लिङ्गाष्टकम शिव भगवानकाे प्रिय र प्रसन्न बनाउने स्ताेत्र / Lingastakam / kuber subedi दैनिक स्ताेत्र

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  • Опубликовано: 11 сен 2024
  • लिंगाष्टकम्
    ब्रह्ममुरारि सुरार्चित लिंगं
    निर्मलभासित शोभित लिंगम् ।
    जन्मज दुःख विनाशक लिंगं
    तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥ 1 ॥
    देवमुनि प्रवरार्चित लिंगं
    कामदहन करुणाकर लिंगम् ।
    रावण दर्प विनाशन लिंगं
    तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥ 2 ॥
    सर्व सुगंध सुलेपित लिंगं
    बुद्धि विवर्धन कारण लिंगम् ।
    सिद्ध सुरासुर वंदित लिंगं
    तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥ 3 ॥
    कनक महामणि भूषित लिंगं
    फणिपति वेष्टित शोभित लिंगम् ।
    दक्षसुयज्ञ विनाशन लिंगं
    तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥ 4 ॥
    कुंकुम चंदन लेपित लिंगं
    पंकज हार सुशोभित लिंगम् ।
    संचित पाप विनाशन लिंगं
    तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥ 5 ॥
    देवगणार्चित सेवित लिंगं
    भावै-र्भक्तिभिरेव च लिंगम् ।
    दिनकर कोटि प्रभाकर लिंगं
    तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥ 6 ॥
    अष्टदलोपरिवेष्टित लिंगं
    सर्वसमुद्भव कारण लिंगम् ।
    अष्टदरिद्र विनाशन लिंगं
    तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥ 7 ॥
    सुरगुरु सुरवर पूजित लिंगं
    सुरवन पुष्प सदार्चित लिंगम् ।
    परात्परं (परमपदं) परमात्मक लिंगं
    तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥ 8 ॥
    लिंगाष्टकमिदं पुण्यं यः पठेश्शिव सन्निधौ ।
    शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥

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