wonderful 👌🏻
Thank you! Jai Jinendra !
Wonderful
Rakhee Parekh ,,
અતિ સુંદર
@@riddhipatel3212 0 pm 3rd
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VALCHAND B.OSWAL
Pashv Nathay namh
अदभुत स्तवन , कुछ चित्र जगह के साथ मेच नही करता । कोशीश करो के जो नाम बोलो वो वहाँ कि मूर्ती सामने आये
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jai parasprabhu
Very well versed brings childhood memory back. Thanks
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Namojinanam
Lakhi ne pan batao sathe tethi ame pan sathe boli sakia plz.
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I'm Namra
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