ओ बसंती पवन पागल - मालती जोशी की कहानी | Malti Joshi Ki Kahani -

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  • Опубликовано: 21 окт 2024

Комментарии • 10

  • @sujatagusai26
    @sujatagusai26 7 дней назад +1

    Nice

  • @preethikeloth3504
    @preethikeloth3504 Год назад +1

    Nice story and good narration

  • @satyanarainsrivastava6499
    @satyanarainsrivastava6499 Год назад +3

    जीवन के यथार्थ पर आधारित अच्छी कहानी।अंजू स्वाभिमानिनी थी और उसके पिताजी भी आत्मसम्मानप्रिय थे।दोष किसी का नहीं! कहा गया है- "सब दिन जात न एक समाना।"
    वाचन स्वर प्रशंसनीय है।

  • @amritbala9767
    @amritbala9767 Год назад +2

    Heart

  • @urvashibhatnagar5284
    @urvashibhatnagar5284 Год назад +1

    Bhut hi samvedansheel kahani ❤

  • @induchaturvedi7681
    @induchaturvedi7681 Год назад +2

    कहानी बहुत अच्छी है अंजू और उसके पिताजी बहुत ही स्वाभिमानी थे। उन्होंने जो निर्णय लिया एकदम सही था। किसी की मेहरबानी लेने से अच्छा है आत्मसम्मान के साथ अपना जीवन जीना।

  • @umasharma156
    @umasharma156 Год назад +2

    Aap ki kahaniya ab adhuri si lagti hai purani kahaniyan achhi thi

    • @kathasahityapro
      @kathasahityapro  Год назад

      😊 प्रिय उमा जी .. सब कहानियों का सुखद अंत नहीं होता । मालती जोशी जी की कहानियाँ यथार्थ से जुड़ी हैं । हमारे जीवन में भी जो कुछ हम चाहें वह सब हमें हमेशा नहीं मिलता 😊🙏

  • @dr.abhamathur5138
    @dr.abhamathur5138 Год назад +3

    अधूरी सी लगती कहानी । क्या विवाह और बच्चों से आगे स्त्री का कोई कैरियर नहीं है ?