संविधान की विजय भारत में कोई भी सही बुद्धिजीवी नहीं है..............किसी भी दर्शन से नहीं। धर्मनिरपेक्ष, जबरन थोपे गए धर्मनिरपेक्ष या हिंदुत्ववादियों में कोई सच्चा बुद्धिजीवी नहीं है। उदाहरण के लिए- श्री अभय दुबेजी और संजय शर्माजी। दोनों ही अंबेडकर की विचारधारा के बारे में बकवास कर रहे हैं। मैं बकवास जैसे कठोर शब्द का प्रयोग क्यों कर रहा हूँ? कारण- जब माननीय डॉ. बाबासाहेब अंबेडकरजी ने कहा कि भगवान राम अपने गलत कामों के कारण भगवान का दर्जा पाने के लायक नहीं हैं। ऐसे में आपको दलित पुजारी की क्या जरूरत है? इसका मतलब है कि संजय शर्मा चाहते हैं कि कोई दलित ऐसी इकाई की पूजा करके मूर्ख बने जो भगवान होने के लायक नहीं है। क्या इसमें कोई तर्कसंगतता है? एक सच्चे साक्षर या बुद्धिजीवी या देशभक्त या धर्मनिरपेक्ष होने के नाते हमें सत्य की खोज करनी चाहिए। हमें राम की स्थिति तय करनी चाहिए। हमें इस पर किसी भी तरह के समझौते को अस्वीकार करना चाहिए। मैं यह कर सकता हूँ। अंबेडकर के सच्चे अनुयायी को राम मंदिर को ध्वस्त करने के बारे में सोचना चाहिए। एक सच्चे हिंदू को सभी सामाजिक और धार्मिक विवादों को बातचीत के जरिए सुलझाने के बारे में सोचना चाहिए। एक और उदाहरण- दुबेजी हमें समानता और सामाजिक सद्भाव के बीच का अंतर बता रहे हैं। उनके अनुसार आरएसएस समरसता चाहता है (मैं इसका कभी समर्थन नहीं करता। आरएसएस और भाजपा समरसता के बिना ही चल रहे हैं। यहां मैं दुबेजी और शर्माजी की कम समझ को उजागर कर रहा हूं।) लेकिन समानता नहीं। दुबेजी के अनुसार ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र समान हैं। जब सभी समान हैं, तो दुबेजी ब्राह्मण आरएसएस प्रमुखों पर क्यों रो रहे हैं? असली बात यह है कि भारत ने 1947 में नेहरूजी के नेतृत्व में एक पवित्र समझौता किया था। और उनकी पार्टी ने कमोबेश सीपीएम के वादे का पालन किया। हालांकि इस समझौते ने हर जगह निम्न गुणवत्ता वाले बुद्धिजीवियों को जन्म दिया है। सभी जातियों और धर्मों में बहुत कम समझ वाले बुद्धिजीवी ही हैं। यही बात सभी राजनीतिक दलों पर लागू होती है। सुधार का सबसे अच्छा तरीका- मैंने इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर एक राष्ट्रव्यापी चर्चा का प्रस्ताव रखा है। मैंने चर्चा की एक विशेष प्रणाली तैयार की है जो सभी जातियों और धर्मों के सम्मान को बनाए रखने का पूरा ध्यान रखेगी। और सरकार मेरा समर्थन नहीं कर रही है। सरकार ने मेरे 1400 अनुरोधों को नजरअंदाज कर दिया है। और सत्ता में निचली जाति के लोगों का होना एक मूर्खतापूर्ण समाधान है। मूर्खता को त्यागना ही सही समाधान है। भाजपा में कम से कम 50% लोग निचली जाति वर्ग से हैं। माननीय राष्ट्रपति आदिवासी हैं और मध्य प्रदेश में एक आदिवासी को क्या-क्या झेलना पड़ा ? मैं सभी से अनुरोध करता हूँ कि वे मेरा और इतिहास, जाति और धर्म पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें।
Non Brahmins Sages / Saints: according to Vajrasuchikopanishad, Rishyasringa belonged to deer, buck rearing caste, Kausika to grass cutting class, Jambooka maharishi belonged to fox tearing class, Valmiki to Kirathaka caste, Vyasa to fishermen caste , Gautama to hare rearing class, Vasistha born to a prostitute, and his son Shakti married a lower caste lady, Parasara married a lower caste lady Matsyagandhi and got a son Vyasa Maharshi, Agastya born in an earthen vessel, Matanga was a son of lower caste , Itareya maharishi was son of a kirathaka (present SC and ST category), Ilusha Rishi born to a Dasi.
@@nandlalyadav9185 संविधान की विजय भारत में कोई भी सही बुद्धिजीवी नहीं है..............किसी भी दर्शन से नहीं। धर्मनिरपेक्ष, जबरन थोपे गए धर्मनिरपेक्ष या हिंदुत्ववादियों में कोई सच्चा बुद्धिजीवी नहीं है। उदाहरण के लिए- श्री अभय दुबेजी और संजय शर्माजी। दोनों ही अंबेडकर की विचारधारा के बारे में बकवास कर रहे हैं। मैं बकवास जैसे कठोर शब्द का प्रयोग क्यों कर रहा हूँ? कारण- जब माननीय डॉ. बाबासाहेब अंबेडकरजी ने कहा कि भगवान राम अपने गलत कामों के कारण भगवान का दर्जा पाने के लायक नहीं हैं। ऐसे में आपको दलित पुजारी की क्या जरूरत है? इसका मतलब है कि संजय शर्मा चाहते हैं कि कोई दलित ऐसी इकाई की पूजा करके मूर्ख बने जो भगवान होने के लायक नहीं है। क्या इसमें कोई तर्कसंगतता है? एक सच्चे साक्षर या बुद्धिजीवी या देशभक्त या धर्मनिरपेक्ष होने के नाते हमें सत्य की खोज करनी चाहिए। हमें राम की स्थिति तय करनी चाहिए। हमें इस पर किसी भी तरह के समझौते को अस्वीकार करना चाहिए। मैं यह कर सकता हूँ। अंबेडकर के सच्चे अनुयायी को राम मंदिर को ध्वस्त करने के बारे में सोचना चाहिए। एक सच्चे हिंदू को सभी सामाजिक और धार्मिक विवादों को बातचीत के जरिए सुलझाने के बारे में सोचना चाहिए। एक और उदाहरण- दुबेजी हमें समानता और सामाजिक सद्भाव के बीच का अंतर बता रहे हैं। उनके अनुसार आरएसएस समरसता चाहता है (मैं इसका कभी समर्थन नहीं करता। आरएसएस और भाजपा समरसता के बिना ही चल रहे हैं। यहां मैं दुबेजी और शर्माजी की कम समझ को उजागर कर रहा हूं।) लेकिन समानता नहीं। दुबेजी के अनुसार ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र समान हैं। जब सभी समान हैं, तो दुबेजी ब्राह्मण आरएसएस प्रमुखों पर क्यों रो रहे हैं? असली बात यह है कि भारत ने 1947 में नेहरूजी के नेतृत्व में एक पवित्र समझौता किया था। और उनकी पार्टी ने कमोबेश सीपीएम के वादे का पालन किया। हालांकि इस समझौते ने हर जगह निम्न गुणवत्ता वाले बुद्धिजीवियों को जन्म दिया है। सभी जातियों और धर्मों में बहुत कम समझ वाले बुद्धिजीवी ही हैं। यही बात सभी राजनीतिक दलों पर लागू होती है। सुधार का सबसे अच्छा तरीका- मैंने इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर एक राष्ट्रव्यापी चर्चा का प्रस्ताव रखा है। मैंने चर्चा की एक विशेष प्रणाली तैयार की है जो सभी जातियों और धर्मों के सम्मान को बनाए रखने का पूरा ध्यान रखेगी। और सरकार मेरा समर्थन नहीं कर रही है। सरकार ने मेरे 1400 अनुरोधों को नजरअंदाज कर दिया है। और सत्ता में निचली जाति के लोगों का होना एक मूर्खतापूर्ण समाधान है। मूर्खता को त्यागना ही सही समाधान है। भाजपा में कम से कम 50% लोग निचली जाति वर्ग से हैं। माननीय राष्ट्रपति आदिवासी हैं और मध्य प्रदेश में एक आदिवासी को क्या-क्या झेलना पड़ा ? मैं सभी से अनुरोध करता हूँ कि वे मेरा और इतिहास, जाति और धर्म पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें।
बाबा साहब आंबेडकर भारत के सारे मानव भगवानों से महान हैं क्योंकि बाबा साहब ने जितने दबे कुचले लोगों को सिर उठाने का हक़ दिया उतना कोई भी महापुरुष बीसवीं, इक्कीसवीं शताब्दियों में नहीं कर सका।
संविधान की विजय भारत में कोई भी सही बुद्धिजीवी नहीं है..............किसी भी दर्शन से नहीं। धर्मनिरपेक्ष, जबरन थोपे गए धर्मनिरपेक्ष या हिंदुत्ववादियों में कोई सच्चा बुद्धिजीवी नहीं है। उदाहरण के लिए- श्री अभय दुबेजी और संजय शर्माजी। दोनों ही अंबेडकर की विचारधारा के बारे में बकवास कर रहे हैं। मैं बकवास जैसे कठोर शब्द का प्रयोग क्यों कर रहा हूँ? कारण- जब माननीय डॉ. बाबासाहेब अंबेडकरजी ने कहा कि भगवान राम अपने गलत कामों के कारण भगवान का दर्जा पाने के लायक नहीं हैं। ऐसे में आपको दलित पुजारी की क्या जरूरत है? इसका मतलब है कि संजय शर्मा चाहते हैं कि कोई दलित ऐसी इकाई की पूजा करके मूर्ख बने जो भगवान होने के लायक नहीं है। क्या इसमें कोई तर्कसंगतता है? एक सच्चे साक्षर या बुद्धिजीवी या देशभक्त या धर्मनिरपेक्ष होने के नाते हमें सत्य की खोज करनी चाहिए। हमें राम की स्थिति तय करनी चाहिए। हमें इस पर किसी भी तरह के समझौते को अस्वीकार करना चाहिए। मैं यह कर सकता हूँ। अंबेडकर के सच्चे अनुयायी को राम मंदिर को ध्वस्त करने के बारे में सोचना चाहिए। एक सच्चे हिंदू को सभी सामाजिक और धार्मिक विवादों को बातचीत के जरिए सुलझाने के बारे में सोचना चाहिए। एक और उदाहरण- दुबेजी हमें समानता और सामाजिक सद्भाव के बीच का अंतर बता रहे हैं। उनके अनुसार आरएसएस समरसता चाहता है (मैं इसका कभी समर्थन नहीं करता। आरएसएस और भाजपा समरसता के बिना ही चल रहे हैं। यहां मैं दुबेजी और शर्माजी की कम समझ को उजागर कर रहा हूं।) लेकिन समानता नहीं। दुबेजी के अनुसार ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र समान हैं। जब सभी समान हैं, तो दुबेजी ब्राह्मण आरएसएस प्रमुखों पर क्यों रो रहे हैं? असली बात यह है कि भारत ने 1947 में नेहरूजी के नेतृत्व में एक पवित्र समझौता किया था। और उनकी पार्टी ने कमोबेश सीपीएम के वादे का पालन किया। हालांकि इस समझौते ने हर जगह निम्न गुणवत्ता वाले बुद्धिजीवियों को जन्म दिया है। सभी जातियों और धर्मों में बहुत कम समझ वाले बुद्धिजीवी ही हैं। यही बात सभी राजनीतिक दलों पर लागू होती है। सुधार का सबसे अच्छा तरीका- मैंने इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर एक राष्ट्रव्यापी चर्चा का प्रस्ताव रखा है। मैंने चर्चा की एक विशेष प्रणाली तैयार की है जो सभी जातियों और धर्मों के सम्मान को बनाए रखने का पूरा ध्यान रखेगी। और सरकार मेरा समर्थन नहीं कर रही है। सरकार ने मेरे 1400 अनुरोधों को नजरअंदाज कर दिया है। और सत्ता में निचली जाति के लोगों का होना एक मूर्खतापूर्ण समाधान है। मूर्खता को त्यागना ही सही समाधान है। भाजपा में कम से कम 50% लोग निचली जाति वर्ग से हैं। माननीय राष्ट्रपति आदिवासी हैं और मध्य प्रदेश में एक आदिवासी को क्या-क्या झेलना पड़ा ? मैं सभी से अनुरोध करता हूँ कि वे मेरा और इतिहास, जाति और धर्म पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें।
संविधान की विजय भारत में कोई भी सही बुद्धिजीवी नहीं है..............किसी भी दर्शन से नहीं। धर्मनिरपेक्ष, जबरन थोपे गए धर्मनिरपेक्ष या हिंदुत्ववादियों में कोई सच्चा बुद्धिजीवी नहीं है। उदाहरण के लिए- श्री अभय दुबेजी और संजय शर्माजी। दोनों ही अंबेडकर की विचारधारा के बारे में बकवास कर रहे हैं। मैं बकवास जैसे कठोर शब्द का प्रयोग क्यों कर रहा हूँ? कारण- जब माननीय डॉ. बाबासाहेब अंबेडकरजी ने कहा कि भगवान राम अपने गलत कामों के कारण भगवान का दर्जा पाने के लायक नहीं हैं। ऐसे में आपको दलित पुजारी की क्या जरूरत है? इसका मतलब है कि संजय शर्मा चाहते हैं कि कोई दलित ऐसी इकाई की पूजा करके मूर्ख बने जो भगवान होने के लायक नहीं है। क्या इसमें कोई तर्कसंगतता है? एक सच्चे साक्षर या बुद्धिजीवी या देशभक्त या धर्मनिरपेक्ष होने के नाते हमें सत्य की खोज करनी चाहिए। हमें राम की स्थिति तय करनी चाहिए। हमें इस पर किसी भी तरह के समझौते को अस्वीकार करना चाहिए। मैं यह कर सकता हूँ। अंबेडकर के सच्चे अनुयायी को राम मंदिर को ध्वस्त करने के बारे में सोचना चाहिए। एक सच्चे हिंदू को सभी सामाजिक और धार्मिक विवादों को बातचीत के जरिए सुलझाने के बारे में सोचना चाहिए। एक और उदाहरण- दुबेजी हमें समानता और सामाजिक सद्भाव के बीच का अंतर बता रहे हैं। उनके अनुसार आरएसएस समरसता चाहता है (मैं इसका कभी समर्थन नहीं करता। आरएसएस और भाजपा समरसता के बिना ही चल रहे हैं। यहां मैं दुबेजी और शर्माजी की कम समझ को उजागर कर रहा हूं।) लेकिन समानता नहीं। दुबेजी के अनुसार ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र समान हैं। जब सभी समान हैं, तो दुबेजी ब्राह्मण आरएसएस प्रमुखों पर क्यों रो रहे हैं? असली बात यह है कि भारत ने 1947 में नेहरूजी के नेतृत्व में एक पवित्र समझौता किया था। और उनकी पार्टी ने कमोबेश सीपीएम के वादे का पालन किया। हालांकि इस समझौते ने हर जगह निम्न गुणवत्ता वाले बुद्धिजीवियों को जन्म दिया है। सभी जातियों और धर्मों में बहुत कम समझ वाले बुद्धिजीवी ही हैं। यही बात सभी राजनीतिक दलों पर लागू होती है। सुधार का सबसे अच्छा तरीका- मैंने इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर एक राष्ट्रव्यापी चर्चा का प्रस्ताव रखा है। मैंने चर्चा की एक विशेष प्रणाली तैयार की है जो सभी जातियों और धर्मों के सम्मान को बनाए रखने का पूरा ध्यान रखेगी। और सरकार मेरा समर्थन नहीं कर रही है। सरकार ने मेरे 1400 अनुरोधों को नजरअंदाज कर दिया है। और सत्ता में निचली जाति के लोगों का होना एक मूर्खतापूर्ण समाधान है। मूर्खता को त्यागना ही सही समाधान है। भाजपा में कम से कम 50% लोग निचली जाति वर्ग से हैं। माननीय राष्ट्रपति आदिवासी हैं और मध्य प्रदेश में एक आदिवासी को क्या-क्या झेलना पड़ा ? मैं सभी से अनुरोध करता हूँ कि वे मेरा और इतिहास, जाति और धर्म पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें।
बाबा साहेब ने इस धरती पर,इस देश मे ,इस समाज मे,स्वर्ग बना दिया,भगवान ने स्वर्ग नर्क बनाया है वो किसने देखा जहां बताने के लिए जिन्दा जा नही सकता,और मृतक वापस आ नही सकता ।
संविधान की विजय भारत में कोई भी सही बुद्धिजीवी नहीं है..............किसी भी दर्शन से नहीं। धर्मनिरपेक्ष, जबरन थोपे गए धर्मनिरपेक्ष या हिंदुत्ववादियों में कोई सच्चा बुद्धिजीवी नहीं है। उदाहरण के लिए- श्री अभय दुबेजी और संजय शर्माजी। दोनों ही अंबेडकर की विचारधारा के बारे में बकवास कर रहे हैं। मैं बकवास जैसे कठोर शब्द का प्रयोग क्यों कर रहा हूँ? कारण- जब माननीय डॉ. बाबासाहेब अंबेडकरजी ने कहा कि भगवान राम अपने गलत कामों के कारण भगवान का दर्जा पाने के लायक नहीं हैं। ऐसे में आपको दलित पुजारी की क्या जरूरत है? इसका मतलब है कि संजय शर्मा चाहते हैं कि कोई दलित ऐसी इकाई की पूजा करके मूर्ख बने जो भगवान होने के लायक नहीं है। क्या इसमें कोई तर्कसंगतता है? एक सच्चे साक्षर या बुद्धिजीवी या देशभक्त या धर्मनिरपेक्ष होने के नाते हमें सत्य की खोज करनी चाहिए। हमें राम की स्थिति तय करनी चाहिए। हमें इस पर किसी भी तरह के समझौते को अस्वीकार करना चाहिए। मैं यह कर सकता हूँ। अंबेडकर के सच्चे अनुयायी को राम मंदिर को ध्वस्त करने के बारे में सोचना चाहिए। एक सच्चे हिंदू को सभी सामाजिक और धार्मिक विवादों को बातचीत के जरिए सुलझाने के बारे में सोचना चाहिए। एक और उदाहरण- दुबेजी हमें समानता और सामाजिक सद्भाव के बीच का अंतर बता रहे हैं। उनके अनुसार आरएसएस समरसता चाहता है (मैं इसका कभी समर्थन नहीं करता। आरएसएस और भाजपा समरसता के बिना ही चल रहे हैं। यहां मैं दुबेजी और शर्माजी की कम समझ को उजागर कर रहा हूं।) लेकिन समानता नहीं। दुबेजी के अनुसार ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र समान हैं। जब सभी समान हैं, तो दुबेजी ब्राह्मण आरएसएस प्रमुखों पर क्यों रो रहे हैं? असली बात यह है कि भारत ने 1947 में नेहरूजी के नेतृत्व में एक पवित्र समझौता किया था। और उनकी पार्टी ने कमोबेश सीपीएम के वादे का पालन किया। हालांकि इस समझौते ने हर जगह निम्न गुणवत्ता वाले बुद्धिजीवियों को जन्म दिया है। सभी जातियों और धर्मों में बहुत कम समझ वाले बुद्धिजीवी ही हैं। यही बात सभी राजनीतिक दलों पर लागू होती है। सुधार का सबसे अच्छा तरीका- मैंने इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर एक राष्ट्रव्यापी चर्चा का प्रस्ताव रखा है। मैंने चर्चा की एक विशेष प्रणाली तैयार की है जो सभी जातियों और धर्मों के सम्मान को बनाए रखने का पूरा ध्यान रखेगी। और सरकार मेरा समर्थन नहीं कर रही है। सरकार ने मेरे 1400 अनुरोधों को नजरअंदाज कर दिया है। और सत्ता में निचली जाति के लोगों का होना एक मूर्खतापूर्ण समाधान है। मूर्खता को त्यागना ही सही समाधान है। भाजपा में कम से कम 50% लोग निचली जाति वर्ग से हैं। माननीय राष्ट्रपति आदिवासी हैं और मध्य प्रदेश में एक आदिवासी को क्या-क्या झेलना पड़ा ? मैं सभी से अनुरोध करता हूँ कि वे मेरा और इतिहास, जाति और धर्म पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें।
संविधान की विजय भारत में कोई भी सही बुद्धिजीवी नहीं है..............किसी भी दर्शन से नहीं। धर्मनिरपेक्ष, जबरन थोपे गए धर्मनिरपेक्ष या हिंदुत्ववादियों में कोई सच्चा बुद्धिजीवी नहीं है। उदाहरण के लिए- श्री अभय दुबेजी और संजय शर्माजी। दोनों ही अंबेडकर की विचारधारा के बारे में बकवास कर रहे हैं। मैं बकवास जैसे कठोर शब्द का प्रयोग क्यों कर रहा हूँ? कारण- जब माननीय डॉ. बाबासाहेब अंबेडकरजी ने कहा कि भगवान राम अपने गलत कामों के कारण भगवान का दर्जा पाने के लायक नहीं हैं। ऐसे में आपको दलित पुजारी की क्या जरूरत है? इसका मतलब है कि संजय शर्मा चाहते हैं कि कोई दलित ऐसी इकाई की पूजा करके मूर्ख बने जो भगवान होने के लायक नहीं है। क्या इसमें कोई तर्कसंगतता है? एक सच्चे साक्षर या बुद्धिजीवी या देशभक्त या धर्मनिरपेक्ष होने के नाते हमें सत्य की खोज करनी चाहिए। हमें राम की स्थिति तय करनी चाहिए। हमें इस पर किसी भी तरह के समझौते को अस्वीकार करना चाहिए। मैं यह कर सकता हूँ। अंबेडकर के सच्चे अनुयायी को राम मंदिर को ध्वस्त करने के बारे में सोचना चाहिए। एक सच्चे हिंदू को सभी सामाजिक और धार्मिक विवादों को बातचीत के जरिए सुलझाने के बारे में सोचना चाहिए। एक और उदाहरण- दुबेजी हमें समानता और सामाजिक सद्भाव के बीच का अंतर बता रहे हैं। उनके अनुसार आरएसएस समरसता चाहता है (मैं इसका कभी समर्थन नहीं करता। आरएसएस और भाजपा समरसता के बिना ही चल रहे हैं। यहां मैं दुबेजी और शर्माजी की कम समझ को उजागर कर रहा हूं।) लेकिन समानता नहीं। दुबेजी के अनुसार ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र समान हैं। जब सभी समान हैं, तो दुबेजी ब्राह्मण आरएसएस प्रमुखों पर क्यों रो रहे हैं? असली बात यह है कि भारत ने 1947 में नेहरूजी के नेतृत्व में एक पवित्र समझौता किया था। और उनकी पार्टी ने कमोबेश सीपीएम के वादे का पालन किया। हालांकि इस समझौते ने हर जगह निम्न गुणवत्ता वाले बुद्धिजीवियों को जन्म दिया है। सभी जातियों और धर्मों में बहुत कम समझ वाले बुद्धिजीवी ही हैं। यही बात सभी राजनीतिक दलों पर लागू होती है। सुधार का सबसे अच्छा तरीका- मैंने इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर एक राष्ट्रव्यापी चर्चा का प्रस्ताव रखा है। मैंने चर्चा की एक विशेष प्रणाली तैयार की है जो सभी जातियों और धर्मों के सम्मान को बनाए रखने का पूरा ध्यान रखेगी। और सरकार मेरा समर्थन नहीं कर रही है। सरकार ने मेरे 1400 अनुरोधों को नजरअंदाज कर दिया है। और सत्ता में निचली जाति के लोगों का होना एक मूर्खतापूर्ण समाधान है। मूर्खता को त्यागना ही सही समाधान है। भाजपा में कम से कम 50% लोग निचली जाति वर्ग से हैं। माननीय राष्ट्रपति आदिवासी हैं और मध्य प्रदेश में एक आदिवासी को क्या-क्या झेलना पड़ा ? मैं सभी से अनुरोध करता हूँ कि वे मेरा और इतिहास, जाति और धर्म पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें।
संविधान की विजय भारत में कोई भी सही बुद्धिजीवी नहीं है..............किसी भी दर्शन से नहीं। धर्मनिरपेक्ष, जबरन थोपे गए धर्मनिरपेक्ष या हिंदुत्ववादियों में कोई सच्चा बुद्धिजीवी नहीं है। उदाहरण के लिए- श्री अभय दुबेजी और संजय शर्माजी। दोनों ही अंबेडकर की विचारधारा के बारे में बकवास कर रहे हैं। मैं बकवास जैसे कठोर शब्द का प्रयोग क्यों कर रहा हूँ? कारण- जब माननीय डॉ. बाबासाहेब अंबेडकरजी ने कहा कि भगवान राम अपने गलत कामों के कारण भगवान का दर्जा पाने के लायक नहीं हैं। ऐसे में आपको दलित पुजारी की क्या जरूरत है? इसका मतलब है कि संजय शर्मा चाहते हैं कि कोई दलित ऐसी इकाई की पूजा करके मूर्ख बने जो भगवान होने के लायक नहीं है। क्या इसमें कोई तर्कसंगतता है? एक सच्चे साक्षर या बुद्धिजीवी या देशभक्त या धर्मनिरपेक्ष होने के नाते हमें सत्य की खोज करनी चाहिए। हमें राम की स्थिति तय करनी चाहिए। हमें इस पर किसी भी तरह के समझौते को अस्वीकार करना चाहिए। मैं यह कर सकता हूँ। अंबेडकर के सच्चे अनुयायी को राम मंदिर को ध्वस्त करने के बारे में सोचना चाहिए। एक सच्चे हिंदू को सभी सामाजिक और धार्मिक विवादों को बातचीत के जरिए सुलझाने के बारे में सोचना चाहिए। एक और उदाहरण- दुबेजी हमें समानता और सामाजिक सद्भाव के बीच का अंतर बता रहे हैं। उनके अनुसार आरएसएस समरसता चाहता है (मैं इसका कभी समर्थन नहीं करता। आरएसएस और भाजपा समरसता के बिना ही चल रहे हैं। यहां मैं दुबेजी और शर्माजी की कम समझ को उजागर कर रहा हूं।) लेकिन समानता नहीं। दुबेजी के अनुसार ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र समान हैं। जब सभी समान हैं, तो दुबेजी ब्राह्मण आरएसएस प्रमुखों पर क्यों रो रहे हैं? असली बात यह है कि भारत ने 1947 में नेहरूजी के नेतृत्व में एक पवित्र समझौता किया था। और उनकी पार्टी ने कमोबेश सीपीएम के वादे का पालन किया। हालांकि इस समझौते ने हर जगह निम्न गुणवत्ता वाले बुद्धिजीवियों को जन्म दिया है। सभी जातियों और धर्मों में बहुत कम समझ वाले बुद्धिजीवी ही हैं। यही बात सभी राजनीतिक दलों पर लागू होती है। सुधार का सबसे अच्छा तरीका- मैंने इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर एक राष्ट्रव्यापी चर्चा का प्रस्ताव रखा है। मैंने चर्चा की एक विशेष प्रणाली तैयार की है जो सभी जातियों और धर्मों के सम्मान को बनाए रखने का पूरा ध्यान रखेगी। और सरकार मेरा समर्थन नहीं कर रही है। सरकार ने मेरे 1400 अनुरोधों को नजरअंदाज कर दिया है। और सत्ता में निचली जाति के लोगों का होना एक मूर्खतापूर्ण समाधान है। मूर्खता को त्यागना ही सही समाधान है। भाजपा में कम से कम 50% लोग निचली जाति वर्ग से हैं। माननीय राष्ट्रपति आदिवासी हैं और मध्य प्रदेश में एक आदिवासी को क्या-क्या झेलना पड़ा ? मैं सभी से अनुरोध करता हूँ कि वे मेरा और इतिहास, जाति और धर्म पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें।
खेत विके चाहे कमरा वोट न पाये चमरा येसा नारा भी चलता था। अंदर ही अंदर ये वात १००% सच है वाल्मीकि समाज अंबेडकर विचारधारा को नहीं मानता है। वो मनुबाद के चंगुल में आज भी है।
अभय जी आपकी विश्लेषण क्षमता को कोटि-कोटि नमन अद्भुत अकल्पनीय अविश्वसनीय है लेकिन एक बात समझ लें ईवीएम सरकार के नियंत्रण में है अतः इन लोगों को चुनाव में हारने का डर नहीं है इसलिए आपकी सारी माथापच्ची व्यर्थ है।
अब आगे होगा यह कि बाबा साहब पर अमित शाह द्वारा बयानबाजी की बात ठंडी पड़ी तो मोदी -शाह तुरंत बाबा साहब को "भारतरत्न" से नवाज़ने की घोषणा करके डेमेज कंट्रोल करने की कोशिश करेंगे, बेशक आर एस एस, बीजेपी कभी भी बाबा साहब की प्रशंसक या हितैषी नहीं रही
❤ संजय जी,अभय दुबे जी प्रणाम 🇮🇳🇮🇳🙏🌹🌹❤️ मोदी, शाह, बीजेपी की मन की सच्चाई, देश के सामने आ गई, कहते है अगर इन्सान चौबीस घंटे झूठ बोलें, एक बार सच्च बोल ही जाता है,चार सौ पार, संविधान बदलना, ये सब इनकी मन की बात देशवासियों के सामने आ गई है, बीजेपी एसटी, ओबीसी विरोधी झुंड है, झूठ, जुमले, बेईमानी, हेराफेरी, लूटघूसट इनके ख़ून में भरा हुआ है, बीजेपी, ईवीएम हटाओ, भारतवर्ष को बचाओ, इंडिया गठबंधन ज़िंदाबाद 🇮🇳🙏🌹 इंडिया ज़िंदाबाद 🇮🇳🙏🌹 डां बाबा साहेब अम्बेडकर जी ज़िंदाबाद, ज़िंदाबाद 🇮🇳🇮🇳 श्री राहुल गांधी जी, खड़कें जी, अखिलेश जी ज़िंदाबाद 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🙏🌹
संविधान की विजय भारत में कोई भी सही बुद्धिजीवी नहीं है..............किसी भी दर्शन से नहीं। धर्मनिरपेक्ष, जबरन थोपे गए धर्मनिरपेक्ष या हिंदुत्ववादियों में कोई सच्चा बुद्धिजीवी नहीं है। उदाहरण के लिए- श्री अभय दुबेजी और संजय शर्माजी। दोनों ही अंबेडकर की विचारधारा के बारे में बकवास कर रहे हैं। मैं बकवास जैसे कठोर शब्द का प्रयोग क्यों कर रहा हूँ? कारण- जब माननीय डॉ. बाबासाहेब अंबेडकरजी ने कहा कि भगवान राम अपने गलत कामों के कारण भगवान का दर्जा पाने के लायक नहीं हैं। ऐसे में आपको दलित पुजारी की क्या जरूरत है? इसका मतलब है कि संजय शर्मा चाहते हैं कि कोई दलित ऐसी इकाई की पूजा करके मूर्ख बने जो भगवान होने के लायक नहीं है। क्या इसमें कोई तर्कसंगतता है? एक सच्चे साक्षर या बुद्धिजीवी या देशभक्त या धर्मनिरपेक्ष होने के नाते हमें सत्य की खोज करनी चाहिए। हमें राम की स्थिति तय करनी चाहिए। हमें इस पर किसी भी तरह के समझौते को अस्वीकार करना चाहिए। मैं यह कर सकता हूँ। अंबेडकर के सच्चे अनुयायी को राम मंदिर को ध्वस्त करने के बारे में सोचना चाहिए। एक सच्चे हिंदू को सभी सामाजिक और धार्मिक विवादों को बातचीत के जरिए सुलझाने के बारे में सोचना चाहिए। एक और उदाहरण- दुबेजी हमें समानता और सामाजिक सद्भाव के बीच का अंतर बता रहे हैं। उनके अनुसार आरएसएस समरसता चाहता है (मैं इसका कभी समर्थन नहीं करता। आरएसएस और भाजपा समरसता के बिना ही चल रहे हैं। यहां मैं दुबेजी और शर्माजी की कम समझ को उजागर कर रहा हूं।) लेकिन समानता नहीं। दुबेजी के अनुसार ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र समान हैं। जब सभी समान हैं, तो दुबेजी ब्राह्मण आरएसएस प्रमुखों पर क्यों रो रहे हैं? असली बात यह है कि भारत ने 1947 में नेहरूजी के नेतृत्व में एक पवित्र समझौता किया था। और उनकी पार्टी ने कमोबेश सीपीएम के वादे का पालन किया। हालांकि इस समझौते ने हर जगह निम्न गुणवत्ता वाले बुद्धिजीवियों को जन्म दिया है। सभी जातियों और धर्मों में बहुत कम समझ वाले बुद्धिजीवी ही हैं। यही बात सभी राजनीतिक दलों पर लागू होती है। सुधार का सबसे अच्छा तरीका- मैंने इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर एक राष्ट्रव्यापी चर्चा का प्रस्ताव रखा है। मैंने चर्चा की एक विशेष प्रणाली तैयार की है जो सभी जातियों और धर्मों के सम्मान को बनाए रखने का पूरा ध्यान रखेगी। और सरकार मेरा समर्थन नहीं कर रही है। सरकार ने मेरे 1400 अनुरोधों को नजरअंदाज कर दिया है। और सत्ता में निचली जाति के लोगों का होना एक मूर्खतापूर्ण समाधान है। मूर्खता को त्यागना ही सही समाधान है। भाजपा में कम से कम 50% लोग निचली जाति वर्ग से हैं। माननीय राष्ट्रपति आदिवासी हैं और मध्य प्रदेश में एक आदिवासी को क्या-क्या झेलना पड़ा ? मैं सभी से अनुरोध करता हूँ कि वे मेरा और इतिहास, जाति और धर्म पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें।
बीजेपी पार्टी जब बाबासाहेब विचारों में विश्वास नहीं रखते बदलितों को मान सम्मान क्या देंगे यह तो दलितों के नेता को अपने चुनावी फायदा के लिए मिला के रखते हैं मनोज रजक आरजेडी बख्तियारपुर
संजय जी आपने बाबा साहेब को सिर्फ दलित तक ही सीमित कर दिया। जबकि बाबा साहेब ने पूरा बहुजनों का महिलाओं का कमजोर तबकों का सबकों अधिकार दिलाया। वो सबके लिए पूजनीय है। जय भीम जय भारत जय संविधान।
बहुत सही विश्लेषण अभय दुबे जी ने अभय जी जब तक ईवीएम नहीं हटेगी तब तक बीजेपी का दिमाग नहीं सही होगा क्योंकि बीजेपी को जब ईवीएम से चुनाव जीतना है तो जनता से क्या मतलब
राहुल गांधी जी की नजर देश के उच्च पदों पर बैठे लोगों पर है । वह कहते भी है उच्च पदों पर कोई भी बहुजन समाज का व्यक्ति नहीं बैठा है इसलिए उच्च पदों के लोग बहुजन समाज के अनुरूप प्रगति के रास्ते नहीं बनाते हैं।
सामाजिक न्याय की लड़ाई अपने आर्थिक तत्व में बड़ी समता की मांग करता है जो दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों और पिछड़े मुसलमानों को एक साथ समेटता है इसको आगे बढाना चाहिए। इसमें दक्षिणपंथी सांप्रदायिक विचार और हितों की मौत है।
असल में बाबा साहेब डॉ आम्बेडकर जी हमारे लिए ईश्वर हैं। उन्होंने यह धरती को हमारी स्वर्ग बना दिया। जन्म एक ही बार होया एक बार स्वर्ग मिला। इस लिए कोटि कोटि प्रणाम। वो अंध भक्त ने सेही कहा बाबा कि नाम पुकार करि हमे स्वर्ग मिल गई। ईश्वर कि नाम जब में हमे अत्याचार मिला, शोषण मिला, दासत्व मिला अपमान मिला। आज हम स्वाधीनता मिल गई। कोटि कोटि प्रणाम बाबा साहेब। जय भीम।
इस देश की यही शोकांतिका है कि बाबासाहेब आंबेडकर के अपमान का बुरा सब दलितोंकोही लागता है। बाकी सबको यह पहा ही नही कि आज अगर वह सुकून की जिंदगी जी रहे है वो उन्ही कि बदैलत है|
आंदोलनकारी साडे सातसो किसानों को तो मोदी जी ने स्वर्ग में भेज दिया है ...बीस महीने से जल रहे मणिपुर में अनगिनत लोग मर रहे हैं...(बीजेपी के भगवान...) मोदी की कृपा से.....
अमित शाह जी ! आपको पता होना चाहिए कि सदियों से दलित भगवान का ही नाम लेते रहे और नरक ही भोगते रहे और आज जो भी उनके जीवन में सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक सुखद एहसास हुआ वह केवल अंबेडकर और उनके नाम के कारण ही संभव हुआ है। जो भगवान उनकी दुर्गति के लिए जिम्मेदार है वह आपको मुबारक हो दलितों के लिए अंबेडकर ही स्वर्ग का रास्ता है।
भारत का संविधान बनाने में कई महान विभूतियों का योगदान रहा, लेकिन सबसे बड़ी भूमिका तो बाबा साहब भीम राव अंबेडकर की है। यह बात पूरा देश मानता है, लेकिन काँग्रेस और काँग्रेस के नेता ऐसा नहीं मानते। राहुल गांधी के राजनीतिक गुरु सैम पित्रोदा, सुधीनद्र कुलकर्णी को कोट करते हुए कहते हैं कि संविधान बनाने में बाबा साहब की नहीं मुख्य भूमिका जवाहर लाल नेहरू की थी। फिर योगेंद्र यादव जैसे लोगों के कहने पर कॉंग्रेस की सरकार ने NCERT की स्कूली किताबों में एक ऐसा कार्टून छपवा दिया जिसका संदेश था कि नेहरू जी ने चाबुक मार मार कर भीम राव अंबेडकर जी से संविधान लिखवाया।
@@kapiljain905जैन साहब! भारत का संविधान भारत के विचार से बनाया गया है, और इस विचार में बुद्ध, महावीर, कबीर, रैदास, समता विचार वाले सन्तों की वाणी,पेरियार, फुले, साहूजी महाराज,इत्यादि समाये हुए हैं. डॉ अम्बेडकर जी ने भारत के विचार को आकार देते हुए समाज में समता, बंधुत्व, न्याय की अवधारणा को संविधान के मूल मे समाहित किया है. यही बात RSS/BjP को अखरती है, जो कि समय समय पर बीजेपी के नेताओं के जबान पर आ ही जाती है . जय संविधान! जय भारत!
@@idyadav5416 Akele Baba sahab ne nahi banaya, aur bahut se log the Aur vo isiliye bana paye kyonki ek Brahmin ne unki education kharch uthaya tha, Dogle pan aur Nafrat se bahar niklo Ye Periyar kaha se aa gaya? Kuch pata bhi bhi South ki history ka? Aur itne hi immandaar ho aur unka dil se samman karte ho to ek baar nishpaksh hokar Unki kitabo ka ek ek page you tube channel par live pad doa ur Samidhaan ki Original book lekar aao auy Dikaho ki khud baba sahab ne kiske pictures lagaye the usme.
Ab ye mat bol dena ki ye Maharaj pichde dalit the. Chandragupt Maurya ko bhi ek Brahmin Chanakya ne banaya tha. अंबेडकर बचपन से ही बहुत होनहार थे लेकिन उनके पास विदेश जान के पैसे नहीं थे। ऐसे में बड़ौदा के तत्कालीन महाराजा सायाजीराव गायकवाड़ तृतीय ने उनकी आर्थिक मदद की। उन्होंने अंबेडकर को कोलंबिया यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने के लिए छात्रवृत्ति दी। इस तरह आंबेडकर का विदेश में पढ़ने का सपना साकार हुआ। आंबेडकर जब कोलंबिया यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने के बाद भारत लोटे तो बड़ौदा के महाराजा ने उन्हें बड़ौदा राज्य के लेजिस्लेटिव असेंबली का सदस्य बनाया. बड़ोदा के राजा को उस समय के शासकों में सबसे बड़ा समाज सुधारक माना जाता था. आंबेडकर भी उसका काफी प्रभाव पड़ा. संविधान के निर्माण के समय आंबेडकर की सोच में भी ये नजर आया. दरअसल महाराज ने अपने शासनकाल के दौरान राज्य में अनुसूचित जाति के लोगों के चुनाव लड़ने का कानून बनाया. इसके अलावा उन्होंने आर्थिक तौर पर कमजोर लोगों के साथ-साथ महिलाओं और पिछड़े वर्ग के लिए कई योजनाएं चलाईं.
सौ कुते भौक ले हाथी की चाल पर कोई फ़र्क नही पडता है ऐसा यहा में बाबा साहब के लिए लिख रहा हूं कोई शाह जैसा कुछ भी बोलें देश मे जो बाबा साहब का सम्मान है वो सनातन है
दूबे जी बिल्कुल सत्य कह रहे हैं
संविधान की विजय
भारत में कोई भी सही बुद्धिजीवी नहीं है..............किसी भी दर्शन से नहीं। धर्मनिरपेक्ष, जबरन थोपे गए धर्मनिरपेक्ष या हिंदुत्ववादियों में कोई सच्चा बुद्धिजीवी नहीं है। उदाहरण के लिए- श्री अभय दुबेजी और संजय शर्माजी। दोनों ही अंबेडकर की विचारधारा के बारे में बकवास कर रहे हैं। मैं बकवास जैसे कठोर शब्द का प्रयोग क्यों कर रहा हूँ?
कारण- जब माननीय डॉ. बाबासाहेब अंबेडकरजी ने कहा कि भगवान राम अपने गलत कामों के कारण भगवान का दर्जा पाने के लायक नहीं हैं। ऐसे में आपको दलित पुजारी की क्या जरूरत है? इसका मतलब है कि संजय शर्मा चाहते हैं कि कोई दलित ऐसी इकाई की पूजा करके मूर्ख बने जो भगवान होने के लायक नहीं है। क्या इसमें कोई तर्कसंगतता है? एक सच्चे साक्षर या बुद्धिजीवी या देशभक्त या धर्मनिरपेक्ष होने के नाते हमें सत्य की खोज करनी चाहिए। हमें राम की स्थिति तय करनी चाहिए। हमें इस पर किसी भी तरह के समझौते को अस्वीकार करना चाहिए। मैं यह कर सकता हूँ।
अंबेडकर के सच्चे अनुयायी को राम मंदिर को ध्वस्त करने के बारे में सोचना चाहिए।
एक सच्चे हिंदू को सभी सामाजिक और धार्मिक विवादों को बातचीत के जरिए सुलझाने के बारे में सोचना चाहिए।
एक और उदाहरण- दुबेजी हमें समानता और सामाजिक सद्भाव के बीच का अंतर बता रहे हैं। उनके अनुसार आरएसएस समरसता चाहता है (मैं इसका कभी समर्थन नहीं करता। आरएसएस और भाजपा समरसता के बिना ही चल रहे हैं। यहां मैं दुबेजी और शर्माजी की कम समझ को उजागर कर रहा हूं।) लेकिन समानता नहीं। दुबेजी के अनुसार ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र समान हैं। जब सभी समान हैं, तो दुबेजी ब्राह्मण आरएसएस प्रमुखों पर क्यों रो रहे हैं?
असली बात यह है कि भारत ने 1947 में नेहरूजी के नेतृत्व में एक पवित्र समझौता किया था। और उनकी पार्टी ने कमोबेश सीपीएम के वादे का पालन किया। हालांकि इस समझौते ने हर जगह निम्न गुणवत्ता वाले बुद्धिजीवियों को जन्म दिया है। सभी जातियों और धर्मों में बहुत कम समझ वाले बुद्धिजीवी ही हैं। यही बात सभी राजनीतिक दलों पर लागू होती है।
सुधार का सबसे अच्छा तरीका- मैंने इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर एक राष्ट्रव्यापी चर्चा का प्रस्ताव रखा है। मैंने चर्चा की एक विशेष प्रणाली तैयार की है जो सभी जातियों और धर्मों के सम्मान को बनाए रखने का पूरा ध्यान रखेगी। और सरकार मेरा समर्थन नहीं कर रही है। सरकार ने मेरे 1400 अनुरोधों को नजरअंदाज कर दिया है। और सत्ता में निचली जाति के लोगों का होना एक मूर्खतापूर्ण समाधान है। मूर्खता को त्यागना ही सही समाधान है। भाजपा में कम से कम 50% लोग निचली जाति वर्ग से हैं। माननीय राष्ट्रपति आदिवासी हैं और मध्य प्रदेश में एक आदिवासी को क्या-क्या झेलना पड़ा ?
मैं सभी से अनुरोध करता हूँ कि वे मेरा और इतिहास, जाति और धर्म पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें।
अंबेडकर जी मेरे भगवान हैं ।
Non Brahmins Sages / Saints: according to Vajrasuchikopanishad, Rishyasringa belonged to deer, buck rearing caste, Kausika to grass cutting class, Jambooka maharishi belonged to fox tearing class, Valmiki to Kirathaka caste, Vyasa to fishermen caste , Gautama to hare rearing class, Vasistha born to a prostitute, and his son Shakti married a lower caste lady, Parasara married a lower caste lady Matsyagandhi and got a son Vyasa Maharshi, Agastya born in an earthen vessel, Matanga was a son of lower caste , Itareya maharishi was son of a kirathaka (present SC and ST category), Ilusha Rishi born to a Dasi.
कौन-कौन चाहता है कि राहुल गांधी भारत के प्रधानमंत्री बने
Kabi nhi
@@maheshtiwari-k3m koi nhi
तो साब... अमित शहा को बना दो ओर हिंदू राष्ट्र घोषित करो l
@@satinderkahlon7919 tu gaddar nikla. 😂😂😂😂
Jb tak Rahul h wo om nahi ban sakta or nahi congress kabhi jeet sakti hai
बाबासाहेब के अपमान पर भी अगर विपक्ष विरोध मे कुछ न कर पाया तो ऐसा विपक्ष देश हित मे नही है।
पिछड़े व दलित के मसीहा बाबा साहब काअपमान से पूरा समाज आहत है
Right
@@nandlalyadav9185
संविधान की विजय
भारत में कोई भी सही बुद्धिजीवी नहीं है..............किसी भी दर्शन से नहीं। धर्मनिरपेक्ष, जबरन थोपे गए धर्मनिरपेक्ष या हिंदुत्ववादियों में कोई सच्चा बुद्धिजीवी नहीं है। उदाहरण के लिए- श्री अभय दुबेजी और संजय शर्माजी। दोनों ही अंबेडकर की विचारधारा के बारे में बकवास कर रहे हैं। मैं बकवास जैसे कठोर शब्द का प्रयोग क्यों कर रहा हूँ?
कारण- जब माननीय डॉ. बाबासाहेब अंबेडकरजी ने कहा कि भगवान राम अपने गलत कामों के कारण भगवान का दर्जा पाने के लायक नहीं हैं। ऐसे में आपको दलित पुजारी की क्या जरूरत है? इसका मतलब है कि संजय शर्मा चाहते हैं कि कोई दलित ऐसी इकाई की पूजा करके मूर्ख बने जो भगवान होने के लायक नहीं है। क्या इसमें कोई तर्कसंगतता है? एक सच्चे साक्षर या बुद्धिजीवी या देशभक्त या धर्मनिरपेक्ष होने के नाते हमें सत्य की खोज करनी चाहिए। हमें राम की स्थिति तय करनी चाहिए। हमें इस पर किसी भी तरह के समझौते को अस्वीकार करना चाहिए। मैं यह कर सकता हूँ।
अंबेडकर के सच्चे अनुयायी को राम मंदिर को ध्वस्त करने के बारे में सोचना चाहिए।
एक सच्चे हिंदू को सभी सामाजिक और धार्मिक विवादों को बातचीत के जरिए सुलझाने के बारे में सोचना चाहिए।
एक और उदाहरण- दुबेजी हमें समानता और सामाजिक सद्भाव के बीच का अंतर बता रहे हैं। उनके अनुसार आरएसएस समरसता चाहता है (मैं इसका कभी समर्थन नहीं करता। आरएसएस और भाजपा समरसता के बिना ही चल रहे हैं। यहां मैं दुबेजी और शर्माजी की कम समझ को उजागर कर रहा हूं।) लेकिन समानता नहीं। दुबेजी के अनुसार ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र समान हैं। जब सभी समान हैं, तो दुबेजी ब्राह्मण आरएसएस प्रमुखों पर क्यों रो रहे हैं?
असली बात यह है कि भारत ने 1947 में नेहरूजी के नेतृत्व में एक पवित्र समझौता किया था। और उनकी पार्टी ने कमोबेश सीपीएम के वादे का पालन किया। हालांकि इस समझौते ने हर जगह निम्न गुणवत्ता वाले बुद्धिजीवियों को जन्म दिया है। सभी जातियों और धर्मों में बहुत कम समझ वाले बुद्धिजीवी ही हैं। यही बात सभी राजनीतिक दलों पर लागू होती है।
सुधार का सबसे अच्छा तरीका- मैंने इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर एक राष्ट्रव्यापी चर्चा का प्रस्ताव रखा है। मैंने चर्चा की एक विशेष प्रणाली तैयार की है जो सभी जातियों और धर्मों के सम्मान को बनाए रखने का पूरा ध्यान रखेगी। और सरकार मेरा समर्थन नहीं कर रही है। सरकार ने मेरे 1400 अनुरोधों को नजरअंदाज कर दिया है। और सत्ता में निचली जाति के लोगों का होना एक मूर्खतापूर्ण समाधान है। मूर्खता को त्यागना ही सही समाधान है। भाजपा में कम से कम 50% लोग निचली जाति वर्ग से हैं। माननीय राष्ट्रपति आदिवासी हैं और मध्य प्रदेश में एक आदिवासी को क्या-क्या झेलना पड़ा ?
मैं सभी से अनुरोध करता हूँ कि वे मेरा और इतिहास, जाति और धर्म पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें।
अमित शाह जी के बयान के ऊपर कानूनी कार्रवाई करने की आवश्यकता है
बाबा साहब आंबेडकर भारत के सारे मानव भगवानों से महान हैं क्योंकि बाबा साहब ने जितने दबे कुचले लोगों को सिर उठाने का हक़ दिया उतना कोई भी महापुरुष बीसवीं, इक्कीसवीं शताब्दियों में नहीं कर सका।
अमित शाह इस्तीफा दो 😡😡😡😡
संविधान की विजय
भारत में कोई भी सही बुद्धिजीवी नहीं है..............किसी भी दर्शन से नहीं। धर्मनिरपेक्ष, जबरन थोपे गए धर्मनिरपेक्ष या हिंदुत्ववादियों में कोई सच्चा बुद्धिजीवी नहीं है। उदाहरण के लिए- श्री अभय दुबेजी और संजय शर्माजी। दोनों ही अंबेडकर की विचारधारा के बारे में बकवास कर रहे हैं। मैं बकवास जैसे कठोर शब्द का प्रयोग क्यों कर रहा हूँ?
कारण- जब माननीय डॉ. बाबासाहेब अंबेडकरजी ने कहा कि भगवान राम अपने गलत कामों के कारण भगवान का दर्जा पाने के लायक नहीं हैं। ऐसे में आपको दलित पुजारी की क्या जरूरत है? इसका मतलब है कि संजय शर्मा चाहते हैं कि कोई दलित ऐसी इकाई की पूजा करके मूर्ख बने जो भगवान होने के लायक नहीं है। क्या इसमें कोई तर्कसंगतता है? एक सच्चे साक्षर या बुद्धिजीवी या देशभक्त या धर्मनिरपेक्ष होने के नाते हमें सत्य की खोज करनी चाहिए। हमें राम की स्थिति तय करनी चाहिए। हमें इस पर किसी भी तरह के समझौते को अस्वीकार करना चाहिए। मैं यह कर सकता हूँ।
अंबेडकर के सच्चे अनुयायी को राम मंदिर को ध्वस्त करने के बारे में सोचना चाहिए।
एक सच्चे हिंदू को सभी सामाजिक और धार्मिक विवादों को बातचीत के जरिए सुलझाने के बारे में सोचना चाहिए।
एक और उदाहरण- दुबेजी हमें समानता और सामाजिक सद्भाव के बीच का अंतर बता रहे हैं। उनके अनुसार आरएसएस समरसता चाहता है (मैं इसका कभी समर्थन नहीं करता। आरएसएस और भाजपा समरसता के बिना ही चल रहे हैं। यहां मैं दुबेजी और शर्माजी की कम समझ को उजागर कर रहा हूं।) लेकिन समानता नहीं। दुबेजी के अनुसार ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र समान हैं। जब सभी समान हैं, तो दुबेजी ब्राह्मण आरएसएस प्रमुखों पर क्यों रो रहे हैं?
असली बात यह है कि भारत ने 1947 में नेहरूजी के नेतृत्व में एक पवित्र समझौता किया था। और उनकी पार्टी ने कमोबेश सीपीएम के वादे का पालन किया। हालांकि इस समझौते ने हर जगह निम्न गुणवत्ता वाले बुद्धिजीवियों को जन्म दिया है। सभी जातियों और धर्मों में बहुत कम समझ वाले बुद्धिजीवी ही हैं। यही बात सभी राजनीतिक दलों पर लागू होती है।
सुधार का सबसे अच्छा तरीका- मैंने इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर एक राष्ट्रव्यापी चर्चा का प्रस्ताव रखा है। मैंने चर्चा की एक विशेष प्रणाली तैयार की है जो सभी जातियों और धर्मों के सम्मान को बनाए रखने का पूरा ध्यान रखेगी। और सरकार मेरा समर्थन नहीं कर रही है। सरकार ने मेरे 1400 अनुरोधों को नजरअंदाज कर दिया है। और सत्ता में निचली जाति के लोगों का होना एक मूर्खतापूर्ण समाधान है। मूर्खता को त्यागना ही सही समाधान है। भाजपा में कम से कम 50% लोग निचली जाति वर्ग से हैं। माननीय राष्ट्रपति आदिवासी हैं और मध्य प्रदेश में एक आदिवासी को क्या-क्या झेलना पड़ा ?
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हम बाबा साहब अम्बेडकर से बड़ा किसी भगवान को नहीं मानते। हमारे लिए बाबा साहब अम्बेडकर ही भगवान हैं।
संविधान की विजय
भारत में कोई भी सही बुद्धिजीवी नहीं है..............किसी भी दर्शन से नहीं। धर्मनिरपेक्ष, जबरन थोपे गए धर्मनिरपेक्ष या हिंदुत्ववादियों में कोई सच्चा बुद्धिजीवी नहीं है। उदाहरण के लिए- श्री अभय दुबेजी और संजय शर्माजी। दोनों ही अंबेडकर की विचारधारा के बारे में बकवास कर रहे हैं। मैं बकवास जैसे कठोर शब्द का प्रयोग क्यों कर रहा हूँ?
कारण- जब माननीय डॉ. बाबासाहेब अंबेडकरजी ने कहा कि भगवान राम अपने गलत कामों के कारण भगवान का दर्जा पाने के लायक नहीं हैं। ऐसे में आपको दलित पुजारी की क्या जरूरत है? इसका मतलब है कि संजय शर्मा चाहते हैं कि कोई दलित ऐसी इकाई की पूजा करके मूर्ख बने जो भगवान होने के लायक नहीं है। क्या इसमें कोई तर्कसंगतता है? एक सच्चे साक्षर या बुद्धिजीवी या देशभक्त या धर्मनिरपेक्ष होने के नाते हमें सत्य की खोज करनी चाहिए। हमें राम की स्थिति तय करनी चाहिए। हमें इस पर किसी भी तरह के समझौते को अस्वीकार करना चाहिए। मैं यह कर सकता हूँ।
अंबेडकर के सच्चे अनुयायी को राम मंदिर को ध्वस्त करने के बारे में सोचना चाहिए।
एक सच्चे हिंदू को सभी सामाजिक और धार्मिक विवादों को बातचीत के जरिए सुलझाने के बारे में सोचना चाहिए।
एक और उदाहरण- दुबेजी हमें समानता और सामाजिक सद्भाव के बीच का अंतर बता रहे हैं। उनके अनुसार आरएसएस समरसता चाहता है (मैं इसका कभी समर्थन नहीं करता। आरएसएस और भाजपा समरसता के बिना ही चल रहे हैं। यहां मैं दुबेजी और शर्माजी की कम समझ को उजागर कर रहा हूं।) लेकिन समानता नहीं। दुबेजी के अनुसार ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र समान हैं। जब सभी समान हैं, तो दुबेजी ब्राह्मण आरएसएस प्रमुखों पर क्यों रो रहे हैं?
असली बात यह है कि भारत ने 1947 में नेहरूजी के नेतृत्व में एक पवित्र समझौता किया था। और उनकी पार्टी ने कमोबेश सीपीएम के वादे का पालन किया। हालांकि इस समझौते ने हर जगह निम्न गुणवत्ता वाले बुद्धिजीवियों को जन्म दिया है। सभी जातियों और धर्मों में बहुत कम समझ वाले बुद्धिजीवी ही हैं। यही बात सभी राजनीतिक दलों पर लागू होती है।
सुधार का सबसे अच्छा तरीका- मैंने इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर एक राष्ट्रव्यापी चर्चा का प्रस्ताव रखा है। मैंने चर्चा की एक विशेष प्रणाली तैयार की है जो सभी जातियों और धर्मों के सम्मान को बनाए रखने का पूरा ध्यान रखेगी। और सरकार मेरा समर्थन नहीं कर रही है। सरकार ने मेरे 1400 अनुरोधों को नजरअंदाज कर दिया है। और सत्ता में निचली जाति के लोगों का होना एक मूर्खतापूर्ण समाधान है। मूर्खता को त्यागना ही सही समाधान है। भाजपा में कम से कम 50% लोग निचली जाति वर्ग से हैं। माननीय राष्ट्रपति आदिवासी हैं और मध्य प्रदेश में एक आदिवासी को क्या-क्या झेलना पड़ा ?
मैं सभी से अनुरोध करता हूँ कि वे मेरा और इतिहास, जाति और धर्म पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें।
True Facts and Analysis
Jai Bhim Jai Bharat
Thanks 4p m
बाबा साहेब ने इस धरती पर,इस देश मे ,इस समाज मे,स्वर्ग बना दिया,भगवान ने स्वर्ग नर्क बनाया है वो किसने देखा जहां बताने के लिए जिन्दा जा नही सकता,और मृतक वापस आ नही सकता ।
जबतक ईव्हीएम है,तबतक कोई कीतनाभी विरोध करे सत्ता पक्ष कुछभी करे इनको फर्क नहीं पडेगा।मतोंकी जरुरतही नहीं है।संविधान, लोकतंत्र, मानतेही नहीं।
Jharkhand me evm thik hai Mumbai me khrb
सुषमा स्वराजजी की बिटिया के चुनाव की एवं ठीक है या नहीं?
@@user-wo8ob4ws3ojharkhand mai evm nhi hoti to 10 bhi nhi aati BJP ki...EVM + Election officers sabka dose milkar chunav manage hota hai..Baaki ELON musk ne challenge kiya hai evm ko, Election commission ko ek machine musk ko bhejkar challenge accept kare..uske pass team hai scientist ki..
इन सब बातो को नजरअन्दाज करते हुये सभी अम्बेडकर वादी को खुल कर विरोध में आना चाहिये
Tumhari samaj se pare hai@@user-wo8ob4ws3o
आप दोनों को कोटि कोटि नमन 🙏👍❤
संविधान की विजय
भारत में कोई भी सही बुद्धिजीवी नहीं है..............किसी भी दर्शन से नहीं। धर्मनिरपेक्ष, जबरन थोपे गए धर्मनिरपेक्ष या हिंदुत्ववादियों में कोई सच्चा बुद्धिजीवी नहीं है। उदाहरण के लिए- श्री अभय दुबेजी और संजय शर्माजी। दोनों ही अंबेडकर की विचारधारा के बारे में बकवास कर रहे हैं। मैं बकवास जैसे कठोर शब्द का प्रयोग क्यों कर रहा हूँ?
कारण- जब माननीय डॉ. बाबासाहेब अंबेडकरजी ने कहा कि भगवान राम अपने गलत कामों के कारण भगवान का दर्जा पाने के लायक नहीं हैं। ऐसे में आपको दलित पुजारी की क्या जरूरत है? इसका मतलब है कि संजय शर्मा चाहते हैं कि कोई दलित ऐसी इकाई की पूजा करके मूर्ख बने जो भगवान होने के लायक नहीं है। क्या इसमें कोई तर्कसंगतता है? एक सच्चे साक्षर या बुद्धिजीवी या देशभक्त या धर्मनिरपेक्ष होने के नाते हमें सत्य की खोज करनी चाहिए। हमें राम की स्थिति तय करनी चाहिए। हमें इस पर किसी भी तरह के समझौते को अस्वीकार करना चाहिए। मैं यह कर सकता हूँ।
अंबेडकर के सच्चे अनुयायी को राम मंदिर को ध्वस्त करने के बारे में सोचना चाहिए।
एक सच्चे हिंदू को सभी सामाजिक और धार्मिक विवादों को बातचीत के जरिए सुलझाने के बारे में सोचना चाहिए।
एक और उदाहरण- दुबेजी हमें समानता और सामाजिक सद्भाव के बीच का अंतर बता रहे हैं। उनके अनुसार आरएसएस समरसता चाहता है (मैं इसका कभी समर्थन नहीं करता। आरएसएस और भाजपा समरसता के बिना ही चल रहे हैं। यहां मैं दुबेजी और शर्माजी की कम समझ को उजागर कर रहा हूं।) लेकिन समानता नहीं। दुबेजी के अनुसार ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र समान हैं। जब सभी समान हैं, तो दुबेजी ब्राह्मण आरएसएस प्रमुखों पर क्यों रो रहे हैं?
असली बात यह है कि भारत ने 1947 में नेहरूजी के नेतृत्व में एक पवित्र समझौता किया था। और उनकी पार्टी ने कमोबेश सीपीएम के वादे का पालन किया। हालांकि इस समझौते ने हर जगह निम्न गुणवत्ता वाले बुद्धिजीवियों को जन्म दिया है। सभी जातियों और धर्मों में बहुत कम समझ वाले बुद्धिजीवी ही हैं। यही बात सभी राजनीतिक दलों पर लागू होती है।
सुधार का सबसे अच्छा तरीका- मैंने इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर एक राष्ट्रव्यापी चर्चा का प्रस्ताव रखा है। मैंने चर्चा की एक विशेष प्रणाली तैयार की है जो सभी जातियों और धर्मों के सम्मान को बनाए रखने का पूरा ध्यान रखेगी। और सरकार मेरा समर्थन नहीं कर रही है। सरकार ने मेरे 1400 अनुरोधों को नजरअंदाज कर दिया है। और सत्ता में निचली जाति के लोगों का होना एक मूर्खतापूर्ण समाधान है। मूर्खता को त्यागना ही सही समाधान है। भाजपा में कम से कम 50% लोग निचली जाति वर्ग से हैं। माननीय राष्ट्रपति आदिवासी हैं और मध्य प्रदेश में एक आदिवासी को क्या-क्या झेलना पड़ा ?
मैं सभी से अनुरोध करता हूँ कि वे मेरा और इतिहास, जाति और धर्म पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें।
Salute sir
Super thanks sir
संजय जी अभय दुबे जी आप के शो में जरुर बुला लिया करो अभय दुबे जी से बहुत कुछ जानना मिलता है सिखाना मिलता है
अभय दुबे जी आपकों प्रणाम सर
Please support abhay dubey for prime minister of India. He is better than rahul gandhi
@@vikastaya4382to yhst bas...d , never, frustrated dala
@@vikastaya4382kaise support kare wo chunav hee nhi ladte .😂
Knowledge rich in analysis
जय भीम जय संविधान जय बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर। 💙💙💙💙💙 🙏🙏🙏🙏🙏 💙💙💙💙💙
बाबा साहेब ने सभी समाज के लिए काम किया है।
शर्मा जी आपको ये बात बोलनी चाहिए।
जय भीम जय संविधान जय भीम आर्मी चंद्रशेखर भाई जिंदाबाद 💪💪💪🙏🙏🙏🙏💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙
Right sir
सिर्फ दलित ही नहीं वास्तविक बुद्धिजीवी, राष्ट्र के संदर्भ में सही सोच रखने वाला प्रत्येक व्यक्ति अमित शाह के नीच वक्तव्य से पीड़ित है।
उत्तम चर्चा!👍👍👌
संजय शर्मा जी आपकी बेबाक ईमानदार पत्रकारिता को सलाम।
संविधान की विजय
भारत में कोई भी सही बुद्धिजीवी नहीं है..............किसी भी दर्शन से नहीं। धर्मनिरपेक्ष, जबरन थोपे गए धर्मनिरपेक्ष या हिंदुत्ववादियों में कोई सच्चा बुद्धिजीवी नहीं है। उदाहरण के लिए- श्री अभय दुबेजी और संजय शर्माजी। दोनों ही अंबेडकर की विचारधारा के बारे में बकवास कर रहे हैं। मैं बकवास जैसे कठोर शब्द का प्रयोग क्यों कर रहा हूँ?
कारण- जब माननीय डॉ. बाबासाहेब अंबेडकरजी ने कहा कि भगवान राम अपने गलत कामों के कारण भगवान का दर्जा पाने के लायक नहीं हैं। ऐसे में आपको दलित पुजारी की क्या जरूरत है? इसका मतलब है कि संजय शर्मा चाहते हैं कि कोई दलित ऐसी इकाई की पूजा करके मूर्ख बने जो भगवान होने के लायक नहीं है। क्या इसमें कोई तर्कसंगतता है? एक सच्चे साक्षर या बुद्धिजीवी या देशभक्त या धर्मनिरपेक्ष होने के नाते हमें सत्य की खोज करनी चाहिए। हमें राम की स्थिति तय करनी चाहिए। हमें इस पर किसी भी तरह के समझौते को अस्वीकार करना चाहिए। मैं यह कर सकता हूँ।
अंबेडकर के सच्चे अनुयायी को राम मंदिर को ध्वस्त करने के बारे में सोचना चाहिए।
एक सच्चे हिंदू को सभी सामाजिक और धार्मिक विवादों को बातचीत के जरिए सुलझाने के बारे में सोचना चाहिए।
एक और उदाहरण- दुबेजी हमें समानता और सामाजिक सद्भाव के बीच का अंतर बता रहे हैं। उनके अनुसार आरएसएस समरसता चाहता है (मैं इसका कभी समर्थन नहीं करता। आरएसएस और भाजपा समरसता के बिना ही चल रहे हैं। यहां मैं दुबेजी और शर्माजी की कम समझ को उजागर कर रहा हूं।) लेकिन समानता नहीं। दुबेजी के अनुसार ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र समान हैं। जब सभी समान हैं, तो दुबेजी ब्राह्मण आरएसएस प्रमुखों पर क्यों रो रहे हैं?
असली बात यह है कि भारत ने 1947 में नेहरूजी के नेतृत्व में एक पवित्र समझौता किया था। और उनकी पार्टी ने कमोबेश सीपीएम के वादे का पालन किया। हालांकि इस समझौते ने हर जगह निम्न गुणवत्ता वाले बुद्धिजीवियों को जन्म दिया है। सभी जातियों और धर्मों में बहुत कम समझ वाले बुद्धिजीवी ही हैं। यही बात सभी राजनीतिक दलों पर लागू होती है।
सुधार का सबसे अच्छा तरीका- मैंने इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर एक राष्ट्रव्यापी चर्चा का प्रस्ताव रखा है। मैंने चर्चा की एक विशेष प्रणाली तैयार की है जो सभी जातियों और धर्मों के सम्मान को बनाए रखने का पूरा ध्यान रखेगी। और सरकार मेरा समर्थन नहीं कर रही है। सरकार ने मेरे 1400 अनुरोधों को नजरअंदाज कर दिया है। और सत्ता में निचली जाति के लोगों का होना एक मूर्खतापूर्ण समाधान है। मूर्खता को त्यागना ही सही समाधान है। भाजपा में कम से कम 50% लोग निचली जाति वर्ग से हैं। माननीय राष्ट्रपति आदिवासी हैं और मध्य प्रदेश में एक आदिवासी को क्या-क्या झेलना पड़ा ?
मैं सभी से अनुरोध करता हूँ कि वे मेरा और इतिहास, जाति और धर्म पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें।
🇮🇳बाबा साहेब आंबेडकर जी हर सच्चे भारतीय और हमारे विचारों की जान है📘🫡⚖️🙏
Very deep analysis by Dr Abhay Dubey. His analysis and comments prove his deep knowledge. ❤
शर्मा जी, जो दिल में होता हैं वह जबान पर आ जाते हैं... आज अमित शाह ने बता दिया.....
Thanks 4p m 24:14
Very good analysis.
श्रेष्ठ विश्लेषण
भगवानों के भगवान हैं हमारे भगवान बाबा साहब भीम राव आंबेडकर साहब 🔥🔥💙💙💪🏽
Significant discussion
शर्मा जी बीजेपी को शाह के बयान से कोई हानि नहीं होगी क्योंकि मुस्लिम विरोध से खुश होने वाली जनता बीजेपी की सारी गलतीया माफ कर देती हैं I
Muslim virodh se sirf andhbhakto ko dose diya jata hai, taaki wo bhatak na jae..
संविधान की विजय
भारत में कोई भी सही बुद्धिजीवी नहीं है..............किसी भी दर्शन से नहीं। धर्मनिरपेक्ष, जबरन थोपे गए धर्मनिरपेक्ष या हिंदुत्ववादियों में कोई सच्चा बुद्धिजीवी नहीं है। उदाहरण के लिए- श्री अभय दुबेजी और संजय शर्माजी। दोनों ही अंबेडकर की विचारधारा के बारे में बकवास कर रहे हैं। मैं बकवास जैसे कठोर शब्द का प्रयोग क्यों कर रहा हूँ?
कारण- जब माननीय डॉ. बाबासाहेब अंबेडकरजी ने कहा कि भगवान राम अपने गलत कामों के कारण भगवान का दर्जा पाने के लायक नहीं हैं। ऐसे में आपको दलित पुजारी की क्या जरूरत है? इसका मतलब है कि संजय शर्मा चाहते हैं कि कोई दलित ऐसी इकाई की पूजा करके मूर्ख बने जो भगवान होने के लायक नहीं है। क्या इसमें कोई तर्कसंगतता है? एक सच्चे साक्षर या बुद्धिजीवी या देशभक्त या धर्मनिरपेक्ष होने के नाते हमें सत्य की खोज करनी चाहिए। हमें राम की स्थिति तय करनी चाहिए। हमें इस पर किसी भी तरह के समझौते को अस्वीकार करना चाहिए। मैं यह कर सकता हूँ।
अंबेडकर के सच्चे अनुयायी को राम मंदिर को ध्वस्त करने के बारे में सोचना चाहिए।
एक सच्चे हिंदू को सभी सामाजिक और धार्मिक विवादों को बातचीत के जरिए सुलझाने के बारे में सोचना चाहिए।
एक और उदाहरण- दुबेजी हमें समानता और सामाजिक सद्भाव के बीच का अंतर बता रहे हैं। उनके अनुसार आरएसएस समरसता चाहता है (मैं इसका कभी समर्थन नहीं करता। आरएसएस और भाजपा समरसता के बिना ही चल रहे हैं। यहां मैं दुबेजी और शर्माजी की कम समझ को उजागर कर रहा हूं।) लेकिन समानता नहीं। दुबेजी के अनुसार ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र समान हैं। जब सभी समान हैं, तो दुबेजी ब्राह्मण आरएसएस प्रमुखों पर क्यों रो रहे हैं?
असली बात यह है कि भारत ने 1947 में नेहरूजी के नेतृत्व में एक पवित्र समझौता किया था। और उनकी पार्टी ने कमोबेश सीपीएम के वादे का पालन किया। हालांकि इस समझौते ने हर जगह निम्न गुणवत्ता वाले बुद्धिजीवियों को जन्म दिया है। सभी जातियों और धर्मों में बहुत कम समझ वाले बुद्धिजीवी ही हैं। यही बात सभी राजनीतिक दलों पर लागू होती है।
सुधार का सबसे अच्छा तरीका- मैंने इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर एक राष्ट्रव्यापी चर्चा का प्रस्ताव रखा है। मैंने चर्चा की एक विशेष प्रणाली तैयार की है जो सभी जातियों और धर्मों के सम्मान को बनाए रखने का पूरा ध्यान रखेगी। और सरकार मेरा समर्थन नहीं कर रही है। सरकार ने मेरे 1400 अनुरोधों को नजरअंदाज कर दिया है। और सत्ता में निचली जाति के लोगों का होना एक मूर्खतापूर्ण समाधान है। मूर्खता को त्यागना ही सही समाधान है। भाजपा में कम से कम 50% लोग निचली जाति वर्ग से हैं। माननीय राष्ट्रपति आदिवासी हैं और मध्य प्रदेश में एक आदिवासी को क्या-क्या झेलना पड़ा ?
मैं सभी से अनुरोध करता हूँ कि वे मेरा और इतिहास, जाति और धर्म पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें।
खेत विके चाहे कमरा
वोट न पाये चमरा
येसा नारा भी चलता था। अंदर ही अंदर
ये वात १००% सच है वाल्मीकि समाज अंबेडकर विचारधारा को नहीं मानता है। वो मनुबाद के चंगुल में आज भी है।
वैसे भी कुछ लोग अकलके दुष्मण होते है लेकिन लकिर के फकिर भी होते है !
Abhay dubey ji and Sanjay sarma ji ko 🙏🏻salute 🙏🏻
Thanks Mr Sanjay Sharma ji and Mr.Abya Dubey ji.Jai Bhim Jai Bharat.❤
अभय जी आपकी विश्लेषण क्षमता को कोटि-कोटि नमन अद्भुत अकल्पनीय अविश्वसनीय है लेकिन एक बात समझ लें ईवीएम सरकार के नियंत्रण में है अतः इन लोगों को चुनाव में हारने का डर नहीं है इसलिए आपकी सारी माथापच्ची व्यर्थ है।
Excellent Analysis.
अब आगे होगा यह कि बाबा साहब पर अमित शाह द्वारा बयानबाजी की बात ठंडी पड़ी तो मोदी -शाह तुरंत बाबा साहब को "भारतरत्न" से नवाज़ने की घोषणा करके डेमेज कंट्रोल करने की कोशिश करेंगे, बेशक आर एस एस, बीजेपी कभी भी बाबा साहब की प्रशंसक या हितैषी नहीं रही
Bhaiya jee
Baba Ji ko already Bharat Ratan mil chuka hai 1990 maen.
Issee liye bola jaata hai Bharat Ratan Dr. Bhim Rao Ambedkar Ji.
भारत रत्न अंबेडकरजीको ऑलरेडी मिला है l
Great analysis Abhay sir ji Baba Saheb Dr Ambedkar ji ke bare me
बाबा साहेब विश्व रत्न है उन्हें ना भाजपा की जरूरत है ना कांग्रेस की, बाबा साहेब के करोड़ों समर्थक उन्हें हमेशा अपने दिल में रखेंगे
❤ संजय जी,अभय दुबे जी प्रणाम 🇮🇳🇮🇳🙏🌹🌹❤️ मोदी, शाह, बीजेपी की मन की सच्चाई, देश के सामने आ गई, कहते है अगर इन्सान चौबीस घंटे झूठ बोलें, एक बार सच्च बोल ही जाता है,चार सौ पार, संविधान बदलना, ये सब इनकी मन की बात देशवासियों के सामने आ गई है, बीजेपी एसटी, ओबीसी विरोधी झुंड है, झूठ, जुमले, बेईमानी, हेराफेरी, लूटघूसट इनके ख़ून में भरा हुआ है, बीजेपी, ईवीएम हटाओ, भारतवर्ष को बचाओ, इंडिया गठबंधन ज़िंदाबाद 🇮🇳🙏🌹 इंडिया ज़िंदाबाद 🇮🇳🙏🌹 डां बाबा साहेब अम्बेडकर जी ज़िंदाबाद, ज़िंदाबाद 🇮🇳🇮🇳 श्री राहुल गांधी जी, खड़कें जी, अखिलेश जी ज़िंदाबाद 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🙏🌹
4pm ko salam
अंबेडकर एक विचारधारा का नाम हैं।इस धारा में आप बह न जाएं।
प्रोफेसर दुबे साहब जी के यथार्थ विश्लेषण एवं ऐताहासिक सत्यता का बेवाक व्याख्यान के लिए कोटि-कोटि साभार एवं नमन ❤❤❤
संविधान की विजय
भारत में कोई भी सही बुद्धिजीवी नहीं है..............किसी भी दर्शन से नहीं। धर्मनिरपेक्ष, जबरन थोपे गए धर्मनिरपेक्ष या हिंदुत्ववादियों में कोई सच्चा बुद्धिजीवी नहीं है। उदाहरण के लिए- श्री अभय दुबेजी और संजय शर्माजी। दोनों ही अंबेडकर की विचारधारा के बारे में बकवास कर रहे हैं। मैं बकवास जैसे कठोर शब्द का प्रयोग क्यों कर रहा हूँ?
कारण- जब माननीय डॉ. बाबासाहेब अंबेडकरजी ने कहा कि भगवान राम अपने गलत कामों के कारण भगवान का दर्जा पाने के लायक नहीं हैं। ऐसे में आपको दलित पुजारी की क्या जरूरत है? इसका मतलब है कि संजय शर्मा चाहते हैं कि कोई दलित ऐसी इकाई की पूजा करके मूर्ख बने जो भगवान होने के लायक नहीं है। क्या इसमें कोई तर्कसंगतता है? एक सच्चे साक्षर या बुद्धिजीवी या देशभक्त या धर्मनिरपेक्ष होने के नाते हमें सत्य की खोज करनी चाहिए। हमें राम की स्थिति तय करनी चाहिए। हमें इस पर किसी भी तरह के समझौते को अस्वीकार करना चाहिए। मैं यह कर सकता हूँ।
अंबेडकर के सच्चे अनुयायी को राम मंदिर को ध्वस्त करने के बारे में सोचना चाहिए।
एक सच्चे हिंदू को सभी सामाजिक और धार्मिक विवादों को बातचीत के जरिए सुलझाने के बारे में सोचना चाहिए।
एक और उदाहरण- दुबेजी हमें समानता और सामाजिक सद्भाव के बीच का अंतर बता रहे हैं। उनके अनुसार आरएसएस समरसता चाहता है (मैं इसका कभी समर्थन नहीं करता। आरएसएस और भाजपा समरसता के बिना ही चल रहे हैं। यहां मैं दुबेजी और शर्माजी की कम समझ को उजागर कर रहा हूं।) लेकिन समानता नहीं। दुबेजी के अनुसार ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र समान हैं। जब सभी समान हैं, तो दुबेजी ब्राह्मण आरएसएस प्रमुखों पर क्यों रो रहे हैं?
असली बात यह है कि भारत ने 1947 में नेहरूजी के नेतृत्व में एक पवित्र समझौता किया था। और उनकी पार्टी ने कमोबेश सीपीएम के वादे का पालन किया। हालांकि इस समझौते ने हर जगह निम्न गुणवत्ता वाले बुद्धिजीवियों को जन्म दिया है। सभी जातियों और धर्मों में बहुत कम समझ वाले बुद्धिजीवी ही हैं। यही बात सभी राजनीतिक दलों पर लागू होती है।
सुधार का सबसे अच्छा तरीका- मैंने इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर एक राष्ट्रव्यापी चर्चा का प्रस्ताव रखा है। मैंने चर्चा की एक विशेष प्रणाली तैयार की है जो सभी जातियों और धर्मों के सम्मान को बनाए रखने का पूरा ध्यान रखेगी। और सरकार मेरा समर्थन नहीं कर रही है। सरकार ने मेरे 1400 अनुरोधों को नजरअंदाज कर दिया है। और सत्ता में निचली जाति के लोगों का होना एक मूर्खतापूर्ण समाधान है। मूर्खता को त्यागना ही सही समाधान है। भाजपा में कम से कम 50% लोग निचली जाति वर्ग से हैं। माननीय राष्ट्रपति आदिवासी हैं और मध्य प्रदेश में एक आदिवासी को क्या-क्या झेलना पड़ा ?
मैं सभी से अनुरोध करता हूँ कि वे मेरा और इतिहास, जाति और धर्म पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के मेरे विचार का समर्थन करें।
Baba Saheb jindabad jindabad jindabad jindabad jindabad jindabad jindabad jindabad
बीजेपी पार्टी जब बाबासाहेब विचारों में विश्वास नहीं रखते बदलितों को मान सम्मान क्या देंगे यह तो दलितों के नेता को अपने चुनावी फायदा के लिए मिला के रखते हैं मनोज रजक आरजेडी बख्तियारपुर
डॉ बाबासाहेब आंबेडकर जी महान थे महान है और हमेशा हिन्दुस्तान के लिए महान रहेंगे। 🙏
ईवीएम हटाओ देश बचाओ ❤❤
सवाल उन भाजपा के चुने St/St क्य़ा वे भाजपा से बाहर होंगे
बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर जी जिन्दाबाद जय भीम जय भारत मायावती जी जिन्दाबाद
Impressive analysis
देशका जिम्मेदार व्यक्ति बाबा साहब डाभीमराव . अम्बेडकर का तिरस्कार करता है जबकि देशको चलने का हक ऐसे व्यक्ति को कोई हक नहीं बनता है।
❤❤❤
JAAGO INDIA JAAGO ❤❤
संजय जी आपने बाबा साहेब को सिर्फ दलित तक ही सीमित कर दिया। जबकि बाबा साहेब ने पूरा बहुजनों का महिलाओं का कमजोर तबकों का सबकों अधिकार दिलाया। वो सबके लिए पूजनीय है। जय भीम जय भारत जय संविधान।
बहुत सही विश्लेषण अभय दुबे जी ने अभय जी जब तक ईवीएम नहीं हटेगी तब तक बीजेपी का दिमाग नहीं सही होगा क्योंकि बीजेपी को जब ईवीएम से चुनाव जीतना है तो जनता से क्या मतलब
राहुल गांधी जी की नजर देश के उच्च पदों पर बैठे लोगों पर है । वह कहते भी है उच्च पदों पर कोई भी बहुजन समाज का व्यक्ति नहीं बैठा है इसलिए उच्च पदों के लोग बहुजन समाज के अनुरूप प्रगति के रास्ते नहीं बनाते हैं।
सामाजिक न्याय की लड़ाई अपने आर्थिक तत्व में बड़ी समता की मांग करता है जो दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों और पिछड़े मुसलमानों को एक साथ समेटता है इसको आगे बढाना चाहिए। इसमें दक्षिणपंथी सांप्रदायिक विचार और हितों की मौत है।
Good question sir 💖
Expert patrakar saheb bahut khus hai
Good 👍👍 discussion sir
तिरस्कार भाव प्रकट करता है साह जी का वक्तव्य।
Ab time aa gaya hai SC ST OBC sansad ko rejayan kerna chahiya pura desh ki inper najar h kon kon neta baba Sahab ky sath h
Jai Bhim jai Savidhaan... बीजेपी ki सच्ची बात samne आ गई
Jai Bhim Jai Sanvidhaan 🙏
जब दलित शुद्र
दरिंदगी की जिंदगी जी रहे थे
जब कोई भगवान नहीं आया था
हमारे लिए बाबा साहब इन सबसे बढ़कर है
जय भीम
We request all the Ambedkari MP, s MLA, s in satadhari please come out in favour of Baba sahib ji.
Ambedkar Desh ke liye bhagwan hee hai
Sahi bol rahe Abhay Dube sar
वोट लेने के एक है तो सेफ है बाद में अमित शाह जी और मोदी जी पिछड़ों की आलोचना करते हैं।
Jay guruji shukrana guruji
भगवान जैसे नहीं, बल्कि असली के भगवान है डॉ भीमराव अंबेडकर
Jay bhim jay bhim Jai bharath jai 🙏 ho jai hind jay samvidhan jay bhim jay ho rss aur bjp sare badalna chathe hain
अभय दुबे जी का सटीक विश्लेषण सार गर्भित रहा।
Baba Saheb Amar rahe
जुट से देश ज्यादा दिनो तक देश विशवास नही करेगा।
ताड़ी पार अमित शाह को बाबा साहेब के अपमान के लिए मंत्री पद तथा सांसद के पद से तत्काल इस्तीफा देकर अज्ञात वास में चले जाना चाहिए l
दुःख की बात है लेकिन इनका अहंकार सब सीमाएं लांघने लगा है शायद I
Dr Babasaheb Ambedkar give most Brahman than other people.
ये तो होना ही था, इसका खामियाजा तो बीजेपी को भुगताना ही पड़ेगा।
दलितों के नाराज होने से बीजेपी को कोई फर्क नहीं पड़ता क्या कर लेंगे दलित शोषित वर्ग इनके वोटों से नहीं जीत होती कुछ नहीं कर पाएंगे भाजपा का
Dalit ki jab peli jati hdi tab inke Aaka chup rahte hai
अंबेडकर जी को,अमित शाह जो बोल रहे हैं, वह EVM की ताकत है ।दलित वोट की ऐसी-तैसी ।
असल में बाबा साहेब डॉ आम्बेडकर जी हमारे लिए ईश्वर हैं। उन्होंने यह धरती को हमारी स्वर्ग बना दिया। जन्म एक ही बार होया एक बार स्वर्ग मिला। इस लिए कोटि कोटि प्रणाम। वो अंध भक्त ने सेही कहा बाबा कि नाम पुकार करि हमे स्वर्ग मिल गई। ईश्वर कि नाम जब में हमे अत्याचार मिला, शोषण मिला, दासत्व मिला अपमान मिला। आज हम स्वाधीनता मिल गई। कोटि कोटि प्रणाम बाबा साहेब। जय भीम।
आरएसएस बाबासाहेब के जीते जी शव यात्रा निकाल दी थी यह नहीं भूलना चाहिए
विपक्ष कुछ नहीं कर पाएगा कुछ न होगा
❤🎉 गुडमॉर्निंग संजय शर्मा जी व अभय दुबे जी 🎉❤!
बीजेपी और अमित शाह जैसे नेताओं का मुखौटा उतर गया। दलित और आंबेडकर जी के प्रति इनका द्वेष झल्लाहट में बाहर निकल कर आ गया।
Baba Saheb mere God hai.Rahenge.
बी जे पी को लोग क्या सोचेंगे उसका कुछ पडा नही है. EVM जिंदाबाद.
ED, CBI, IT जिंदाबाद.
इस देश की यही शोकांतिका है कि बाबासाहेब आंबेडकर के अपमान का बुरा सब दलितोंकोही लागता है।
बाकी सबको यह पहा ही नही कि आज अगर वह सुकून की जिंदगी जी रहे है वो उन्ही कि बदैलत है|
जयभीम बाबा साहेब जी हमारे भगवान् है और मरते दम तक रहेगे जय संविधान 🙏🙏🙏
मोदी मोदी करने वाले कितने लोग स्वर्ग पोहचे इसकी सुची प्रकाशीत करे शाह
आंदोलनकारी साडे सातसो किसानों को तो मोदी जी ने स्वर्ग में भेज दिया है ...बीस महीने से जल रहे मणिपुर में अनगिनत लोग मर रहे हैं...(बीजेपी के भगवान...) मोदी की कृपा से.....
अमित शाह जी ! आपको पता होना चाहिए कि सदियों से दलित भगवान का ही नाम लेते रहे और नरक ही भोगते रहे और आज जो भी उनके जीवन में सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक सुखद एहसास हुआ वह केवल अंबेडकर और उनके नाम के कारण ही संभव हुआ है। जो भगवान उनकी दुर्गति के लिए जिम्मेदार है वह आपको मुबारक हो दलितों के लिए अंबेडकर ही स्वर्ग का रास्ता है।
भारत का संविधान बनाने में कई महान विभूतियों का योगदान रहा, लेकिन सबसे बड़ी भूमिका तो बाबा साहब भीम राव अंबेडकर की है। यह बात पूरा देश मानता है, लेकिन काँग्रेस और काँग्रेस के नेता ऐसा नहीं मानते। राहुल गांधी के राजनीतिक गुरु सैम पित्रोदा, सुधीनद्र कुलकर्णी को कोट करते हुए कहते हैं कि संविधान बनाने में बाबा साहब की नहीं मुख्य भूमिका जवाहर लाल नेहरू की थी।
फिर योगेंद्र यादव जैसे लोगों के कहने पर कॉंग्रेस की सरकार ने NCERT की स्कूली किताबों में एक ऐसा कार्टून छपवा दिया जिसका संदेश था कि नेहरू जी ने चाबुक मार मार कर भीम राव अंबेडकर जी से संविधान लिखवाया।
Hamare bihar mein 90%vote dalit pichhre sab BJP ko dete hain bhai
@@kapiljain905जैन साहब! भारत का संविधान भारत के विचार से बनाया गया है, और इस विचार में बुद्ध, महावीर, कबीर, रैदास, समता विचार वाले सन्तों की वाणी,पेरियार, फुले, साहूजी महाराज,इत्यादि समाये हुए हैं. डॉ अम्बेडकर जी ने भारत के विचार को आकार देते हुए समाज में समता, बंधुत्व, न्याय की अवधारणा को संविधान के मूल मे समाहित किया है. यही बात RSS/BjP को अखरती है, जो कि समय समय पर बीजेपी के नेताओं के जबान पर आ ही जाती है .
जय संविधान! जय भारत!
@@idyadav5416 Akele Baba sahab ne nahi banaya, aur bahut se log the Aur vo isiliye bana paye kyonki ek Brahmin ne unki education kharch uthaya tha, Dogle pan aur Nafrat se bahar niklo Ye Periyar kaha se aa gaya? Kuch pata bhi bhi South ki history ka? Aur itne hi immandaar ho aur unka dil se samman karte ho to ek baar nishpaksh hokar Unki kitabo ka ek ek page you tube channel par live pad doa ur Samidhaan ki Original book lekar aao auy Dikaho ki khud baba sahab ne kiske pictures lagaye the usme.
Ab ye mat bol dena ki ye Maharaj pichde dalit the.
Chandragupt Maurya ko bhi ek Brahmin Chanakya ne banaya tha.
अंबेडकर बचपन से ही बहुत होनहार थे लेकिन उनके पास विदेश जान के पैसे नहीं थे। ऐसे में बड़ौदा के तत्कालीन महाराजा सायाजीराव गायकवाड़ तृतीय ने उनकी आर्थिक मदद की। उन्होंने अंबेडकर को कोलंबिया यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने के लिए छात्रवृत्ति दी। इस तरह आंबेडकर का विदेश में पढ़ने का सपना साकार हुआ। आंबेडकर जब कोलंबिया यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने के बाद भारत लोटे तो बड़ौदा के महाराजा ने उन्हें बड़ौदा राज्य के लेजिस्लेटिव असेंबली का सदस्य बनाया. बड़ोदा के राजा को उस समय के शासकों में सबसे बड़ा समाज सुधारक माना जाता था. आंबेडकर भी उसका काफी प्रभाव पड़ा. संविधान के निर्माण के समय आंबेडकर की सोच में भी ये नजर आया.
दरअसल महाराज ने अपने शासनकाल के दौरान राज्य में अनुसूचित जाति के लोगों के चुनाव लड़ने का कानून बनाया. इसके अलावा उन्होंने आर्थिक तौर पर कमजोर लोगों के साथ-साथ महिलाओं और पिछड़े वर्ग के लिए कई योजनाएं चलाईं.
Bjp हटाओ अमित साह भगाओ जय भीम जय सविंधान जय जोहार जय भारत
Dr Ambedkar is worshipped by crores of people. His ideologies inspire the people across the world.
Nmskar,
Abhay Dubeji Ko Salam
Shah ke tippani karoro logon ki bhawna aahat hua hai. Supreme Court me mukadma darj ho.
सौ कुते भौक ले हाथी की चाल पर कोई फ़र्क नही पडता है ऐसा यहा में बाबा साहब के लिए लिख रहा हूं कोई शाह जैसा कुछ भी बोलें देश मे जो बाबा साहब का सम्मान है वो सनातन है