panch labdhi chapter 2 by Muni Pranamya saga

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  • Опубликовано: 2 фев 2025

Комментарии • 24

  • @anilsingla8730
    @anilsingla8730 Год назад

    महान प्रवचन सुनाने का महाराज जी आपका बहुत बहुत आभार धन्यवाद नमोस्तु नमोस्तु महाराज जी

  • @pradeepjain1125
    @pradeepjain1125 Год назад

    नमोस्तु गुरुवर👏

  • @anilsingla8730
    @anilsingla8730 Год назад

    MATHYEN VANDAMI MAHARAJ JI AAPKI MAHAN TAPASYA KO KOTI KOTI NAMAN VANDAMI NAMO LOYE SAVV SAHUNAM

  • @sunitajogi3694
    @sunitajogi3694 3 года назад

    मेरे परम उपकारी गुरुदेव के चरणोमे कोटी कोटी नमोस्तू

  • @indrajain2880
    @indrajain2880 2 года назад

    नामोस्तु महाराज
    धन्य हुई मैं आप की व्याख्या सुन कर

  • @akjain9780
    @akjain9780 4 года назад

    Namostu gurudev

  • @SampradaJ
    @SampradaJ 3 года назад

    जिनेंद्र भगवान जी के भक्ति से कर्मों के स्थिति कांडक का घात हो विशुद्धि बढती है।

  • @kusumpatoria1969
    @kusumpatoria1969 4 года назад

    कालस्य दोषेण विवादग्रस्तं
    स्वरूपतत्त्वं सुविशोधयन्तं
    श्रोतृभ्यस्सन्मार्गमुपादिशन्तं
    निर्ग्रन्थवर्यं प्रणमाम्यहम्।।

  • @archanabagane6023
    @archanabagane6023 3 года назад

    Namosthu Gurudev 🙏🙏

  • @kusumpatoria1969
    @kusumpatoria1969 4 года назад

    भ्रमनिवारकाय नमः

  • @arunjain1571
    @arunjain1571 3 года назад

    नमौस्तू गूरुवर,त्रिबार नमौस्तू,सूरत से

  • @anjalijain821
    @anjalijain821 5 лет назад +2

    🙏🙏🌹गुरूवर श्री प्रणम्य सागर जी वर्तमान युग के साक्षात श्रुत केवली है ।भगवन् आप सदा जयवंत रहे, यशस्वी रहे ।गुरूवर आपकों कोटिशः नमन ।

  • @pragatichankeshwara7817
    @pragatichankeshwara7817 5 лет назад

    Namostu mharaji

  • @SampradaJ
    @SampradaJ 3 года назад +1

    7 वे गुणस्थान से पहले निश्चय रत्नत्रय, वीतराग चारित्र संभव नहीं, शुद्धात्मा अनुभूति संभव नही।
    मिथ्यात्व, अनन्तानुबन्धी कषाय के अभाव से भी जीव के विशुद्धि होती है, बढ़ती है। अर्थात 4 थे गुणस्थान में भी आत्मा में विशुद्धि होती है अपितु यह शुद्धात्म-अनुभूति नहीं होती।

  • @JCSC
    @JCSC 8 лет назад

    Shree Muniji mentioned a slok "Shudhha Shuddho" . Please tell me which granth and which slok. In the presention, that part is inaudible. I think he mentioned "Samasaar" but the slok number was definitely in audible . I would like to study that slok and tika in-depth if possible.

  • @vinayjain7586
    @vinayjain7586 8 месяцев назад

    🕉🙏

  • @JCSC
    @JCSC 8 лет назад +1

    Did Muni shree explain apoorv karan and anivrutti karan in another event?

  • @SampradaJ
    @SampradaJ 3 года назад

    श्री समयसार जी:
    सम्यग्दृष्टि के राग-द्वेष-मोह यह आस्त्रव नहीं होते। ... सम्यग्दृष्टि के कौनसे राग-द्वेष-मोह नहीं होते यह न्याय (अनुमान ज्ञान ) से बताते है:
    अनुमान ज्ञान: पक्ष (धर्मी) और हेतु (साधन जिससे साध्य का ज्ञान होता है)।
    अनन्तानुबन्धी क्रोध-मान-माया-लोभ और मिथ्यात्व से उत्पन्न राग-द्वेष-मोह ये 4 थे गुणस्थानवाले अविरत सम्यग्दृष्टि के नहीं होता सो 4 गुणस्थान में सराग-सम्यग्दर्शन ही होता है।
    संयमासंयम अर्थात एकदेश संयम अर्थात 5 वे गुणस्थानवाले सम्यग्दृष्टि जीव के अनन्तानुबन्धी और अप्रत्याख्यान क्रोध-मान-माया-लोभ से उत्पन्न मोह-राग-द्वेष नहीं होता। यहाँ भी सम्यग्दर्शन सराग-सम्यग्दर्शन होता है।
    6 गुणस्थानवाले प्रमत्त संयमी जीव सराग-संयमी और सराग-सम्यग्दर्शन वाले होते है इनके अनन्तानुबन्धी, अप्रत्याख्यान और प्रत्याख्यान क्रोध-मान-माया-लोभ से उत्पन्न मोह-राग-द्वेष नहीं होता। 12 कषाय अभाव।
    7 वे गुणस्थान अप्रमत्त-संयत से वीतराग सम्यग्दर्शन: अनन्तानुबन्धी, अप्रत्याख्यान, प्रत्याख्यान, तीव्र-संज्वलन क्रोध-मान-माया-लोभ का अभाव सो इनसे उत्पन्न मोह-राग-द्वेष का भी लोप। ... 7 वे से 12 वे गुणस्थान तक यह वीतराग संयम और वीतराग चारित्र होता है।
    वीतराग सम्यग्दर्शन 4, 5, 6 और 7 वे गुणस्थान के प्रवुत्ति भाग तक संभव नहीं।
    7 वे गुणस्थान के निवृत्ति भाग से वीतराग सम्यग्दर्शन होता है।
    भरत, पांडव जैसे क्षायिक सम्यगदृष्टि जीवों को गृहस्थ अवस्था में भेद-अभेद रत्नत्रय प्रिय होने लगता है, उसकी अनुभति नहीं होती। गृहस्थ अवस्था में उनके भेद या अभेद किसी भी प्रकार का रत्नत्रय नहीं होता। ... सामायिक में व शुद्धात्मा की वे केवल भावना करते है अनुभूति नहीं। इसप्रकार की भावना शुद्धोपयोग नहीं।
    ज्ञानधारा, कर्मधारा शब्दों वाले ग्रन्थ आचार्य प्रणीत समीचीन ग्रन्थ नहीं, स्वाध्याय आदि करने के लिये उचित नहीं।
    2021 Apr. 03 Sat.

  • @laxmijain9853
    @laxmijain9853 2 года назад

    Uljhane kahi kary kiya