उठ जाग मुसफ़िर भोर भई.....

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  • Опубликовано: 11 фев 2025
  • उठ जाग मुसाफिर भोर भई ………
    प्रातः काल उठने से प्रकृति के अनुपम सौन्दर्य के दर्शन होते हैं जो लोग प्रकृति की गोद में निवास कर रहे हैं वे प्रकृति की प्रातः कालीन सुषमा की जादुई शक्ति को भलीभाँति अनुभव कर चुके हैं। प्रातः काल में पक्षी कलरव, पुष्प,कली, मञ्जरियाँ, हरीतिमा, प्राची दिशा से मार्तण्ड भगवन का उद्भव,उनकी सुखद रश्मियाँ हमारे शरीर के रोम को पुलकित कर देती हैं। प्रातः कालीन मन्द बयार जीवन का सुखद आधार है। सचमुच प्रातःकालीन प्रदत्त शक्तियों को पैसे द्वारा नहीं खरीदा जा सकता। भोर के अनुपम सौन्दर्य के साथ प्राणवायु की गुणवत्ता का स्तर भी इस समय सर्व श्रेष्ठ होता है। सभी इन लाभों को अर्जित करना भी चाहते हैं लेकिन विविध कारक इसमें बाधा (Barrier) का कार्य करते हैं।
    प्रातः कालीन जागरण के समक्ष समस्याएं (Problems facing morning awakening) -
    सुबह उठने में बहुत से लोग दिक्कत का अनुभव करते हैं और इन कारणों को अव्यावहारिक नहीं कहा जा सकता। आइये इन पर क्रमशः विचार करते हैं -
    01 - देर रात्रि तक जागरण / Staying awake till late night
    02 - रात्रि कालीन सेवाएं / Night Services
    03 - घर से कार्य / Work from home
    04 - रात्रि जागरण आदत / Night waking habit
    05 - घरेलू वातावरण / home environment
    06 - आलस्य / Laziness
    07 - तथाकथित आधुनिकता / So-called modernity
    08 - अनुपयुक्त गरिष्ठ भोजन व पेय / Inappropriate heavy food and drink
    09 - स्वास्थय सम्बन्धी परेशानी / Health problems
    10 - शिक्षण संस्थानों की संस्कृति पोषण से विरक्ति /
    Disinterest in nurturing the culture of educational institutions.
    प्रातः जागरण समस्या समाधान -
    किसी विद्वतजन ने कितना सुन्दर कहा है - 'मन के हारे हार है मन के जीते जीत'। यदि हम अपने मानस को तैयार करें तो अपने शरीर का रिमोट अपने हाथ में आ जाएगा जिसे हम आवश्यकतानुसार निर्देशित कर सकेंगे।स्वामी अमर नाथ जी ने अपने प्रवचन में स्पष्ट रूप से कहा -
    कोई मुश्किल नहीं ऐसी है जो आसान न हो।
    आदमी वह है जो मुसीबत में परेशान न हो।।
    मानस को साध इन व्यवस्थाओं को करने से इस समस्या का भी समाधान सम्भव हो सकेगा।
    01 - समय व्यवस्थापन / time management
    02 - जल्दी सोयें जल्दी जागें / Early to bed early to rise
    03 - अवकाश सदुपयोग / Utilization of leisure time
    04 - आलस्य त्याग / Give up laziness
    05 - शारीरिक स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान / Special attention to physical health
    06 - रात्रि कालीन सेवा समायोजन / Night service adjustment
    07 - जहाँ चाह वहाँ राह / where there is a will there is a way
    08 - शिक्षण संस्थानों की जागरूकता / Awareness of educational institutions
    09 - माता, पिता, अध्यापकों का सम्यक आदर्श / Proper role model of mother, father, teachers
    10 - स्वस्थ आदत निर्माण / Healthy habit formation
    प्रातः जागरण के लाभ /
    Benefits of waking up in the morning -
    कुछ तथ्य निर्विवाद सत्य है और प्रातः जागरण के लाभों से इन्कार नहीं किया जा सकता। केवल अपने देश में ही नहीं बल्कि सारे विश्व में प्रातः भ्रमण, प्रातः प्राणायाम, व्यायाम आदि को स्वास्थय हित में स्वीकार किया गया और इस लिए भोर में जागरण परमावश्यक है। इसके लाभों को इस प्रकार क्रम दिया जा सकता है।
    01 - समय नियोजन में सरलता / Ease of time planning
    02 - पूर्ण नींद की उचित व्यवस्था / Proper sleep arrangement
    03 - व्यायाम, प्राणायाम, भ्रमण की सम्यक व्यवस्था /
    Proper arrangements for Exercise, Pranayama, Travel
    04 - आँखों की सम्यक देखभाल / Proper eye care
    05 - जीवन की औसत आयु में वृद्धि / Increase in average age of life
    06 - सम्पूर्ण स्वस्थ जीवन हेतु आवश्यक / Necessary for a completely healthy life
    07 - आध्यात्मिक उच्चता सम्भव / Spiritual heights possible
    08 - सांस्कृतिक विरासत संरक्षण / Cultural heritage protection
    उक्त सम्पूर्ण चिन्तन मन्थन हमें गम्भीरता से सचेत करता है विकल्पों में निर्विकल्प होकर हमें प्रातः उठकर उन्नति की नई पट कथा लिखनी होगी। यह प्रातः जागरण, जीवन जागरण का आधार बन सकेगा। भारतीय चिन्तन, मंथन, विश्लेषण, बलिष्ठ होकर विश्व को सम्यक दिशा दे सकेगा। अवधी भाषा में श्रद्धेय वंशीधर शुक्ल ने बहुत सुन्दर लिखा है -
    उठ जाग मुसाफिर भोर भई,
    अब रैन कहाँ जो सोवत है।
    जो सोवत है, सो खोवत है,
    जो जागत है सोई पावत है।।
    उठ जाग मुसाफिर भोर भई ……… ,

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