बिरहा गायक स्व. परशुराम के बड़े भाई कवि शिव बचन यादव से बातचीत | Birha | Parshuram Yadav | Interview
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- Опубликовано: 28 ноя 2024
- बिरहा जगत के महान गायक स्व. परशुराम यादव के बड़े भाई कवि शिव बचन से बातचीत हुई। स्व. परशुराम यादव और उनके परिवार के कला प्रेम और शिक्षा के प्रति उनके समर्पण को दिखाती है। उनके बड़े भाई, कवि शिव बचन ने जो अपनी जीवन यात्रा साझा की, वह एक प्रेरणा है, खासकर यह कि चारों भाइयों के बीच शिक्षा और कला के प्रति गहरी जागरूकता और प्रेम था।
चारों भाइयों का यह विचार था कि "खाना कम खाओ, चलेगा, लेकिन शिक्षा बहुत जरूरी है।" यह उनके जीवन का आदर्श था, जिसमें वे अपने बच्चों और परिवार के अन्य सदस्यों को भी शिक्षा के महत्व के बारे में जागरूक करते थे। इसके अलावा, कला के प्रति उनका रुझान भी बहुत था, खासकर बिरहा गायन और लेखन में।
स्व. परशुराम यादव सबसे छोटे थे और उनकी कला यात्रा का एक महत्वपूर्ण पहलू यह था कि वे जब पहली बार मंच पर गए, तो उनके तीनों बड़े भाई उनके साथ थे। वे मंच के नीचे से उन्हें हौसला देते थे, ताकि वे न केवल आत्मविश्वास के साथ गायन कर सकें, बल्कि अपनी कला को पूरी दुनिया तक पहुंचा सकें। यह दिखाता है कि परिवार का समर्थन न केवल मानसिक रूप से, बल्कि सृजनात्मक रूप से भी कितना महत्वपूर्ण होता है।
इस कड़ी में, भाइयों के बीच एक मजबूत रिश्ते की भावना थी, जिसमें एक-दूसरे के प्रति सम्मान और सहयोग का आदान-प्रदान था। उनके भाई शिव बचन भी खुद एक कवि थे, और उन्होंने अपनी रचनाओं से कला और संस्कृति को जीवित रखा था।
कैमरा मैन- श्याम सुंदर पासवान
वीडियो एडिटर- राहुल यादव व राम विलास यादव
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समाधीश्वर पंडित परशुराम यादव जी के बिरहा क्षेत्र में कदम रखते ही गायन की शुद्धता पर विशेष बल दिया जाने लगा। परिणाम यह हुआ कि इनकी देखी-देखा दूसरे कलाकारों की भी मजबूरी हो गई और उन्होंने अपने बिरहा गीतों में व्याकरणीय शुद्धता पर ध्यान देना शुरू कर दिया।
बिरहा में संस्कृत की तत्समनिष्ठ शब्दावली और उसे परिष्कृत एवं परिमार्जित करने का काम परशुराम यादव ने ही किया।
उन्होंने बिरहा जगत में जो प्रयोग किया उसको लेकर आज के समय में यही कहा जा सकता है कि इसे अब शायद ही कोई दूसरा भर पाए। इनकी गायकी में शुद्धता के साथ ही साहित्यिक मिश्रण हो जाने से श्रोताओं की बिरहा गीतों की मिठास दुगुनी हो गई। कई बड़े कलाकार परशुराम यादव के खिलाफ दंगल में जाने से भी बचने लगे। जो जाता था वह पूरी तैयारी के साथ जाता था।
सोहर गीतों की उनकी प्रस्तुति अद्वितीय थी। अद्वितीय प्रस्तुुतियों और पकड़ के कारण ही उत्तर प्रदेश सरकार से उनको पंडित की उपाधि प्राप्त हुई। उनकी भाषा शुद्ध साहित्यिक कोटि में आती थी। वे खुद भाषा के प्रति सजग थे और चाहते थे कि दूसरे साथी भी सचेत रहें। उनकी चिन्ताएं बिरहा में आती फूहड़ता तक ही सीमित नहीं थी बल्कि वे आने वाली नई पीढ़ी को लेकर भी चिंतित थे। कभी-कभी बातों-बातों में वे अपनी चिंताएं व्यक्त भी करते थे। वे कहते थे जिस तरह से आज हमारे समाज में भोजपुरी गीतों की देखी-देखा और अपनी लोकप्रियता के साथ पैसे की चाह में लोग कुछ भी गा रहे हैं वह हमारे समाज को कहाँ ले जायेगा।
जैसा कि वो खुद बातचीत में बताया करते थे कि, सामाजिक और ऐतिहासिक गीत गाना हमारी पहले से ही प्राथमिकता रही है । इसलिए मैं समाज में इस प्रकार के गीत पेश करना चाहता हूं जिसे हमारे समाज की बेटी, बहू, हमारी माताएं और छोटे बच्चे बैठकर एक साथ सुन सकेें।
जितने प्रकार के छंद विधान उनके बिरहा में मिल जायेंगे उतना किसी गायक में आपको नजर नहीं आयेगा। नजर छोड़िये जिंदगी सबकी गुजर जाएगी लेकिन वो मुकाम तक पहुंचना तो दूर भटक भी नही पाएंगे क्योंकि आज के सीनियर हो या जूनियर कलाकार इन सबको छिनरी बुजरी के अलावा या दूर कोई मुकाम नही हासिल हो सकती है।
आदरणीय रामजी यादव चाचा जी को सादर प्रणाम करते हैं जो इस दौर में भी इतने बड़े और कठिन कार्य का बेड़ा उठायें हैं।
शत शत नमन🙏🙏🙏
विरहा जगत में पंडित परशुराम यादव कोई जोड़ नहीं था उस महान आत्मा को शत् शत् नमन
पण्डित परशुराम बिरहा के शब्द के माहिर तथा भक्ति भजन के तथा उदारता के कारण ही आज बिरहा के भीष्म माने गए। बिरहा कई पीढ़ियों से चल रहा है पर इनके जैसा कोई विद्वान नहीं पैदा हुआ मानना पड़ेगा। स्वर के भी जादूगर थे। दिनभर पुस्तकों में लिपटे रहते थे।ऐसे महान कलाकार को मै बार बार ❤से प्रणाम करता हूं।
Waah kya rachna h sir kehu mahur ke pike n bawur bhayil koti koti pranam h sir
रामजी अंकल आप का इंटरव्यू लेने का तरीका बहुत ही बेहतर है आप को बिरहा और बिरहा गाने वाले लोगों के बारे में बहुत ही अच्छी जानकारी है आप बिरहा के तह में पहुंच जा रहें हैं
सहमत👏
बिरहा के भीष्म पंडित परशुराम जी की पावन स्मृतियों को शत शत नमन ❤❤
नार पिता जननी ,हर जनम में मिले।
भाई नाहर नाथ बस,करम से मिले।।
बहुत सुंदर वार्तालाप ❤❤❤
आदरणीय रामजी सर,
नमन है आपके चुने हुए रास्ते को, वास्तव में ये बिरहा के इतिवृत्त और उत्तरकाल को बनाए रखेगा।
आपके इंटरव्यू के पैटर्न से समझ आता है आपके बिरहा के प्रति अनुराग और बोध कितना अतुल है।
महोदय आपसे विनम्र निवेदन है कि, आप बिरहा पर आर्टिकल पब्लिश कीजिए ऐसे ही पुराने कलाकारों और कवियों का इंटरव्यू लेकर।👏🎉
Gurujee ko shat shat naman aapaki kavita aur aawaj ka koi jabab nahin hai
बिरहा के महान विभूति भले ही हमलोग के बीच नही है मगर उनकी बिरहा ,उनके शब्द , सदैव अमर रहेगें--मां सरस्वती की अपार कृपा उनके उपर बरसती रही जिसकी वजह से उनकी बिरहा को
ससम्मान सभी वर्ग के लोग सुनते थे--मैं छात्र जीवन से उन्हे सुनते आ रहा हूं मगर जी नही भरता है। दो-चार उनका इंटरव्यू अखबार मे प्रकाशित करने का अवसर मिला था यकीन नही हो रहा है कि वोबहमारे बीच नही है, जून महीने मे हब सूरत से चंदौली गया था परशुरामजीकी समाधि पर श्रद्धा सुमन अर्पित करने का अवसर मिला था--समीप मे मां मंगला भवानी हैं उनके सुपुत्र अखिलेश का मंगल करें और विवेक दें कि पिता के पदचिह्नों पर अग्रसर रहें--
बिरहा के भीष्म पितामह कों कोटि कोटि नमन
Pandit Parashuram ji hamare mitra the yad aane par bahut dukh hota ha kuchh din aur rah jate
सर जी आप बहुत सुंदर इंटरव्यू लेते हैं
बहुत बहुत बधाई आप को और कवि जी को
आप से आग्रह है कि आप बिरहा के दिवाने श्रोता व दर्शकों से भी मिले और उनकी अनुभूति को प्रस्तुत करे जिससे बिरहा के बारे में जानकारी हासिल हो सके ।
भीम सिंह संवाद दाता परसथुआ रोहतास।
Bahut sundar 🙏🙏
Gurujii❤❤❤❤❤r
बिरहा गायक स्वर्गि लालबर्ती गायक प्रजापति जी के पुत्र उमेश प्रजापति की ओर से आप सभी को प्रणाम
चरण स्पर्श 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻💐💐💐💐💐💐
Ram jee sar ko koti koti pranam app ne comment ka khyal khy❤❤❤❤❤❤❤
bahut sundar
बिरहा गायक स्वर्गि लालबर्ती गायक प्रजापति जी के पुत्र उमेश प्रजापति
ग्राम - बियरही अदलहाट मिर्जापुर
की ओर से सभी बिरहा दर्शको को प्रणाम शुक्रिया 🙏🏻🙏🏻❤❤❤
Vah babuji kya bat hai .
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
❤❤❤❤
Super
हर जनम में बाबू अउर माई मिली हैं।
बड़ा भाग होई तब पीठिया पर भाई मिली हैं।।
Charo Bhaiyo me ram lakshman jaisa pyar tha
आज स्वर्गीय परसु राम जी होते तो आपको हकिकत बताते,आप जैसा अहंकारी इन्टरव्यू किसी ने नहीं दिया है चलिए मान लिया आप बिरहा जगत के सबसे महान कवि हैं और परसु राम जी बिरहा के जनक थे इतनी महत्वपूर्ण जानकारी देने के लिए पुरा बिरहा जगत आपका युगों युगों तक आभारी रहेगा उम्मीद है दो चार इन्टरव्यू और इसी तरह दे देंगे तो आप के नाम के आगे भी महापंडित की उपाधि लगा दी जाएगी
भाई गांव में जलन से साफ पता चल रहा है कि तुम चमचे हो क्योंकि वाकई में परशुराम का भी तेवर यही था जिस तेवर को उनके भाई ने दिखाया है और तुम बनारसीयो को कभी भी परशुराम पसंद इसलिए नहीं आए की परशुराम जब चाहे तब अपने समकालीन कलाकार को जब चाहे तब दबोच दिया करते थे इसलिए इतिहास पता करों पहले विश्वनाथ और दुर्जन से हमने 50 मंच सुना परशुराम इन लोगों से गाते नहीं थें गंवाते थें आज सच है कि वो रहते तो बताते दुख इस बात का है विश्वनाथ को विश्वनाथ बनाने वाले परशुराम है और परशुराम विश्वनाथ से बहुत पहले बिरहा की बुलंदियों पर थें और बनारस के सभी महारथीयों से आर पार का दंगल डट कर कर रहे थे इसलिए सभी बनारसी मिलकर तय किए की परशुराम से नहीं गाना है तब विश्वनाथ बिरहा में उभर रहे थे अब परशुराम सामने समस्या था कि जब कोई नहीं गाएंगे तो हम गाएंगे किससे फिर मिलें विश्वनाथ और परशुराम विश्वनाथ से मिलकर गानें लगें और जगह जगह परशुराम विश्वनाथ को घुमाने लगें तब विश्वनाथ भी प्रचारित हुए और बुलंदी को पाए लेकिन आज परशुराम का नाम लेने में लोगों को शर्म आ रहा है एक और बनारस के है दुर्जन जी जिनके बारे में क्या कहें गिरगिट की तरह रंग बदलता है वह आदमी मुझे बहुत अच्छी याद है कि एक दौर था जब बिरहा से दुर्जन समाप्त हो गए थे तब दोस्ती हुई परशुराम से और इधर बहुत प्रोग्राम अपने दम पर गंवाए परशुराम और आज वही दुर्जन परशुराम का एक बार अपने इंटरव्यू में चर्चा नहीं किए परशुराम केवल बनारसी की तरह बनारस तक सीमित नहीं थें परशुराम का क्षेत्र बहुत लंबा था यही कारण है कि इन लोगों को परशुराम हमेशा हर महीने पांच दस प्रोग्राम गंवाते थें आज उन्हीं लोगों जाकर पूछो प्रोग्राम का क्या हालत है जबकि परशुराम कभी मंच के मोहताज नहीं थें आप इसी से अंदाजा लगा सकते है कि मरते दम तक मंचन किया उन्होंने और पंडित और महापंडित की बात है तो तुम जिसका चमचागिरी कर रहे हो उन्हीं लोगों को एक तगमा दिला दो परशुराम को बिरहा का भिष्म कहा जाता था वो तगमा तुम्हारे घर वाले नहीं दिए थे पूरे बिरहा जगत ने उस तगमा से नवाजा था उनको और जिस तेवर के परशुराम थे वहीं तेवर आज उनके भाई ने दिखाया है बागी बलिया के शेर थें परशुराम कोई बनारसी ठग नहीं थें परशुराम इसलिए पहले इतिहास खंगालो तब बात करों।
स्वर्गीय परशुराम तो नहीं रहें लेकिन तुम्हारे चम्मचई से लगता है कि तुम्हारे गांव😂 में कितना जलन हो रहा है और तुम किसी के द्वारा भेजे गए सार्थक चमचे हो इसका एक महत्त्वपूर्ण कारण भी है तुम्हारे हर पोस्ट पर कमेंट हमने पढ़ा है तो पता चला कि तुम एक गायक और एक कवि के महान चमचे हो उन गायक और कवि महोदय का नाम नहीं लूंगा लेकिन जरूरत पड़ने पर जरूर नाम भी लूंगा और रहा बात पंडित और महा पंडित की तो तुम जिसका चम्मचई कर रहे हों उसे ही दिला दो अगर तुम्हारे गांव😂 में ताकत है तो। धन्यवाद।
@ चूतियां जैसा इंटरव्यू दे रहा है जैसे लग रहा तानसेन के बाद यही लोग है यही हमारे क्षेत्र में माधोसिंह स्टेशन बिरहा गायक विश्वनाथ यादव के सामने जनता ने बैठा दिया परशुराम को तुम लोग कुछ नहीं पता बिरहा के भगवान रामदेव के बाद किसी आवाज़ था विश्वनाथ का था समुद्र जैसे लहराते थे
@@RamdevBharti-f4n चूतियां जैसा इंटरव्यू दे रहा है जैसे लग रहा तानसेन के बाद यही लोग है यही हमारे क्षेत्र में माधोसिंह स्टेशन में बिरहा गायक विश्वनाथ यादव के सामने जनता ने बैठा दिया परशुराम को तुम लोग कुछ नहीं पता बिरहा के भगवान रामदेव के बाद किसी आवाज़ था विश्वनाथ का था समुद्र जैसे लहराते थे
@@RamdevBharti-f4nचुटिया तुमको कुछ पता है बस आकर कुछ बोल देना तुम लोग के वजह से भाई चारा खत्म हो रहा है
guruji bahut badhiya hai aapka interview Raha aapko code padhao
बिरहा लोरिकी यादवो की गाथा कह कर किसी ने लिपिबद्ध नही किया।कृपया आप इस कार्य में महत्वपूर्ण योगदान देने की कृपा करें। जय श्रीकृष्ण।
बाला राजभर जी से कब बात कर रहे हैं
इस विषय में मैं बहुत अभागा हूं,क्योंकि भाई विहीन हूं,पर मेरी तीनों बहनें कमी नहीं होने दी,पर जब वो अपने घर चली गई, तो मैं अकेला हो गया। तब महसूस हुआ कि भाई क्या होते हैं ।
मैं नहीं समझ पाता हूं कि विधाता ने हमारे साथ इतना क्रूर मजाक क्यों किया।
Kolkata India ki Rajdhani rahi thi sir
Biraha SAMRAT HAIDAR ALI juganu JEE ka naam tha prayagraj me hi nahe pure biraha jagat me alag PAHCHAN thi p. Parshuram JEE biraha k Bism the 🙏🙏BHAVPOORN SHARDHAJLI 🙏🙏🙏🌹🌹
जी सही कहा आपने हैदर अली के सामने किसी भी बनारसी कलाकार की एक नहीं चलती थी कभी भी लेकिन बनारसी लोग चालबाज थें उनको भी वो जगह नहीं दिए जिसके वो हकदार थे खैर हैदर अली भाई सत सत नमन 🙏
परशुराम के लिए आत्मा रो रही है
Roen aalha jake aadhe rahiyan . Aaj samar me pujai ke udal bin bahiyan .
बिरहा की पांडुलिपि होनी चाहिए, क्योकि बिरहा का एक ग्रंथ होना चाहिए। रामजी आपसे निवेदन है कि यह कार्य आपही कर सकते है क्योकि आप सभी का साक्षात्कार कर रहे है। इसलिए यह काम आप ही करे तो सोने में सुहागा होगा। उम्मीद........। जय श्रीकृष्ण। जय यादव जय माधव। जय मुलायम। जय समाजवाद। बिरहा लोरिकी की तरह न बंचित रह जाए। कृपया..................।
Char bar jod me sune hai Mangal kavi se charo bar janata ne Mangal kavi ko Jada pasand kiya.
Kiske sath birha hua tha
Ramji yadav ka interview kab le rhe hai
Ram ji bhiya apna mo no dijiyega
लेकिन सर जो एक कह रहे हैं विश्वनाथ जी को भी अगर बोलते कोई कुछ नहीं था विश्वनाथ जी भी अपने को विरहा में एक पहचान है हस्ती है ए ग़लत है
Ramji yadav vill ahaladpur post baheri thana khanpur teh sidpur dist ghazipur ka interview lo kyu nhi le rhe ho bar bar likh rha hu enterbiw nhi le rhe ho
सर जी जो कवि जी इंटरव्यू दे रहे है परशुराम जी के विषय मे ये सब झूठ बोल रहे हैं परशुराम जी जैसा महान कलाकार का कोई महान गुरु होंगे ये तो एक कहावत है कि pisann लपेट के भंडारी बनत रा वैसे कवि जी है परशुराम जी स्वर्गीय श्री नारायण गुरु जी के शिष्य थे 95परसेंट उनके गीतो को गाते थे जमाना जनता है कवि जी झूठ मत बोलिए और बिरहा प्रेमियों को गुमराह मत कीजिए इतिहास छुपाने से इतिहास मिट जाता है
हां तो ना अब श्रीनारायण है और ना ही परशुराम है इतिहास के तुम ज्यादा जानकार हो तो पहले अपना परिचय दो और तब जाकर इतिहास के विषय में बात होगा
सही से बोलो शिवबचन कवि बिरहा गायक विश्वनाथ को ऐसे मत बोलिए बिरहा के सम्राट केवल रामदेव है उसके बाद शिवमूरत और विश्वनाथ है आवाज के मामले में रामदेव शिवमूरत विश्वनाथ आगे कोई नहीं है परशुराम नाक से गाते थे भाषा को छोड़कर बिरहा में जीरो थे
नाजायज औलाद लग रहा है तुम
Bhai ek bar bechan rajbhar k ghar ja kar video banao es samay unk parivaar kis halat me h
❤❤❤❤❤