amazing clay with palam tree /🌴 how make to clay house /Dly miniature

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  • Опубликовано: 31 дек 2024
  • amazing clay with palam tree /🌴 how make to clay house /Dly miniature

Комментарии • 15

  • @khushbookirasoivlogs
    @khushbookirasoivlogs 2 месяца назад

    Nice sharing beautiful 😊

  • @sarasoni3602
    @sarasoni3602 2 месяца назад

    4 like super sharing bahut hi Sundar banaya hai❤❤❤❤

  • @Gudiyatripathilockgeet-py5cy
    @Gudiyatripathilockgeet-py5cy 2 месяца назад

    8❤like Achcha video hai sister ji❤❤❤🎉🎉🎉🎉

  • @Sunitaramugupta
    @Sunitaramugupta Месяц назад

    ❤❤❤❤🎉🎉🎉🎉🎉

  • @ASHAVLOG325
    @ASHAVLOG325 2 месяца назад

    🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉

  • @Ritu_Nishad5823_vlogs
    @Ritu_Nishad5823_vlogs 2 месяца назад

    Super super super super super super super super super super super

  • @armyboy2937
    @armyboy2937 2 месяца назад

    नाइस

  • @KaushalKishor-mt1cm
    @KaushalKishor-mt1cm 2 месяца назад

    Nice

    • @anushkasapna9992
      @anushkasapna9992 2 месяца назад

      So ब्यूटीफुल एंड वीडियो बनाने वाले लोगों को भी 😊

  • @Mahadev95866
    @Mahadev95866 2 месяца назад

    अंजनहारी संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ अञ्जन + कारिन्]
    १. आँख की पलक के किनारे की फुंसी । बिलनी । गुहांजनी । गुहाई । अंजना । एक कीड़ा । भृंगी ।
    २. एक प्रकार का उड़नेवाला कीड़ा । भृंगी नामक एक कीड़ा । विशेष-इसे कुम्हारी या बिलनी भी कहते हैं । यह प्रायः दीवार के कोनों पर गीली मिट्टी से अपना घर बनाता है । कहते हैं, इस मिट्टी को घिसकर लगाने से आँख की बिलनी अच्छी हो जाती है । इसी कीड़े के विषय में यह प्रसिद्ध है कि वह दुसरे कीड़ों को पकड़कर अपने समान रप लेता है, जैसे, भई गति कीट भृंग की नाई । जहँ तहँ देखौ रघुराई ।-तुलसी॰ (शब्द॰)

  • @SharmaAunty12
    @SharmaAunty12 2 месяца назад

    Nice

  • @Mahadev95866
    @Mahadev95866 2 месяца назад

    अंजनहारी संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ अञ्जन + कारिन्]
    १. आँख की पलक के किनारे की फुंसी । बिलनी । गुहांजनी । गुहाई । अंजना । एक कीड़ा । भृंगी ।
    २. एक प्रकार का उड़नेवाला कीड़ा । भृंगी नामक एक कीड़ा । विशेष-इसे कुम्हारी या बिलनी भी कहते हैं । यह प्रायः दीवार के कोनों पर गीली मिट्टी से अपना घर बनाता है । कहते हैं, इस मिट्टी को घिसकर लगाने से आँख की बिलनी अच्छी हो जाती है । इसी कीड़े के विषय में यह प्रसिद्ध है कि वह दुसरे कीड़ों को पकड़कर अपने समान रप लेता है, जैसे, भई गति कीट भृंग की नाई । जहँ तहँ देखौ रघुराई ।-तुलसी॰ (शब्द॰)

  • @Mahadev95866
    @Mahadev95866 2 месяца назад

    अंजनहारी संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ अञ्जन + कारिन्]
    १. आँख की पलक के किनारे की फुंसी । बिलनी । गुहांजनी । गुहाई । अंजना । एक कीड़ा । भृंगी ।
    २. एक प्रकार का उड़नेवाला कीड़ा । भृंगी नामक एक कीड़ा । विशेष-इसे कुम्हारी या बिलनी भी कहते हैं । यह प्रायः दीवार के कोनों पर गीली मिट्टी से अपना घर बनाता है । कहते हैं, इस मिट्टी को घिसकर लगाने से आँख की बिलनी अच्छी हो जाती है । इसी कीड़े के विषय में यह प्रसिद्ध है कि वह दुसरे कीड़ों को पकड़कर अपने समान रप लेता है, जैसे, भई गति कीट भृंग की नाई । जहँ तहँ देखौ रघुराई ।-तुलसी॰ (शब्द॰)अंजनहारी संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ अञ्जन + कारिन्]
    १. आँख की पलक के किनारे की फुंसी । बिलनी । गुहांजनी । गुहाई । अंजना । एक कीड़ा । भृंगी ।
    २. एक प्रकार का उड़नेवाला कीड़ा । भृंगी नामक एक कीड़ा । विशेष-इसे कुम्हारी या बिलनी भी कहते हैं । यह प्रायः दीवार के कोनों पर गीली मिट्टी से अपना घर बनाता है । कहते हैं, इस मिट्टी को घिसकर लगाने से आँख की बिलनी अच्छी हो जाती है । इसी कीड़े के विषय में यह प्रसिद्ध है कि वह दुसरे कीड़ों को पकड़कर अपने समान रप लेता है, जैसे, भई गति कीट भृंग की नाई । जहँ तहँ देखौ रघुराई ।-तुलसी॰ (शब्द॰)

  • @Mahadev95866
    @Mahadev95866 2 месяца назад

    अंजनहारी संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ अञ्जन + कारिन्]
    १. आँख की पलक के किनारे की फुंसी । बिलनी । गुहांजनी । गुहाई । अंजना । एक कीड़ा । भृंगी ।
    २. एक प्रकार का उड़नेवाला कीड़ा । भृंगी नामक एक कीड़ा । विशेष-इसे कुम्हारी या बिलनी भी कहते हैं । यह प्रायः दीवार के कोनों पर गीली मिट्टी से अपना घर बनाता है । कहते हैं, इस मिट्टी को घिसकर लगाने से आँख की बिलनी अच्छी हो जाती है । इसी कीड़े के विषय में यह प्रसिद्ध है कि वह दुसरे कीड़ों को पकड़कर अपने समान रप लेता है, जैसे, भई गति कीट भृंग की नाई । जहँ तहँ देखौ रघुराई ।-तुलसी॰ (शब्द॰)अंजनहारी संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ अञ्जन + कारिन्]
    १. आँख की पलक के किनारे की फुंसी । बिलनी । गुहांजनी । गुहाई । अंजना । एक कीड़ा । भृंगी ।
    २. एक प्रकार का उड़नेवाला कीड़ा । भृंगी नामक एक कीड़ा । विशेष-इसे कुम्हारी या बिलनी भी कहते हैं । यह प्रायः दीवार के कोनों पर गीली मिट्टी से अपना घर बनाता है । कहते हैं, इस मिट्टी को घिसकर लगाने से आँख की बिलनी अच्छी हो जाती है । इसी कीड़े के विषय में यह प्रसिद्ध है कि वह दुसरे कीड़ों को पकड़कर अपने समान रप लेता है, जैसे, भई गति कीट भृंग की नाई । जहँ तहँ देखौ रघुराई ।-तुलसी॰ (शब्द॰)

  • @Mahadev95866
    @Mahadev95866 2 месяца назад

    अंजनहारी संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ अञ्जन + कारिन्]
    १. आँख की पलक के किनारे की फुंसी । बिलनी । गुहांजनी । गुहाई । अंजना । एक कीड़ा । भृंगी ।
    २. एक प्रकार का उड़नेवाला कीड़ा । भृंगी नामक एक कीड़ा । विशेष-इसे कुम्हारी या बिलनी भी कहते हैं । यह प्रायः दीवार के कोनों पर गीली मिट्टी से अपना घर बनाता है । कहते हैं, इस मिट्टी को घिसकर लगाने से आँख की बिलनी अच्छी हो जाती है । इसी कीड़े के विषय में यह प्रसिद्ध है कि वह दुसरे कीड़ों को पकड़कर अपने समान रप लेता है, जैसे, भई गति कीट भृंग की नाई । जहँ तहँ देखौ रघुराई ।-तुलसी॰ (शब्द॰)अंजनहारी संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ अञ्जन + कारिन्]
    १. आँख की पलक के किनारे की फुंसी । बिलनी । गुहांजनी । गुहाई । अंजना । एक कीड़ा । भृंगी ।
    २. एक प्रकार का उड़नेवाला कीड़ा । भृंगी नामक एक कीड़ा । विशेष-इसे कुम्हारी या बिलनी भी कहते हैं । यह प्रायः दीवार के कोनों पर गीली मिट्टी से अपना घर बनाता है । कहते हैं, इस मिट्टी को घिसकर लगाने से आँख की बिलनी अच्छी हो जाती है । इसी कीड़े के विषय में यह प्रसिद्ध है कि वह दुसरे कीड़ों को पकड़कर अपने समान रप लेता है, जैसे, भई गति कीट भृंग की नाई । जहँ तहँ देखौ रघुराई ।-तुलसी॰ (शब्द॰)