मुनि संघ ने आचार्य समय सागर जी की जय क्यो नही बोली? इस पर विवाद क्यों? जय मुख से बोली जाय तभी जयकार लगाना नही होता। मन मे आदर विनय होना चाहिए। जब मुनि पार्श्वनाथ भगवान की जयकार बोलते है, महावीर स्वामी की जयकार बोलते है तब भी लोग बोल सकते है आदिनाथ की जय क्यो नही बोले? और सामने उपस्थित हो तो जय न बोले तब भी ठीक है जब सामने नही है तो जय बोलना जरूरी थोड़ी है। और आचार्य श्री को गए अभी 3 महीने भी नही हुए, समय सागर जी को आचार्य बने एक महिना भी नही हुआ, तो आदत मे भी लाने मे समय तो लगता ही है। समय सागर जी ज्येष्ठ है, आचार्य है लेकिन गुरु तो आचार्य विद्या सागर जी है तो उनकी जय कार अपने आप निकल आती है। पहले कभी समय सागर जी की जय नही बोले तो आदत मे भी नही था। अच्छा बताओ सभी महाराज कुंडलपुर से ही आये लेकिन उन्होंने बड़े बाबा की भी जय नही बोली तो क्या बड़े बाबा से भी कोई मतभेद है? प्रवचन मे मंगलाचरण के रूप मे जयकार होती है एक अपने आराध्य की, एक अपने गुरु की, एक मूल नायक की, और कोई बड़े महाराज सामने उपस्थित हो उनकी। सबकी बोलने जाए तब भी कोई न कोई रह जायेगा। मंगलम भगवान् वीरो श्लोक मे आचार्य कुंद कुंद का नाम लिया, लेकिन उनसे भी बड़े आचार्य भद्रबाहु, आचार्य धरसेन, पुष्पदंत भूतबलि का नही तो क्या बाकी की अविनय हुई? नही। संघ की अपनी स्वयं की समझ है, उनको क्या करना क्या नही ये उनके ऊपर है। अन्य किसी को हस्तक्षेप करने का कोई हक नही है।
, आचार्य श्री विद्यासागर जी भी अपने गुरु श्री ज्ञान सागर जी की भी जय बोलते थे, और अन्य सभी संग में भी अपने आचार्य की जय भोली जा रहीहै। मेरे अन्य लोगों के इस विचार पर भी विचार किया जाए।
Aap ko aapne aap se matlab rakhe maharaj banne ka prayas na kare maharaj Shree ko malum hai ki kya karna hai or kya nhi karna hai aapko ye aacha nhi laga ki ek Manch par dono maharaj ek shat dekar
NAMOSTU GURUVAR 🙏🙏🕉🕉
प्रमाण सागर महाराज की जय
आचार्य श्री समय सागर जी महाराज की जय
नमोस्तु महाराज जी 🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿
नमोस्तु गुरूदेव आचार्य श्री जी की जय हो
नमोस्तु भगवन
Namostu gurudev 👏👏👏
Barmbar namostu gurupita
Namostu
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Nice
मुनि संघ ने आचार्य समय सागर जी की जय क्यो नही बोली? इस पर विवाद क्यों?
जय मुख से बोली जाय तभी जयकार लगाना नही होता। मन मे आदर विनय होना चाहिए।
जब मुनि पार्श्वनाथ भगवान की जयकार बोलते है, महावीर स्वामी की जयकार बोलते है तब भी लोग बोल सकते है आदिनाथ की जय क्यो नही बोले?
और सामने उपस्थित हो तो जय न बोले तब भी ठीक है जब सामने नही है तो जय बोलना जरूरी थोड़ी है।
और आचार्य श्री को गए अभी 3 महीने भी नही हुए, समय सागर जी को आचार्य बने एक महिना भी नही हुआ, तो आदत मे भी लाने मे समय तो लगता ही है।
समय सागर जी ज्येष्ठ है, आचार्य है लेकिन गुरु तो आचार्य विद्या सागर जी है तो उनकी जय कार अपने आप निकल आती है। पहले कभी समय सागर जी की जय नही बोले तो आदत मे भी नही था।
अच्छा बताओ
सभी महाराज कुंडलपुर से ही आये
लेकिन उन्होंने बड़े बाबा की भी जय नही बोली तो क्या बड़े बाबा से भी कोई मतभेद है?
प्रवचन मे मंगलाचरण के रूप मे जयकार होती है एक अपने आराध्य की, एक अपने गुरु की, एक मूल नायक की, और कोई बड़े महाराज सामने उपस्थित हो उनकी।
सबकी बोलने जाए तब भी कोई न कोई रह जायेगा।
मंगलम भगवान् वीरो
श्लोक मे आचार्य कुंद कुंद का नाम लिया, लेकिन उनसे भी बड़े आचार्य भद्रबाहु, आचार्य धरसेन, पुष्पदंत भूतबलि का नही तो क्या बाकी की अविनय हुई? नही।
संघ की अपनी स्वयं की समझ है, उनको क्या करना क्या नही ये उनके ऊपर है।
अन्य किसी को हस्तक्षेप करने का कोई हक नही है।
Bahot khub kaha bhaiya aapne
👍👍👍
कुछ लोगों का काम ही यही है ।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏👏👏👏👏👌👌👌
, आचार्य श्री विद्यासागर जी भी अपने गुरु श्री ज्ञान सागर जी की भी जय बोलते थे, और अन्य सभी संग में भी अपने आचार्य की जय भोली जा रहीहै। मेरे अन्य लोगों के इस विचार पर भी विचार किया जाए।
आपका तात्पर्य
जब समयसागर जी को आचार्य बनाया गया है तो समय सागर जी की जय बोलने में संकोच क्यों ??
Aap ko aapne aap se matlab rakhe maharaj banne ka prayas na kare maharaj Shree ko malum hai ki kya karna hai or kya nhi karna hai aapko ye aacha nhi laga ki ek Manch par dono maharaj ek shat dekar