ऍसिडिटी का आयुर्वेद से वैज्ञानिक ईलाज / Scientific Treatment of Acidity

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  • Опубликовано: 12 сен 2024
  • Dr.Vasishth's
    ACID PEPTIC DISEASES (APD) - Scientific Management
    अम्लपित्त / परिणामशूल - वैज्ञानिक उपचार
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    Dr. Brijbala Vasishth
    Dr. Sunil Vasishth
    जब भी कोई रोगी शिकायत करता है कि उसे खट्टे डकार आते हैं, पेट में जलन होती है, मिचली या उल्टी आती है, आमाशय-प्रदेश में दर्द होता है, तो प्रायः हमें लगता है कि सम्भवतः इस रोगी को अम्लपित्त (Hyperacidity) हुआ है, या फिर परिणामशूल / अन्नद्रवशूल (Peptic ulcer) हुआ है। कभी-कभार हमें उदावर्त (GERD) अथवा विदग्धाजीर्ण (Gastritis) की सम्भावना भी लग सकती है।
    ऐसे में, हम में से अधिकांश चिकित्सक रोगी को निम्न औषधियाँ प्रैस्क्राइब करते देखे जाते हैं -
    • सूतशेखर / कामदुधा / लीलाविलास रस; व/अथवा
    • धात्री लौह / अम्लपित्तान्तक लौह; व/अथवा
    • अविपत्तिकर चूर्ण / यष्ट्यादि चूर्ण; व/अथवा
    • शंख / कपर्दिका / मुक्ताशुक्ति / प्रवाल भस्म / पिष्टी; व/अथवा
    • आमलकी / शतावरी / मधुयष्टी चूर्ण; व/अथवा
    • पटोलादि क्वाथ; व/अथवा
    • गुडूची सत्व / स्वर्जिकाक्षार / नारिकेल लवण; इत्यादि।
    गहराई से विचार करने पर आपको एहसास होगा कि ये औषधियाँ निम्न प्रकार से कार्य करती हैं, तथा उसी के आधार पर आप अम्लपित्त / परिणामशूल का वैज्ञानिक उपचार कर सकते हैं -
    1. आमाशय में अम्ल का उत्पादन में कम करें (Lower the production of Gastric HCl):
    इनमें से कुछ औषधियाँ आमाशय में पैदा होने वाले अम्ल के उत्पादन में कमी लाती हैं (Lower the production of Gastric HCl)। अनुभव व वैज्ञानिक शोध से पता चला है कि निम्न औषधियाँ यह कार्य अपेक्षाकृत अधिक कारगर ढंग से करती हैं - शटी, भृंगराज, पटोल, गुडूची, वासा व धत्तूरा।
    अतः अम्लपित्त व परिणामशूल आदि रोगों का उपचार करते समय आप इनमें किसी एक, दो, या अधिक का उपयोग कर सकते हैं। इन औषधियों को आप चाहें तो एकल औषध के रूप में प्रयोग कर सकते हैं, अथवा इनसे बने औषध-योगों के रूप में कर सकते हैं। उदाहरण के लिए -
    शटी का उपयोग आप शटी चूर्ण के रूप में कर सकते हैं, अथवा इससे बने शट्यादि चूर्ण के रूप में। आप चाहें तो आप इसके घन (Extract) से बनी शटी घन टैब्लॅट के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं। यही नहीं, आप इससे बनी लोसिड (Locid) टैब्लॅट का भी प्रयोग कर सकते हैं।
    भृंगराज का उपयोग आप भृंगराज चूर्ण के रूप में कर सकते हैं। या फिर आप इसके घन (Extract) से बनी भृंगराज घन टैब्लॅट का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। आप चाहें तो इससे बनी लोसिड (Locid) टैब्लॅट का भी प्रयोग कर सकते हैं।
    इसी प्रकार से आप पटोल का उपयोग पटोल चूर्ण अथवा पटोल घन टैब्लॅट के रूप में; गुडूची का उपयोग गुडूची चूर्ण अथवा अमृता सत्व, अथवा गुडूची घन टैब्लॅट के रूप में; वासा का उपयोग वासा चूर्ण अथवा वासा घन टैब्लॅट के रूप में; तथा धत्तूरा का उपयोग सूतशेखर रस के रूप में उपयोग कर के आमाशय में अम्ल का उत्पादन कम कर सकते हैं।
    2. आमाशय में क्लेदक कफ का उत्पादन बढ़ाएँ (Enhance the production of Gastric mucus):
    अम्लपित्त / परिणामशूल के उपचार में प्रयुक्त कुछ औषधियाँ आमाशय में बनने वाले क्लेदक कफ का उत्पादन बढ़ाती हैं (Enhance the production of Gastric mucus) तथा इस प्रकार से आमाशयिक क्लेदक आवरण को सुदृढ़ करती हैं (Strengthen the gastric mucosal barrier)। अनुभव व वैज्ञानिक शोध से पता चला है कि निम्न औषधियाँ यह कार्य अपेक्षाकृत अधिक कारगर ढंग से करती हैं - मधुयष्टी, आमलकी, व शतावरी।
    इस काम के लिए आप इनमें किसी एक, दो, या तीनों का उपयोग एकल औषध के रूप अथवा इनसे बने औषध-योगों के रूप में कर सकते हैं। उदाहरण के लिए -
    मधुयष्टी का उपयोग आप मधुयष्टी चूर्ण के रूप में कर सकते हैं, अथवा इससे बने यष्ट्यादि चूर्ण के रूप में। आप चाहें तो आप इसके घन (Extract) से बनी मधुयष्टी घन टैब्लॅट के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं। यही नहीं, आप इससे बने औषध-योग - लोसिड (Locid) टैब्लॅट के रूप में भी प्रयोग कर सकते हैं।
    आमलकी का उपयोग आप आमलकी चूर्ण के रूप में कर सकते हैं। या फिर आप इसके घन (Extract) से बनी आमलकी घन टैब्लॅट का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
    इसी प्रकार से आप शतावरी का उपयोग शतावरी चूर्ण अथवा शतावरी घन टैब्लॅट के रूप में उपयोग कर के आमाशय में बनने वाले क्लेदक कफ का उत्पादन बढ़ा सकते हैं व आमाशयिक क्लेदक आवरण (Gastric mucosal barrier) को मजबूत बना सकते हैं।
    अच्छी बात तो यह है कि क्लेदक कफ का उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ मधुयष्टी, आमलकी, व शतावरी आमाशयगत व्रण के रोपण (Ulcer-healing) में भी सहायक सिद्ध होती हैं।
    3 . आमाशय की अनुलोम गति बढ़ाती हैं (Stimulate gastric peristalsis):
    अम्लपित्त / परिणामशूल के उपचार में प्रयुक्त कुछ औषधियाँ आमाशय की अनुलोम गति बढ़ाती हैं (Stimulate gastric peristalsis) तथा इस प्रकार से आमाशय को शीघ्रातिशीघ्र खाली करके अम्लता से मुक्त करा देती हैं। अनुभव व वैज्ञानिक शोध से पता चला है कि निम्न औषधियाँ यह कार्य अपेक्षाकृत अधिक कारगर ढंग से करती हैं - शटी, भृंगराज, शुण्ठी, पुदीना, निशोथ, व हरीतकी।
    इस काम के लिए आप इनमें किसी एक, दो, या अधिक का उपयोग एकल औषध के रूप अथवा इनसे बने औषध-योगों के रूप में कर सकते हैं। उदाहरण के लिए -
    शटी व भृंगराज का उपयोग आप ऊपर बतायी रीति से कर सकते हैं।
    शुण्ठी का उपयोग आप शुण्ठी चूर्ण अथवा शु्ण्ठ्यादि चूर्ण के रूप में कर सकते हैं। आप चाहें तो आप इसके घन (Extract) से बनी शुण्ठी घन टैब्लॅट के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
    पुदीना का उपयोग आप पुदीना चूर्ण, अथवा पुदीना सत्व, अथवा पुदीना अर्क के रूप में कर सकते हैं। यही नहीं, आप पुदीना, अजवायन, कर्पूर, व लोहबान के सत्वों से बने औषध-योग - जीवन रसायन अर्क का भी प्रयोग कर सकते हैं।
    निशोथ का उपयोग आप निशोथ चूर्ण के रूप में, या फिर आप इसके घन (Extract) से बनी निशोथ घन टैब्लॅट का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। या फिर आप इससे बने औषध-योग -

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