🚩श्री गढ़खंखाई🙏 माता जो कि आदिवासी समाज मेड़ा कुल की देवी हैं मंदिर माही नदी के किनारे पहाड़ी पर मंदिर में मां गड़खंखाई के साथ माता शीतला, नागदेव, काला-गौरा भेरू, हनुमानजी की प्रतिमा स्थापित है। आदिवासी समाज की गहरी आस्था का केंद्र है। मान्यता है कि मां सुबह, दोपहर और रात्रि में तीन रूप बदलती है, बच्ची, युवती व प्रौढ़ रूप में दर्शन देती हैं। किंवदंती है कि यहां रतलाम गढ़ की स्थापना राजा रतनसिंह द्वारा की जा रही थी। परंतु राजा ने अभिमान से माता को प्रणाम नहीं किया। माता ने क्रोध में खंखार किया, जिससे निर्माणाधीन गढ़ बिखर गया। तभी से मंदिर गढ़खंखाई के नाम से प्रसिद्ध है। 🙏जय हो मेड़ा कुल की देवी मां 🚩⛳गड़खंखाई 👑
@@shanjumahida3101 🚩श्री गढ़खंखाई🙏 माता जो कि आदिवासी समाज मेड़ा कुल की देवी हैं मंदिर माही नदी के किनारे पहाड़ी पर मंदिर में मां गड़खंखाई के साथ माता शीतला, नागदेव, काला-गौरा भेरू, हनुमानजी की प्रतिमा स्थापित है। आदिवासी समाज की गहरी आस्था का केंद्र है। मान्यता है कि मां सुबह, दोपहर और रात्रि में तीन रूप बदलती है, बच्ची, युवती व प्रौढ़ रूप में दर्शन देती हैं। किंवदंती है कि यहां रतलाम गढ़ की स्थापना राजा रतनसिंह द्वारा की जा रही थी। परंतु राजा ने अभिमान से माता को प्रणाम नहीं किया। माता ने क्रोध में खंखार किया, जिससे निर्माणाधीन गढ़ बिखर गया। तभी से मंदिर गढ़खंखाई के नाम से प्रसिद्ध है। 🙏जय हो मेड़ा कुल की देवी मां 🚩⛳गड़खंखाई 👑
@@banshilal7825 🚩श्री गढ़खंखाई🙏 माता जो कि आदिवासी समाज मेड़ा कुल की देवी हैं मंदिर माही नदी के किनारे पहाड़ी पर मंदिर में मां गड़खंखाई के साथ माता शीतला, नागदेव, काला-गौरा भेरू, हनुमानजी की प्रतिमा स्थापित है। आदिवासी समाज की गहरी आस्था का केंद्र है। मान्यता है कि मां सुबह, दोपहर और रात्रि में तीन रूप बदलती है, बच्ची, युवती व प्रौढ़ रूप में दर्शन देती हैं। किंवदंती है कि यहां रतलाम गढ़ की स्थापना राजा रतनसिंह द्वारा की जा रही थी। परंतु राजा ने अभिमान से माता को प्रणाम नहीं किया। माता ने क्रोध में खंखार किया, जिससे निर्माणाधीन गढ़ बिखर गया। तभी से मंदिर गढ़खंखाई के नाम से प्रसिद्ध है। 🙏जय हो मेड़ा कुल की देवी मां 🚩⛳गड़खंखाई 👑
Maida privaR ki kuldevi jay ho Mayya गढ़खखाई माता जी जय जोहार जय आदीवासी.....✌️🙏
मईड़ा परिवार की कुलदेवी
जय हो मया गड़खाई
जय जोहार
जय आदिवासी
Jay maata ji
मईडा परिवार की कुलदेवी मां की जय हो🖇️🙏
Very very beautiful ❤❤
🚩श्री गढ़खंखाई🙏 माता जो कि आदिवासी समाज मेड़ा कुल की देवी हैं मंदिर माही नदी के किनारे पहाड़ी पर मंदिर में मां गड़खंखाई के साथ माता शीतला, नागदेव, काला-गौरा भेरू, हनुमानजी की प्रतिमा स्थापित है। आदिवासी समाज की गहरी आस्था का केंद्र है। मान्यता है कि मां सुबह, दोपहर और रात्रि में तीन रूप बदलती है, बच्ची, युवती व प्रौढ़ रूप में दर्शन देती हैं। किंवदंती है कि यहां रतलाम गढ़ की स्थापना राजा रतनसिंह द्वारा की जा रही थी। परंतु राजा ने अभिमान से माता को प्रणाम नहीं किया। माता ने क्रोध में खंखार किया, जिससे निर्माणाधीन गढ़ बिखर गया। तभी से मंदिर गढ़खंखाई के नाम से प्रसिद्ध है।
🙏जय हो मेड़ा कुल की देवी मां 🚩⛳गड़खंखाई 👑
जय माताजी ❤❤❤
Maida pariwar ki kuldevi ❤❤
Jay.mataji.banati.maida
Nice ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️👍👍👍👍👍👍👍mandir nahi dekhaya.
Jay maa
Jay Mata ji
Jay mahi mata ki
जय माता जी
Jay mataji
जय माता दी
अद्भुत बहुत सुंदर
Jai Mata Di 🙏🙏
मईडा वशंजों की
🙏🙏🙏🙏
जोहार
@@mukeshmaida6806❤
jay mata di
जय माता दी 🙏🙏💯
Kya bat he Nilesh bhai aap hamesh Ratlam ko pahachan dete rahte he
Thanks
𝑆𝑢𝑝𝒉𝑟 𝑗𝑎𝑦 𝑚𝑎𝑡𝑎𝑑𝑖
Hamari.kuldavi.ko.lak.lak.johar.maida
धड़कन के का भजन
Jay matadi
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
*यह माताजी कोसने वंश की कुलदेवी हे
मईडा वंशज की कुलदेवी
मईड़ा वंश की कुलदेवी है
जय मय्या गड़ख्खाई माताजी
जय जोहार
Maida
Maa tumhe pranam
@@shanjumahida3101 🚩श्री गढ़खंखाई🙏 माता जो कि आदिवासी समाज मेड़ा कुल की देवी हैं मंदिर माही नदी के किनारे पहाड़ी पर मंदिर में मां गड़खंखाई के साथ माता शीतला, नागदेव, काला-गौरा भेरू, हनुमानजी की प्रतिमा स्थापित है। आदिवासी समाज की गहरी आस्था का केंद्र है। मान्यता है कि मां सुबह, दोपहर और रात्रि में तीन रूप बदलती है, बच्ची, युवती व प्रौढ़ रूप में दर्शन देती हैं। किंवदंती है कि यहां रतलाम गढ़ की स्थापना राजा रतनसिंह द्वारा की जा रही थी। परंतु राजा ने अभिमान से माता को प्रणाम नहीं किया। माता ने क्रोध में खंखार किया, जिससे निर्माणाधीन गढ़ बिखर गया। तभी से मंदिर गढ़खंखाई के नाम से प्रसिद्ध है।
🙏जय हो मेड़ा कुल की देवी मां 🚩⛳गड़खंखाई 👑
Me for bajna ratlam
Ye devi kis vansh ki kuldevi hai
मईडा वंशज की कुलदेवी हैं
@@banshilal7825 🚩श्री गढ़खंखाई🙏 माता जो कि आदिवासी समाज मेड़ा कुल की देवी हैं मंदिर माही नदी के किनारे पहाड़ी पर मंदिर में मां गड़खंखाई के साथ माता शीतला, नागदेव, काला-गौरा भेरू, हनुमानजी की प्रतिमा स्थापित है। आदिवासी समाज की गहरी आस्था का केंद्र है। मान्यता है कि मां सुबह, दोपहर और रात्रि में तीन रूप बदलती है, बच्ची, युवती व प्रौढ़ रूप में दर्शन देती हैं। किंवदंती है कि यहां रतलाम गढ़ की स्थापना राजा रतनसिंह द्वारा की जा रही थी। परंतु राजा ने अभिमान से माता को प्रणाम नहीं किया। माता ने क्रोध में खंखार किया, जिससे निर्माणाधीन गढ़ बिखर गया। तभी से मंदिर गढ़खंखाई के नाम से प्रसिद्ध है।
🙏जय हो मेड़ा कुल की देवी मां 🚩⛳गड़खंखाई 👑
7:04
सर अब कब आओगे माताजी पार्टी बनाएंगे
आऊंगा तो बताऊंगा आपको
जय श्री महाकाल,
जय माता जी