Akhand Jyot Jagi With Lyrics Rakesh Rahi Pavan Dravid Full in Description 👇

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  • Опубликовано: 10 окт 2024
  • Singer - Rakesh Rahi , Pawan Dravid
    Lyrics - Rakesh Rahi
    अखंड ज्योत जागी अखंड ज्योत जागी
    अखंड ज्योत जागी मेरे घर में जब से
    प्रभु वाल्मीकि जी अंग संग है तब से
    गमों वाली छाया उजालों से भागी
    अखंड ज्योत जागी अखंड ज्योत जागी
    1 मेरे घर की माला तो बिखरी पड़ी थी
    कोई ना कोई साथ मुश्किल खड़ी थी
    रहा दूर पूजा की थाली से अक्सर
    जली जब से ज्योति वही शुभ घड़ी थी
    प्रभु लौ से जागी है किस्मत अभागी
    2 पहाड़ों में जाकर कभी कुछ ना पाया
    मेरे घर को आनंद ज्योति से आया
    ना धागे तवीतो से प्रकाश होगा
    गुणी जन विकारों से हम को बचाया
    उजाड़ो में ख़ुशियों की बगिया खिला दी
    3 ) तू प्रगट दिवस के महीने में जा रे
    ये 14 दिनों ज्योति घर में जला रे
    सदा तेरे आंगन प्रभु वास होगा
    कभी जो बनी ना वो बिगड़ी बना रे
    यही राहियों को सलाह दे रे आदि

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