श्रीनाथजी मंदिर मे स्नान यात्रा उत्सव | श्रीनाथजी दर्शन नाथद्वारा |

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  • Опубликовано: 5 окт 2024
  • व्रज - ज्येष्ठ शुक्ल चतुर्दशी
    Friday, 21 June 2024
    ज्येष्ठाभिषेक (स्नान-यात्रा)
    श्री नंदरायजी ने श्री ठाकुरजी का राज्याभिषेक कर उनको व्रजराजकुंवर से व्रजराज के पद पर आसीन किया, यह उसका उत्सव है.
    इसी भाव से स्नान-अभिषेक के समय वेदमन्त्रों-पुरुषसूक्त का वाचन किया जाता है. वेदोक्त उत्सव होने के कारण सर्वप्रथम शंख से स्नान कराया जाता है.
    इस आनंद के अवसर पर व्रजवासी अपनी ओर से प्रभु को अपनी ओर से अपनी ऋतु के फल की भेंट के रूप में उत्तमोत्तम ‘रसस्वरुप’ आम प्रभु को भोग रखते हैं इस भाव से आज श्रीजी को सवा लाख (1,25,000) आम (विशेषकर रत्नागिरी व केसर) आरोगाये जाते हैं.
    ऐसा भी कहा जाता है कि व्रज में ज्येष्ठ मास में पूरे माह श्री यमुनाजी के पद, गुणगान, जल-विहार के मनोरथ आदि हुए. इसके उद्यापन स्वरुप आज प्रभु को सवालक्ष आम अरोगा कर पूर्णता की.
    स्नान में लगभग आधा घंटे का समय लगता है और लगभग डेढ़ से दो घंटे तक दर्शन खुले रहते हैं.
    दर्शन पश्चात श्रीजी मंदिर के पातलघर की पोली पर कोठरी वाले के द्वारा वैष्णवों को स्नान का जल वितरित किया जाता है.
    मंगला दर्शन उपरांत श्रीजी को श्वेत मलमल का केशर के छापा वाला पिछोड़ा और श्रीमस्तक पर सफ़ेद कुल्हे के ऊपर तीन मोरपंख की चन्द्रिका की जोड़ धराये जाते हैं.
    मंगला दर्शन के पश्चात मणिकोठा और डोल तिबारी को जल से खासा कर वहां आम के भोग रखे जाते हैं. इस कारण आज श्रृंगार व ग्वाल के दर्शन बाहर नहीं खोले जाते.
    साज - आज श्रीजी में श्वेत मलमल की पिछवाई धरायी जाती है जिसमें केशर के छापा व केशर की किनार की गयी है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
    वस्त्र - आज प्रभु को श्वेत मलमल का केशर के छापा वाला पिछोड़ा धराया जाता है.
    श्रृंगार - प्रभु को आज वनमाला का (चरणारविन्द तक) उष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
    हीरा एवं मोती के उत्सव के मिलमा आभरण धराये जाते हैं.
    श्रीमस्तक पर केसर की छाप वाली श्वेत रंग की कुल्हे के ऊपर सिरपैंच, तीन मोरपंख की चंद्रिका की जोड़ तथा बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में मकराकृति कुंडल धराये जाते हैं.
    श्रीकंठ में बघ्घी धरायी जाती है व हांस, त्रवल नहीं धराये जाते. कली आदि सभी माला धरायी जाती हैं. तुलसी एवं श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.
    श्रीहस्त में चार कमल की कमलछड़ी, मोती के वेणुजी तथा दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
    पट ऊष्णकाल का व गोटी मोती की आती है.
    आरसी श्रृंगार में हरे मख़मल की एवं राजभोग में सोने की डांडी की आती है.
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Комментарии • 8

  • @SunitaSharma-jd2fn
    @SunitaSharma-jd2fn 3 месяца назад

    Jai jai shree radhe radhe jai jai shree krishna krishna

  • @indiraadhia1451
    @indiraadhia1451 Месяц назад

    Jay Shree Krushna.
    Thanks for Durlabh Darshan.🙏🌹👌🌷

  • @Hemant-wh7qv
    @Hemant-wh7qv 2 месяца назад

    Jai shree krishna 🙏

  • @mohanlalgupta3700
    @mohanlalgupta3700 3 месяца назад

    राधे राधे जय श्रीनाथजी महाराज की जय हो ।।

  • @hemantkataria-s9x
    @hemantkataria-s9x 3 месяца назад

    Pranam

  • @shreejisakhi2483
    @shreejisakhi2483 3 месяца назад

    राधे राधे

  • @Hemant-wh7qv
    @Hemant-wh7qv 2 месяца назад

    Veshnaw sama karna par shree ji baba ki sewa me ganga jal nhi yamuna jal lete he 🙏

  • @mohanlalgupta3700
    @mohanlalgupta3700 3 месяца назад

    राधे राधे जय श्रीनाथजी महाराज की जय हो ।।