जीवन के यथार्थ पर आधारित अच्छी कहानी।अंजू स्वाभिमानिनी थी और उसके पिताजी भी आत्मसम्मानप्रिय थे।दोष किसी का नहीं! कहा गया है- "सब दिन जात न एक समाना।" वाचन स्वर प्रशंसनीय है।
कहानी बहुत अच्छी है अंजू और उसके पिताजी बहुत ही स्वाभिमानी थे। उन्होंने जो निर्णय लिया एकदम सही था। किसी की मेहरबानी लेने से अच्छा है आत्मसम्मान के साथ अपना जीवन जीना।
😊 प्रिय उमा जी .. सब कहानियों का सुखद अंत नहीं होता । मालती जोशी जी की कहानियाँ यथार्थ से जुड़ी हैं । हमारे जीवन में भी जो कुछ हम चाहें वह सब हमें हमेशा नहीं मिलता 😊🙏
Nice
Nice story and good narration
जीवन के यथार्थ पर आधारित अच्छी कहानी।अंजू स्वाभिमानिनी थी और उसके पिताजी भी आत्मसम्मानप्रिय थे।दोष किसी का नहीं! कहा गया है- "सब दिन जात न एक समाना।"
वाचन स्वर प्रशंसनीय है।
Heart
Bhut hi samvedansheel kahani ❤
कहानी बहुत अच्छी है अंजू और उसके पिताजी बहुत ही स्वाभिमानी थे। उन्होंने जो निर्णय लिया एकदम सही था। किसी की मेहरबानी लेने से अच्छा है आत्मसम्मान के साथ अपना जीवन जीना।
❤️
Aap ki kahaniya ab adhuri si lagti hai purani kahaniyan achhi thi
😊 प्रिय उमा जी .. सब कहानियों का सुखद अंत नहीं होता । मालती जोशी जी की कहानियाँ यथार्थ से जुड़ी हैं । हमारे जीवन में भी जो कुछ हम चाहें वह सब हमें हमेशा नहीं मिलता 😊🙏
अधूरी सी लगती कहानी । क्या विवाह और बच्चों से आगे स्त्री का कोई कैरियर नहीं है ?