रामपाल जी नमस्कार रामपाल जी आपसे हाथ जोड़कर निवेदन है मैंने कई बार पहले भी आपसे प्रार्थना की है की रामनिवास आर्य का गाया हुआ सूली पर विवाह इतिहास रिकॉर्ड करवाने का कष्ट करें बहुत ही अच्छा है हजार बार सुनने के बाद भी मन से नहीं उतरेगा कृपया उसे रिकॉर्ड करवाने का कष्ट करें धन्यवाद
ये कहां लिखा कि आर्य मूर्ति पूजा नहीं करते थे आर्य भगवान राम जी भी थे ।आर्य का अर्थ स्पष्ट करें । हां ये ठीक है कि पाखंड फैला है मैकाले निति से तो हमें नास्तिक बनाया है
किसी भी जड प्रदार्थ के आगे झुकना या फिर पुजा करना पाखण्ड है । उस पत्थर मे ईश्वर है परंतु वो पत्थर ईश्वर नहीं है । आर्य का अर्थ होता है ईश्वर का पुत्र जो वेदों के आज्ञा के अनुसार अपना जिवन वयतित करें ।
@@purushotampabra1809 ऋ, गतौ धातु + ऋहलोर्ण्यत् सूत्र से ण्यत् प्रत्यय होने से - य तथा अचो ञ्णिति सूत्र से अजन्त वृद्धि - तथा उरण् रपरः सूत्र से - ऋ को आर् तो मिलकर आर् + य = आर्य। गतिः प्रापणार्थे अर्थात् गति = ज्ञान,गमन और प्राप्ति करने वाले को तथा प्राप्ति कराने वाले को आर्य कहते हैं। (उत्तम ज्ञान, उत्तम मार्ग पर गमन तथा उत्तम कर्मों की प्राप्ति)। वेदमन्त्र भी है - कृण्वन्तो विश्वम् आर्यम्.
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श्री रामनिवास इसी तरह लोगों को जागरुक करते रहना जी
Katu satya
ओ३म नमस्ते जी
Very good bhajanoupdesh jai arya smaj 🙏🙏
Om नमस्ते बहुत ही सुंदर
Correct यही हाल है समाज का
Sahi keha samaj ki asi he halat he
Ha g
Very very nice👍👍👍👏
100% सच्चाई
Very nice presentation.
धन्यवाद जी
Bikul shi
ओउम्
रामपाल जी नमस्कार रामपाल जी आपसे हाथ जोड़कर निवेदन है मैंने कई बार पहले भी आपसे प्रार्थना की है की रामनिवास आर्य का गाया हुआ सूली पर विवाह इतिहास रिकॉर्ड करवाने का कष्ट करें बहुत ही अच्छा है हजार बार सुनने के बाद भी मन से नहीं उतरेगा कृपया उसे रिकॉर्ड करवाने का कष्ट करें धन्यवाद
सूली पे विवाह रामनिवास जी ने रिकॉर्डिंग नहीं करवा रखा है जी
कवर पाल जी ने गा रखा है
@@RishiCassetteSubscribe सर आपसे हाथ जोड़कर निवेदन है कृपया करवा दो recordingबहुत बढ़िया है
🙏
👍
ये कहां लिखा कि आर्य मूर्ति पूजा नहीं करते थे आर्य भगवान राम जी भी थे ।आर्य का अर्थ स्पष्ट करें । हां ये ठीक है कि पाखंड फैला है मैकाले निति से तो हमें नास्तिक बनाया है
किसी भी जड प्रदार्थ के आगे झुकना या फिर पुजा करना पाखण्ड है ।
उस पत्थर मे ईश्वर है परंतु वो पत्थर ईश्वर नहीं है ।
आर्य का अर्थ होता है ईश्वर का पुत्र जो वेदों के आज्ञा के अनुसार अपना जिवन वयतित करें ।
@@ManojKumar-ni9zo व्याकरण के अनुसार अर्थ व्यक्त करें श्रीमान जी
@@purushotampabra1809 ऋ, गतौ धातु + ऋहलोर्ण्यत् सूत्र से ण्यत् प्रत्यय होने से - य
तथा अचो ञ्णिति सूत्र से अजन्त वृद्धि -
तथा उरण् रपरः सूत्र से - ऋ को आर्
तो मिलकर आर् + य = आर्य।
गतिः प्रापणार्थे अर्थात् गति = ज्ञान,गमन और प्राप्ति करने वाले को तथा प्राप्ति कराने वाले को आर्य कहते हैं। (उत्तम ज्ञान, उत्तम मार्ग पर गमन तथा उत्तम कर्मों की प्राप्ति)।
वेदमन्त्र भी है - कृण्वन्तो विश्वम् आर्यम्.
भगवान् राम जी, कृष्ण जी - ये सब आर्य थे, महापुरुष थे, वैदिक विद्वान थे, संध्या - हवन करते थे।
Pahle khud to sudhrlo aaps me tharelathbajte hand h